कल खबर आयी कि मकबूल फ़िदा हुसैन का देहांत हो गया ............अब मैं आपके सामने झूठ मूठ का शिष्टा चार नहीं बघारना चाहता .....जैसा कि परंपरा है कि कम से कम मरे हुए आदमी को तो इज्ज़त बक्श दो ........मेरी पहली प्रतिक्रिया यही थी कि चलो धरती से कुछ बोझ तो कम हुआ ....एक दुष्ट आत्मा का बोझ अब इस बेचारी धरती को कम ढोना पड़ेगा ........पर ध्यान दीजिये कि मैं ये मानता हूँ कि वो एक बहुत अच्छे या बहुत नामी गिरामी ...पेंटर थे ......हम गंवार लोग क्या जानें कि कला क्या होती है ......और ये भी कि मेरी उनसे कोई जाती दुश्मनी भी नहीं थी .मैंने सिर्फ उनके बारे में पढ़ा था कि वो देवी देवताओं की nude पेंटिंग्स बनाते थे .......मुझे याद है की पहली बार जब मैंने ये पढ़ा तो मुझे गुस्सा तो नहीं आया था पर अजीब सा ज़रूर लगा था .....गुस्सा तब आया जब ये पता लगा कि सिर्फ हिन्दू देवी देवताओं की पेंटिंग्स ही nude बनाते थे ........भारत माता ,दुर्गा ,पार्वती और सरस्वती की nudes बनाये उन्होंने ......पर अपनी माँ की पेंटिंग एकदम पूरी तरह ऊपर से नीचे तक कपड़ों से ढकी हुई बनाई है ....मदर टेरेसा की पेंटिंग भी इसी तरह पूरे कपड़ों में है ..........अब पता नहीं कौन सी मानसिकता है ये ..........पर समस्या ये नहीं है कि उन्होंने पेंटिंग बनाई .........आम तौर पर हिन्दू प्राचीन काल से ही इन सब मामलों में बहुत सहिष्णु रहा है ......बहुसंख्य लोग कोई बहुत उग्र प्रतिक्रिया नहीं देते .....पर भैया अगर मान लो कि कुछ लोगों को ये बुरा लगा तो इसमें इतना नाराज़ आप लोग क्यों होते हो ........कुछ लोगों को बुरा लगा और वो नाराज़ हुए ...........तो शुरू हो गया हमारा तथाकथित सेकुलर समाज , progressive सोच वाला समाज .........हमारा secularism का झंडाबरदार मीडिया ....कि देखो साले कितने जाहिल हैं ये सब ......इस बेचारे चित्रकार ने इनकी माँ की नंगी पेंटिंग बना दी तो इतना बुरा लग रहा हैं इन मूढ़ मति जाहिलों को .........साले देश को मध्य युग में ले जाना चाहते हैं ........बेचारे चित्रकार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीन रहे हैं ........हाँ हमारी माँ बहन की नंगी फोटो बनाना उसका जन्म सिद्ध अधिकार है ........हमें विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है .........
अब कुछ जाहिल , मूढ़ मत बेवक़ूफ़ हिन्दुओं ने श्रीमान जी का विरोध किया .....उनकी एक exhibition में कुछ तोड़ फोड़ भी की शायद .....तो श्रीमान जी हमेशा के लिए देश छोड़ कर चले गए .......क़तर में रहने लगे ........बड़ा अहसान किया इस भारत देश पर ........मीडिया और बुद्धिजीवी (हम तो भाई बुद्धिहीन हैं ) फिर रोये ....देखो बेचारे चित्रकार को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया .........अब कल मर गए ....तो एक anchor कल रो रहा था ...टीवी पर ....दो गज जमीं भी मिल न सकी कुए यार में .......इतना बड़ा भी कोई जान का खतरा नहीं था यहाँ पर .........बहुसंख्यक समाज की भावनाओं का ध्यान रखते हुए एक बार अफ़सोस प्रकट कर देते ....दिल से ........ पर उन्हें कोई अफ़सोस कभी हुआ ही नहीं....... तभी तो वहां इतने साल तान तोड़ते रहे ....क़तर में बैठे ...हम लोगों पर .......अब मुझे ये तो नहीं पता कि उन्होंने वहां कोई nude पेंटिंग .......किसी मुस्लिम महापुरुष की ...........बनायी ya नहीं .......कलाकार तो वो थे बहुत बड़े पर उनकी कलाकारी की उड़ान इतनी उँची भी नहीं थी कि किसी मुस्लिम महापुरुष की nude बना पाते.....यहाँ तो सिर्फ विरोध हुआ था ...एकाध शीशा तोड़ दिया था इनकी exhibition में ...वहां ऐसी हिमाकत करते तो बोटी बोटी नोच लेते वो सब ......
