आज बिहार के super thirty के संचालक आनंद भाई का लेख पढ़ा हिन्दुस्तान में ......पढ़ के बहुत अच्छा लगा ....कि इतने गरीब मगर प्रतिभावान बच्चे IIT में पहुँच रहे हैं ...सिर्फ अपने पुरुषार्थ के बल पर .....और आनंद कुमार जैसे लोग जो चाहते तो आज करोडपति नहीं अरबपति होते आज भी इन गरीब बच्चों के साथ काम कर रहे हैं ...मुफ्त में .......बिना एक भी पैसा लिए .....कही से कोई चंदा नहीं लेते ...न sarkar से न किसी पूंजीपति से ..........आनंद आज भी एक पुरानी हीरो होंडा motorcycle पे चलते हैं. कुल दो जोड़ी कपडे और एक चप्पल ही उनकी जमा पूँजी है ........super thirty के बारे में बता दूं आपको ....ये पटना में एक शेड के नीचे चलने वाला एक coaching center है जहाँ इसके संचालक श्री आनंद कुमार पूरे देश से 30 बेहद गरीब मगर प्रतिभावान बच्चों को चुन कर उन्हें इंजीनियरिंग के enterance exam की तैयारी कराते हैं ..........कोई पैसा नहीं लेते .....यहाँ admission मिलने का एक ही criteria है .......प्रतिभा ...और गरीबी ......और इस coaching center कि खासियत ये है कि पिछले दस बारह सालों से ....जब से ये चल रहा है .......इसके सभी बच्चे IIT में सेलेक्ट हुए हैं ........आज तक कोई फेल नहीं हुआ ......इस बार बताते हैं कि पूरे देश से बच्चे यहाँ पढने आये हुए थे.....जिस बिहार से लोग भाग के बाहर जाते हैं वहां अब बाहर के लोग आ रहे हैं .......लगता है इतिहास अपने आपको दोहरा रहा है .......
मैंने अपने जीवन के कुछ साल गाँव में बिताए हैं .....और इस बात को बड़ी शिद्दत से महसूस किया है कि हमारे समाज ने सचमुच गाँव में रहने वाले लोगों को सीढ़ी के आखिरी पायदान पे बैठने के लिए मजबूर कर रखा है ........मेरे गाँव में आज से 40 साल पहले 6 घंटे रोज़ बिजली आती थी ....20 साल पहले भी 6 घंटे रोज़ आती थी आज भी 6 घंटे रोज़ आती है ........गाँव से कुछ दूर एक क़स्बा है ....जहाँ 4 ATM हैं ........on an average ....2 out of service रहते हैं और जो एक आध चल रहा होता है उसके सामने दिन के समय आम तौर पर 50 से 100 लोगों तक की लाइन होती है .........वो एक ATM 2 -3 लाख लोगों को cater करता है .......वहीँ शहर में हम लोग हर कदम पर atm देखते हैं ........मुझे याद है सन 1990 में मुझे दिल्ली में नौकरी मिली थी .....केंद्रीय सरकार में .....पर सिर्फ तीन महिना वो नौकरी कर के मैंने वापस अपने गाँव जा कर कुछ करने का निर्णय लिया ......तो मेरे एक बुजुर्ग ताऊ जी ने कहा था कि लोग गाँव से दिल्ली जाते हैं और तुम दिल्ली से गाँव आना चाहते हो ........और मुझे ये भी अच्छी तरह याद है कि उस दौरान में सैकड़ों लोगों से मिला था और सिर्फ एक आदमी ने ये कहा था कि नहीं तुम ठीक कर रहे हो .......गाँव के लिए न सरकार कुछ करना चाहती है न समाज ,न कोई NGO ..........जबकि सुना है कि 70 प्रतिशत हिदुस्तान इन गावों में ही रहता है ......ऐसे में आनंद जी जैसे लोगों का काम देख के उम्मीद जगती है ..........
