Monday, September 30, 2013

राहुल , अखिलेश , तेजस्वी संवाद

हल्लो ....राहुल भैया ? तेजस्वी बोल रहे हैं ......पटना से

अरे हाँ तेजस्वी ...बोलो यार ......तुम्हारे पापा का सुने यार ....बड़ा अफ़सोस हुआ ......पर क्या कर सकते हैं ...... देखो यार हम लोग तो बहुत कोसिस किये ......पर क्या बताएं .......बंगलिया साला मना कर दिया ......आखिर में देखो ....कितना नाटक करना पडा

हाँ भैया ...वो तो हम TV पे देखबे किये .........

अरे नहीं यार ...असली नाटक तो उसके बाद न हुआ ......... सरदरवा पिनक गया ....वहीं अमेरिका में .......वो तो मम्मी किसी तरह मनाई ....साला बड़ी नौटंकी हो गयी यार ..........  हमहू ओह दिन कुछ जादा बोल गए ..........छोडो बताओ ...कैसे फोन किये .........

वो भैया ....पापा तो जेल चले गए ...अब हमी को सब सम्हालना है ........सो आपसे टिप्स लेने थे ....कैसे करें ........

देखो यार हम तो खुदै टिप्स लेते हैं अभी ........ पर एक बात हम जान गए हैं ........तुम भी समझ लो .........ई जादा angry young man बनने का कोसिस नहीं करना चाहिए   .....उसी में बवाल होता है ...... बकलोल बन के रहने में जादा फायदा है ........ पब्लिक मज़ा तो लेती है पर लात जूता नहीं खाना पड़ता .........

पर आप काहें angry young man बन रहे हैं ?????

अरे यार ....हमको तो दिग्गी अंकल फसा दिए हैं .....ऊ साला मोदिया घूम घूम के ताल ठोक रहा है ......... अब हमारे पार्टी में और कौन लडेगा उससे .........सो सब हमी को तैयार कर रहे हैं ........दिग्गी अंकल रोज़ सुबह आ जाते हैं दंड बैठक मरवाने ...........हम तो साला दुखी हो गए ......अब तुम्ही बताओ .......मोदिया इतना बड़ा पहलवान ........हम सब के बस का है ?   इसलिए हम तुमसे कह रहे हैं ...ढेर angry young man मत बनने लगना ...एकदम cool dude बन के रहो .....जहां जाना है जाओ .........कागज़ पढ़ के लेक्चर दो ...चार ठो नारा लगवाओ .......चार ठो फोटो खिचवाओ .......बस हो गयी राजनीति .........जादा टेंसन नहीं लेना है ........


पर भैया पार्टी भी तो चलाना है ........ घूमके मजा लेंगे तो पार्टी कैसे चलेगी .........

क्यों .....हम भी तो पिछले दस साल से घूम के मजा ले रहे हैं ......और देखो ....पार्टी एकदम टना टन चल रही है .........

अरे आपकी तो मम्मी हैं .........सब सम्हाल लेती हैं ........हमको तो सब अकेले देखना है .......

 अबे चूतिया हो .......... तुम्हे क्या मालूम .....मम्मी भी घूम के मजा ले रही हैं ...सम्हालने वाले सब सम्हाल रहे है ........मनमोहन सिंह और दिग्विजय जैसे 5 -7  ठो पाल लो ..........दिन रात काम भी करेंगे और तुम्हारे हिस्से का लात जूता भी खायेंगे ........और ज़्यादा चक्कर में पड़ोगे तो अखिलेसवा की तरह पगला जाओगे ..........

अरे हाँ भैया .....उ बढ़िया फसा है ...एक दिन हम फोन किये थे ......... बोला बिलकुल फुर्सत नहीं है ...बाद में करना ....... पर एक बात है भैया ....आप कह रहे थे बकलोल बन के रहो ...........बकलोल बन के रहने में अखिलेसवा कितना लात जूता खाया ..........

