मेरी पिछली 3 पोस्ट्स पंजाब के ऊपर थी ....उन्हें पढ़ के बहुत से प्रश्न मेरे युवा मित्रों ने पूछे ........एक ने तो ये भी पूछा की फिर bhindraan waale का क्या हुआ ....इस पोस्ट का औचित्य क्या है .....क्या हम पुराने ज़ख्मों को कुरेद रहे हैं ........दोस्तों गलती करना बुरा नहीं .....हम अपनी गलतियों से ही सीखते हैं ....पर उन गलतियों को दोहराना नहीं चाहिए .......मैंने लिखा है की जिंदा कौमें अपनी गलतियों से सीखती हैं ....क्या सीखा हमने अपनी गलतियों से ???? उन दिनों भी मैं पंजाब में था ........अब भी हूँ .........मुझे साफ़ दिख रहा है ....बारूद के ढेर पर बैठा है पंजाब .......सिर्फ एक चिंगारी चाहिए .........तब निरंकारियों से झगडा था ....अब सच्चा सौदा वाले हैं ....तब बाबा गुरबचन सिंह थे ....अब गुरमीत राम रहीम सिंह हैं .....आशुतोष महाराज हैं ........रविदास वाले हैं .........मुद्दे वही हैं .......सच्चा सौदा वाले अनुयायी भी बहुसंख्यक सिख ही हैं ...वही झगडा है ......सिख कहते हैं 11th गुरु नहीं हो सकता ....सच्चा सौदा वाले कहते हैं क्यों नहीं हो सकता ....हम रहे ......वो कहते हैं कोई इसके पास मत जाओ इसको गुरु मत मानो ....चेले कहते हैं हम तो भाई मानेंगे ...अब चेलों की संख्या लाखों में है ........कम से कम 10 बार इनमे बड़ा संघर्ष हो चुका है ........कई बार तो curfew भी लगाना पड़ा है ......... राम रहीम के चेले अपना सत्संग करते हैं ...नाम चर्चा कहते हैं उसे .......पूरे देश में कहीं भी नाम चर्चा होती है तो सिख वहां पहुँच जाते हैं ....नहीं होने देंगे ........वो कहते हैं करेंगे ...रोक के दिखाओ .........आखिर ये उनका मूल अधिकार है .......फुन्दमेंतल राईट है ......रोजाना का scene है ये पंजाब में .........यही झगडा रविदासियों के साथ है ....ये कहते हैं की तुम्हारे मंदिर गुरुद्वारे में ग्रन्थ साहब है सो वहां उनके बगल में कोई गुरु बैठ के प्रवचन नहीं करेगा ....वो कहते हैं ज़रूर करेगा .....ये झगडा भी पुराना है ....पिछले साल वहां vienna में सिखों ने एक रविदास गुरु की ह्त्या कर दी .....पूरा पंजाब जलता रहा 5 दिन .......अब रविदास वाले कहते हैं की ठीक है तुम्हे ग्रन्थ साहब के बगल में हमारे गुरु के बैठने से आपत्ति है न ....ये लो हम अपने मंदिर गुरुद्वारे में ग्रन्थ साहब रखते ही नहीं .......और उन्होंने नई किताब लिख ली अपने लिए .......अब फिर बवाल ....ग्रन्थ साहब को कैसे हटा सकते हो .......इसपे रविदासी समाज भी दो फाड़ हो गया है ......ऐसा ही झगड़ा आशुतोष महाराज से है ....ब्यास वाले राधा स्वामियों से है ........मूल मुद्दा पूजा पद्धति को ले के है ...........इसका परिणाम क्या हुआ ...5 साल पहले पहली बार एक सिख समागम में सरेआम banor poster लगे जहां bhindraa waale के फोटो लगे थे ....खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे .....कांग्रेस की सरकार थी ...अमरेन्द्र सिंह CM थे ......फिर ये आम बात हो गयी ......