यहाँ पतंजलि योग पीठ .हरिद्वार में ग्रामोत्थान योजना पर कार्य चल रहा .....इसके तहत पूरे देश से कुछ गाँव चुन कर उनमे कार्य कर उन्हें स्वावलंबी बनाया जायेगा और स्वयं ग्रामवासी ये कार्य करेंगे .........अन्ना हजारे ये कार्य सफलता पूर्वक अपने गाँव रालेगन सिद्धि और अन्य आसपास के क्षेत्रों में कर चुके हैं ........इसमें एक योजना तो हर घर में सोया बीन का दूध पहुंचाने की है ...ये दूध सिर्फ २ रु लीटर घर पे बनाया जा सकता है और अत्यंत पौष्टिक होता है ....इसके बारे में मैं विस्तार से अपने एक पूर्व लेख में लिख चूका हूँ.
एक अन्य बड़ी महत्वाकांक्षी परियोजना है गाँव में सस्ती सुन्दर टिकाऊ आवासीय योजना .......10 से 20 हज़ार रु में मकान .......भारत कि पारंपरिक भवन निर्माण शैली .......जिसमे कि स्थानीय सामग्री ....मिटटी ....लकड़ी...बांस ..जैसी चीज़ों से मकान बनाते थे ....उस शैली को पुनर्जीवित करना ......अब आप सोच रहे होंगे कि मैं गाँव वालों के लिए झोंपडिया और कच्चे मकान बनाने कि बात कर रहा हूँ .....जी नहीं ......आधुनिक वैज्ञानिक मापदंडों पर खरा,भूकंप रोधी ,बेहद मज़बूत ,जिसकी लाइफ 500 साल से भी ज्यादा होगी ,maintenance free ,और सुदर ....जी हाँ ....इतना सुन्दर कि आप देखते रह जाएँ .......आपने शहर में जो अब तक सबसे खूबसूरत मकान देखा है उस से ज्यादा सुन्दर .......इस काम में हमारे साथ एक सिविल इंजिनियर ,एक architect ,एक interior designer , एक राज मिस्त्री और एक कारपेंटर की टीम कार्य कर रही है .......और गाँव कि ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए ऐसे घर डिजाईन किये जा रहे हैं जो 10 या 20 हज़ार में तैयार honge ...सारे furniture समेत ....अलबत्ता सारा या ज़्यादातर furniture मिटटी का ही बना होगा ........double bed , सोफा, कुर्सियां ,टेबल ,अलमारी इत्यादि ....... इस घर को बनाने में सारा कार्य ...यानि श्रमदान गृहस्वामी स्वयं करेगा .......material सारा स्थानीय रहेगा ...अर्थात यथा संभव वही चीज़ें इस्तेमाल होंगी जो आसपास ही पैदा होती हैं ....घर में एक आधुनिक kitchen और बाथरूम होगा ........ये घर सिविल इंजीनियरिंग के अनुरूप और 8 .5 richter scale के भूकंप को बर्दाश्त करने लायक होगा .........आगे चल के देश के हज़ारो ...लाखों लोगों को इस तरह के मकान बनाने कि ट्रेनिंग दी जाएगी ......
अपने युवराज राहुल गाँधी जी भी सुना है आजकल गावों में काफी कार्य कर रहे हैं .......अक्सर उनकी फोटो किसी झोपडी में खाना खाते हुए छप जाती है ......मैंने सुना है की वो एक रात किसी विदेशी diplomat के साथ किसी झोपडी में सोये भी थे .......पर यहीं थोड़ी सी चूक हो जाती है.......... उनकी फोटो खाना खाते छपी थी ....और वो उस झोपडी में सोये थे .........मेरा एक विनम्र सुझाव है उन्हें ........किसी दिन ...दिन भर काम करने के बाद ......मूसलाधार बारिश में किसी चूती हुई झोपडी में रात बिताएं .....भूखे .....और सोने की कोशिश करें .........सुना है की भूख की पीड़ा को भरे पेट समझा नहीं जा सकता .........प्रधान मंत्री बनने की जो ट्रेनिंग वो ले रहे हैं आजकल ....उसके तहत उन्हें एक किसान के घर 2 -3 साल रह के खेती करनी चाहिए ....तभी वो एक किसान की पीड़ा को ....उसकी भूख को ........उसकी समस्याओं को समझ पाएंगे ..........आखिर 70 % हिन्दुस्तान तो इन्ही गावों में रह के खेती करता है राहुल जी .........
