दोस्तों आज 28 जून है ....हम लोगों के लिए एक और सामान्य सा दिन ........ आज सुबह सो कर उठे तो बूंदा बंदी हो रही थी ........बारिश की सुबह कितनी रोमांटिक होती है .........अपनी पत्नी के साथ आज बालकनी में बैठ के चाय पीते हुए अखबार देख रहा था ......दो दो अखबार देख डाले ........कहीं कोई ज़िक्र नहीं था ....कल टीवी पे सारे news channels खंगाले ....कुछ नहीं था .....हिन्दुस्तान gas और diesel के दामों में उलझा हुआ है ..........मेरी पत्नी मेरे भावों को पढ़ लेती है ........... उसने पूछा क्या हुआ .....अचानक इतने serious क्यों हो गए ..........मैंने कहा कितनी रोमांटिक लगती है न ये बूंदा बांदी .....बारिश की ये फुहार .........उस दिन भी हलकी बूंदा बांदी हो रही थी ....जब वो लोग .....उस रात अपने घर आखिरी ख़त लिख रहे थे ..........आज से 12 साल पहले ......सब 20 से 25 के बीच थे .......यानी मेरे बेटे से सिर्फ 2 -3 साल बड़े .........मेरा बेटा तो मुझे बच्चा लगता है अभी..... आखिर 20 - 22 साल भी कोई उम्र होती है जान देने की ........
दोस्तों शहादत दिवस है आज .........major P P Acharya ,Capt kenguruse और Capt Vijayant Thaapar ....सिपाही जगमाल सिंह और नायक तिलक सिंह का ....12 साल पहले आज की रात वो सब शहीद हुए थे वहां दूर .....drass में ....knoll नामक चोटी को फतह करते हुए .........कारगिल युद्ध में .........27 जून को एक पूरी प्लाटून शहीद हो गयी थी उसी चोटी पर .........शाम की roll call खुद commanding officer ..... colonel M B Ravindra naathan ने ली ...........वहां ये बताया की आज हमारी पूरी प्लाटून शहीद हो गए knoll पर .......सबने 2 मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी .........फिर colonel ने कहा ......कल के assault में जो जाना चाहता है ...एक कदम आगे आयेगा ....बाकी अपनी जगह खड़े रहेंगे ...........पूरी regiment एक कदम आगे आ गयी .......तब major आचार्य ने कहा की कल A कंपनी ने assault किया था .......आज B कंपनी करेगी .......और फिर उन्होंने अपनी टीम बनाई .........और कहा की चूंकि मैं कंपनी कमांडर हूँ इसलिए मैं लीड करूँगा .........उनकी टीम में 12 लोग थे...... अगले दिन सुबह निकलना था .....उस रात सबने अपने घर चिट्ठी लिखी .....major आचार्य ने भी लिखा था ....अपने पिता को .......हतॊ वा पराप्स्यसि सवर्गं जित्वा वा भॊक्ष्यसे महीम.........तस्माद उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः......गीता का ये श्लोक quote किया था ..........उस रात वो लोग जानते थे की लौट कर नहीं आयेंगे .............और नहीं आये ......capt थापर ने जो पत्र अपने घर लिखा था ....उस पर मैं पहले ये लेख .....http://akelachana.blogspot.com/2011/03/chief-of-army-staff.html लिख चुका हूँ ...........उन्होंने भी लिखा था की जब तक ये पत्र आप लोगों को मिलेगा ...मैं वहां अप्सराओं के बीच स्वर्ग का सुख भोग रहा होऊंगा ......... वो जानते थे की लौट के नहीं आएंगे ..........फिर भी गए .......उस रात हलकी बूंदा बांदी हो रही थी .........पर अगली सुबह मौसम साफ़ था एकदम ...और उस रात जब उन्होंने चढ़ना शुरू किया ................full moon night थी .......full moon night भी रोमांटिक लगती है कुछ लोगों को ............चाँद आसमान में चमक रहा था ........रात में भी सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था ..........हमें भी और दुश्मन को भी .........भयंकर गोला बारी हो रही थी .....