Tuesday, January 29, 2013

रवि शंकर जी के साथ .....स्टेज पे

                                      पिछले  दिनों प्रख्यात सितार वादक रवि शंकर जी नहीं रहे . भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक और मूर्धन्य कलाकार चला गया . अपनी इस जिंदगी में एक काम जो मैंने बहुत अच्छा किया , वो ये की शास्त्रीय संगीत सुना . और यूँ ही , ऐसा वैसा नहीं सुना . जम के सुना . दिन रात सुना . सुबह शाम सुना .खरीद के सुना . मांग के सुना . घूम घूम के सुना . जहां पहुँच सका महफिलों में , concerts में . private mehfils में सुना . इज्ज़त से सुना और चोरों की तरह घुस के सुना . कुर्सी पे बैठ के सुना , जमीन पे बैठ के सुना , रजाई ओढ़ के सुना और कई बार तो भरी महफ़िल में ( हरबल्लभ में ) कम्बल ओढ़ के सोते हुए सुना ...........वहाँ क़यामत के रोज़ जब अल्लाह मियाँ पूछेंगे कि   , ऐ बन्दे ........... आदमी बना के भेज था धरती पे क्या क्या किया .......कुछ कायदे का काम भी किया ? तो अपन बड़ी शान से , फक्र से . कालर ऊंचे कर के कहेंगे .....हाँ किया ना .........शास्त्रीय संगीत सुना ...........
                                       आज इतने साल बाद एक महफ़िल याद आती है .......जो मैं आपको सुना रहा हूँ रवि शंकर जी को एक श्रद्धांजलि के रूप में .............. 20 -22 साल पुरानी बात है ........उन दिनों दिल्ली में रहता था ......... शादी हुई थी या नहीं , ये याद नहीं .  मेरे दोस्त देवेन कालरा भी उन दिनों दिल्ली में ही हुआ करते थे  .........उन्ही के साथ concerts में जाते थे .........दिल्ली में mehfil कल्चर कुछ ख़ास था नहीं . सरकारी किस्म के कंसर्ट्स होते थे , auditoriums में . और उनमे ज्यादातर  वो लोग आते थे जिन्हें संगीत से कुछ लेना देना होता नहीं था . उन्हें बस pass मिल जाया करते थे और वो  celebrities को देखने सुनने autograp लेने भर आते थे . कुछ हमारे जैसे कीड़े होते थे जो वहीं गेट के पास मंडराते रहते और मौका देख के घुस जाते थे . और ऐसे concerts की खबर लगती थी अखबारों से . सो एक दिन पता लगा कि  रवि शंकर और उनकी बेटी अनुष्का आज बजा रहे हैं , खेल गाँव में . पहुँच गए हम दोनों पापी ......मैं और देवेन कालरा . वहाँ पता लगा कि  ये प्रोग्राम राजीव गाँधी फाउंडेशन करवा रहा है . और सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी भी तशरीफ़ लाई हुई हैं . सो उस दिन दिल्ली के सारे चाटुकार चमचे जुटे हुए थे . हॉल पैक .....house full ........ बहुत देर तक हम मंडराते रहे पर कोई जुगाड़ नहीं बना . पर थे हम दोनों भी सच्चे मुसलमान . सो हॉल के पिछवाड़े चले गए .वहाँ उस गेट से घुसे जिस से कलाकार लोग घुसते हैं और सीधे ग्रीन रूम में ........ वहाँ से चोरों की तरह स्टेज के गेट पे तक रहे थे . रवि शंकर जी का पूरा अमला सक्रिय था . आयोजकों की भीड़ भाड़  थी ............... खैर रवि शंकर जी और अनुष्का और उनकी पूरी टीम मंचासीन हुई .................साज मिलाये जाने लगे ............introduction वगैरा हुआ और रवि शंकर जी ने आलाप लेना शुरू किया .....उस दिन उन्होने बिहाग बजाय था ...........हॉल   में pin drop sielence ..........jam packed hall में सबकी निगाहें स्टेज पे ........ सबसे अगली सीट पे सोनिया और प्रियंका और दिल्ली की तमाम बड़ी हस्तियाँ ......... चप्पे चप्पे पे NSG ......... और तभी मैं और देवेन , हम दोनों धीरे से स्टेज पे चढ़ के वहीं रवि शंकर जी से कुछ फीट दूर ज़मीन पे ही बैठ गए .......... और बस यहीं पे गड़बड़ हो गयी ......साले हमारे जैसे और भी बहुत से कीड़े मकोड़े थे ......... वो भी सब , धीरे धीरे वहीं स्टेज पे ही आ के जम गए ...........कुल 20-25 हो गए ......हलचल देख के रवि शंकर जी का ध्यान उचटा ........ उन्होंने हमारी तरफ देखा पर बजाना जारी रखा .......... फिर एक आयोजक धीरे से स्टेज पे आया और हम लोगों को उठाने लगा ........और सारे पुराने पापी कुसमुसाने लगे .........कोई नहीं हिला , तो थोड देर में 2-3 गार्ड आ गए और उठाने  लगे ............. और रवि शंकर जी ने बजाना बंद कर दिया ........ और बोले ........हे ......रहने दो इन्हें .....बैठने दो .....सुनने दो .........यही तो मेरे असली चाहने वाले हैं .........और हॉल तालियों से बज उठा .........
                                          ता उम्र संगीत सुना ........हज़ारों बार सुना होगा .....राग बिहाग ........पर वो राग बिहाग याद रहेगा सारी  जिंदगी .......उस दिन रवि शंकर जी के साथ .....स्टेज पे
                                            आज नाम आँखों से रवि शंकर जो को श्रद्धांजलि ...................
































अमन चैन कायम है .

