Tuesday, December 17, 2013

अरविन्द केजरीवाल की सुहाग रात

लड़की लड़के की सादगी और ईमानदारी पे मर मिटी ....... सीधा साधा लड़का था , दुबला पतला ....... शरीफ तो इतना था कि पूछिए मत ......... मोहल्ले की लडकियां तक छेड़ जाती थी ........किसी से कुछ कहता था .........यूँ मोहल्ले में एक से एक लौंडे थे .....स्मार्ट डैशिंग .....बुलेट राजा ....... पर  वो कहते हैं , क़ि दिल आया गधे पे तो बुलेट क्या चीज़ है . सो लड़की का दिल उस लड़के पे गया ........ लाख समझाया सहेलियों ने ....कैसा घोंचू है .......पर उसने किसी की एक मानी ....उस पे तो ईमानदारी और आदर्शवाद का भूत जो सवार था ......... सो वो उसपे मर मिटी .......साल भर तक गरमा गर्म रोमांस चला ......... प्रेमालाप हुआ ....लड़के ने बड़े बड़े वादे किये ....... चाँद तारे तोड़ लाऊंगा ......स्वर्ग को धरती पे उतार लाऊंगा ....रानी बना के रखूंगा .........लड़की फूल के गोलगप्पा हुई जा रही थी ........ वो शादी के सपने संजोने लगी ......... मीठे मीठे सपनों में खोने लगी ....... दूल्हा बरात ले के आया ....... सब घोड़ी पे आते हैं ......मर्सीडीज़ में आते हैं , ये मुआ टूटी हुई साईकिल पे आया .....आदर्शवादी जो ठहरा ........ बोला क़ि दूल्हा कोई VIP थोड़े होता है , जो कार में चलेगा .........आम आदमी हूँ ...सीधा सादा शरीफ सा .........जब फेरे लेने की बारी आयी तो वहाँ भी उसने बचत कर दी ....7 फेरों की जगह 5 में ही काम चला ले गया ....... जब विदाई की बेला आयी तो बोला  , डार्लिंग तुम पीछे बैठो , मैं चलाता हूँ ............ लड़की भी फुदक के बैठ गयी ......... मोहल्ले भर में चर्चा रही ........ दुल्हन के बिदाई साईकिल में ....एक नए युग की शुरुआत ........बहुत तारीफ की लोगों ने .......बोले इसे देख के तो महात्मा गांधी याद गए ........ कितना सीधा , सच्चा सुच्चा आदमी है .......अखबारों में इस अनोखी शादी के चर्चे हुए ...........

                                   फिर बारी आयी सुहाग रात की .........  और लड़का अड़ गया .......मैं सुहाग रात नहीं मनाऊंगा ......... मैं ठहरा शरीफ आदमी ....मैं इतना गंदा काम कैसे कर सकता हूँ ........ मेरी ज़िंदगी भर की  कमाई मिटटी में मिल जायेगी ....... ज़िंदगी में मैंने बस इज़ज़त ही तो कमाई है ......... मेरे उसूलों , मेरे आदर्शों का क्या होगा .....आखिर मुझमे और इन चोर डाकुओं में , इन भ्रष्ट लोगों में कुछ अंतर तो होना ही चाहिए ............मैं आज से एक नयी शुरुआत  कर रहा  हूँ .....कोई सुख नहीं भोगूँगा ....सिर्फ और सिर्फ सेवा करूंगा ........लाओ कहाँ हैं तुम्हारे चरण .....दबा दूं ......थक गयी होगी ..........

