कहा जाता है कि सच पर चाहे जितने परदे डाल दो ......कमबख्त बाहर आ ही जाता है .......चाहे जितना गहरा गाड़ दो ...एक दिन वो अपनी मुंडी बाहर निकाल ही लेगा ........ कितना ही झूठा आदमी हो ....कैसा ही फरेबी हो .......सच तो सच ठहरा .......वो तो मौका देख के बाहर आ ही जायेगा ......पर दिक्कत ये है की इसे सुन पाना ...समझ पाना ...बर्दाश्त कर पाना .....बड़ा मुश्किल है .....मिर्चें लग जाती हैं जनाब ....आग लग जाती है तन बदन में........... सच सुन के ........तलवारें निकल जाती है ....खून की नदियाँ बह जाती हैं .....बहा दी जाती हैं .......फिर भी ये पाजी ....निकल ही आता है ......अब पिछले महीने युवराज ने कह दिया कि अरे भाई आतंकवाद की 98 घटनाएं तो आप रोक सकते हैं ......पर बाकी 2 नहीं रोक सकते ......कितनी सच्ची बात कही लड़के ने ...पर पिल पड़े भाई लोग ...पड़ गए नहा धो के ...बेचारे छोटे से बच्चे के पीछे ....देखो कैसी निकम्मी बात कहता है ....अबे काहे की निकम्मी बात ...एकदम सच तो कहता है .....अब गृह मंत्री जी ने कह दिया .....कौन माई का लाल कहता है कि रोक लेगा आतंकवाद को ......सारे जहां में है ....कैसे रोक लोगे ........अब ये अलापने लगे ...कैसे नहीं रुक सकता ....देखो अमेरिका ने तो रोक लिया ......कितना निकम्मा गृह मंत्री है अपना .......कितनी निकम्मी सरकार है ........सच सुन के कितना बुरा लगता है ..........पर ये सच है की नहीं रुक सकता आतंकवाद .....कभी नहीं .
तो भैया ....आज सुबह की बात है .......अपन चाय की चुस्कियां लेते अखबार पढ़ रहे थे तो यूँ ही मुह से निकल गया ....रोक चुके आतंकवाद .......श्रीमती जी बोलीं तो तुम्ही रोक लो ........मैंने चश्मे के ऊपर से झाँका और बोला मेरे पास है एक नुस्खा आतंकवाद रोकने का .........वो क्या जनाब ??????? जिस प्रकार कबूतर द्वारा दोनों आँखें बंद कर लेने से बिल्ली भाग जाती है उसी प्रकार हम सभी लोग अगर अपनी दोनों आँखें बंद कर लें तो आतंकवाद भी भाग जाएगा .......वाह .......सुभान अल्लाह...... क्या बात कही है ....वाह ......क्या वाह वाह लगा रखी है ...ध्यान से सुनो ....अकेले बम्बई की लोकल ट्रेनों से कट के हर साल 350 आदमी मर जाते हैं ......पूरी रेलवे का आंकड़ा तो शायद 5000 के ऊपर चला जाएगा......... 100 -50 बम धमाके में मर गए तो कौन सी आफत आ गयी.......... road accidents में हज़ारों मर जाते हैं .......बाढ़ में डूब जाते हैं .......भूख से मर जाते हैं ......शीत लहर में मर जाते हैं ........गर्मी से मर जाते हैं .........माँ बाप मार देते हैं ( abortion करा के ) ,बाद में मार देते हैं घर की इज्ज़त के नाम पे .........फिर ये सौ पचास बम धमाके से मर गए तो इतनी हाय तोबा मचाने की क्या ज़रुरत है ........जिस प्रकार ऊपर वर्णित सभी प्रकार की मौतों को हमारे देश में सामजिक मान्यता मिली हुई है उसी प्रकार आतंकवाद से हुई मौतों को भी एक स्वाभाविक ,सामान्य,रूटीन घटना मान कर आगे बढ़ जाना चाहिए .......यही उचित है .......ये इन साले TV और अखबार वालों ने धंधा बना लिया है अपनी TRP और Readership बढाने का .......ज़रा सी कोई बात हो जाए तो महीनों लगे रहते हैं उसके पीछे ......
