Monday, June 20, 2011

इंसानियत जिंदा है अभी .......

लगभग दस साल पुरानी बात है .........हमारे कसबे सैदपुर में एक डाक्टर साहब हुआ करते थे ........स्थानीय phc यानी सरकारी अस्पताल में तैनात थे .......किसी काम से मैं उनसे मिलने गया था .....दोपहर का समय था ........उनके रूम में गया तो पता लगा की डाक्टर साहब नहीं हैं ....मुझे मालूम था कहाँ मिलेंगे ..........सरकारी डाक्टर को कायदन दिन में अपने रूम में बैठ के मरीज़ देखने चाहिए ....पर सारे डाक्टर अपने घर में बैठते हैं .......वहां हर मरीज़ से उन दिनों 20 रु लेते थे consultation fees .........खैर वहीं अस्पताल में ही उनके सरकारी आवास में पहुंचा .....डाक्टर साहब अपना दरबार लगा के बैठे थे .....3 -4 छुटभैय्ये नेता उन्हें घेर के बैठे थे ......3 -4 मरीज़ सामने बैठ के अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे .........मैं भी बैठ गया .......तभी वहां एक औरत आयी........उसकी गोद में एक दुधमुहा बच्चा था .......उस औरत का शब्द चित्र खींचने में आज भी मेरा दिल दहल जाता है ........हिन्दुस्तान की गरीबी और बदहाली के जितने भी किस्से आपने आज तक सुने होंगे .......और गरीब बदहाल लोगों के फोटो देखे होंगे ..........वो औरत उनसे भी ज्यादा दयनीय अवस्था में थी ........एक दम दुबली पतली ........सूखा मुरझाया हुआ चेहरा ......शरीर में हड्डियों के ढांचे के अलावा और कुछ नहीं बचा था .......वो बच्चा शायद 2 -4 महीने का रहा होगा .....दूर से देखने पर मुझे उसके अन्दर जीवन का कोई लक्षण नज़र नहीं आया .....अगर रहा भी होगा तो वो एकदम मरणासन्न ही था ..........डाक्टर साहब ने उस बच्चे को देखा और पुर्जा लिख दिया ............वह औरत उस स्टूल से उठ खड़ी हुई ........ एक क्षण के लिए वो वहां जड़वत खड़ी रही और फिर पीछे मुड़ने लगी ..........तभी डाक्टर साहब बोल पड़े ....20 रु .........उस औरत ने कांपते हाथों से अपनी साडी के कोने में बंधी उस गाँठ को खोलने का उपक्रम किया ......वो दृश्य आज भी मेरी आँखों के सामने तैर रहा है .......कम से कम एक मिनट लगा होगा उसे अपनी साडी की वो गाँठ खोलने में .....और उसने उसमें से कुछ नोट निकाले और पूरे डाक्टर के हाथो में रख दिए .........डाक्टर ने देखा की 20 ही हैं और उसने वो पैसे अपने टेबल की दराज़ में रख लिए .............वो औरत मुड़ी और लडखडाते क़दमों से बाहर निकल गयी ............कमरे में बैठे हम सभी लोगों का मन वितृष्णा से भर गया .......हम सबके मनोभाव हमारे चेहरे से साफ़ पढ़े जा सकते थे .........पर डाक्टर को कोई फर्क नहीं पड़ा .........इस घटना ने मुझे अन्दर तक झकझोर कर रख दिया ........मैं किस काम से आया थे वो भूल गया और चुपचाप उठ कर चला आया .......
आज दसियों साल बाद भी वो घटना दिलो दिमाग में बैठी हुई है सो लिख रहा हूँ .........उस डाक्टर को मैं अच्छी तरह से जानता हूँ .........एक बेटा है डाक्टर है .......बहू भी डाक्टर है .....उनकी एक बेटी है ...dental surgeon है ...दामाद भी डाक्टर है ........डाक्टर को retire हुए 4 -5 साल हो चुके है अब .......करोड़ों की संपत्ति है उसके पास ........अब ऐसा आदमी भी ....एक इतनी गरीब औरत से ....उसके मरते हुए बच्चे को देखने की एवज़ में ....