Sunday, August 7, 2011

आन्दोलन को बदनाम कर दो ....मर जाएगा ......3

कैसे ख़त्म हुआ पंजाब से आतंकवाद ..........कुछ लोग कहते हैं की KPS GILL ने कर दिया ......अबे आतंकवाद हुआ कोई रसगुल्ला हो गया .....KPS GILL ने उठाया और खा लिया ....लो ख़तम .......बाप का माल है क्या .......ऐसे ही थोड़े रातों रात ख़तम हो जाएगा ............पहले ये देखना पड़ेगा की शुरू कैसे हुआ था .......ज्ञानी जैल सिंह , जो उन दिनों पंजाब का मुख्य मंत्री होता था, पंजाब में अकालियों यानि शिरोमणि अकाली दल ,को कमज़ोर करने के लिए जरनैल सिंह भिंडरां वाले को खड़ा करना शुरू किया .....उसे नेता बनाया .....वक्ता वो अच्छा था .....भाषण अच्छे देता था ......कांग्रेस ने उसे खड़ा किया और बहुत जल्दी ही वो खड़ा हो गया ......हमारे यहाँ एक कहावत है ......विष बेल जैसे ही उगे ,उसे नष्ट कर देना चाहिए .......अगर उसे समय पर नहीं मारा तो वू पूरे पेड़ पर फ़ैल जाती है ....उसपे कब्जा कर लेती है और अंत में एक दिन पेड़ मर जाता है .......यहाँ तो विष बेल उगा के बाकायदा उसे खाद पानी दिया जा रहा था .......सो वो जल्दी ही फ़ैल गयी ........बगल में पाकिस्तान बैठा है ...वो तो हमारे देश में ऐसे elements ढूंढता ही रहता है .........उसने बहुत जल्दी पहचान लिया की ये अपने काम का आदमी है ...और लगा उसे पुचकारने ..........इतिहास कहता है की जैसे मुसलामानों के दिमाग में पाकिस्तान का कीड़ा कुलबुलाता था वैसे ही सिखों के दिमाग में खालिस्तान का कीड़ा था .....1946 में एक बार इन्होने भी माँगा था पर हालात बहुत खराब थे इसलिए बात नहीं बनी ....सो उसी कीड़े को फिर उभार दिया पकिस्तान ने और भिंडरां वाले को आगे कर दिया ....उसे रुपया पैसा गोला बारूद हथियार ...सब देना शुरू कर दिया ....और वो लगा घूम घूम के भाषण देने .......अब धर्म की बात .....अलग सूबा ...खालिस्तान .......हम हिन्दुओं की गुलामी क्यों करें .........जब ऐसे ऐसे मुद्दे होंगे .......गुरद्वारे में सभा होगी तो लोग तो ध्यान से सुनेंगे ही ........सो वो सुनाने लगा और लोग सुनने लगा .........कार्ल मार्क्स ने कहा है की धर्म अफीम का काम करता है ........जब धर्म की बात होती है तो आदमी अपने दिमाग को ताला लगा के दिल की बात सुनता है .........तो भैया वो घूम घूम के सुनाने लगा और लोग सुनने लगे .........उसकी कैसेट उन दिनों हर घर में बजती थी ..........हमारे यहाँ एक sect है ...निरंकारी .....हैं तो सिख basically .......पर वो सिखों की basic फिलोसोफी ....की अब कोई 11th गुरु नहीं होगा ...अब गुरु होंगे ग्रन्थ साहब .......पर ये निरंकारी कहते हैं की भैया हम नहीं मानते ........ग्रन्थ साहब तो हैं पर हमें एक बन्दा भी चाहिए गुरु ...सो उन्होंने बना लिया ...........और लाखों हिन्दू सिख उनके अनुयायी हैं .......उनसे ये सब बहुत चिढ़ते थे ........सो 1980 की बात है उन्होंने निरंकारी बाबा गुरबचन सिंह को ठोक दिया ......पंजाब केसरी अखबार बहुत खिलाफ लिखता था सो उसके सम्पादक और मालिक लाला जगत नारायण को ठोक दिया ....लाला जी बहुत बड़े हिन्दू लीडर थे पंजाब के .........देखते देखते भिंडरां वाला सिख कौम का बहुत बड़ा लीडर बन गया ....आज भी मुझे लगता है की गुरु गोबिंद सिंह जी के बाद उसी की ranking आएगी .......पूरे पंजाब में वो हिन्दुओं और भारत सरकार के खिलाफ और भारत देश के खिलाफ जहर उगलता था ...और ये हिजड़े दिल्ली में बैठ के देख रहे थे .......आज जितनी फुर्ती ये बाबा रामदेव और आचार्य बाल कृष्ण के खिलाफ दिखा रहे है .......काश उसकी .001 % भी इन्होने उसके खिलाफ दिखाई होती .......1983 तक आते आते पूरे पंजाब में उसका साम्राज्य था .......एक बार बताया जाता है की पूरा एक ट्रक भर के हथियार ....rocket launchers ......LMGs....और AK 47 स्वर्ण मंदिर के बाहर CRPF ने रोक लिए ....2 घंटे में दिल्ली से फोन गया की जाने दो ........