सबसे आगे major आचार्य थे ......वही सबसे पहले शहीद हुए .....फिर सिपाही जगमाल सिंह ........वो अर्दली था capt थापर का ......major आचार्य ने उसे अपनी टीम में चुना नहीं था .....उस रात जब उसे पता चला की उसे नहीं चुना गया है तो वो खुद major आचार्य के टेंट में गया .......अगर मेरे साहब जायेंगे ....(यानी capt थापर) ......तो मैं भी जाऊंगा .......वो capt थापर से पहले शहीद हुआ उस रात .........उनकी बाहों में .........२२ साल उम्र थी उसकी ......आजकल इस उम्र के लड़के सारी रात अपनी girl friends को SMS भेजने में बिता देते हैं .......उनमे एक capt kenguruse था ....25 साल का .....वो नागा था ....नागालैंड का .......सुना है नागालैंड में लोग नफरत करते हैं ....हिन्दुस्तान से और हिन्दुस्तानी फ़ौज से ........graduation के बाद सरकारी स्कूल में teacher हो गया था ........दो साल मास्टरी की भी ......फिर बोला फ़ौज में जाऊंगा ........हिन्दुस्तानी फ़ौज में ....उस फ़ौज में जिससे उसका समाज नफरत करता है ...दिल से ......उस रात एक LMG चढ़ानी थी ऊपर .....बहुत फिसलन थी उस नंगे पहाड़ पे ......उस कडकडाती ठण्ड में ........अपने जूते उतार दिए उसने ......जिससे की पैरों को अच्छी पकड़ मिले चट्टानों पे .......सबसे पहले ऊपर चढ़ा, चोटी पे .........नंगे पाँव...... फिर कमर में बंधी रस्सी से अकेले दम वो LMG ऊपर खींची ......मरियल सा था ....मुश्कल से 50 किलो का .......5 फुट दो इंच का .......फिर उसी रस्सी को पकड़ के पूरी प्लाटून ऊपर आयी .....वहां दो पाकिस्तानी rifle से मारे और एक को अपनी उस नागा खुकरी से .....hand to hand combat में .......एकदम नज़दीक एक हथगोला फटा ...पेट में splinter लगा .......उस खड़े पहाड़ से 100 फुट नीचे गिरा .....वहां शहादत हुई .......capt थापर को बाईं आँख में गोली लगी थी ........जब body घर पहुंची तो चश्मा पहना दिया था ......दाढ़ी बढ़ी हुई थी .....6 फुट 1 इंच height थी .......इतना सजीला और ख़ूबसूरत जवान अपनी जिंदगी में नहीं देखा मैंने ............शहादत से दो दिन पहले का फोटो है उसी दाढ़ी में ........अगर फ़ौज में न होता तो मॉडल होता ....या फिर फिल्म स्टार .....24 साल की उम्र में शहादत दे दी ......वो जो आखिरी चिट्ठी लिखी उसने अपने माँ बाप को ...उसमें भी सब कुछ दे गया देश को ......मरने के बाद भी ...........निकाल लेना सारे अंग ....फूंकने से पहले .....ताकि काम आ सकें किसी के .......
आज सुबह के अखबार देख के बहुत दुःख हुआ ..........इतनी जल्दी भुला दिया इस अहसान फरामोश मुल्क ने ..........पूरे देश में चर्चा है आज ........ऐश्वर्या राय pregnent हो गयी है .......major आचार्य की बीवी भी pregnent थी .........जब उसका पति शहीद हुआ .........तीन महीने बाद जन्मी वो बच्ची ...........क्या सोच रही होगी वो लड़की आज के अखबार देख के ...........उस रात .......उस खड़ी चट्टान से 100 फुट नीचे गिर कर ......ज़िदगी के उन आखिरी क्षणों में .....मरने से पहले .....क्या कुछ सोचा होगा उस नागा लड़के ने ..........संवेदना शून्य हो जाता होगा ऐसी स्थिति में दिमाग आदमी का ........आज जैसे हमारा हो गया है ....जीते जागते भी .........वो लड़के उस रात अच्छी तरह जानते थे की वापस नहीं आयेंगे लौट के .....फिर भी गए .....क्या जज्बा होता होगा .......देश के प्रति ......क्या सोच के गए होंगे .........क्यों पैदा नहीं होता वो जज्बा हम लोगों में ....अपने देश के प्रति ......