मैंने अपने जीवन के कुछ साल गाँव में बिताए हैं .....और इस बात को बड़ी शिद्दत से महसूस किया है कि हमारे समाज ने सचमुच गाँव में रहने वाले लोगों को सीढ़ी के आखिरी पायदान पे बैठने के लिए मजबूर कर रखा है ........मेरे गाँव में आज से 40 साल पहले 6 घंटे रोज़ बिजली आती थी ....20 साल पहले भी 6 घंटे रोज़ आती थी आज भी 6 घंटे रोज़ आती है ........गाँव से कुछ दूर एक क़स्बा है ....जहाँ 4 ATM हैं ........on an average ....2 out of service रहते हैं और जो एक आध चल रहा होता है उसके सामने दिन के समय आम तौर पर 50 से 100 लोगों तक की लाइन होती है .........वो एक ATM 2 -3 लाख लोगों को cater करता है .......वहीँ शहर में हम लोग हर कदम पर atm देखते हैं ........मुझे याद है सन 1990 में मुझे दिल्ली में नौकरी मिली थी .....केंद्रीय सरकार में .....पर सिर्फ तीन महिना वो नौकरी कर के मैंने वापस अपने गाँव जा कर कुछ करने का निर्णय लिया ......तो मेरे एक बुजुर्ग ताऊ जी ने कहा था कि लोग गाँव से दिल्ली जाते हैं और तुम दिल्ली से गाँव आना चाहते हो ........और मुझे ये भी अच्छी तरह याद है कि उस दौरान में सैकड़ों लोगों से मिला था और सिर्फ एक आदमी ने ये कहा था कि नहीं तुम ठीक कर रहे हो .......गाँव के लिए न सरकार कुछ करना चाहती है न समाज ,न कोई NGO ..........जबकि सुना है कि 70 प्रतिशत हिदुस्तान इन गावों में ही रहता है ......ऐसे में आनंद जी जैसे लोगों का काम देख के उम्मीद जगती है ..........
यहाँ पतंजलि योग पीठ .हरिद्वार में ग्रामोत्थान योजना पर कार्य चल रहा .....इसके तहत पूरे देश से कुछ गाँव चुन कर उनमे कार्य कर उन्हें स्वावलंबी बनाया जायेगा और स्वयं ग्रामवासी ये कार्य करेंगे .........अन्ना हजारे ये कार्य सफलता पूर्वक अपने गाँव रालेगन सिद्धि और अन्य आसपास के क्षेत्रों में कर चुके हैं ........इसमें एक योजना तो हर घर में सोया बीन का दूध पहुंचाने की है ...ये दूध सिर्फ २ रु लीटर घर पे बनाया जा सकता है और अत्यंत पौष्टिक होता है ....इसके बारे में मैं विस्तार से अपने एक पूर्व लेख में लिख चूका हूँ.