देखो हम कहे हैं बकलोल होने का नाटक करो .........अखिलेसवा सचमुच बकलोल बन गया ......... ड्राइविंग सीट पे अपने बैठा है .......स्टीयरिंग आज़म खान को दिया है ........ब्रेक अपने पापा को दिया है ......... और गियर उसके चचा लोग लगा रहे हैं ........और साला जितने गियर उस से ज़्यादा तो उसकी चचा लोग हैं ............. हॉर्न मायावती के पास है .........ऊ हमेशा पे पे करती है .....ऊपर से भाजपा .........लोग तो पहिये की हवा निकालते हैं .........भजपैया सब चारो पहिया ही निकाल के ले गए ............हम तो उसको बहुत मना किये थे ....ई मुख्य मंत्री वंत्री बनने के चक्कर में मत पड़ो .......पर नहीं माना .......तब तो कहता था की पापा को प्रधान मंत्री बनाना है ..........अब भोग रहा है .......अच्छा रुको अभी कांफ्रेंस पे लेते हैं ............

का बेटा ........... कहाँ मजा ले रहे हो ............

अरे राहुल भैया ....का बताएं .....ई साला आज़म खनवा नाक में दम कर दिया है ....ई साला कहीं का नहीं छोड़ेगा ........

अच्छा देखो दूसरी लाइन पे तेजस्वी हैं ....हमसे टिप्स ले रहे थे सो हम बोले अरे हमसे का पूछ रहे हैं ........ अखिलेस भैया UP चला रहे हैं , उनसे टिप्स लीजिये .........

अखिलेस भैया प्रणाम ........

अरे हाँ यार तेजस्वी ....अंकल का सुने यार .......क्या बताएं ........इनसे कहे थे कुछ करो ...पर ई भी फेल हो गए

अरे हम का करते ....हम कोसिस नहीं किये ?????? बंगलिया नहीं माना तो हम का करते .........देख रहे हो  साला कितना छीछा लेदर हो गया दुनिया भर में .........इसके बाप के चक्कर में ..........

अच्छा ये बताइए ....अब हम का करें ..........यहाँ पटना में .......

अरे बेटा करना का है ....चुप मार के पड़े रहो पटना में ..........जो मजा मलाई खाने में है वो मज़ा भैंस पालने में नहीं है ......... भैंस किसी और को पालने दो .....तुम खाली मलाई खाओ .....जैसे राहुल भैया खा रहे हैं ........

अच्छा छोडो ....ये बताओ वहाँ क्या चल रहा है ....मेरठ मुज़फ्फर नगर में ? सुना है कल फिर बवाल करवाए हो ........

अरे भैया होना क्या है ......ई साला आज़म खनवा कहीं का नहीं छोड़ेगा ........... हमको कहता था की मुसलमान का पूरा वोट ले के देगा ............. दिवाली गिफ्ट ...........कहता था , बेटा तुम बस देखते जाओ .........सब हमारे ऊपर छोड़ दो ........हम छोड़ दिए ...........देखिये साला का किया .....मुसलमान भी गया , जाट भी गया ........ ले दे के अहीर बचा है ....अकेला अहीर ले के चाटेंगे ?
उधर बाबू जी .....दिन रात गरियाते हैं ........ कहते हैं बेटा तुमसे नहीं होगा .....निकम्मे हो ........चाचा कहते हैं तुम साले दोनों बाप बेटा निकम्मे हो .........आज़म खान कहता है तुम साले सब अहीर निकम्मे हो .....मुझे लगता है की बहुत जल्दी अहीर हमसे कहेंगे ....तुम सब निकम्मे हो , तुमसे बहुत अच्छा मोदिया है ........... मुझे भी अब मोदी से डर लगने लगा है .......