लड़की ने माथा पीट लिया .......... कैसे निखट्टू से पाला पड़  गया ..........  समझाया बुझाया पर उसे कुछ समझ आया ........ ऐसी बातें कहीं छुपी रहती हैं ....देखते देखते बात पूरे मोहल्ले में फ़ैल गयी .......... मोहल्ले के बदमाश लौंडे हंस हंस के लोट पोट हुए जा रहे थे ..........  पर उसे कोई फर्क पड़ा ....वो बोला हंस लो , चाहे जितना हंस लो .......पर हम अपने आदर्शों से डिगेंगे ....... हम तो सच्चे सेवक हैं , सेवा करेंगे ....हम कोई मेवा खाने के लिए , मज़े लेने के लिए थोड़े आये हैं ........... घर वालों ने समझाया , बड़े बुज़ुर्गों ने समझाया ....... बड़े बड़े समाज शास्त्रीयों ने समझाया ......संविधान विशेषज्ञों ने पढ़ाया .........दुनिया दारी बतायी ....सब उंच नीच समझाई .....पर उसके कुछ समझ ना आयी ........ बोला तुम्ही क्यों नहीं मना लेते सुहाग रात .....हमको नहीं माननी ......... हम तो बस दूर बैठे देखेंगे ....और तुमको कुछ भी गलत करने देंगे ......... पर मोहल्ले के लौंडे सब बड़े चालू थे ......... बोले देखो भैया ...... दुल्हे तो तुम हो ........ सुहाग रात मनाने का जनादेश तो तुम्ही को मिला है ....दुल्हनिया तुम्हारी है .........  तुम्ही मनाओ ........ हम अगली बार अपनी वाली को ब्याह के लायेंगे तो सुहाग रात मनाएंगे ........ इसके साथ तो तुम्ही मनाओ ........... अब लड़का फंस गया ........ उधर लड़की परेशान थी ......उसे भी अब गुस्सा रहा था ........ किसी ने लड़के को कान में समझाया ....बेटा मौके के नज़ाकत को समझो ........ दुल्हन का पारा गर्म हो गया तो झाड़ू उठा लेगी ..........

                             लड़के के पास अब कोई चारा था . सो उसने मोहल्ले के लौंडों को चिट्ठी लिखी . बोला देखो सुहाग रात तो मैं मना लूँगा पर मेरी ये 18  शर्तें हैं ......... अगर तुम लोग इन्हे मान लो तो मैं सोचूंगा ...........

 सो उसने पहली  शर्त ये बतायी क़ि मैं अपने दुल्हन को लाल  बत्ती  की ambassador में नहीं घुमाऊंगा , बल्कि साईकिल पे टहलाऊंगा , तो तुम सब हंसोगे नहीं .

मैं सुहागरात रामलीला मैदान में मनाऊंगा , घर में नहीं .

मैं अपनी बीवी को दाल में तीन चम्मच घी डाल के खिलाऊंगा तो तुम कोई ऑब्जेक्शन नहीं करोगे .........
मोहल्ले के लौंडे चूंकी बड़े बदमाश थे , सो सभी शर्तों पे राज़ी हो गए . पर लड़का वाकई शरीफ है .......कहता है ज़रा रुको ......अपनी मम्मी से पूछ के बताता हूँ ...........देखिये कब मनती है मोहल्ले में सुहागरात ......



Saturday, December 14, 2013

सनम बेवफा ........

साल  भर लड़की के साथ इश्क़ लड़ाने और  फुल मज़े लेने के बाद लड़का एन मौके पे शादी से मुकर गया ......लड़की ने कहा नहीं ऐसा नहीं हो सकता ...वो तो बहुत शरीफ लड़का है ....मैंने तो उसका शराफत का सर्टिफिकेट देखा है ........मेरा दिल कहता है ऐसा नहीं हो सकता .......पर जब  लड़का शादी वाले दिन  बरात ले  कर नहीं पहुंचा तो लड़की घबराई .....उसने फोन लगाया .....अरे डार्लिंग क्या हुआ ......तुम तो कहते थे कि बहुत प्यार करता हूँ .........अब क्या हुआ ....लड़का बोला देखो मुझे गलत मत समझो ......... प्यार तो मई सचमुच बहुत करता हूँ , पर शादी नहीं कर सकता ..........क्यों ......क्योंकि तुम्हारे पुराने यार साले बहुत कमीने , दुष्ट और भ्रष्ट थे ............