                                               एक दफे एक लेखक टाइप आदमी हुआ करते थे  अपने मुल्क में , मुंशी प्रेम चंद  . कहानी वहानी कुछ लिखा करते थे . सुना है बड़े फेमस हुए हैं अपने टाइम में . उनकी कुछ कहानियाँ मैंने भी पढ़ी हैं .आज मुझे यूँ ही ख्याल आया कि  बड़े अच्छे  समय से हो के मर खप गए मुंशी जी . आज होते तो बड़े जूते पड़ते . गली कूचे में , चौराहे पे , सड़क पे , हर जगह पिटते . लोग बाग़ घेर के मारते . घर से निकाल के मारते . रोज़ थाने जाते .उम्र मुक़दमे लड़ते और सफाइयां  देते बीत जाती . नौकरी से ससपेंड हो जाते . वो यूँ कि  कहानी लिखते थे . अब आदमी कहानी लिखेगा तो भैया उसमे एक हीरो होगा , एक हिरोइन होगी , कोई एक भिलेन भी होगा . अब हीरो सवर्ण होगा या दलित होगा , या OBC होगा . कमबख्त कुछ तो होगा . हिन्दू होगा या मुसलमान होगा . हीरो है तो कुछ तो करेगा ही कहानी में . आजकल दिक्कत ये है कि  हीरो कुछ भी करेगा तो लेखक पिटेगा . अगर हीरो दलित है तो वो बाभन की लड़की से प्रेम करेगा .बाभन भिलेन बन जाएगा . वो डैलोग मारेगा ..........साले चमारिया .....तेरी ये हिम्मत .......तू बाभन की लड़की से आँख लड़ाता है ......अब यही से बवाल शुरू हो जाएगा .........दलित सब सड़क पे , मायावती आगे आगे ........लेखक महोदय अन्दर .........
                                              थाने में थानेदार समझाएगा कि  साले क्यों हमारी नौकरी खराब कर रहा है ........कुछ और काम धंधा कर ले , ये कहानी लिखनी जरूरी है . अच्छा एक काम कर , ये डायलोक चेंज कर दे . इसे यूँ लिख ..........भाई साहब आप ब्राह्मण की लड़की से अफेयर मत चलाओ , अपनी caste की कोई लड़की ढूंढ लो ..........अपना प्रेम चंद मायूस हो जायेगा .......अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देगा ..............साले दिलाऊं तुझे स्वतंत्रता ........दंगा भड़काने के जुर्म में अन्दर जाएगा , साल भर जमानत नहीं होगी .......फिर वहीं , जेल में ही घूमना ......स्वतंत्र . .......... अच्छा यूँ कर दे , लड़का भी दलित , लड़की भी दलित .....प्रेम हुआ ,शादी हुई .....दो तीन बच्चे हुए ,कहानी ख़तम . सब कुछ प्रेम से निपट जायेगा ....शहर में दंगा तो नहीं होगा .
                                               लेखक परेशान है ......लिखे तो क्या लिखे ............बनाए तो क्या बनाए .......... अब हीरो , हिरोइन , भिलेन  की कोई जात बिरादरी धर्म सम्प्रदाय तो होगा ही ......... ये तीनों कुछ भी करेंगे , कोई न कोई तो आहात होगा ही ........किसी न किसी की भावना को तो ठेस पहुंचेगी ही ........अब अगर आतंकवादी दिखाना है तो क्या नाम रखे ......संजीव कुमार  रख देंगे तो RSS , बीजेपी नाराज , करीम भाई रख दिया तो नितीश कुमार , मुलायम सिंह , लालू परसाद , ओवैसी साहब सब नाराज , माइकल डी कोसटा रख नहीं सकते . अब अफगानिस्तान में आतंकी गुफा में बैठ के नमाज़ पढ़ रहा है ............ थानेदार समझा रहा है .......देखो भैया प्रेम चंद , स्टोरी को चेंज करो .....इसमें दिखाओ की आतंकवादी नागपुर में भगवा पहन के  हवन कर रहा है ...........
                                              प्रेम चंद जी सारा  माजरा समझ गए ....घर आये ......उन्होंने नयी कहानी लिखी ............उसमे एक हीरो है , शहर में नया आया है , गूंगा बहरा है इसलिए कोई उसका नाम नहीं जानता ,  पैंट शर्ट पहनता है .....सो न कोई नाम , न जात बिरादरी , न धर्म . कोई उल्टा सीधा काम नहीं करता . नौकरी करता है , सीधे घर जाता है , TV देखता है , सो जाता है .बेचारा सारी  जिंदगी इसके अलावा कुछ नहीं करता  .....इस डर से की कहीं कोई नाराज़ न हो जाए .........
                                 समझे भैया .......... अब अपने मुल्क में यही कहानी लिखी जायेगी ....इसी पे फिल्म बनेगी ....कम से कम कोई नाराज़ तो नहीं होगा ...........अमन चैन कायम है ....स्थिति तनाव रहित और नियंत्रण में है




















Monday, January 28, 2013

आँखों को वीज़ा नहीं लगता

रात शायद जल्दी सो गया था . दो बजे नींद टूट गयी और कमबख्त फिर नहीं आई .( बुढापा आ गया क्या ? ) हार के कंप्यूटर  पे बैठ गए . you  tube पे गुलज़ार साब का इंटरव्यू देखने  लगा . नज़्म सुनी ............

आँखों को वीज़ा नहीं लगता
सपनों की सरहद होती नहीं
बंद आँखों से रोज़ चला जाता हूँ मिलने
मेहदी हसन साहब से
सुनता हूँ उनकी आवाज़ को चोट लगी है
और ग़ज़ल खामोश है सामने बैठी हुई
कांप रहे हैं ओठ ग़ज़ल के

लेकिन उन आँखों का लहज़ा बदला नहीं
जब कहते हैं , सूख गए हैं फूल किताबों में
राहगीर भी बिछड़ गए
अब शायद मिलेंगे ख़्वाबों में

बंद आँखों से मैं रोज़ सरहद पार चला जाता हूँ
मिलने मेहदी हसन से
आँखों को वीज़ा नहीं लगता
सपनों की सरहद कोई नहीं


गुलज़ार साहब आज भी फक्र से कहते हैं , मेरा वतन है वो , मेरी पैदाईश वहाँ की है ,
मिटटी की सुगंध कहाँ से छूटेगी आपकी ?




