Thursday, March 24, 2011

दो पत्र ....एक शहीद ने लिखा ...दूसरा chief of army staff ने


दोस्तों...... पिछला ब्लॉग लिखने के लिए जब मै सामग्री जुटा रहा था शहीद capt विजयंत थापर की ये चिट्ठी नेट पर मिल गयी.......ये चिट्ठी उन्होंने अपनी शहादत से एक दिन पहले अपने परिवार को लिखी ....आप भी पढ़ लीजिये




dearest papa ,mama,birdie and granny

1)by the time you get this letter ,i will be observing you all from the sky enjoying the hospitality of apsaras.

2) I have no regrets ,in fact even if i become a human again i'll join the army and fight for my nation

3) If you can come , please come and see where the indian army fought for your tomorrow.

4) As far as the unit is concerned ,the new chaps should be told about this sacrifice . I hope my photo will be kept in the 'A' coy mandir with Karni mata.

5) what ever organ can be taken should be done.

6) Contribute some money to the orphanage and keep on giving 50/-rs to Rukhsana per month and meet yogi baba.

7) Best of luck to birdie ,never forget this sacrifice of these men .Papa you should feel proud.Mama so should you .Meet .............(i loved her ). Mama ji forgive me for everything wrong i did .

OK then.its time for me to join my clan of the dirty dozen.my alpha party has 12 chaps .best of luck to you all.

live life king size

yours Robin.

एक पत्र लिखा था हमारे चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ दीपक कपूर ने .........महाराष्ट्र के मुख्या मंत्री को ........आदर्श हाऊसिंग सोसाईटी में एक फ्लैट पाने के लिए .........दरअसल वहां उसी व्यक्ति को फ्लैट मिल सकता था जो ......1) महाराष्ट्र का स्थाई निवासी हो 2) जिसकी आमदनी 15000 से 30000 के बीच हो ......तो अपने दीपक कपूर जी दोनों शर्तें ही पूरी नहीं करते थे .......क्योंकि महाराष्ट्र के वो हैं नहीं और उनकी तनख्वाह उन दिनों 90000 रु थी .......सो उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री विलास राव देशमुख को पत्र लिख कर निवेदन किया की कृपया मेरे केस में ये स्थाई निवासी वाली शर्त हटा ली जाये ......और जब आमदनी की बात आई तो उन्होंने एक फर्जी सेलरी स्लिप लगा कर अपनी तनख्वाह 23000 रु दिखा दी और आदर्श में एक फ्लैट अपने नाम आवंटित करा लिया .......वैसे जब वो ये सारी तिकड़म लड़ा रहे थे तो बताते हैं कि उनके पास पहले से 8 फ्लैट और प्लाट गुडगाँव .मुंबई और पंचकुला जैसे शहरों में थे .......पंचकुला में उन्होंने अपने स्कूल मेट मुख्य मंत्री हुडा साहब से जुगाड़ भिड़ा के एक प्लाट ले लिया था ...कौड़ियों के दाम .....पर वहां एक नियम है कि आप ऐसे प्लाट को 5 साल बेच नहीं सकते .......सो बेचारे गरीब आदमी ने एक और चिट्ठी लिखी मुख्य मंत्री हुडा को ....कि मेरी कुछ पारिवारिक मजबूरियां हैं ......इस लिए मेरे केस में कृपया ये 5 साल वाली शर्त हटा ली जाये .......पिछले दिनों ये चिट्ठी देश के सारे अख़बारों में छपी थी ......अब दीपक कपूर जी सफाई देते घूम रहे हैं रक्षा मंत्री को ........
कई बार मैं सोचता हूँ कैसे कैसे लोग भरे पड़े हैं दुनिया में ........एक है कि 22 साल की उम्र में जान दे दी ....और मरते मरते भी कह गया ...अगर फिर दुबारा जनम मिला तो फिर भर्ती हूँगा फ़ौज में ...अपने देश के लिए लड़ने के लिए .........अगर कोई अंग बचा हो मेरे शरीर में..... तो निकाल लेना .....फूंकने से पहले ......ताकि काम आ सके किसी के .........दे देना, कुछ पैसे उस अनाथ आश्रम के लिए, जिस से कि जी सकें वो बच्चे इज्ज़त से.... जिनका कोई नहीं है इस दुनिया में ........ चिंता थी उसे रुख़साना की ......वो 6 साल की बच्ची ,कश्मीर की ,जिसे दिया करता था वो 50 रूपये हर महीने ,ताकि वो पढ़ सके ........मरते हुए भी उसे चिंता थी उस लड़की की ......जिसे प्यार करता था वो .......पर अपने देश से ज्यादा नहीं ..........अपने भाई को हिदायत दे के मरा ...की भूलना मत उन लोगों की शहादत को .......जो तुम्हारे भविष्य के लिए मरे .....
और एक है .......उसी लड़के का बॉस .......जान दे रहा .......मरा जा रहा है बेचारा ...........एक और फ्लैट के लिए .........एक और प्लाट मिल जाये किसी तरह से ......पारिवारिक मजबूरियां हैं बेचारे की .......
वो चिट्ठी , जो मरते मरते विजयंत थापर ने अपने मां बाप को लिखी थी ....दीपक कपूर के लिए लिखनी चाहिए थी ..........

4 comments:

  1. Pahji well done again.....the way you write touches heart directly. Kuuuuuuu.....dos.

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  2. शुक्रिया जनाब ....आपको अच्छा लगा ...मुझे ख़ुशी हुई ...मैं चाहता हूँ किसी तरह इसे दीपक कपूर साहब पढ़ लें ...है कोई रास्ता उन तक इसे पहुचने का

    ajit

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  3. बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
    यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके.,
    मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

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  4. अजीत भाई मेरे पास कह्ने के लिए शब्द नही हॆ ये देश कभी न वीरो से खाली हुआ हे और न गद्दारो से पर हम ही बेगेरत हे ह्मे पेसे का मोल मालूम हे जिन्द्गी का नही.

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