पर डार्लिंग इसमें मेरी क्या गलती है ........मेरे प्यार में तो कोई कमी नहीं ........

 जानेमन मैं  अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं कर सकता

डार्लिंग कैसा सिद्धांत और कैसा समझौता ........

नहीं मैं बहुत ईमानदार आदमी हूँ और मेरी ईमानदारी इजाज़त नहीं देती कि मैं तुमसे शादी करूँ

पर उन वादों का क्या होगा jo तुमने मुझसे चांदनी रातों  में दिल्ली के पार्कों  में किये थे

वो वादे तुम अपने पुराने लुच्चे यारों से पूरे करवा लो

नहीं मैं तुम्हे प्यार करती हूँ

मैं ऐसा कैसे  मान  लूं  .......उन्होंने भी तो मज़े लिए हैं ....तुमने उनको भी तो चुम्मियाँ दी हैं ......... मुझे तो सिर्फ 28 चुम्मियाँ दी थी .......उस भगवा टी शर्ट वाले को 32 ....और वो पिज़्ज़ा वाला भी 8  पप्पियाँ ले गया .......... मज़े तो सबने लिए हैं .....

पर डार्लिंग मैं तुम्हारे बच्चे के माँ  बनने वाली हूँ ........

चिंता मत करो ....बच्चे को भगवा टी शर्ट वाला पालेगा

इतना सुन के लड़की ने हाथ में झाड़ू उठा ली ......... डार्लिंग अगर मैं प्यार करना जानती हूँ तो झाड़ू मारना भी जानती हूँ ...... आदमी बन जाओ नहीं तो हाथ में झाड़ू पकड़ा दूंगी  ......

लड़का सकपकाया .......बोला कि ठीक हैं शादी तो मैं कर लूँगा पर अगर तेरे पुराने यार वादा करें कि मेरी बरात के आगे आगे डांस करेंगे .....तेरी डोली वही उठाएंगे   ...बैंड बाजे का खर्चा वही देंगे ......हनी मून मैं मनाऊंगा ...खर्चा वो उठाएंगे ........ बच्चे मेरे होंगे .....पोतड़े तेरे यार धोएंगे ........ देख मैं बहुत ईमानदार आदमी हूँ ...सर्टिफाइड ईमानदार ........



Thursday, October 31, 2013

भले मानस का लंगर

                                     एक बार कहीं किसी गाँव में एक बाप रहता था।  अब बाप किस्म के लोगों का ये सामाजिक कर्त्तव्य होता है कि वो ढेर सारे बच्चे पैदा करे।  हमारे शास्त्रों में लिखा है कि ढेर सारे बच्चे पैदा करना हमारा सांसारिक , सामाजिक और आध्यात्मिक कर्त्व्य  है , सो इस जिम्मेवारी का वो  बखूबी निर्वहन करता था।    इन बच्चों के साथ एक प्रॉब्लम होती है कि इन्हे भूख बहुत लगती है।  हमेशा भूख से बिलबिलाते रहते हैं।  चिल्ल पों मची रहती है।  बाप यूँ देखने में तो बड़ा जिम्मेवार किस्म का लगता था पर उसका कोई भी काम ठीक से नहीं होता था।  बच्चे भूखे मर रहे थे।  बाप जो खाना बनवाता था वो किसी काम का नहीं होता था।  पर बाप मस्त था।  अब चूंकि गाँव में किसिम किसिम के लोग होते हैं।  कुछ लोगों को बच्चों पे दया आ गयी।  एक भले मानस ने अपने घर चार रोटियां बनवाईं और बेचारे भूखे बच्चों को चटनी के साथ खिला दी।  रोटियां किसे अच्छी नहीं लगतीं।  बच्चे रोज़ाना पहुँचने लगे।  भले मानस के घर लंगर चलने लगा।

                                    बाप को खबर लगी।  एक दिन उसने भले मानस का दरवाज़ा खटखटाया। 
कौन है भाई तू ?  सुना है लंगर चलाता है ?  