Saturday, January 26, 2013

Ssssshhhh ........ कफील भाई नाराज़ हो जायेंगे

                                            एक डॉक्टर हुआ करते थे Banglore में ........हुआ क्या करते थे अब भी हैं ..... पर पहले हुआ करते थे पर अब हैं तो सही , पर बंद कर के रखते हैं खुद को , घर में ...........Dr मकबूल अहमद और उनकी पत्नी Dr ज़किया अहमद .......उनके दो बेटे हुआ करते थे , कफील अहमद और सबील अहमद .....कफील भाई तो अल्लाह को प्यारे हो गए , जिहाद करते करते .......जून 2007 में ग्लासगो एअरपोर्ट में उन्होंने एक  जीप भिड़ा दी थी बम बना के .......बड़े भाई सबील मियाँ वहाँ कुछ साल जेल  काट के अब घर लौटे हैं ...........कफील मियाँ इंजिनियर थे और सबील मियाँ डॉक्टर ...........कफील मियाँ वहाँ England में Phd कर रहे थे  ......पीएचडी करते करते जिहाद करने लगे .......... बम फटा तो 90 %  जल गए .....कुछ दिन बाद अस्पताल  में शहीद हो गए ..............वहाँ अंग्रेज सब परेशान थे की ऐसी क्या बला आ गयी .....अच्छा ख़ासा लौंडा , पढने लिखने वाला ....और ये भी नहीं की मदरसे में पढ़ा ........इंजिनियर लौंडा .........कमबख्त कम्पूटर बनाते बनाते बम क्यूँ बनाने लगा .....बहुत खोज बीन की तो  पता लगा की कफील मियाँ इस बात से बेहद खफा थे कि  रूस ने चेचन्या को मारा ......... बड़ी अजीब बात है कि  रूस की सरकार चेचन्या के कट्टर पंथी मुसलामानों पे कार्यवाही करती है तो 5000 किलोमीटर दूर बैठा बंगलोर के मुसलमान डाक्टर का इंजिनियर बेटा आतंकवादी बन  जाता है  .......एक पार्टी चुनाव में वादा करती है कि  POTA हटा लेंगे और चुनाव जीत के POTA हटा भी लेती है ..........हैदराबाद का एक विधायक 5000 लोगों  की सभा में पकिस्तान के  आतंकी कसाब को अपना बच्चा बता रहा है ........ एक नेता  चुनावी सभा में बता रहा है कि  देश की सबसे बड़ी  नेता दिल्ली में मुठभेड़ के बाद आतंकियों की फोटो देख के रो पड़ी थी ......एक और बहुत  बड़ा नेता दुनिया के सबसे बड़े आतंकी को ओसामा जी कह के बुलाता है और हिन्दू  सन्यासी को national tv पे सरेआम ठग और चोर बोलता है .....देश का गृह मंत्री पकिस्तान और दुनिया के सबसे बड़े आतंकी सरगना को हाफ़िज़ सईद साहब कह के बुलाता है और अपनी पार्टी के महाधिवेशन में RSS और BJP पे आतंक फैलाने का आरोप लगाता है .............50,000 लोग सरेआम मुंबई में जुट के बवाल करते है , मीडिया की OB  VAN जलाते हैं .........पुलिस को दौड़ा के पीटते हैं ....अमर जवान ज्योति पे हमला करते हैं और पुलिस चुपचाप देखती रहती है , और वही पुलिस दिल्ली के शांति पूर्ण प्रदर्शन को बर्बरता से कुचल देती है .......या इलाही .......ये माजरा क्या है ?
                                     उधर अमेरिका ने अपने एक आतंकी , श्रीमान हेडली साहब को 35 साल की सज़ा सुना दी है .......सुना है की हिन्दुस्तान के नेता लोग बड़े नाराज़ हैं ....मीडिया भी नाराज़ है ......कल उनको गरिया रहे थे ...........कहते हैं हमको क्यों नहीं दिया ......हम और ज्यादा कड़ी सज़ा देते ........
क्या सज़ा देते भैया ? कौन से कानून के तहत सज़ा देते ......... कौन सी कोर्ट सज़ा देती ....गवाह कहाँ से आते ? पहले कितने आतंकियों को सज़ा दी है तुमने आज तक ........ जो पहले से बंद हैं तुम्हारे पास , वो तो बिरयानी खा रहे हैं .....जेल में दरबार लगता है उनका .........पूरा जेल प्रशासन नत मस्तक रहता है उनके आगे .......जेल से बैठ के कारोबार करते हैं , वसूली करते हैं , सरकार चलाते हैं , फोन करके धमकाते हैं .......
                                      सवाल उठता है की हिन्दुस्तान की सरकार और ruling party मुस्लिम आतंकवाद और आतंक वादियों के प्रति इतनी नर्म , उदार और सहृदय क्यों नज़र आती है ? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हम सब लोग जानते हैं पर  कोई नहीं देना चाहता .......कफील भाई ने यूँ ही कमर में बम नहीं बाँध लिया था .....वो अपने चेचन भाइयों का बदला लेना चाहता था ....सुनते हैं की वो इराक और अफगानिस्तान में भी अमेरिकी कार्यवाही से नाराज़ था ..........उसने अपने इराकी और अफगान भाइयों का भी बदला लेना था .
                                      पाकिस्तानी सेना ने हमारे दो सैनिक मार डाले और एक का सर काट ले गए ..........अब उसकी माँ रो रो के कह रही है मेरे बेटे का सर लाओ ..........सुषमा स्वराज ने कह दिया ,  एक के बदले में दस सर ले कर आओ ........ army chief कहता है की अगर पकिस्तान ने उकसाया तो कड़ी कार्यवाही करेंगे ........ अबे और कैसे उकसायेगा ? अच्छा तू ये बता की कितने सर काटने के बाद उकसेगा भाई ? वो कहता है , यार मैं तो उकस जाऊंगा , ये मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी नहीं उकस रही ना .......सुषमा स्वराज ललकार रही है पर राज माता ठंडी हैं ......... वो जानती है की अगर सचमुच 10 सर काट लाये तो कफील भाई नाराज़ हो जायेंगे .........और कफील भाई का वोट चाहिए ..........assam में बांग्लादेशी को बाहर निकालो तो कफील भाई नाराज़ ......... विदेश मंत्री ने इजराइल से बात कर ली तो कफील भाई नाराज़ ...........तसलीमा नसरीन आ गयी तो कफील भाई नाराज़ .......जयपुर के LITFEST में रुश्दी की किताब पढ़ दी तो कफील भाई नाराज़ ........ कमल ह्सन की फिल्म पे कफील भाई नाराज़ ......कफील भाई को खुश करने के लिए ओसामा जी बोल रहे है ......... हाफ़िज़ सईद साहब हो गए ........ pota हट गया ......RSS और BJP  आतंकी संगठन हो गए ............ 10 लोगों से भगवा हिन्दू terror हो गया ..........MOGAMBO  खुश हुआ .......... सोचने वाली बात है , देश की foriegn policy कफील भाई के मद्दे नज़र बनेगी ???????  फिल्म बनाओ पर देखना कफील भाई नाराज़ न हो जायें ......... LITFEST में कौन सी किताब पढ़ी जायेगी ये भी कफील भाई तय करेंगे ?????????
                                  मसला ये है की इस मोगाम्बो को खुश करने के लिए कहाँ तक जाओगे ......क्या कुछ करोगे .......26 /11 festival जिन दिनों चल रहा था मुंबई में , तो  NSG को तीन दिन लग गए ताज होटल खाली करवाने में ........ अपने यहाँ एक कफील भाई थे ......उनकी छाती चौड़ी हुई जा रही थी ......... देखो 3-4 लोग india की पूरी NSG से 3 दिन तक लड़ते रहे ....वो दाद देते नहीं थक रहे थे .........इस बीच अंतुले साहब ने कह दिया की देख लेना भैया , कहीं ये RSS का काम न हो .........और अपने दिग्विजय सिंह जी ने तुरंत समर्थन कर दिया .........यानी रूलिंग पार्टी 26 /11 जैसे festival में भी कफील भाई की भावनाओं का ख्याल रख रही थी
                                  जब लालू यादव का कुशासन बिहार में अपने चरम पे था , तो किसी ने यूँ ही पूछ लिया की ये ललुआ law एंड order को कण्ट्रोल क्यों नहीं करता ? तो एक नेता ने जवाब दिया की अगर लालू जी ने law & order कण्ट्रोल कर दिया तो उनका एक वोटर वर्ग नाराज़ हो जायेगा ..........बिहार का क्या हश्र हुआ सब जानते हैं .........कहीं कफील भाई को खुश करने में राज माता देश का बिहार न बना दें .............
                                     





















         
                               









Monday, January 21, 2013

तीन पुश्तें ......मलाई खाते खाते शहीद हो गयी

                                   एक किसान था . उसके तीन बेटे थे . किसान बड़ा समझदार था . उसने अपने बेटों से कहा कि  तुम तीनों मेरे जीते जी ही सारी  संपत्ति और खेती बाड़ी का बटवारा कर लो .कही ऐसा न हो कि  मेरे मरने के बाद तुम लोगों में विवाद हो और तुम आपस में लड़ो झगड़ो . सो तीनों ने सारी  ज़मीन जायदाद आपस में बाँट ली .पर एक समस्या आ गयी .गाय एक ही थी .उसका बटवारा कैसे हो .अब गाय कोई ज़मीन का टुकड़ा तो है नहीं कि  तीन हिस्से कर लो .सो बड़े भाई ने सुझाव दिया कि  गाय के भी जीते जी तीन हिस्से कर लेते हैं .सब लोग अपने अपने हिस्से की सेवा करेंगे और मेवा खायेंगे .अब तुम दोनों चूंकि मुझसे छोटे हो सो सबसे पहले सबसे आगे वाला हिस्सा सबसे छोटा भाई लेगा , फिर दूसरा वाला हिस्सा दूसरा भाई और बचा खुचा हिस्सा बड़े भाई का ........लो जी बड़ी आसानी से गाय का बटवारा हो गया ..........अब गाय का मुह छोटे के हिस्से में आया था सो वो उसे बड़े प्यार से खिलाता  पिलाता , उसकी सानी भूसा करता , उसके लिए हरा चारा ले कर आता .बीच वाले भाई के हिस्से में बीच की गाय थी सो वो उसे बांधता , बैठाता था , धोता पोंछता था . बेचारे , सबसे बड़े भाई के हिस्से में बची खुची गाय यानी थन और पूछ ही बची थी . सो वो उसका दूध निकालता . उसकी बीवी उसका गोबर  पानी करती थी . सब लोग अपनी अपनी ड्यूटी मेहनत  से मन लगा के कर रहे थे . सब कुछ ठीक  ठाक चल रहा था . पर धीरे धीरे, यूँ ही , कुछ लोगों के मन में असंतोष पनपने लगा , उनको लगता था कि  कहीं कुछ गड़बड़ है . छोटे ने बड़े से कहा की सारी  मेहनत  तो मैं करता हूँ , और मज़ा तो तुम लेते हो ............वाह वाह कैसा मज़ा .....हम तो मेहनत  कर कर के मरे जा रहे हैं , और तुम निर्लज्ज बे शर्म इल्जाम लगा रहे हो  ? अपने हिस्से का काम करो , काम .........यूँ पड़े पड़े खाट  तोड़ने से कुछ नहीं होगा .........मुट्ठी भर घास तो तुमसे काटी नहीं जाती .......... अब छोटा बोला कि  सेवा तो मैं करता हूँ पर दूध तो सारा  तुम्हारी बीवी ले जाती है ......इस पे बड़े की बीवी पिनक गयी ........चार मुट्ठी घास खिला  के कहता है काम करता हूँ .........यहाँ देख , सुबह शाम दूध निकालती हूँ ........फिर गोबर उठा के उपले बनाती हूँ , सुखाती हूँ . फिर उपलों पे दूध उबालती हूँ .  जमाती हूँ . उस दही को बिलोती हूँ , उसमे से माखन  निकालती हूँ , फिर उस माखन  से घी बनाती हूँ ......बचे खुचे दूध की खीर बनाती हूँ ........मेरा पूरा परिवार लगा रहता है मेरे साथ ......खीर खानी पड़ती है मेरे बच्चों को ........अरे तुम क्या जानो कितनी शहादत दी है मेरे परिवार ने इस मुई गाय के पीछे .............मेरे पति को डाक्टर ने मना  किया है घी खाने से .....फिर भी बेचारे को घी मलाई खानी पड़ती है ........... इतने सालों से , हम यहाँ काम कर कर के मरे जा रहे है .....इतनी  कुर्बानियां दी हैं मेरे परिवार ने , इस गाय के लिए .............
                                     बूढा किसान बेचारा एक कोने में बैठा टुकुर टुकुर तमाशा देख रहा था .......गाय का ये झगड़ा , और गाय का ये कारोबार यूँ ही चलता रहा ......बड़े बेटे का परिवार यूँ ही मेहनत करते  घी दूध का निस्तारण करता रहा ......डाक्टर के लाख मना करने पर भी बड़का बेटा घी मलाई खाता था ......... और एक दिन मलाई खाते खाते ही शहीद हो गया ....वहीं थाली पे ही लुढ़क गया ..........गाय की सेवा करते करते शहीद हुआ ....मरा तो भी दोनों हाथो से मलाई ही खा रहा था .........दोनों हाथ मलाई से सने थे। मुह पे भी मलाई ही  लगी थी ....विधवा बेचारी छाती पीट  रही थी ......उसके दोनों मासूम बच्चे पल्लू पकड़ के रो रहे थे .
                                      पर बेचारी विधवा और उसके दो मासूम बच्चों को तो बाप की मय्यत पे रोने का टाइम भी न मिला ...........किसी तरह फूंक फांक के घर भागे ....शाम हो चली थी .....गाय जो दुहनी थी ........यूँ रोने धोने से काम थोड़े ही चलेगा भैया .....काम तो आखिर करना ही पड़ेगा ..........काम ही काम है ....आराम हराम है ........सो बेचारी कर्तव्य निष्ठ बेवा सब गम भुला के गाय की सेवा में लग गयी अपने  दोनों मासूम बच्चों के साथ . वही दुहना ,उबालना  घी दूध , माखन मलाई ............उसके दोनों देवर साले ....आवारा कहीं के ........ किसी काम के नहीं .........गाय को ठीक से खिलाते पिलाते तक नहीं ..........
                                    किसान अब भी कोने में बैठा टुकुर टुकुर देखता रहता है ..........कभी  कभी कह देता है  अपने बच्चों से ......गाय कमजोर हो रही है बेटा .....इसकी सेवा किया करो ..........
                      गाय तो अब गौ माता ठहरी .......जितना होता है दूध दे ही रही है





