दुःख इस बात का है की इस गंदे घटिया आदमी ने ता उम्र तो हम बहुसंख्यक हिन्दुस्तानियों की बे इज्ज़ती की ही ......मरते मरते भी कर गया कमबख्त .....बहर हाल सुनते हैं की अच्छा आर्टिस्ट था ....भारत का पिकासो था ....अल्लाह करे ज़न्नत नसीब हो ........मरने के बाद माफ़ किया उसे ....जैस भी था, था तो हिन्दुस्तानी ही.
saraswati
lakshmi
durga
parvati
mother teresa fully clothed
his own mother ....fully clothed
अब कुछ जाहिल , मूढ़ मत बेवक़ूफ़ हिन्दुओं ने श्रीमान जी का विरोध किया .....उनकी एक exhibition में कुछ तोड़ फोड़ भी की शायद .....तो श्रीमान जी हमेशा के लिए देश छोड़ कर चले गए .......क़तर में रहने लगे ........बड़ा अहसान किया इस भारत देश पर ........मीडिया और बुद्धिजीवी (हम तो भाई बुद्धिहीन हैं ) फिर रोये ....देखो बेचारे चित्रकार को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया .........अब कल मर गए ....तो एक anchor कल रो रहा था ...टीवी पर ....दो गज जमीं भी मिल न सकी कुए यार में .......इतना बड़ा भी कोई जान का खतरा नहीं था यहाँ पर .........बहुसंख्यक समाज की भावनाओं का ध्यान रखते हुए एक बार अफ़सोस प्रकट कर देते ....दिल से ........ पर उन्हें कोई अफ़सोस कभी हुआ ही नहीं....... तभी तो वहां इतने साल तान तोड़ते रहे ....क़तर में बैठे ...हम लोगों पर .......अब मुझे ये तो नहीं पता कि उन्होंने वहां कोई nude पेंटिंग .......किसी मुस्लिम महापुरुष की ...........बनायी ya नहीं .......कलाकार तो वो थे बहुत बड़े पर उनकी कलाकारी की उड़ान इतनी उँची भी नहीं थी कि किसी मुस्लिम महापुरुष की nude बना पाते.....यहाँ तो सिर्फ विरोध हुआ था ...एकाध शीशा तोड़ दिया था इनकी exhibition में ...वहां ऐसी हिमाकत करते तो बोटी बोटी नोच लेते वो सब ......
दुःख इस बात का है की इस गंदे घटिया आदमी ने ता उम्र तो हम बहुसंख्यक हिन्दुस्तानियों की बे इज्ज़ती की ही ......मरते मरते भी कर गया कमबख्त .....बहर हाल सुनते हैं की अच्छा आर्टिस्ट था ....भारत का पिकासो था ....अल्लाह करे ज़न्नत नसीब हो ........मरने के बाद माफ़ किया उसे ....जैस भी था, था तो हिन्दुस्तानी ही.