जी मैं भला मानस हूँ।  बच्चे भूखे थे सो जितनी मेरी औकात है उतना खिला देता हूँ।  

अच्छा , तो तू भला मानस है।  किस से पूछ के तूने ये लंगर शुरू किया ?  क्या क्वालिफिकेशन है तेरी ?  लंगर चलाने का लाइसेंस है तेरे पास  ? तेरी औकात क्या है बे , जो तू लंगर चलाने लगा ? किसकी परमिशन से लंगर चला रहा है ?   

अजी मेरी क्या औकात है कि मैं लंगर चला सकूं।  जो रूखा सूखा बन पड़ता है खिला देता हूँ ।  

क्या कहा ? रूखा सूखा खिलाता है ?  साले तू तो बच्चों को भूखा मार देगा।  बेचारे मासूम बच्चों को malnutrition हो जाएगा।  सुन कल हवेली में आ जाना , हम तुझे बताएँगे , बच्चों के लिए लंगर कैसे चलाना है।  

अगले दिन भला मानस हवेली पहुंचा तो दरवाज़े पे दरबान खड़ा था।  उसने रोक लिया।  भला मानस किसी तरह सौ का नोट दे के अंदर पहुंचा।  बाप जी व्यस्त थे सो मुलाक़ात न हुई।  कई दिन चक्कर काटता  रहा।  फिर जा कर बाप जी से मुलाक़ात हुई। 

हम्म्म्म ……… भूखे बच्चों के लिए लंगर चलाना है ? कहाँ चलायेगा ? 

सरकार छोटा सा घर है मेरा।  उसी में चला लूंगा।  

अबे ऐसे कैसे चला लेगा ? बाप का माल है क्या ? 4 एकड़ में हवेली बनानी पड़ेगी पहले।  फिर हम आयेंगे मुआयना करने।  ऐसे झोपड़ी में थोड़े चलेगा लंगर।  और खिलायेगा क्या ? रूखा सूखा खिला के काम नहीं चलेगा। शाही पनीर , मलाई कोफ्ता और दाल मखनी खिलानी पड़ेगी।  साथ में  आचार चटनी और पापड भी देना पडेगा . सलाद में प्याज , टमाटर और मूली होनी चाहिए . और ऊपर से नीबू . 

जी हुज़ूर .

और सुन . नीबू का बीज सलाद में नहीं पड़ना चाहिए   . अगर एक भी बीज आ गया तो लाइसेंस रद्द हो जाएगा .

जी हुज़ूर .

अच्छा , नमक कौन सा डालता है ? नमक आयोडीन युक्त होना चाहिए . समझा ? 

जी हुज़ूर . 

कौन कौन लड़का खाना खाने आता है उसका पूरा रिकॉर्ड रखना है . कौन है , कहाँ का है , बाप का नाम , डेट ऑफ़ बर्थ .सब रिकॉर्ड रखना है . रोज़ाना हाज़िरी लगनी चाहिए . जिस दिन खाना खाने न आये उस दिन उसके बाप की अप्लिकेशन आनी चाहिए कि आज हमारा बच्चा आपके लंगर में खाना खाने नहीं आयेगा . 

किस लड़के ने किस दिन कितनी रोटी खाई इसका भी रिकॉर्ड रखना है ....... ज़्यादा खाई तो क्यों खाई , कम खाई तो क्यों खाई , इसका कारण भी लिखना होगा . हर लड़के को चार रोटी खाना ज़रूरी है ..... अगर लड़का तीन दिन ना आये तो चौथे दिन उसे हर हालत में 16  रोटी खिलानी पड़ेगी . 

जी हुज़ूर .........

 रोटी एकदम गोलाकार होनी चाहिए . उसका diameter 4  इंच होना चाहिए .  और मोटाई 3 MM से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए . 

जी हुज़ूर .........

 और दाल रोज़ाना बदल के बनानी है ....... उसमे जीरा लहसुन प्याज टमाटर डाल के तड़का लगाना है . थाली स्टील की होनी चाहिए . उसका वज़न 325  ग्राम होना चाहिए . और उसका diameter 14  इंच से कम नहीं होना चाहिए . 