Sunday, January 13, 2013

हाँ ......मैं हूँ बलात्कारी

                                     हजरात , मुहम्मद अफरोज नाम है मेरा .जी हाँ मैं वही हूँ , वो छठा मुलजिम . जिस पे आरोप है उस लड़की के बलात्कार और क़त्ल का .......लोग बाग़ कह रहे हैं कि  मैं ना बालिग़ हूँ . और मुझे ये भी पता है कि  सब लोग मुझसे बेहद खफा हैं .....गुस्से से उबल रहे हैं ..........और यूँ कि  मुझे फांसी पे लटकाने की बात कर रहे हैं . अब सच कहूं तो मुझे तो खुद नहीं मालूम कि  मैं कितने साल का हूँ .......मैं नहीं जानता कि  ये बालिग़ नाबालिग क्या होता है ...........मैं तो सिर्फ इतना जानता हूँ कि  छोटा सा था मैं , यही कोई 10-11 साल का जब मेरी माँ  ने यहाँ दिल्ली भेज दिया था मुझे ........खाने कमाने . वहाँ गाँव में बहुत गरीबी थी .बाप मेरा पागल था . मेरी और भी 4-5 बहनें थीं , मुझसे छोटी ..............खाना .. कभी मिलता था , कभी यूँ ही सो जाया करते थे हम . भूखे ही .....फिर एक दिन गाँव के कुछ लोग दिल्ली आ रहे थे उन्ही के साथ भेज दिया माँ ने , इस आस में कि  लड़का कमाएगा . यहाँ दिल्ली आ के यूँ लगा कि  किसी जंगल में आ गया हूँ . यहाँ न रहने का कोई ठिकाना था न खाने का ..........भूख यहाँ भी लगती थी , उतनी ही , जितनी वहाँ लगती थी , गाँव में . पर वहाँ कम से कम माँ तो थी .
                                   याद है मुझे  , मैं उस ढाबे के पास खडा था एक दिन , भूख प्यास से बिलबिलाता , टुकुर टुकुर देख रहा था , लोगों को खाते ......... न जाने क्यूँ उस ढाबे के मालिक ने यूँ ही पूछ लिया , खाना  खायेगा  ? और उस दिन से मैं वहाँ उस ढाबे पे जूठे  बर्तन धोने लगा .........बदले में पेट भर खाना  मिलने लगा , और कुछ पैसे भी . मुझे याद है अपने गाँव के उस लड़के के हाथ मैंने कुछ पैसे भी भेजे थे माँ  के लिए .फिर कुछ दिनों बाद कुछ लोग पकड़ के ले गए मुझे . मुझसे भीख मंगवाने लगे . जो पैसे मैं सारा दिन मांगता , वो ले लेते थे शाम को . वहीं बगल की झोपड़ पट्टी में रहता था मैं .......फिर एक दिन उसी झोपड़ पट्टी के एक आदमी ने मुझे अपनी झुग्गी में रहने की जगह दे दी ........और उसी रात से मेरा शारीरिक शोषण शुरू हुआ ..........
                                   मुझे नहीं मालूम मैं बालिग़ हूँ या नाबालिग . ये भी याद नहीं की कितने साल से रह रहा हूँ यहाँ दिल्ली में . इस दौरान यहाँ दिल्ली में जूठी प्लेटें धोई , सड़कों पर भीख मांगी , अखबार बेचे , ट्रेनों में झाडू लगा के पैसे बटोरे , ट्रेनों से खाली बोतलें इकट्ठी कर के कबाड़ी को बेचीं , झुग्गी  झोपड़ियों में  स्मैक बेचीं , कालोनियों में गाड़ियां धोईं , और फिर न जाने कब और कैसे खलासी बन गया बस का . उस रात मैं राम सिंह के घर गया था , वो पैसे मांगने , जो उसने उधार ले रखे थे मुझसे . वो 8000 रु जो  माँ को भेजने के लिए जोड़े थे मैंने .........राम सिंह ने पैसे तो नहीं दिए पर घुमाने ले गया मुझे , अपने दोस्तों के साथ , अपनी बस में .
                                  उस लड़की और उस लड़के को मैंने ही आवाज़ दे कर बैठाया था बस में . फिर मैंने ही सबसे पहले उस के साथ छेड़ खानी शुरू की . वैसे ही जैसे सब लोग किया करते थे मेरे साथ ,  उस झोपड़ पट्टी में ........... फिर मार पीट शुरू हो गयी बस में ..........अब मार पीट कौन सी नयी चीज़ है अपने लिए ..........और बलात्कार  ??????? अमां छोडो भी .......कौन सी बड़ी बात है ........हज़ारों बार हुआ है मेरे साथ ....तब से हो रहा है जब मैं  , शायद 11 साल का था ...........तो उस रात जो कुछ हुआ उस बस में , आम तौर पे होता ही रहता है मेरे जीवन में .......यही सब देख सुन के बड़ा हुआ हूँ मैं ...........पर अफ़सोस है मुझे , की वो लड़की मर गयी . सुना है की  लॊग मुझे फांसी पे लटकाने की बात कर रहे है . और ये , की लॊग मोमबत्तियां जला के दुआ कर रहे हैं उसके लिए ..........दोस्तों , ये मत सोचना के आप लोगों से रहम की भीख मांगूंगा . मुझे तो मर ही जाना चाहिए . पर मुझे मार के एक मोमबत्ती जलाना मेरे लिए भी .....उस मासूम से लड़के के लिए जो भूखा प्यासा .......रोटी कमाने के लिए इस शहर आया था ..........और मेरे जैसे उन हज़ारों लड़कों के लिए भी जो शहर में पल रहे हैं आज भी .......और मेरे बाद उसे भी फांसी पे लटकाना जो भीख मंगवाता था मुझसे ....वो जो स्मैक बिकवाता था .....वो जो यौन शोषण करता था मेरा ...........और उस पुलिस वाले को भी , जो हफ्ता लेता था मुझसे ........ हर उस शख्स को जिसने मुझे वो बनाया , जो मैं आज हूँ ..........और अपनी बच्चियों  को सम्हाल के रखना , क्योंकि मुझ जैसे हज़ारों लाखों हैं , पल रहे , इस शहर में .