सलाम है ....कारगिल शहीदों के उस जज्बे को ............13 july को capt विक्रम बत्रा का शहीदी दिवस है ....पूर्व में एक लेख उनपे भी लिख चूका हूँ ......http://akelachana.blogspot.com/2011/03/r.html ......इस बार 13 जुलाई को उनके घर पालम पुर जाने का विचार है ........ सुना था की ...शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ....वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा ...........अब तो कमबख्त वो मेले लगने भी बंद हो गए .....UPA सरकार कारगिल विजय की बरसी नहीं मनाती .......चलो हम ही मना लें ......
दोस्तों शहादत दिवस है आज .........major P P Acharya ,Capt kenguruse और Capt Vijayant Thaapar ....सिपाही जगमाल सिंह और नायक तिलक सिंह का ....12 साल पहले आज की रात वो सब शहीद हुए थे वहां दूर .....drass में ....knoll नामक चोटी को फतह करते हुए .........कारगिल युद्ध में .........27 जून को एक पूरी प्लाटून शहीद हो गयी थी उसी चोटी पर .........शाम की roll call खुद commanding officer ..... colonel M B Ravindra naathan ने ली ...........वहां ये बताया की आज हमारी पूरी प्लाटून शहीद हो गए knoll पर .......सबने 2 मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी .........फिर colonel ने कहा ......कल के assault में जो जाना चाहता है ...एक कदम आगे आयेगा ....बाकी अपनी जगह खड़े रहेंगे ...........पूरी regiment एक कदम आगे आ गयी .......तब major आचार्य ने कहा की कल A कंपनी ने assault किया था .......आज B कंपनी करेगी .......और फिर उन्होंने अपनी टीम बनाई .........और कहा की चूंकि मैं कंपनी कमांडर हूँ इसलिए मैं लीड करूँगा .........उनकी टीम में 12 लोग थे...... अगले दिन सुबह निकलना था .....उस रात सबने अपने घर चिट्ठी लिखी .....major आचार्य ने भी लिखा था ....अपने पिता को .......हतॊ वा पराप्स्यसि सवर्गं जित्वा वा भॊक्ष्यसे महीम.........तस्माद उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः......गीता का ये श्लोक quote किया था ..........उस रात वो लोग जानते थे की लौट कर नहीं आयेंगे .............और नहीं आये ......capt थापर ने जो पत्र अपने घर लिखा था ....उस पर मैं पहले ये लेख .....http://akelachana.blogspot.com/2011/03/chief-of-army-staff.html लिख चुका हूँ ...........उन्होंने भी लिखा था की जब तक ये पत्र आप लोगों को मिलेगा ...मैं वहां अप्सराओं के बीच स्वर्ग का सुख भोग रहा होऊंगा ......... वो जानते थे की लौट के नहीं आएंगे ..........फिर भी गए .......उस रात हलकी बूंदा बांदी हो रही थी .........पर अगली सुबह मौसम साफ़ था एकदम ...और उस रात जब उन्होंने चढ़ना शुरू किया ................full moon night थी .......full moon night भी रोमांटिक लगती है कुछ लोगों को ............चाँद आसमान में चमक रहा था ........रात में भी सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था ..........हमें भी और दुश्मन को भी .........भयंकर गोला बारी हो रही थी .....सबसे आगे major आचार्य थे ......वही सबसे पहले शहीद हुए .....फिर सिपाही जगमाल सिंह ........वो अर्दली था capt थापर का ......major आचार्य ने उसे अपनी टीम में चुना नहीं था .....