तब जब की उसे अपनी सरकारी ड्यूटी में अस्पताल में देखना चाहिए था और मुफ्त में सरकारी दवा भी देनी चाहिए थी ...........ऐसी औरत से भी 20 रु पकड़ लेता है .........क्या कोई मनुष्य इतना भी संवेदना शून्य हो सकता है ......मैंने सुना है की जब आप रोज़ रोज़ ऐसे ह्रदय विदारक दृश्य देखते हैं तो आपको आदत पड़ जाती है ........पर मुझे इस theory में विश्वास नहीं होता है ......इस लिए मैंने इस सम्बन्ध में कई लोगों से बात की .....कई ऐसे लोगों से जिनके सामने ऐसी समस्याएं और ऐसे दृश्य रोज़ ही आते हैं .......कई पुलिसवालों से बात हुई .....कई बस counductors से पूछा ........कुछ डाक्टरों से भी बात की .......आपसी बातचीत में तो सबने यही कहा की ऐसे लोगों से हम पैसे नहीं लेते हैं .......एक वकील साहब ने तो यहाँ तक बताया की ऐसी ही एक औरत का मुकदमा वो लड़ रहे हैं और जब भी वो तारिख पर आती है तो उस दिन उनके 100 -200 रु खर्च हो जाते हैं ........बोले भैया खाना खिलवाता हूँ और आने जाने का भाड़ा ले के जाती है ..........तो उस दिन उस डाक्टर को क्या हो गया था ????? उस दिन उस औरत से वो 20 रु लेते उसके हाथ क्यों नहीं कांपे .............
आज यहाँ फिर एक डाक्टर के पास बैठा था ........फिर वही कहानी देखने को मिली ......इस बार पति पत्नी अपने बच्चे को दिखाने आये थे .......तकरीबन वैसी ही दशा थी जैसी उस दिन उस औरत की थी .....पर इस बार डाक्टर एक तथाकथित BAMS .....झोला छाप टाइप था .....मैं उसके क्लिनिक में बैठ के अखबार पढ़ रहा था .......डाक्टर ने निर्विकार भाव से उस बच्चे को देखा .....पुर्जा लिखा ....और थमा दिया .........उस औरत ने साड़ी की गाँठ खोल के बीस रूपये निकाले ........डाक्टर बोला ...बस बीस रूपये ? वो बोली बाबू इतने ही हैं ........फिर इसके बाद कोई संवाद नहीं हुआ .........कुछ बातें चुप रह कर ज्यादा अच्छी तरह समझ आती हैं .........कुछ क्षण बाद डाक्टर ने वो पैसे उन्हें लौटा दिए .......अपने टेबल की दराज़ से कुछ sample वाली दवाइयां निकाली और उसके हाथ पर धर दी ............वो औरत बोली कितना पैसा हुआ डाक्टर साहब ...........डाक्टर ने सिर्फ गर्दन हिलाई .....अगली बार दे देना .........
कैसी अजीब पहेली है ये .......उस दिन वो डाक्टर ....करोडपति था ....पर उसकी पैसा कमाने की भूख कायम थी ...और उस भूख ने उसके अन्दर के इंसान को मार दिया था ......और ये बेचारा झोला छाप .......2 -300 रु कमाने वाला .........ये उस 200 रु में भी कितना संतुष्ट है और सुखी है .........किसी ने सच ही कहा है की सुख और दुःख एक मानसिक अवस्था है ...इसका आपकी जेब ....पैसे और बैंक बैलेंस से कोई लेना देना नहीं है ..........happiness is a state of mind........it has got nothing to do with your bank balance .

3 comments:

  1. Yes, humanity is there. It is there in you and me and several, I will say in crores of people of India. It (humanity) starts from the family and children learn it from their parents; then society and then from profession. We are very much lucky that we got all these things in line of humanity; others are not so lucky.

    ReplyDelete
  2. महोदय जीवन जीने के लिए अनिवार्य और संसार की सर्वश्रेष्ठ चीजें हमें मुफ्त उपलब्ध हैं... फिर क्या फालतू हाय हाय करना...

    ReplyDelete