                                     दुनिया ने तजुरबातो-हवादिस की शक्‍ल में
                                       जो कुछ मुझे दिया है लौटा रहा हूँ मैं ..........साहिर लुधियानवी
























Sunday, January 6, 2013

दोस्तों ,यही फर्क है India और भारत में

मुझे  अपने बचपन की एक घटना याद आती है ............... गर्मी की छुट्टियों में हम अपने गाँव आये हुए थे . रात को सब बाहर सोये थे .......... तभी बगल की बस्ती से कुछ आवाजें आने लगी .मोहल्ले में जाग हो गयी .......क्या हुआ ? क्या हुआ ? तभी हमारे ताऊ जी ने हम सब लोगों को डांट के चुप कराया और ध्यान से सुनने लगे ........फिर उन्होंने बताया की दूर कहीं किसी को सांप ने काट लिया है .......मदद चाहिए ..........फिर वो बाहर निकल के ऊंची आवाज़ में चिल्ला चिल्ला के कुछ बोलने लगे ...........इसके बाद मेरे दो बड़े भाइयों ने टोर्च ली , लाठी उठायी और बाहर चले गए . मेरे लिए ये एक नया अनुभव था . ये वो ज़माना था जब हर हाथ में मोबाइल फोन नहीं थे .घर घर बाइक और गाड़ियाँ नहीं थी . दूर दराज़ के गावों में लोग खटिया पे लाद  के मरीजों को अस्पताल पहुंचाते थे . उस रात लोग चिल्ला रहे थे . क्यों ? क्योंकि दूर एक गाँव में एक सोखा रहता था .सोखा ,यानी झाड फूंक करने वाला .............अब पैदल इतनी दूर रात में जाना आसान नहीं ....सो लोग चिल्ला के अपनी बात कहते . वो आवाज़ आधा किलोमीटर दूर तक जाती .......उसे सुन के अगले गाँव के लोग चिल्लाते .....और इसी तरह 5 मिनट में खबर फ़ैल जाती , और फिर सब लोग मदद के लिए जुट जाते . पुराने ज़माने में यही संचार व्यवस्था थी . आज संचार व्यवस्था तो सुधर गयी है पर संवेदनाएं मर गयी हैं .
                                      पर ये बात तय है की अगर ये दिल्ली वाली घटना किसी गाँव में या किसी बस्ती के नज़दीक होती तो नज़ारा कुछ और ही होता .सड़क किनारे दो लोग घायल पड़े हैं .ये बात जंगल की आग की तरह फैलती .आनन फानन में सैकड़ों लोग जुट जाते .और किसी पुलिस या एम्बुलेंस की इंतज़ार किये बिना घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाते , औरतें उस लड़की की सेवा में  जुट जाती . लोग अपनी शर्ट उतार के उस बेटी को पहना देते . इलाज कराने के लिए पैसे न होते तो तुरंत दस लोग मिल के कुछ पैसे जुटा लेते .........कोई लड़का साइकिल उठा के उनके घर वालों को खबर करने के लिए दौड़ पड़ता .वहाँ सबको यूँ लगता मानो अपनी ही बेटी है .
                                      दोस्तों ,यही फर्क है  India  और भारत में 







Saturday, January 5, 2013

दामिनी के साथ ....एक राष्ट्र की मौत

                                                          बात 1975 की है ....बमुश्किल 10 साल उम्र थी मेरी . चंडीगढ़ में रहा करते थे हम लोग .मैं वहाँ चंडी मंदिर के केंद्रीय विद्यालय में 5 वीं क्लास में पढता था . एक सुबह मैं अपने एक सहपाठी के साथ स्कूल जा रहा था .तभी हमने देखा कि  एक आदमी साइकिल  चलाता अचानक गिर पडा .उसे शायद कोई मिर्गी टाइप  दौरा  पडा था .वो वहाँ सड़क पे पसर गया .हाथ पाँव  ऐंठ गए . हम दो छोटे छोटे बच्चे और उस सुनसान सड़क पे वो भारी भरकम आदमी . खैर किसी तरह हमने उसे सम्हाला  .उसके सर में हलकी सी चोट आयी थी . हाथ पैर छिल गए थे . हल्का सा खून भी निकल रहा था .थोड़ी देर बाद वहाँ एक व्यक्ति और आ गया . वो सयाना था .उसने हमारे साथ उसे सम्हाला  .कुछ देर बाद वो आदमी  होश में आया .उठने लायक हुआ तो पैदल ही हम उसके साथ चल पड़े , उसे सहारा देते . लगभग एक किलोमीटर दूर मिलिट्री हॉस्पिटल था . वहाँ उसकी मरहम पट्टी करवाई   . फिर स्कूल पहुंचे .पूरा  एक घंटा लेट . वहाँ क्लास टीचर जल्लाद की माफिक सामने खड़ी थी ......कहाँ थे ??????? लेट क्यों आये ????? कहाँ आवारागर्दी कर रहे थे ???????? और इन तीन सवालों का जवाब देने का कोई मौक़ा दिए बगैर पहले तो उसने एकदम instant जस्टिस यूँ किया कि  4-4 झापड़ रसीद किये .........फिर सीधे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया . प्रिंसिपल कुछ बिजी था सो हम दोनों दस एक मिनट उसके दफ्तर के बाहर खड़े रहे .मुजरिमों की तरह .........फिर पेशी हुई और उसने एक लम्बा लेक्चर देते हुए आखिरी वार्निंग दे के छोड़ दिया ......जबकि मैंने उस भले आदमी को बताया भी कि  कैसे हम उस आदमी की मदद करने में लेट हुए थे ..........पर उन दोनों जल्लादों ने हमें बिलकुल appreciate  नहीं किया . आज इतने साल बाद बचपन की वो घटना याद आ गयी मुझे ....एक और किस्सा सुन लीजिये ........
                                     मेरे कुछ रिश्तेदार UK में रहते हैं। एक बार यूँ ही बातचीत में एक किस्सा सुनाने लगे। वहाँ उनके पड़ोस में एक बिल्ली कार के नीचे आ कर मर गयी। ये किसी को पता नहीं था कि  किसकी बिल्ली थी , कहाँ से आयी , पालतू थी या आवारा। पर थी बिल्ली , ये तय था . जिसकी गाडी के नीचे आयी  उसने ब्रेक मारी , तुरंत नीचे उतरा . बिल्ली लहुलुहान थी और मर चुकी थी . सबसे पहले उसने एक कपडा निकाल के उसके शव को ढका . तब तक सामने वाले घर से एक व्यक्ति निकल आया . उसने बिल्ली को पहचानने की कोशिश की, पर उसकी पहचान न हो सकी . तुरंत आपातकालीन सेवा को फोन हुआ और मिनटों में एम्बुलेंस एवं पुलिस वाले घूं  घूं  करते पहुँच गए। पीछे पीछे vetenary विभाग के लोग भी पहुँच गए . पुलिस वाले बिल्ली की पहचान करने में जुट गए . vetenary डॉक्टर्स ने बिल्ली की जांच कर उसे मृत घोषित किया .और उसके शव को ससम्मान कपडे में लपेट के विधिवत निस्तारण हेतु ले गए . इसके बाद सम्बंधित विभाग के लोगों ने सड़क की अच्छी तरह से धुलाई कर के उसे disinfect किया . कार  मालिक ने स्वयं को उचित कार्यवाही के लिए प्रस्तुत किया . आगे चल के उसे लापरवाही से गाडी चलाने के लिए दण्डित किया गया .पुलिस ने अंततः बिल्ली के मालिक को ढूंढ निकाला .उसने अपनी पालतू बिल्ली को लावारिस छोड़ दिया था .उसके ऊपर दंडात्मक कार्यवाही हुई ...............दोस्तों ये दोनों  सत्य घटना है और इसमें लेश मात्र भी कल्पना नहीं है .
                              आज सुबह के अखबार देखे तो मन विचलित  हो गया  . खुद पे घृणा आयी . एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के रूप में खुद को फेल होते देख के दुःख हुआ .........सड़क किनारे मरते हुए दो लोग ......और इतनी बेरुखी ........एक लहू लुहान नग्न लड़की को कपड़ा ओढाने तक की ज़हमत नहीं उठायी लोगों ने ..........लोग आते गए और अपनी गाड़ियों से झाँक के ....तमाशा देख के चलते बने ........ 3-3 PCR सिर्फ इस बहस में उलझी रही की किस थाने  का केस है ..........अंत में एक PCR  आयी  तो उसके पुलिसियों ने हाथ तक नहीं लगाया उस बेचारी लड़की को ......उस घायल लड़के ने उसे स्वयं किसी तरह PCR में लादा  ........ढाई घंटे बाद वो किसी तरह अस्पताल पहुंचे ..........दिसंबर की सर्दी में वो बेचारा लड़का लोगों से गिड़गिड़ाता  रहा कि  कोई कम्बल दे दो ....न कम्बल तो वो पर्दा ही दे दो ....और घटना के 5 घंटे बाद तक इलाज शुरू नहीं हो पाया था ....और फिर वो लडकी मर गयी . सुना है की commonwealth गेम्स पे सत्तर हज़ार करोड़ रूपये खर्च कर के हमने दिल्ली को एक शानदार शहर बना दिया है ....सुना था की दिल्ली अब बदल गयी है .
                                       आज मुझे लगा की एक राष्ट्र के रूप में हम फेल हो गए . आज महसूस होता है की  अगर हम आज भी अंग्रेजों के गुलाम होते तो शायद एक बेहतर राष्ट्र होते , ज्यादा चरित्रवान होते . हमारा देश आज एक विशाल कूड़े का ढेर न होता . हम अपने दैनिक जीवन में सच बोलते . शायद आज देश में भ्रष्टाचार न होता ....और आज से ज्यादा सम्पन्न होते .........हमारे बड़े बुज़ुर्ग और ये हमारे leaders , हमारी political class , हमारे social isnstitutes , हमारा education system , हमारे धर्म गुरु , हमारे ये बड़े बड़े icons , हम सब ही तो फेल हो गए . ये देश मुझे आज तक नहीं सिखा पाया की एक सभ्य नागरिक कैसा होता है .......क्या कर्तव्य  होते हैं उसके ........ये की सड़क पे कूड़ा नहीं फेंकना चाहिए ..........ये की सड़क पे घायल एक कुत्ते को भी मदद की ज़रुरत होती है .........और ये की सड़कों पे चंद  flyover बना देने से एक राष्ट्र का निर्माण नहीं हो जाता .....वो लडकी जाते जाते हमें आईना दिखा गयी है ........