उस रात जब उसे पता चला की उसे नहीं चुना गया है तो वो खुद major आचार्य के टेंट में गया .......अगर मेरे साहब जायेंगे ....(यानी capt थापर) ......तो मैं भी जाऊंगा .......वो capt थापर से पहले शहीद हुआ उस रात .........उनकी बाहों में .........२२ साल उम्र थी उसकी ......आजकल इस उम्र के लड़के सारी रात अपनी girl friends को SMS भेजने में बिता देते हैं .......उनमे एक capt kenguruse था ....25 साल का .....वो नागा था ....नागालैंड का .......सुना है नागालैंड में लोग नफरत करते हैं ....हिन्दुस्तान से और हिन्दुस्तानी फ़ौज से ........graduation के बाद सरकारी स्कूल में teacher हो गया था ........दो साल मास्टरी की भी ......फिर बोला फ़ौज में जाऊंगा ........हिन्दुस्तानी फ़ौज में ....उस फ़ौज में जिससे उसका समाज नफरत करता है ...दिल से ......उस रात एक LMG चढ़ानी थी ऊपर .....बहुत फिसलन थी उस नंगे पहाड़ पे ......उस कडकडाती ठण्ड में ........अपने जूते उतार दिए उसने ......जिससे की पैरों को अच्छी पकड़ मिले चट्टानों पे .......सबसे पहले ऊपर चढ़ा, चोटी पे .........नंगे पाँव...... फिर कमर में बंधी रस्सी से अकेले दम वो LMG ऊपर खींची ......मरियल सा था ....मुश्कल से 50 किलो का .......5 फुट दो इंच का .......फिर उसी रस्सी को पकड़ के पूरी प्लाटून ऊपर आयी .....वहां दो पाकिस्तानी rifle से मारे और एक को अपनी उस नागा खुकरी से .....hand to hand combat में .......एकदम नज़दीक एक हथगोला फटा ...पेट में splinter लगा .......उस खड़े पहाड़ से 100 फुट नीचे गिरा .....वहां शहादत हुई .......capt थापर को बाईं आँख में गोली लगी थी ........जब body घर पहुंची तो चश्मा पहना दिया था ......दाढ़ी बढ़ी हुई थी .....6 फुट 1 इंच height थी .......इतना सजीला और ख़ूबसूरत जवान अपनी जिंदगी में नहीं देखा मैंने ............शहादत से दो दिन पहले का फोटो है उसी दाढ़ी में ........अगर फ़ौज में न होता तो मॉडल होता ....या फिर फिल्म स्टार .....24 साल की उम्र में शहादत दे दी ......वो जो आखिरी चिट्ठी लिखी उसने अपने माँ बाप को ...उसमें भी सब कुछ दे गया देश को ......मरने के बाद भी ...........निकाल लेना सारे अंग ....फूंकने से पहले .....ताकि काम आ सकें किसी के .......
आज सुबह के अखबार देख के बहुत दुःख हुआ ..........इतनी जल्दी भुला दिया इस अहसान फरामोश मुल्क ने ..........पूरे देश में चर्चा है आज ........ऐश्वर्या राय pregnent हो गयी है .......major आचार्य की बीवी भी pregnent थी .........जब उसका पति शहीद हुआ .........तीन महीने बाद जन्मी वो बच्ची ...........क्या सोच रही होगी वो लड़की आज के अखबार देख के ...........उस रात .......उस खड़ी चट्टान से 100 फुट नीचे गिर कर ......ज़िदगी के उन आखिरी क्षणों में .....मरने से पहले .....क्या कुछ सोचा होगा उस नागा लड़के ने ..........संवेदना शून्य हो जाता होगा ऐसी स्थिति में दिमाग आदमी का ........आज जैसे हमारा हो गया है ....जीते जागते भी .........वो लड़के उस रात अच्छी तरह जानते थे की वापस नहीं आयेंगे लौट के .....फिर भी गए .....क्या जज्बा होता होगा .......देश के प्रति ......क्या सोच के गए होंगे .........क्यों पैदा नहीं होता वो जज्बा हम लोगों में ....अपने देश के प्रति ......