डाइनिंग हॉल 22 *24 का होना चाहिए . उसमे 5  पंखे होने चाहिए . खिड़की इतनी बड़ी होनी चाहिए . डाइनिंग टेबल ऐसा होना चाहिए . कुर्सी ऐसी चाहिए . उसपे Sunmica  सफ़ेद होना चाहिए . 

जी हुज़ूर 

और सुन , खाना कौन बनाता है ?

हुज़ूर मेरी बीवी बना देती है .....

ऐसे नहीं चलेगा . खाना बनाने के लिए बावर्ची रखो . वो Hotel management institute का MBA होना चाहिए .उसकी पगार कम से कम 24000 होनी चाहिए।  12 % PF  काटना है। 

जी हुज़ूर ……

पानी कहाँ से लाते हो ? 

जी गाँव के कुँए से निकाल लेते हैं। 

ऐसे नहीं चलेगा।  किसी बच्चे को हैजा हो गया तो ? पहले पानी का सैंपल टेस्ट कराओ , सरकारी लैब से।  फिर लंगर चलाने का लाइसेंस मिलेगा। 

हुज़ूर मैं तो छोटा मोटा गरीब आदमी हूँ।  कुछ सरकारी मदद मिल जाती  तो बच्चे अच्छे से खा पी लेते।  

अबे बाप का माल है क्या ? सरकारी मदद कहाँ से दे दें तुझे।  बेटा लंगर तो घर से ही चलाना पडेगा। 

इस प्रकार महीनों बाप जी के चक्कर काट के और मोटा चढ़ावा चढ़ा के भले मानस को लंगर चलाने का लिसेंस मिला। 

भले मानस ने 4 एकड़ में  शानदार हवेली बनवाई है।  बढ़िया रंग रोगन करवाया है।  सुन्दर सुन्दर खाना बनाने वालियां हैं।  अंग्रेजी बोलती हैं।  सुना है कि 800 रु में एक थाली मिलती है।  शानदार भोजनालय चल रहा है। बाप अब भी मस्त है।  पर कुछ गरीब बच्चे अब भी चटनी भात खा रहे हैं ………  


देश में बच्चों की शिक्षा दीक्षा सरकार की ज़िम्मेवारी है .............. इसमें सरकार बहुत बुरी तरह फेल हुई है ......... सरकारी स्कूलों का इतना बुरा हाल है कि वहाँ कोई भी जाना नहीं चाहता .........ऐसे में प्राइवेट संस्थाएं खुलती हैं ........... मैंने भी किसी ज़माने में ऐसी ही एक संस्था शुरू की थी ......... पर उसे मान्यता देने में सरकार की इतनी सारी शर्तें हैं , इतनी अड़ंगेबाजी है , इतनी लाल फीता शाही है कि कोई छोटा मोटा आदमी वो शर्तें पूरी कर ही नहीं सकता ........... आज एक प्राइवेट स्कूल खोलना कम से कम   दो से दस करोड़ रु तक का प्रोजेक्ट है ........अब भैया जो दस करोड़ लगाएगा वो समाजसेवा तो करेगा नहीं ...वो तो दूकान चलायेगा .........इसलिए शिक्षा की दूकान चल रही  है .........लगभग हर किस्म कि शिक्षा , प्राइमरी हो या सेकेंडरी , या फिर उच्च शिक्षा .....सब बाज़ार बन चुके हैं ......... सरकार जब भी फेल होगी आप बाज़ार के हवाले , बाज़ार के रहमो करम पे हो जायेंगे ......... 


















Monday, September 30, 2013

राहुल , अखिलेश , तेजस्वी संवाद

हल्लो ....राहुल भैया ? तेजस्वी बोल रहे हैं ......पटना से

अरे हाँ तेजस्वी ...बोलो यार ......तुम्हारे पापा का सुने यार ....बड़ा अफ़सोस हुआ ......पर क्या कर सकते हैं ...... देखो यार हम लोग तो बहुत कोसिस किये ......पर क्या बताएं .......बंगलिया साला मना कर दिया ......आखिर में देखो ....कितना नाटक करना पडा

हाँ भैया ...वो तो हम TV पे देखबे किये .........