 Where words come out from the depth of truth
Where tireless striving stretches its arms towards perfection
Where the clear stream of reason has not lost its way
Into the dreary desert sand of dead habit
Where the mind is led forward by thee
Into ever-widening thought and action
Into that heaven of freedom, my Father, let my country awake.
                           हे इश्वर हमें सद्बुद्धि दो 




Friday, January 4, 2013

वो न सुधरे तो तुम सुधर जाओ............अथ रेप पुराण ............भाग 6

                                                   आज की पोस्ट की शुरुआत एक चुटकुले से .......भगवान् ने जब आदमी को बनाया तो बड़ा खुश हुआ .....बहुत देर तक उसे निहारता रहा .....उसे अपने ऊपर गर्व हुआ .........उसने खुद अपनी पीठ ठोक  ली ....वाह , क्या नायाब चीज़ बनाई है ........फिर वो आदमी से बोला .....बेटा , मैं तुम्हें धरती पे भज रहा हूँ ......मैंने तुम्हें दो नायाब चीज़ें दी है ......पहला दिमाग ......इस से तुम सारी धरती पे राज करोगे ....रोज़ नए नए आविष्कार करोगे .....और धरती को बदल के रख दोगे ......और दूसरा ये penis .........इस से तुम अपनी सन्ततियां पैदा करोगे और अपने जैसे लाखों smart और intelligent नए आदमी पैदा करोगे ...........पर इस पूरे सिस्टम में एक छोटी सी प्रॉब्लम है ......ब्लड सप्लाई लिमिटेड है ...........एक काम करेगा तो दूसरा काम नहीं करेगा .
                                              जब से ये दिल्ली वाला काण्ड हुआ है मैं इस विषय पे लगातार लिख रहा हूँ ......मेरे एक मित्र ने कमेंट किया है की  सारी  पोस्ट्स नकारात्मक हैं , और मैं  सहमत भी हूँ , क्योंकि मेरा ये मानना है की इस गंभीर समस्या का हम बहुत ही सतही इलाज़ ढूंढ रहे हैं ............ जब से मानव इस धरती पे अवतरित हुआ उसकी दो बेसिक urges रही हैं .....भूख और सेक्स ......और इनका कोई इलाज  नहीं है ........ये तो पूरी करनी ही पड़ेंगी .........अब इसमें उस बेचारे की कोई गलती नहीं है ............. ये तो  manufacturing deffect  हुआ ............अल्लाह मियाँ को तभी सोचना चाहिए था ...........यहाँ पे मनुष्य और  अन्य जीवों का अंतर समझ आता है .........यहाँ भी अल्लाह मियाँ ने एक गलती कर दी ....जानवरों में तो सेक्स की urge लिमिटेड कर दी और सिर्फ प्रजनन तक सीमित कर दी , पर अपने लाडले बेटे को कह दिया ....जा बेटा  ऐश कर ..........अब बेटा यहाँ बवाल मचा रहा है ........
                                             सो जब अति हो गयी और मनुष्य जब जानवर से सामाजिक प्राणी बना तो उसने अपनी इस urge को रेगुलेट किया .......परिवार और समाज जैसे संस्थाएं बनी .....विवाह जैसी संस्था बनी .........फिर इस के इर्द गिर्द ही धर्म और दर्शन की नीव पडी .............और मनुष्य ने स्वयं को पशुओं से ऊपर उठा लिया ..........औरों की तो मैं जानता नहीं पर भैया हमारा हिन्दू धर्म का तो आधार ही यम नियम और संयम रहे हैं .......हमारे ऋषि मुनियों और बड़े बुज़ुर्गों ने हमेशा ही भोग और विलास में संयम की शिक्षा दी है ..... अन्न का एक दाना भी बर्बाद नहीं करना चाहिए .........दूध की एक बूँद का भी सम्मान करना चाहिए .........काम क्रोध लोभ मोह मद ....control करो .......ब्रह्मचर्य ....... यही सारे concepts तो पशुता से मनुश्यत्व की ओर ले जाते हैं ........पर आज कल के मॉडर्न समाज में भैया .....ये थ्योरी तो आउटडेटिड हो गयी है ...........अब तो एक्सट्रीम उपभोक्तावाद का ज़माना है ......... मुकेश अम्बानी role model हैं समाज के .......4 कमरे के घर में उनका काम नहीं चलता  .....उनके लिए तो 27 मंजिला ANTILLA भी छोटा पड़ रहा है .....इनफ़ोसिस वाले , ( नाम भूल गया ) का दो कमरे के फ्लैट में चल जाता है  , कहने का मतलब ये है की उपभोग की कोई सीमा नहीं ..........यम नियम संयम  गया चूल्हे में .....सृष्टि का कण कण उपभोग के लिए है ..........you live only once ........    जितना भोग सकते हो भोगो .......पश्चिम की ये सोच ज्यादा हावी है ........ पर पश्चिम ने अपने बच्चों को एक बात तो सिखाई  कम से कम .......झूठ नहीं बोलना .......सड़क पे कूड़ा नहीं फेंकना .....दुसरे की privacy का सम्मान करना .....no means no ......
                                       यहाँ तो 120 करोड़ पैदा कर के सड़क पे छोड़ दिए हैं ........कम से कम 60 करोड़ ऐसे हैं जिन्हें जिंदगी में पेट भर कायदे का खाना  नसीब न हुआ .......... शिक्षा , स्वास्थ्य , आचार , विचार , व्यवहार ,संस्कार ,चरित्र तो दूर की बात है ........पशु को मनुष्य बनाने पे तो काम हुआ ही नहीं ........अब भैया पशु तो पशु होता है ......वो तो अपनी बेसिक urge को पूरा करेगा ..........अब आप फिर कहेंगे की नकारात्मक सोच है .........इन 100 करोड़ को रातों रात पशु से आदमी नहीं बनाया जा सकता .......इसलिए फार्मूला निकाला  है ..........सवारी अपने  सामान की आप  जिम्मेवार है ......... पर ये सुनते ही महिला मंडल भड़क जाता है ......हम क्यों सुधरें ....तुम सुधरो ........लाखों करोड़ों पशु सड़क पे छुट्टा घूम रहे है ........ये नहीं सुधरेंगे बेटा ..........सुधारना तो तुम्हे ही पड़ेगा ........अपनी सुरक्षा खुद करनी पड़ेगी ........ सारे precaution लेने पड़ेंगे  .....वो क्या होता है ....pepper spray लाल मिर्च .....ऐसे हथियार ले के चलो ......गलत टाइम पे बाहर सोच समझ के निकलो ..अगर बहुत ज्यादा समस्या न हो तो कपडे ठीक ठाक से पहन लो .......आगे  आप लोगों की  मर्ज़ी है .........फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट तो खुल ही रहे हैं ...........