saraswati
lakshmi
durga
parvati
mother teresa fully clothed
his own mother ....fully clothed
अजीत जी... बहुत ही सच्चाई से आपने लिखा है... मरते ही लोगों की भाषा बदल जाती है , मरना तो सबको है ... खूनी खूनी ही रहेगा , विकृति जो थी उसे क्या मासूमियत कह दें ... आपने वही लिखा , जो था , जो है
ReplyDeleteअजीत जी,
ReplyDeleteआँखें खोलनेवाली सच्चाई से रूबरू कराने के लिए धन्यवाद.मैं आपसे और दीदी दोनों से इस बात पर सहमत हूँ कि कला का उपयोग किसी समाज को आहत करने के लिए नहीं होना चाहिए और खासकर किसी भी कलाकार से यह अपेक्षा होती है कि वह लोगों कि भावनाओं को ध्यान में रखकर ही अपनी कला को शरीर प्रदान करे.हुसैन जी में यह कमी स्पष्ट दिखाई देती है.आपको याद होगा कि पैगम्बर साहब के कार्टून पर कितना विवाद हुआ था.इसे ध्यान में रखा ही जाना चाहिए क्योंकि कलाकृति सार्वजनिक संपत्ति है और जनमानस पर अपना प्रभाव छोड़ती है.धन्यवाद.
सटीक लेख ... अब मरे हुए को क्या मारना ..
ReplyDeleteरश्मि दीदी ने लिंक भेजी ... तो आपके ब्लॉग पर आये ... और आके अच्छा लगा ... रश्मि दीदी को धन्यवाद लिंक भेजने के लिए ... और आपको धन्यवाद एक बेबाक पोस्ट लिखने के लिए ... मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ ... किसी भी कलाकार को यह हक नहीं है कि वो कलात्मकता के आड़ में लोगो की धार्मिक या सामाजिक भवनों को ठेस पहुंचाता रहे ... मुझे खुशी है कि M.F.Hussain मर गया ... मैं उसे कोई कलाकार नहीं मानता हूँ ... अव्वल दर्जे का स्टंटबाज़/नौटंकीबाज़ था ... हम उनमे से नहीं हैं कि शैतान को मरने के बाद भगवान बोलने लग जाएँ ... आपके ब्लोग्का फोलोअर बन गया हूँ ... अब आते रहूँगा ...
ReplyDeleteकल रात times now न्यूज़ चैनल पे 'महान' चित्रकार मरहूम m f hussain साहब का कोई पुराना interview आ रहा था .......बड़े दुखी थे बेचारे ........गिले शिकवे कर रहे थे .......बहुत दुर्व्यवहार किया भारत के लोगों ने उनके साथ .....उन्हें दुःख था कि आम लोग उनसे नाराज़ नहीं थे ...ये तो कुछ politically motivated लोगों ने हल्ला मचाया था ...वो लोग जो उनको और उनकी कला को समझ ही नहीं पाए ......मज़े की बात कि चैनल भी उनके साथ घडियाली आंसू बहा रहा था ...और हम नादान ,नासमझ ,जाहिल लोगों को कोस रहा था ....वाह क्या बात है ....खैर आज मैंने बड़े ध्यान से वो पेंटिंग्स देखी और अपने जाहिल दिलो दिमाग को खोलने की कोशिश की ....पर मुझे तो यही दिखा की लक्ष्मी जी पूर्णतया नग्नावस्था में गणेश जी के सर पर सवार हैं ........और माँ दुर्गा शेर के साथ अत्यंत कामुक मुद्रा में .........शायद सम्भोग रत ......और mother टेरेसा ....वाह पूरी तरह कपड़ों से लिपटी ........माथा तक नहीं दिख रहा ....एक अनाथ बच्चे को ईसाई बना कर गोद में लिए .........वाह एक ममता मई माँ का चित्र .........और हुसैन की अपनी माँ ...एक सच्ची मुसलमान ..........नाखून तक नहीं दिख रहा ....ध्यान दीजिये ....हाथ पूरा साड़ी से ढका है ......इश्वर से यही प्रार्थना है कि ....प्रभु मुझ जाहिल को इतनी मेधा दो की इस सेकुलर चित्रकारी को मैं भी समझ सकूं .......कही मेरा ये जीवन यूँ ही व्यर्थ न चला जाए .......और मैं भी ऐसे ही कुछ चित्र बना सकूं ......कुछ ईसाई और मुस्लिम महापुरुषों के .........और महानतम सेकुलर कलाकारों में अपना नाम लिखवा सकूं .........
ReplyDeleteBahut khoob kaha!!
ReplyDeleteyeh link bhi dekhiye..
http://www.youtube.com/watch?v=yvQvlYuJsHY&feature=share