सलाम है ....कारगिल शहीदों के उस जज्बे को ............13 july को capt विक्रम बत्रा का शहीदी दिवस है ....पूर्व में एक लेख उनपे भी लिख चूका हूँ ......http://akelachana.blogspot.com/2011/03/r.html ......इस बार 13 जुलाई को उनके घर पालम पुर जाने का विचार है ........ सुना था की ...शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ....वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा ...........अब तो कमबख्त वो मेले लगने भी बंद हो गए .....UPA सरकार कारगिल विजय की बरसी नहीं मनाती .......चलो हम ही मना लें ......
आज से 12 साल पहले ......सब 20 से 25 के बीच थे .......यानी मेरे बेटे से सिर्फ 2 -3 साल बड़े .........मेरा बेटा तो मुझे बच्चा लगता है अभी..... आखिर 20 - 22 साल भी कोई उम्र होती है जान देने की ........
ReplyDeleterula diya n ?
marmik abhivyakti.
ReplyDeletesharmindaa hai apne aap par
ReplyDeleteसच मे रुला दिया…………।
ReplyDeleteनम आंखो से विदा करने का
चलन अब बदलने लगा यारों
वो अजब दुनिया थी जब
लगते थे शहीदो की चिताओ पर मेले
आंसुओं के साथ नमन के सिवा कुछ नही कर सकती।
सच्ची में दी ,अजित जी ने सिर्फ़ रुलाया ही नहीं ये भी बता दिया हम सब कितने स्वार्थी हैं .......
ReplyDeleteशहीदों को नमन !!!
शहीदों को विनम्र श्रद्धांजली ..
ReplyDeleteआज की सबसे सार्थक पोस्ट ...
बेहद सही लिखा है आपने हर एक शब्द में ...वो लड़के उस रात अच्छी तरह जानते थे की वापस नहीं आयेंगे लौट के .....फिर भी गए .....क्या जज्बा होता होगा .......देश के प्रति ......शायद ये सब कुछ याद नहीं रहा स्वार्थ के चलते ...बहुत ही भावमय करती प्रस्तुति के साथ शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि ...।
ReplyDeleteufff!!! ham aam insaan sirf thori der ke liye aise post ko padh kar sihar uthenge...par fir shanti ka jeevan vyatit karne lagenge......par kabhi dil me ye baat nahi yaad aati ki kinke kaaran, ham ye shantipurn jeevan jee rahe hain...!!
ReplyDeleteuff!! un sab naujawano ...veer saputo ko dil se ek sachchi shranddhanjali...!!
शहीदों की चिताओं पर ....नहीं लगते हैं अब मेले ......dosharopan kya karen...jab hum khud hi..shraddhanjali na de sake....
ReplyDeletedil se apni bhool sweekar hai....shraddhanjali...un veeron ko..jinki vajah se hum chain zindgi kemele mein...magan hai
om,
ReplyDeletebhai ji,bahut,achha likha aapne ,yeh bidhi ki bidambana hi hai,etni kam umer me desh per boh mwr mita,aisa samay kam logo ko milta hai,fir bhi ham aise veero ko sat-sat namankerte hai.
विनम्र श्रद्धांजली ..
ReplyDeleteJanmo-Janm tak NAMAN hi un shahido ko....!
ReplyDeletepar apne to pura rula diya....sir!
पढ़ते हुए कितनी बार ही सिहरन हुई....आँखे नम हुईं पर गर्व भी हुआ...इन भारत माँ के सपूतों पर.
ReplyDeleteविनम्र श्रधांजलि
विनम्र श्रद्धांजली...
ReplyDeleteबहुत मार्मिक..विनम्र श्रद्धांजलि..हमें गर्व है इन शहीदों पर.
ReplyDeleteशहीदों को नतमस्तक सलाम...
ReplyDeleteएक सलाम आपको, की आपने याद किया...
ReplyDeleteवैसे हिन्दुस्तानी मिडिया से और क्या उम्मीद कर सकते हैं....
भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु के सहादत के दिन को भी वो याद करना वाजिब नहीं समझते....
दिल से शुक्रिया आपका, इस लेख के लिए..
तमाचा तो गाल पर लगा, मगर हूक दिल में उठी...
ReplyDeleteशहीदों को दिल से सलाम....हमें फख्र है उन पर...