                                                                        इति रेप पुराणः 



                                                                                                    समाप्त 


 






























Thursday, January 3, 2013

रेप रोकने हैं तो चूहे भगाओ .....अथ रेप पुराण ...........भाग 5

                                  एक  जमींदार  था ........गाँव में रहता था ......खेती बाड़ी करता था ...और काम धंदे  भी थे , भरा पूरा परिवार था ....एक दिन सो के उठा तो देखा नीचे बच्चे हल्ला मचा रहे हैं .....उसने नौकर से पूछा क्या बात है .......नौकर ने बताया बच्चे बवाल कर रहे हैं ......क्यों ? कहते हैं की घर में  ज्यादा बदबू आ रही है ....रहना दूभर हो गया है ........तो  साले तू यहाँ क्या कर रहा है ......जा कमरे में अगरबत्ती जला  दे . हुज़ूर  अगरबत्ती से काम नहीं चलेगा , बदबू ज्यादा है .....अबे बदबू ज्यादा है तो दो जला दे ..........और नौकर ने दो अगरबत्ती जला  दी ........जमींदार निश्चिंत हो गया , उसने बढ़िया ब्रेकफास्ट किया और किरकिट देखने लग गया ......मजेदार गेम चल रहा था , चौके छक्के लग रहे थे ............दोपहर में नौकर भागा  भागा  आया .......हुजुर आप यहाँ मज़े ले रहे हैं , वहाँ बच्चे सब बवाल मच रहे है ........जमींदार ने खिड़की से झाँक के देखा ....तो देखा कि  घर के बच्चे सब कोठी के गेट के सामने छाती पीट रहे थे .......और मोहल्ला पूरा तमाशा देख रहा है .....अब जमींदार का माथा ठनका ...भागा भागा  नीचे आया ........पता लगा की बदबू से जीना मुहाल है बच्चों का ..........उसने वहीं सबके सामने नौकर को चार लात मारी  .........साले तुझे कहा था अगरबत्ती लगाने को ....हुजुर दो दो लगाई थे .........अबे दो और लगा देता ........लौंडे सब गला फाड़ के  चीखने लगे .......कभी बेडरूम से बाहर भी आया करो .......खुद तो सार दिन AC में पड़े रहते हो , देखो तो सही हम किस हाल में जी रहे हैं ........लौंडे चीख रहे थे , मोहल्ला देख रहा था ....बड़ी किरकिरी हुई जमींदार की .......बेगम तक बात पहुंची ....बेगम ठहरी बहुत इमोशनल .........उनकी तो जैसे आँखों से नदी बहने लगी .....एक साफ़ सुथरे बच्चे को गोद में उठा लिया , महरिन से  उस बच्चे के गाल , dettol से धुलवाए , और उसे चूम लिया ..... गाँव में बात जंगल की आग की तरह फ़ैल गयी , अरे रानी साहिब ने आज एक बच्चे की चुम्मी ली .......जमींदार खुश हुआ ....चलो इमेज में कुछ तो सुधार हुआ .........शाम तक उसने जांच कमीशन बैठा दिया ........गाँव भर से सुझाव आने लगे .........कोई बोला ,  घर में ही अगरबत्ती की फैक्ट्री लगा लो  .......किसी ने कहा scent छिड़क दो . कोई बोल घर में हवन कराओ .....एक ने कहा की बगीचे में चमेली और रात की रानी के पौधे लगवाओ . गाँव भर में मीटिंग और सेमीनार होने लगे ........ chemistry के एक टीचर ने गन्दी गैस का पूरा विश्लेषण कर दिया ............की फलां फलां गैस के मिश्रण से ऐसी बदबू पैदा होता है ....सो अगर फलां फलां गैस कमरे में छोड़ दें तो उस से ये बदबू दब जाएगी .........एक ने सुझाव दिया की घर में exhaust  fan  तक तो है नहीं .......जमींदार हड़क गया ....उसने तुरंत exhaust fan  लगवाने के लिए tender issue कर दिया ..........मिस्त्री लगवा दिए ....हर कमरे में रोशनदान खुलवाने लगा ...........उधर बात रानी साहिब के  दिल को लग गयी थी ....वो अन्दर चिहाड़ मार के रो रही थी ........पत्रकार फोटो खींच रहे थे ....मीडिया लाइव दिखा रहा था .......रानी की सूजी हुई आँखें ........पल्लू आंसुओं से भीग गया था ............लौंडे साले अब भी गेट पे खड़े धरना प्रदर्शन कर रहे थे .......अब इतनी सर्दी में भूखे  प्यासे , बेचारे बच्चे ..... गेट पे खड़े .......उन्होंने कारिंदों से कहा जल्दी हटाओ इन्हें ......बोलो  अपने अपने कमरे में जाएँ  .....पर लौंडे साले इतने बदमाश की हटने को तैयार नहीं .......अब ज़मींदार भड़क गया .....उसने कारिंदों से कहा , नहीं जाते तो सालों पे पानी मारो .........पर हुज़ूर  इतनी सर्दी में पानी ?????? जमींदार बोला .......स्स्साले ....अभी उतारूं तेरी सर्दी .....ज़ल्दी हटा इन्हें गेट से ......और कितनी भद्द पिटवाएगा  ???????? कारिंदों ने  भर भर बाल्टी पानी फेंकना शुरू किया .....रानी साहिबा  खिड़की से सब देख रही थी ....युवराज गोदी में लेटे दूध पी रहे थे ..........बच्चों पे पानी की बौछार देख के उनका वात्सल्य उमड़ आया ......छाती में  दूध  उतर आया ........ लगी चिंघाड़ कर रोने ....हाय हाय ....पापी इतनी सर्दी में पानी डाल  रहा है ....अरे लाठी चार्ज कर दे .........आँसू  गैस के गोले मार दे ...........न कुछ तो घोड़े दौड़ा दे .....टैंक चढवा दे , पर पानी न मार ........तुरंत कारिंदों को फोन लगाया ....और कारिंदों ने लाठी डंडे से पीट पीट के लौंडों को गेट से भगाया ......फिर आदेश दिया की सब लौंडों को कमरे में बंद करो .....ताला लगाओ ........कोई बाहर नहीं निकलना चाहिए ....अब गेट पे कोई दिखना नहीं चाहिए .........लौंडे सब अपने कमरे में हैं ........बदबू से कमरे में रहना मुहाल है ....ज़मींदार scent छिड़क रहा है .........ड्राइंग रूम में सेमीनार चल रहा है ....गरमा गर्म बहस चल रही है ........हर कमरे में sensor लगवा रहे हैं .....automatic मशीन लगवा रहे हैं .......सेंसर ज़रा सी बदबू को भी सूंघ लेगा और अपने आप scent छिड़क  देगा .........सेमीनार ख़तम हुआ ......बड़े बड़े दिग्गज भाषण दे के बाहर निकले ........बाहर सड़क पे एक बूढा खड़ा था .....उसने कहा , अरे भैया घर में कही चूहा मर गया लगता है .........एक साइंटिस्ट हंस पड़ा ........यहाँ इतनी बड़ी समस्या आन खड़ी  हुई है ........ और आप जनाब अभी चूहों में ही उलझे हुए हैं ..........बाकी सब ठठा के हंस पड़े ......बूढ़े ने एक कान के पीछे  लगाया .....झन्नाटे दार .........अबे बेवक़ूफ़ ........घर में कोई चूहा मरा  सड़  रहा है ....पहले उसे ढूंढो ......उसे उठा के बाहर फेंको .....कमरा धो पोंछ के साफ़ करो .......फिर अगर बत्ती जलाना .....तब घर रहने लायक होगा .........फिर घर से सारे चूहे भगाओ ......इस बात का इंतज़ाम करो की आगे से कोई चूहा या कोई जानवर घर में न घुसने पाए .....अगर गलती से कोई घुस जाए तो पकड़ के बाहर करो .....घर में कोई चूहा मरना नहीं चाहिए .......अगर मर जाए तो तुरंत ढूंढ के ज़मीन में गहरा दफ़न करो बेटा  ........समझे बच्चा ??????? ये scent छिड़कने से कुछ नहीं होगा .......दो चार मिनट के लिए बदबू दब जाएगी बस  .....पर मरे हुए चूहे को तो फेंकना ही पड़ेगा ...........
                                    समझे बच्चा ?????? ये फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट बनाने से बलात्कार नहीं रुक जायेंगे ..........या बस की काली पन्नी उतरवाने से ...........या दिल्ली में CCTV लगवाने से ...........ये जो  चूहे देश भर में पल रहे हैं न ............. इन्हें कण्ट्रोल करो भैया ........कैसे ????????????????????????????????????????