अरे नहीं यार ...असली नाटक तो उसके बाद न हुआ ......... सरदरवा पिनक गया ....वहीं अमेरिका में .......वो तो मम्मी किसी तरह मनाई ....साला बड़ी नौटंकी हो गयी यार ..........  हमहू ओह दिन कुछ जादा बोल गए ..........छोडो बताओ ...कैसे फोन किये .........

वो भैया ....पापा तो जेल चले गए ...अब हमी को सब सम्हालना है ........सो आपसे टिप्स लेने थे ....कैसे करें ........

देखो यार हम तो खुदै टिप्स लेते हैं अभी ........ पर एक बात हम जान गए हैं ........तुम भी समझ लो .........ई जादा angry young man बनने का कोसिस नहीं करना चाहिए   .....उसी में बवाल होता है ...... बकलोल बन के रहने में जादा फायदा है ........ पब्लिक मज़ा तो लेती है पर लात जूता नहीं खाना पड़ता .........

पर आप काहें angry young man बन रहे हैं ?????

अरे यार ....हमको तो दिग्गी अंकल फसा दिए हैं .....ऊ साला मोदिया घूम घूम के ताल ठोक रहा है ......... अब हमारे पार्टी में और कौन लडेगा उससे .........सो सब हमी को तैयार कर रहे हैं ........दिग्गी अंकल रोज़ सुबह आ जाते हैं दंड बैठक मरवाने ...........हम तो साला दुखी हो गए ......अब तुम्ही बताओ .......मोदिया इतना बड़ा पहलवान ........हम सब के बस का है ?   इसलिए हम तुमसे कह रहे हैं ...ढेर angry young man मत बनने लगना ...एकदम cool dude बन के रहो .....जहां जाना है जाओ .........कागज़ पढ़ के लेक्चर दो ...चार ठो नारा लगवाओ .......चार ठो फोटो खिचवाओ .......बस हो गयी राजनीति .........जादा टेंसन नहीं लेना है ........


पर भैया पार्टी भी तो चलाना है ........ घूमके मजा लेंगे तो पार्टी कैसे चलेगी .........

क्यों .....हम भी तो पिछले दस साल से घूम के मजा ले रहे हैं ......और देखो ....पार्टी एकदम टना टन चल रही है .........

अरे आपकी तो मम्मी हैं .........सब सम्हाल लेती हैं ........हमको तो सब अकेले देखना है .......

 अबे चूतिया हो .......... तुम्हे क्या मालूम .....मम्मी भी घूम के मजा ले रही हैं ...सम्हालने वाले सब सम्हाल रहे है ........मनमोहन सिंह और दिग्विजय जैसे 5 -7  ठो पाल लो ..........दिन रात काम भी करेंगे और तुम्हारे हिस्से का लात जूता भी खायेंगे ........और ज़्यादा चक्कर में पड़ोगे तो अखिलेसवा की तरह पगला जाओगे ..........

अरे हाँ भैया .....उ बढ़िया फसा है ...एक दिन हम फोन किये थे ......... बोला बिलकुल फुर्सत नहीं है ...बाद में करना ....... पर एक बात है भैया ....आप कह रहे थे बकलोल बन के रहो ...........बकलोल बन के रहने में अखिलेसवा कितना लात जूता खाया ..........