अरे छोडो यार ....किसका नाम ले रहे हो .........रात में ऐसे लोगों का नाम नहीं लेते ....रात भर डरावने सपने आते हैं ...........चलो सो जाओ .....good night

Friday, September 27, 2013

यह देशद्रोह से कम नहीं

यह देशद्रोह से कम नहीं


 श्री वेद प्रताप वैदिक द्वारा लिखित यह लेख प्रस्तुत है 


                   जनरल वी.के. सिंह को बदनाम करने के लिए सरकार ने जब एक गोपनीय रपट को अखबारों में उछलवाया था तो पिछले हफ्ते मैंने लिखा था कि यह सरकार का देशद्रोहपूर्ण कार्य है। उस समय सरकार के बारे में मेरी यह राय कुछ लोगों को काफी कठोर मालूम पड़ रही थी लेकिन अब जबकि सरकार की पोल अपने आप खुलती जा रही है तो वह और उसके नेता हाय-तौबा मचाने लगे हैं। वी.के. सिंह को फंसाने के लिए जो रपट उछाली गई थी, वही अब केंद्र सरकार के गले का हार बन गई है। सरकार को अब पता चल रहा है कि इस रपट को सार्वजनिक करने के दुष्परिणाम क्या होंगे।

                   इस रपट में सरकार ने यह कहलवाया कि जनरल सिंह ने अपने कार्यकाल में फौज की करोड़ों की गुप्त-राशि जम्मू-कश्मीर के मंत्रियों को चटा दी ताकि वे उमर अब्दुल्ला की सरकार को गिरवा सकें। अखबारों में कुछ मंत्रियों के नाम और उन्हें दी गई राशियां भी छपीं। यह स्वभाविक था कि जनरल सिंह इस आरोप का खंडन करते या सफाई देते। उन्हें सरकार ने सफाई देने के लिए मजबूर किया। उन्होंने मजबूरी में उस राशि के वितरण का सैद्धांतिक ब्यौरा भी प्रगट कर दिया। अगर वे चुप रहते तो उनकी बदनामी तो होती ही, सरकार की बदनामी ज्यादा होती। पाकिस्तान में कहा जाता कि भारत सरकार कश्मीर पर अपना कब्जा बनाए रखने के लिए स्थानीय नेताओं को करोड़ों की रिश्वत भी देती है। इसीलिए जनरल सिंह ने बताया कि वह राशि रिश्वत की नहीं, सद्भाव की राशि होती है, जो मंत्रियों को दी जाती है। जनरल सिंह के इस बयान से सरकार की छवि थोड़ी सुधरती है, लेकिन आश्चर्य है कि कांग्रेस के नेता अपने हाथों ही अपने पांव पर कुलहाड़ी मार रहे हैं। वे कह रहे हैं कि जनरल सिंह नाम उजागर करें।

                   अब इन नेताओं से पूछा जाए कि नाम उजागर होंगे तो किनके होंगे? उन्हीं के होंगे, जिनकी सरकारें श्रीनगर में आज तक बनती रही हैं। जनरल सिंह का कहना है कि ये राशियां शुरू से दी जा रही हैं यदि यह सच है तो क्या इस जाल में कांग्रेसी नहीं फंसेंगे? फारुख अब्दुल्ला और कांग्रेसी नेता अपने आपको बड़ा दूध का धुला दिखा रहे हैं और उन्होंने ऐसा तेवर धारण कर लिया है, जैसे कि उन्हें आज तक इस तरह की हेराफेरी की भनक भी नहीं थी।


                    अच्छा होता कि जनरल सिंह चुप रह जाते लेकिन अब हमारी गुप्तचर एजंसियों के रहस्य खुलने शुरू हो जांएगे। सरकार में बैठे कुछ मुर्ख नेता अपने विरोधियों का मुंह काला करने के चक्कर में अपनी नाक कटवाने का आयोजन कर रहे हैं। उनकी कटे तो कट जाए लेकिन यह भारत की बदनामी भी है। सीमांत क्षेत्रों में सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ फौज की ही नहीं होती, गुप्तचर संस्थाओं की भी होती है। इस रपट का दुरुपयोग करके सरकार ने हमारी गुप्तचर एजेंसियों को भी खतरे में डाल दिया है। उन कश्मीरी नेताओं की स्थिति भी विषम कर दी है जिन्होंने भारत के साथ सहयोग किया है। इस दृष्टि से भारत सरकार के जिन नेताओं ने यह नादानी की है, उनका यह कार्य देशद्रोह से कम नहीं है। जनरल सिंह या बाबा रामदेव या अन्ना हजारे से लड़ने के लिए अपने देश की सुरक्षा को खतरे में डालना कहां तक उचित है?