                                                                                                       CONTINUED







































Tuesday, January 1, 2013

सवारी अपने सामान की आप जिम्मेवार है......अथ रेप पुराण ....भाग 4

                                         एक मेंडक था ....frog .....वो एक कुए में रहता था ....well में .....यू नो वेल  .....एक बड़ा सा गड्ढा होता है ....उसमे पानी होता है ........पर हमारे डेल्ही में तो नहीं  होता है ...........कोई बात नहीं हो जायेगा .........तो उसको .......मेंडक को  .......लगता था कि  यही दुनिया है ....और इसके ऊपर जो आसमान दीखता है ....बस उतना ही बड़ा होता है आसमान ...........महामहिम  के  सांसद बेटे ने फरमाया कि  दिल्ली में dented painted प्रदर्शन चल रहा है .....अब लोग बाग़ बहुत नाराज़ हो गए उस बेचारे पे .....जबकि बात उसने 16 आने सच कही थी .........ये जो दिल्ली में छाती पीट रहे हैं न .........वी  वांट जस्टिस , वी  वांट जस्टिस ..........साला  जस्टिस न हुआ भागलपुर का भंटा हो गया ....गए और ले  आये पाव  भर .........वी  वांट जस्टिस ........ये सब साले कुए के मेंडक है ........ये दिल्ली में रहते हैं .......दिल्ली में नहीं ......दिल्ली तो इनके बाप ने भी नहीं देखी  होगी कभी .........ये अशोक विहार और डिफेन्स कॉलोनी में रहते हैं .......और ये चाहते हैं कि  दिल्ली पुलिस और सोनिया गाँधी इनकी सुरक्षा करेगी .........तुम साले fools  paradise में रह रहे हो ........ज़मीनी हकीकत से तुम्हारा कभी वास्ता ही नहीं पड़ा ..........अबे कुए के मेंडक ...सुन ........
                                हिन्दुस्तान में 120 करोड़ लोग रहते हैं ........एक एक आदमी के 14-14 बच्चे होते हैं .....5-7 तो आम बात है आज भी गाँव में .........वहाँ बच्चों को पाला  नहीं जाता .........पैदा कर के बस यूँ ही छोड़ दिया जाता है ..........कुछ मर खप जाते हैं .....कुछ बच  जाते हैं .....शिक्षा और संस्कार गया तेल लेने .......वहाँ बस जिंदा रहने की होड़ होती है .........और उसमे जो जीत जाते हैं वो एक दिन ट्रेन पकड़ के चले आते हैं तुम्हारे पास ........तुम्हारे शहर में ....जीने खाने ..........और तुम साले ......तुम्हे कौन बैठा है संस्कार देने .....शिक्षा तो टूटी फूटी मिल भी जाती है तुम्हारे इन स्कूलों में ....पर संस्कार ????? और फिर इस भीड़ में से कुछ जानवर ....कुछ उस वर्ग के और कुछ तुम्हारे वर्ग के ( याद है वो संतोष कुमार सिंह .....पुलिस के IG का बेटा  था ,  LLB   कर रहा था ,  DU से ....कैसे घर में घुस के उसने उस लड़की को मार था जिसे वो परेशान करता था ....पढ़ा लिखा , अच्छे  घर का संस्कार विहीन जानवर  )  .....दोनों संस्कार विहीन .........ये सड़कों पर छुट्टा घूम रहे हैं ...हज़ारों लाखों की संख्या में ....पूरे देश में .....जैसे discovery चैनल के भेड़िये ....नवजात बछड़े के ताक में ........और बछड़ा  चाहता है कि  दिल्ली की पुलिस और शीला दीक्षित आयेगी इनको बचाने ......इन भेड़ियों  से ........बस की खिड़की से काली पन्नी उतरवाने से रुक जायेगा बलात्कार ........cc tv से रुक जायेगा .........अबे 90% बलात्कार और यौन शोषण तो तुम्हारे घर परिवार मोहल्ले , यार , दोस्त , रिश्तेदार , पडोसी ,बाप , भाई करते हैं ......उनसे बचाने के लिए कौन सा SHO आएगा  दिल्ली पुलिस का  ??????? और दिल्ली पुलिस ......वो क्या तुम्हारी सेवा करने के लिए  भर्ती हुआ है ??? सिपाही 5 लाख दे के , ASI  20 लाख दे के और DSP एक करोड़ दे के भर्ती होता है .........उसका पूरा ध्यान इस पैसे की वसूली में होता है ........वो आयेगा तुम्हारी रक्षा करने .........कृष्ण  जी आएंगे ....और द्रौपदी की साड़ी साली  200 मीटर लम्बी कर देंगे  ......क्रिशन जी के बाप की मिल है साड़ी  की ???????
                               भाई मेरे ......बहन मेरी  , कोई नहीं आयेगा तुझे बचाने , न दिल्ली पुलिस , न शीला दीक्षित और न कृष्ण  जी ................ बेटा  ...सवारी अपने सामान की आप  जिम्मेवार है .....चलती बस से शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें ..........


                                                                                                             CONTINUED