देखो हम कहे हैं बकलोल होने का नाटक करो .........अखिलेसवा सचमुच बकलोल बन गया ......... ड्राइविंग सीट पे अपने बैठा है .......स्टीयरिंग आज़म खान को दिया है ........ब्रेक अपने पापा को दिया है ......... और गियर उसके चचा लोग लगा रहे हैं ........और साला जितने गियर उस से ज़्यादा तो उसकी चचा लोग हैं ............. हॉर्न मायावती के पास है .........ऊ हमेशा पे पे करती है .....ऊपर से भाजपा .........लोग तो पहिये की हवा निकालते हैं .........भजपैया सब चारो पहिया ही निकाल के ले गए ............हम तो उसको बहुत मना किये थे ....ई मुख्य मंत्री वंत्री बनने के चक्कर में मत पड़ो .......पर नहीं माना .......तब तो कहता था की पापा को प्रधान मंत्री बनाना है ..........अब भोग रहा है .......अच्छा रुको अभी कांफ्रेंस पे लेते हैं ............

का बेटा ........... कहाँ मजा ले रहे हो ............

अरे राहुल भैया ....का बताएं .....ई साला आज़म खनवा नाक में दम कर दिया है ....ई साला कहीं का नहीं छोड़ेगा ........

अच्छा देखो दूसरी लाइन पे तेजस्वी हैं ....हमसे टिप्स ले रहे थे सो हम बोले अरे हमसे का पूछ रहे हैं ........ अखिलेस भैया UP चला रहे हैं , उनसे टिप्स लीजिये .........

अखिलेस भैया प्रणाम ........

अरे हाँ यार तेजस्वी ....अंकल का सुने यार .......क्या बताएं ........इनसे कहे थे कुछ करो ...पर ई भी फेल हो गए

अरे हम का करते ....हम कोसिस नहीं किये ?????? बंगलिया नहीं माना तो हम का करते .........देख रहे हो  साला कितना छीछा लेदर हो गया दुनिया भर में .........इसके बाप के चक्कर में ..........

अच्छा ये बताइए ....अब हम का करें ..........यहाँ पटना में .......

अरे बेटा करना का है ....चुप मार के पड़े रहो पटना में ..........जो मजा मलाई खाने में है वो मज़ा भैंस पालने में नहीं है ......... भैंस किसी और को पालने दो .....तुम खाली मलाई खाओ .....जैसे राहुल भैया खा रहे हैं ........

अच्छा छोडो ....ये बताओ वहाँ क्या चल रहा है ....मेरठ मुज़फ्फर नगर में ? सुना है कल फिर बवाल करवाए हो ........

अरे भैया होना क्या है ......ई साला आज़म खनवा कहीं का नहीं छोड़ेगा ........... हमको कहता था की मुसलमान का पूरा वोट ले के देगा ............. दिवाली गिफ्ट ...........कहता था , बेटा तुम बस देखते जाओ .........सब हमारे ऊपर छोड़ दो ........हम छोड़ दिए ...........देखिये साला का किया .....मुसलमान भी गया , जाट भी गया ........ ले दे के अहीर बचा है ....अकेला अहीर ले के चाटेंगे ?
उधर बाबू जी .....दिन रात गरियाते हैं ........ कहते हैं बेटा तुमसे नहीं होगा .....निकम्मे हो ........चाचा कहते हैं तुम साले दोनों बाप बेटा निकम्मे हो .........आज़म खान कहता है तुम साले सब अहीर निकम्मे हो .....मुझे लगता है की बहुत जल्दी अहीर हमसे कहेंगे ....तुम सब निकम्मे हो , तुमसे बहुत अच्छा मोदिया है ........... मुझे भी अब मोदी से डर लगने लगा है .......

अरे छोडो यार ....किसका नाम ले रहे हो .........रात में ऐसे लोगों का नाम नहीं लेते ....रात भर डरावने सपने आते हैं ...........चलो सो जाओ .....good night