आज कल जहाँ भी सिख समागम होते हैं खूब गुणगान होता है उसका ...........खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं .....और पहले तो interior गाँव में होता था ...अब तो जलंधर लुधियाना में होता है ...........फिर दो साल पहले गाड़ियों के पीछे bhindraan waale की तस्वीरें भाला लिए.....AK 47 लिए दिखने लगीं ......नीचे पंजाबी में लिखा होता ....लगदा है फेर आना पउ ....यानी .....लगता है की फिर आना पड़ेगा .....ये सब क्या है .........ak 47 लिए ये आदमी किसको धमका रहा है की लगता है फिर आना पड़ेगा ......सिखों की गाडियों के पीछे तलवार और भाले और AK 47 की फोटो आम हो गयी .....हर तीसरी गाडी के पीछे ये पोस्टर दिखने लगा .....आपको क्या लगता है ...ये सिर्फ मुझे ही दिखाई देता है .........हम लोग अपने घरों में चर्चा करते हैं इसकी .......तो क्या बाकी लोग नहीं करते होंगे ......पर कोई बोलता कुछ नहीं .......आज तक किसी अखबार में इसकी चर्चा नहीं हुई ...किसी न्यूज़ चैनल ने इसपे कुछ नहीं बोला .....शायद मैं पहला आदमी हूँ इस देश में जो इसपे आज लिख रहा है .......कुछ बुद्धिजीवियों से चर्चा की मैंने ...तो वो बोले की जैसे ही इसपे लिखना या बोलना शुरू करेंगे ....ये बहुत तेज़ी से बढेगा ........ आज कम स कम 10 ऐसे बाबा हैं जो सरेआम जहर उगल रहे हैं interior areas में ....उनकी recordings सुनते हैं लड़के अपने mobiles में ...सब नई उम्र के लड़के है 15 से 25 वाले ........वो जिन्होंने वो दौर नहीं देखा .......... पिछले साल BJP ने जो पंजाब सरकार में पार्टनर है ....उसने CM से बात की सख्ती से ..........तो सभी गाड़ियों से वो पोस्टर और AK 47 की फोटो उतरवाई गयी ...........पर भैया मेरे....... सिर्फ गाडी से फोटो उतरी है .....दिल से कैसे उतरेगी ???????? जहां भी सच्चा सौदा की नाम चर्चा होती है ...बवाल होता है ....जहाँ भी आशुतोष महाराज ( ये नाम है उसका ...मैं कोई श्रद्धा वश महाराज नहीं लिख रहा हूँ ) का प्रोग्राम होता है curfew की नौबत आ जाती है ........ये वैचारिक संघर्ष है ....इसे आप पुलिस लगा के कब तक रोक लोगे ..........विचार का मुकाबला विचार से ही हो सकता है ........पर उसके लिए आपको समाज में एक स्वस्थ बहस छेड़नी पड़ेगी ........सिखों की एक body है ....SGPC ...जो उनके सभी गुरुद्वारों का संचालन करती है ........शिरोमणि अकाली दल की सत्ता और संगठन का वो मूल स्त्रोत है ....पिछले 5 साल से कांग्रेस बड़ी बेशर्मी से उसमे फूट डालने की कोशिश कर रही है .........अकाली दल को कमज़ोर करने के लिए ........यही काम इन्होने तब किया था ....bhindraan waale को खड़ा किया था ....अकालियों को कमजोर करने के लिए .......दिल्ली और हरियाणा में परमजीत सिंह सरना गुट को खड़ा कर के वहां से sgpc का आधिपत्य ख़तम कर दिया है .......पूरे देश के सिख इसे अपने धार्मिक मामलों में दखलंदाजी मानते हैं और इस मुद्दे को ले कर बेहद नाराज़ हैं ........