पंजाब केसरी के एक पत्रकार ने ये छाप दिया ....शाम को पंजाब पुलिस ने उसे पटक के मारा और 2 दिन बाद अमृतसर में वो अपने 9 साल के बच्चे के साथ स्कूटर पे जा रहा था उसे भून दिया गया ......कहा जाता है की उसके बाद फिर कभी अखबार ने कुछ नहीं लिखा ........सो कहने का मतलब ये है की उन दिनों अगर ज्यादा नहीं तो 95 % सिख भिन्द्रा वाले के समर्थक थे .......कुछ नहीं भी थे तो confused थे या हाशिये पर धकेल दिए गए थे ........अब जिस आन्दोलन को इतना जन समर्थन मिलेगा वो तो सफल होगा ही और उसे दबाना भी आसान नहीं ........ऊपर से जब सरकार हिजड़ों की हो .........खैर साहब जब पानी सर के ऊपर गया और यहाँ तक नौबत गयी की 2 दिन में खालिस्तान की घोषणा हो जायेगी और कुछ देश उसे मान्यता दे देंगे तो हिजड़े सो के उठे और उन्होंने स्वर्ण मंदिर में आर्मी भेज दी .......10 घंटे बाकायदा युद्ध हुआ ......जितने फौजी कारगिल में दो महीने में मरे उतने 4 घंटे में मरे थे .......बहुत से आतंकी और कुछ बेचारे निरीह श्रद्धालु जिन्हें आतंकी ढाल के तौर पे इस्तेमाल कर रहे थे ....सो इस कार्य वाही के बाद जो रहे सहे सिख थे वो भी भिन्दरा वाले के समर्थक सही सरकार के विरोधी हो गए ........फिर हिजड़ों की सरताज ....जिन्हें कभी साक्षात दुर्गा कहा था अटल जी ने वो मरीं ......राजीव गाँधी आये ....उन्होंने पंजाब समझौता किया आनन फानन में .......पर कुछ हुआ .....आतंकवाद बढ़ता गया ...पंजाब तबाह हो गया ........फिर आखिर ख़तम कैसे हुआ .........
कोई भी आन्दोलन शुरू कब होगा ?????? जब जन समर्थन होगा ........और ख़तम कैसे होगा ....जब जन समर्थन ख़तम हो जाएगा .........सरकार ने धीरे धीरे आतंकियों का जन समर्थन ख़तम कर दिया ...........कैसे ?????? एक तो जनता 10 साल से मार काट .....अशांति ...रोज़ रोज़ के curfew से तंग गयी ....खेती बाड़ी ...काम धंदा ...सब कुछ तो बर्बाद हो गया था .......... आन्दोलन की शुरुआत में पहले तो लोग बड़े जोशो खरोश से कूदे .....नए नए बच्चे भर्ती हो गए ....हथियार उठा लिए .......आतंकी बन गए ......शुरू में अपराध का glamour नयी उम्र के लड़कों को बड़ा attract करता है ........पर पता तो बाद में लगता है .......बाद में जब भागने लगते हैं तो वो भागने नहीं देते ........एक पूरी पीढ़ी बर्बाद हो gayee थी पंजाब की ...........हमारे साथ की एक लड़की होती थी ....मंजीत कौर ..athelete थी ......उसका छोटा भाई भर्ती हो गया था उनमे ........फिर जब अक्ल आये तो लगा भागने ........रोज़ पुलिस घर आती ...और वो सब भी .......पूछते कहाँ है ........उन दिनों मैं दिल्ली रहता था ...एक दिन वो लड़की आयी ...मेरे घर रुकी .......उन लोगों ने अपने भाई को UP में तराई में ....उधम सिंह नगर में छुपा रखा था .......छुप के मिलने जाते थे उस से .........अगले दिन सुबह वो चली गयी ...फिर एक साल बाद मिली ...मैंने पूछा कहाँ है आज कल ............तो रोने लगी फूट फूट के ......वहीं उधम सिंह नगर में मार गए थे ........मैंने पूछा पहले तो बड़े जोर से नारे लगाती थी खालिस्तान जिंदाबाद के .....अब भी लगाती है ??????? तो लगी जोर जोर से गरियाने ........मुझे नहीं ....उनको .........समय के साथ जनसमर्थ कम होने लगा था ........एक और बात थी ...शुरू में तो लोग धर्म के लिए जुड़े आतंकियों से .......बाद में चोर बदमाश घुस गए .......लगी वसूली होने .......सुपारी ले के हत्याएं करने लगे .......लोग दुश्मनियाँ निकालने लगे .......हम लोग NIS पटियाला में थे तो so called आतंकियों के फोन आते थे ....फलाने का एडमिशन कर लो ...उसको पास कर दो .......इसे 1st डिविज़न दे दो....... ये स्तर हो गया था .......so कौम और धर्म के लिए लड़ने वालो में चोर बदमाश घुस आये थे ...जन समर्थन तो कम होना ही था .....कपिल सिब्बल जैसे कुटिल और काइयां लोग तो उन दिनों भी थे .........