Friday, September 27, 2013

यह देशद्रोह से कम नहीं

यह देशद्रोह से कम नहीं


 श्री वेद प्रताप वैदिक द्वारा लिखित यह लेख प्रस्तुत है 


                   जनरल वी.के. सिंह को बदनाम करने के लिए सरकार ने जब एक गोपनीय रपट को अखबारों में उछलवाया था तो पिछले हफ्ते मैंने लिखा था कि यह सरकार का देशद्रोहपूर्ण कार्य है। उस समय सरकार के बारे में मेरी यह राय कुछ लोगों को काफी कठोर मालूम पड़ रही थी लेकिन अब जबकि सरकार की पोल अपने आप खुलती जा रही है तो वह और उसके नेता हाय-तौबा मचाने लगे हैं। वी.के. सिंह को फंसाने के लिए जो रपट उछाली गई थी, वही अब केंद्र सरकार के गले का हार बन गई है। सरकार को अब पता चल रहा है कि इस रपट को सार्वजनिक करने के दुष्परिणाम क्या होंगे।

                   इस रपट में सरकार ने यह कहलवाया कि जनरल सिंह ने अपने कार्यकाल में फौज की करोड़ों की गुप्त-राशि जम्मू-कश्मीर के मंत्रियों को चटा दी ताकि वे उमर अब्दुल्ला की सरकार को गिरवा सकें। अखबारों में कुछ मंत्रियों के नाम और उन्हें दी गई राशियां भी छपीं। यह स्वभाविक था कि जनरल सिंह इस आरोप का खंडन करते या सफाई देते। उन्हें सरकार ने सफाई देने के लिए मजबूर किया। उन्होंने मजबूरी में उस राशि के वितरण का सैद्धांतिक ब्यौरा भी प्रगट कर दिया। अगर वे चुप रहते तो उनकी बदनामी तो होती ही, सरकार की बदनामी ज्यादा होती। पाकिस्तान में कहा जाता कि भारत सरकार कश्मीर पर अपना कब्जा बनाए रखने के लिए स्थानीय नेताओं को करोड़ों की रिश्वत भी देती है। इसीलिए जनरल सिंह ने बताया कि वह राशि रिश्वत की नहीं, सद्भाव की राशि होती है, जो मंत्रियों को दी जाती है। जनरल सिंह के इस बयान से सरकार की छवि थोड़ी सुधरती है, लेकिन आश्चर्य है कि कांग्रेस के नेता अपने हाथों ही अपने पांव पर कुलहाड़ी मार रहे हैं। वे कह रहे हैं कि जनरल सिंह नाम उजागर करें।

                   अब इन नेताओं से पूछा जाए कि नाम उजागर होंगे तो किनके होंगे? उन्हीं के होंगे, जिनकी सरकारें श्रीनगर में आज तक बनती रही हैं। जनरल सिंह का कहना है कि ये राशियां शुरू से दी जा रही हैं यदि यह सच है तो क्या इस जाल में कांग्रेसी नहीं फंसेंगे? फारुख अब्दुल्ला और कांग्रेसी नेता अपने आपको बड़ा दूध का धुला दिखा रहे हैं और उन्होंने ऐसा तेवर धारण कर लिया है, जैसे कि उन्हें आज तक इस तरह की हेराफेरी की भनक भी नहीं थी।


                    अच्छा होता कि जनरल सिंह चुप रह जाते लेकिन अब हमारी गुप्तचर एजंसियों के रहस्य खुलने शुरू हो जांएगे। सरकार में बैठे कुछ मुर्ख नेता अपने विरोधियों का मुंह काला करने के चक्कर में अपनी नाक कटवाने का आयोजन कर रहे हैं। उनकी कटे तो कट जाए लेकिन यह भारत की बदनामी भी है। सीमांत क्षेत्रों में सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ फौज की ही नहीं होती, गुप्तचर संस्थाओं की भी होती है। इस रपट का दुरुपयोग करके सरकार ने हमारी गुप्तचर एजेंसियों को भी खतरे में डाल दिया है। उन कश्मीरी नेताओं की स्थिति भी विषम कर दी है जिन्होंने भारत के साथ सहयोग किया है। इस दृष्टि से भारत सरकार के जिन नेताओं ने यह नादानी की है, उनका यह कार्य देशद्रोह से कम नहीं है। जनरल सिंह या बाबा रामदेव या अन्ना हजारे से लड़ने के लिए अपने देश की सुरक्षा को खतरे में डालना कहां तक उचित है?