सवाल ये उठता है की हमने अपनी पिछली गलतियों से क्या सीखा ..........सिखों की नाराज़गी के जो मुद्दे ....उनकी जायज़ या नाजायज़ ....जो भी मांगे आज से 30 साल पहले थीं ...उनमे से एक का भी हल नहीं निकला ........चाहे वो चंडीगढ़ का मसला हो ....या पानी का मसला हो ......भाषा का मसला हो .......पंजाबी भाषी areas के merger का मसला हो .....या 84 के दंगा पीड़ितों को न्याय या pension या पुनर्वास का मसला हो... एक भी मुद्दा हल नहीं हुआ ......जो गलतियाँ मुल्क ने 30 साल पहले की थीं वही आज फिर दोहराई जा रही हैं ......मेरा दादा गाँव के बाहर वाले कुए में गिर के मरा था ....मेरे बेटे को ये पता ही नहीं है ...वो बेचारा ये जानता ही नहीं की वहां झाड़ियों के पीछे कोई गहरा कुआ भी है ......और वो सरपट दौड़ा चला जा रहा है उसी दिशा में ..........और मै कितना मूर्ख हूँ की मैंने आज तक उस कुए को ढकने का .....बंद करने का, कोई उपाय नहीं किया ....अपने बेटे को बताया तक नहीं की वहां कोई कुआ भी है .......पंजाब में सिखों के बच्चों का एक वर्ग फिर bhindraan waale को हीरो के रूप में देख रहा है ........उसकी पुरानी recordings सुन रहा है .........वो बच्चा बेचारा नादान है ...वो नहीं जानता की वो क्या कर रहा है .........उसे ये बताने की ज़रुरत है की असलियत क्या है भाई .......देख पहले भी ऐसा ही हुआ था ....देख क्या नतीजा हुआ था उसका .........सबको सारी हकीकत मालूम होनी चाहिए .........सरकार से आप क्या आशा करते हैं ....इन सालों ने तो हमेशा से अपनी सत्ता बचाने या पाने के लिए देश को बेचा है .........फिर बेच रहे हैं ...आगे भी बेचेंगे ........कोई भी आन्दोलन होगा ........जिस से इनको दिक्कत होगी .....उसे ये गलत तरीके से handle करेंगे ....गलत तरीके से कुचल देंगे ....मूल समस्या को एड्रेस नहीं करेंगे ........फिर वो चाहे खालिस्तान मोवेमेंट हो या आज का भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना और बाबा का मोवेमेंट हो ........इनकी handling गलत ही क्यों होती है ..........सिखों की जायज़ मांगों को लम्बे समय तक हल न करने का ही नतीजा था पंजाब का आतंकवाद .........क्या ये इसी तरह corruption movement को भी handle नहीं कर रहे ???????? दुनिया की किसी भी समस्या का हल है education .....सबको शिक्षित करो ......बताओ क्या है ?????? कैसे है ???????? क्यों है ??????? एक स्वस्थ बहस होने दो देश में ..........after all we are human beings ...हर आदमी अपना भला ही चाहता है .......हमें पता लगना चाहिए की हमारा भला बुरा क्या है ...........
I so appreciate it Ajit Ji. Initially I thought you wanted to talk about superiority or inferiority of religion and thats why I asked you about relevance of your previous posts. But you had something else in mind. Too good. Yes Education is the only solution.
ReplyDeleteAjit ji ur every post leaves a longer impression n a thought process is created on reader's mind...Quite ironical tht we hv a sikh PM for 2 terms n still the problems of punjab r d same...Just as Black hole attracts planetary objects n destroys them just as all long pending un-addressed problems r black hole that is ready to engulf every living object which will ultimately bring an end to mankind. Very rightly pointed out that educating the masses about the prevailing issues n with a constructive debate we need to solve these issues and close the file forever :)
ReplyDelete(An eye-opening blog) इसी वैचारिक सदबुद्धि की बात मैं भी कर रहा था. एक उदाहरण इसका ये है हम बचपन अपने गांव के उस चाचा से, बिना किसी वजह के चिढते थे, जिनसे हमारे माता-पिता की नहीं बनती थी..भले उस चाचा ने मेरा कुछ ना बिगाड़ा हो. ये इसलिए होता था की बच्चों के वैचारिक पादप परिवार रुपी मिटटी पर ही पैदा होतें है...उस वृक्ष का आकार चाहे जो हो...विशेषता उसकी वोही होती है जो उसे परिवार से मिला है...विद्यालयों का भी इसमें मुख्य योगदान होता है.अब अगर परिवार में विषवृक्ष पैदा हो और समाज एवं विद्यालय में भी उसको विष ही पिलाया जाये तो परिणाम भयंकर ही होंगे...
ReplyDeleteसारांश यह है की बच्चो एवं युवा पीढ़ी को हमेशा ही ऐसी शिक्षा मिले जिससे की वो अपने धर्मं एवं संस्कृति के साथ अन्यों की धर्मं एवं संस्कृति की भी इज्ज़त करना सीखें ...
शिक्षा समाधान तो है - पर - लोग भी - सिर्फ नौकरी के लिए ही शिक्षित होना चाहते हैं आप तो अच्छे से जानते है यह बात ! हर कोई दुकान चला रहा है ! शिक्षा की भी चल रही है धरम की भी !
ReplyDeleteEvery thing what is happening is due to its higher margin of profit ! nothing else! look around and test this parameter! :)
WE MISSING U ON THIS BLOG....PLZ ALSO GIVE A POST ABT ANNA'S ANSAN....
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