सरकार ने बाकायदा एक फ़ोर्स बनायी ......पंजाब पुलिस के बहुत से सिपाही और अफसर थे .......बहुत से हिन्दू थे ( ये बात मुझे हाल ही में मेरे एक दोस्त ने बताई जो पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर है और उन दिनों इसी गति विधि में शामिल था )....जो रोज़ रात को लूट पाट करते थे .....फिरौती के लिए फोन करते थे .....घरों में घुस के बहन बेटियों को पकड़ लेते थे .....फिर ज़रा सा विरोध होते ही भाग लेते थे .....एक सरकारी गाडी बाकायदा उन्हें गाँव के बाहर उतारती और pick करती थी .......फिर अगले दिन अखबारों में छपता ....खूब नमक मिर्च लगा के ....देखो तुम्हारे खाडकुओं ने क्या किया .......आन्दोलन बहुत तेज़ी से बदनाम हो रहा था ...आम जनता में .......फिर हर गाँव में सुरक्षा समितियां बना दी गयीं .......नकली आतंकी आते ...सुरक्षा समिति उन्हें डंडे ले के दौड़ा लेती वो भाग जाते ...........फिर अगले दिन अखबार में छपता ...देखो आतंकी कितने डरपोंक हैं भाग गए ........और पब्लिक उन्हें धीरे धीरे सचमुच दौडाने लगी ....उनका खौफ धीरे धीरे ख़तम होने लगा था ........ये सिलसिला दो साल चलता रहा ......प्रेस की बहुत बड़ी भूमिका थी इसमें ..........और पुलिस तो सब जानती ही थी ...की कौन असली आतंकी है कहाँ छुपा है ....जो पब्लिक कल तक उन्हें घर बैठा के देसी घी का हलुआ खिलाती थी ....मुर्गा खिलाती थी .......चंदा देती थी........ वही अब दौड़ा के मारती थी ....पुलिस को खबर कर देती थी ........जब सरकार ने देखा की लोहा अब लाल हो गया है .......तो पागल कुत्ते की तरह गलियों में दौड़ा दौड़ा के मारना शुरू किया ..........रोज़ हज़ारों एन्कोउन्टर होते थे ...मार के सतलुज और ब्यास में फेंक देते थे ...पंजाब है भाई .......नदियों की कमी थोड़े ही थी .......मारो नदी में फेंक दो ....गेहूं के साथ कुछ घुन भी पिसा बेचारा .........6 महीने में ठोक पीट के बराबर कर दिया ........उन दिनों KPS GILL था DGP ...... so GILL साब ज़िंदा बाद ....आतंक वाद उन्होंने ख़तम किया ........उसे तो वो rupan deol ले डूबी नहीं तो गवर्नर बनता वो बाद में .......तो भैया ....समझे ?????? कैसे बदनाम किया जाता है आन्दोलन को ????? यही कर रही है सरकार आजकल .......अन्ना हजारे ...बाबा राम देव और आचार्य बाल कृष्ण के साथ ........RSS के लोग हैं .......RSS ठहरी साम्प्रदायिक .......कांग्रेस तो दूध की धुली है भाई .......84 में जो हुआ वो साम्प्रदायिकता थोड़े ही थी .......बाल क्रिशन की तो डिग्री फर्जी है ....राम देव तो पैसे वाला है ....बीजेपी का आदमी है ........अबे ये तो मुसलमान विरोधी हैं .........इनके चक्कर में मत पड़ो ........भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन को बदनाम किया जा रहा है ...सुनियोजित ढंग से ....प्रेस सब जानती है ....पर उसके मुह में हड्डी डाल दी गयी है .........वो बाबा और अन्ना पर ही भौंक रही है .....उनका चरित्र हनन कर रही है ......

2 comments:

  1. यह समस्या सिर्फ इस वजह से है, की मजोरिटी लोग समाज में, सिर्फ अफवाहों पे अपना नज़रिया तय करते है..मीडिया से प्रभावित है...रिअलिटी टी वी से फुरसत नहीं मिलती.....
    और दूसरे भ्रष्ट तंत्र के पास इतना पैसा है, और साथ ही सारी सरकारी मशीनरी भी उनके साथ है..वो जो चाहते है करते है....साम, दम ,दंड और भेद...
    I applaud the blog, as it clearly depicts the situation...not a one sided view from Media...

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  2. पंजाब की उस ऐतिहासिक घटना के बाद आपने बाद में जो तीन-चार लाइनें जोडी हैं, वे मुझे जची नहीं।
    जहां अगले दिन ही खालिस्तान बनने वाला था, अब वहीं पंजाब है- साड्डा पंजाब। गर्व होता है हमें स्वर्ण मन्दिर पर।

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