एक अन्य बड़ी महत्वाकांक्षी परियोजना है गाँव में सस्ती सुन्दर टिकाऊ आवासीय योजना .......10 से 20 हज़ार रु में मकान .......भारत कि पारंपरिक भवन निर्माण शैली .......जिसमे कि स्थानीय सामग्री ....मिटटी ....लकड़ी...बांस ..जैसी चीज़ों से मकान बनाते थे ....उस शैली को पुनर्जीवित करना ......अब आप सोच रहे होंगे कि मैं गाँव वालों के लिए झोंपडिया और कच्चे मकान बनाने कि बात कर रहा हूँ .....जी नहीं ......आधुनिक वैज्ञानिक मापदंडों पर खरा,भूकंप रोधी ,बेहद मज़बूत ,जिसकी लाइफ 500 साल से भी ज्यादा होगी ,maintenance free ,और सुदर ....जी हाँ ....इतना सुन्दर कि आप देखते रह जाएँ .......आपने शहर में जो अब तक सबसे खूबसूरत मकान देखा है उस से ज्यादा सुन्दर .......इस काम में हमारे साथ एक सिविल इंजिनियर ,एक architect ,एक interior designer , एक राज मिस्त्री और एक कारपेंटर की टीम कार्य कर रही है .......और गाँव कि ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए ऐसे घर डिजाईन किये जा रहे हैं जो 10 या 20 हज़ार में तैयार honge ...सारे furniture समेत ....अलबत्ता सारा या ज़्यादातर furniture मिटटी का ही बना होगा ........double bed , सोफा, कुर्सियां ,टेबल ,अलमारी इत्यादि ....... इस घर को बनाने में सारा कार्य ...यानि श्रमदान गृहस्वामी स्वयं करेगा .......material सारा स्थानीय रहेगा ...अर्थात यथा संभव वही चीज़ें इस्तेमाल होंगी जो आसपास ही पैदा होती हैं ....घर में एक आधुनिक kitchen और बाथरूम होगा ........ये घर सिविल इंजीनियरिंग के अनुरूप और 8 .5 richter scale के भूकंप को बर्दाश्त करने लायक होगा .........आगे चल के देश के हज़ारो ...लाखों लोगों को इस तरह के मकान बनाने कि ट्रेनिंग दी जाएगी ......
अपने युवराज राहुल गाँधी जी भी सुना है आजकल गावों में काफी कार्य कर रहे हैं .......अक्सर उनकी फोटो किसी झोपडी में खाना खाते हुए छप जाती है ......मैंने सुना है की वो एक रात किसी विदेशी diplomat के साथ किसी झोपडी में सोये भी थे .......पर यहीं थोड़ी सी चूक हो जाती है.......... उनकी फोटो खाना खाते छपी थी ....और वो उस झोपडी में सोये थे .........मेरा एक विनम्र सुझाव है उन्हें ........किसी दिन ...दिन भर काम करने के बाद ......मूसलाधार बारिश में किसी चूती हुई झोपडी में रात बिताएं .....भूखे .....और सोने की कोशिश करें .........सुना है की भूख की पीड़ा को भरे पेट समझा नहीं जा सकता .........प्रधान मंत्री बनने की जो ट्रेनिंग वो ले रहे हैं आजकल ....उसके तहत उन्हें एक किसान के घर 2 -3 साल रह के खेती करनी चाहिए ....तभी वो एक किसान की पीड़ा को ....उसकी भूख को ........उसकी समस्याओं को समझ पाएंगे ..........आखिर 70 % हिन्दुस्तान तो इन्ही गावों में रह के खेती करता है राहुल जी .........
Umda! But lets not get political in your artciles aapke likhe huye ki sabse badi visheshta hai sateekta aur ekdam ground level ki baat, Rahul ko laaenge beech mein to buraai karne waalon ki bheed ikkathha ho jaaegi, aur main mudda fir rah jaaega
ReplyDeleteok i agree ...i will take care
ReplyDeletethanx
ajit
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeletebehtreen prabhavshali aalkeh, seekh deta hua, ek aaina dikhata hua, aapko aapke karye me saflta mile, aisi hamari kamna hai, sarkaar ke bharose rahenge to kuch nhi hone wala, kehte hain na ki bina mare swarg nhi milta!
ReplyDeletebahdai kabule
आनन्द जी के बारे में जानकारी पाकर मन प्रफुल्लित हो गया। आप भी ग्राम विकास का कार्य कर रहे हैं। आप मेरी इस लिंक पर जाएं - http://bharatvp.blogspot.com/2011/05/blog-post.html
ReplyDeleteआप हर विषय पर अच्छा लिख रहे हैं। आपके मन में जो आये वही लिखिये। राजनीति हो या घुमक्कडी
ReplyDeleteदूसरों की बातें मानकर अपने विचारों से हमें मरहूम मत कीजियेगा।
प्रणाम