ReplyDeleteहम आज सुरक्षित हैं तो उन्हीं की बदौलत....
बहुत सार्थक पोस्ट...
शत-शत नमन....
हमारी याददास्त बहुत कमजोर होती है,,,
ReplyDeleteआपने याद रखा और इतने लोगों को याद दिलाया, बहुत बहुत शुक्रिया....
इन सभी शहीदों को नमन...
ऐसी शहादत को मेरा सलाम.... आपने याद दिलाकर एक सोयी हुई अहसास को जगाने का प्रयास किया है. पूरी पोस्ट पढकर मन ग्लानि से भर गया था कि हम कितनी जल्दी भूल जाते है......
ReplyDeletegr8 blog, f9 presentation,and
ReplyDelete"The art of war is a matter of life and death" - Sun Tzu
सारे शहीदों को सत-सत नमन.
ReplyDeleteजिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
ReplyDeleteजान देने की रुत रोज़ आती नहीं ..
देश के दुलारों को शत शत नमन
हम अपने स्वार्थों में इतने अंधे हैं कि सारी कुर्बानियों को भुला देते हैं...
कुछ भी लिखा नहीं जा रहा ...
ReplyDeleteखुद पर भी गुस्सा आ रहा है ...हम सब स्वार्थी ही हैं !
शहीदों की मजार पर हर समय लगेगे मेले !
ReplyDeleteशायद जाने के लिए हम नही होगे अकेले !
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल ३० - ६ - २०११ को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज -
अजित जी, आपकी भावनाओं को सलाम करने का जी चाहता है। किसी ने सुध ली शहीदों की।
ReplyDelete------
ओझा उवाच: यानी जिंदगी की बात...।
नाइट शिफ्ट की कीमत..
शहादत को नमन और आपके जज़्बे को भी
ReplyDeleteshahidon ko salaam aur meri aur se shradanjali.
ReplyDeleteaap maaf kijiyega ek din late padh paaya
अखबार में भैया अब वो मिशनरी जील नहीं है .अखबार अब तिजारत है .ब्लॉग -जगत स्वायत्त और अपना सा लगता है .अपने देश की मिट्टी से जुड़े लोग हैं यहाँ .हमने फौजियों की ज़िन्दगी को नज़दीक से देखा है .कारगिल के दौर में जवान लाशों को ताबूतों में आते देखा है .बतलादें हमने भी इनमें से कुछ शहीदों को देखा था खडग वासला में अपने बेटे के साथ जो फौज से चौथे टर्म में नेवी में चला आया था .और अब कमांडर है ,इंडियन नेवी में ।
ReplyDeleteसलाम उस ज़ज्बे को, सलाम उन फौजियों को जिनके कारण ही फौज, फौज है .कर चले हम फिदा जानो तन साथियो !अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों .
सभी दोस्तों को धन्यवाद ......आप सभी लोगों ने उन शहीदों को याद किया ....उन्हें श्रद्धांजलि दी और मेरा उत्साह वर्धन किया .......काश देश का हर नागरिक इतना ही कर्त्तव्य परायण होता ........सामने खड़ी मौत को गले लगा लेना ...........कितना बड़ा कलेजा चाहिए इसके लिए .....नमन उन शहीदों को ........
ReplyDeleteajit singh taimur
विनम्र श्रद्धांजली ..
ReplyDeletesach me bahut swarthi hai hum...bhul gaye the...acha hua aap ne yad dilaya...par sach kahu to deshbhakti ka wo jajba nahi bhule abhi...
ReplyDeletemeri vinamra shardhanjali un shaheedo ko...
शायद हम मौत को जिन्दगी के ढूह पर खड़े हो कर देकते हैं , वो जिन्दगी को मौत की बहुत उंची चट्टान पर खड़े हो कर देखते है ! इस बहुत अच्छी पोस्ट का लिंक शेयर करने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ! मन उदास हो गया .
ReplyDeleteबड़ी देर से आये आपके ब्लॉग पर लेकिन ख़ुशी है की आये सही....वरना काफी कुछ खो दिया होता.
ReplyDeleteशहीदों को श्रद्धांजली ..
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