एक कोई पुराना स्कूल master मर गया उस दिन हाई कोर्ट के सामने .....अगले दिन उसकी बीवी और बेटी चिघाड़ रहे थे टीवी पे ......हाय हाय ....हमारे बाप की लाश देने के लिए भी 3500 मांग रहे थे अस्पताल वाले ........फिर भी 6 घंटे तक इंतज़ार करवाया ............जब हमने कहा की भैया जल्दी करो तो वो बोले ...ज्यादा जल्दी है तो घर चले जाओ ....कल आ जाना .......फिर प्राइवेट एम्बुलेंस वाला 1200 ले कर भाग गया ......6 घंटे बाद लाश मिली तो एकदम निपट नंगी .......अब साहब सरकार शर्माए या न शर्माए ....अस्पताल शर्माए या न शर्माए .......घरवाले शर्मा गए ..........उन्होंने पूछा ...अरे भैया कपडे क्या हुए ....वो तो ले गए पुलिस वाले .....फोरेंसिक जांच के लिए ........अब क्या करें ........करना क्या है ......जाओ कफ़न ले कर आओ .........अब कहाँ से लायें कफ़न ........पर खुदा का लाख लाख शुक्र है ........तभी न जाने कहाँ से एक आदमी प्रकट हुआ ........आदमी न था .......फ़रिश्ता था ..........वो बोला मै लाये देता हूँ कफ़न ....और उसने वो डेढ़ मीटर झीना सा कपडा जिसकी कीमत रही होगी ....यही कोई 50 रुपया .......सिर्फ 400 रु में दे दिया .......अब दोनों माँ बेटी उस दिन टीवी पर रो रही थी ....सहानुभूति बटोरने के लिए ..........और मेरी बीवी खामखाह इमोशनल हुई जा रही थी .......मैंने उसे समझाया ....देखो भाग्यवान ...बात को समझो .......सरकार के लिए , पुलिस के लिए ,अस्पताल के लिए , उस एम्बुलेंस वाले के लिए , उस कफ़न वाले के लिए ......और तो और इन टीवी वालों के लिए भी .......ये एक रूटीन matter है .......ये दोनों मां बेटी और तुम .....तुम लोग खाम खाह इसे personally ले रहे हो ...अरे भाई अस्पताल वाला हर dead body देने के 3500 लेता है ...सो उसने आज भी ले लिए .....ambulance वाला 1200 में क्या ता उम्र तुम्हारी वेट करेगा .......6 घंटे बाद वो चला गया .........कूल n सिम्पल .....पुलिस कपडे ले गयी .......लाश बेचारी नंगी हो गयी ......but darling .....this is routine .....अब कफ़न ले के क्या चिदंबरम आयेंगे ....या राहुल गांधी ........बाप साला तुम्हारा मरा ....कफ़न चिदंबरम कहाँ से लायेंगे .........अपनी सोच को थोडा बड़ा करो ....ये सब छोटी सोच का नतीजा है ......मनुष्य को सुख या दुःख अपनी सोच की वजह से ही होता है ....ऊंचा सोचो ...बड़ा सोचो .........मौत चाहे ट्रक के नीचे आ के हुई चाहे ट्रेन के नीचे .........terrorist के bomb से हुई या पुलिस की गोली से .........ये सब तुम सोच सकती हो ....system के पास इतना टाइम नहीं है ...........सिस्टम अपने ढंग से काम करता है .........उसे करने दो ...............life is routine....... darling , जाओ चाय बनाओ ........खाम खाह की टेंसन मत लो ......और भी गम हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा .........श्रीमती जी चाय बना के लाई तो अपना चिंतन बदस्तूर जारी था .........यार ये नेता परेता जब अस्पताल जाते हैं,बम ब्लास्ट के बाद ,कुछ कहते होंगे ,अधिकारियों को दिशा निर्देश देते होंगे .... या बस यूँ ही TA ,DA बना के चले आते हैं ......राहुल बाबा पूरे दस मिनट रहे थे अस्पताल में ....क्या किया ????????? अब तो बताते हैं की बम्बई हमले के बाद सरकार ने बाकायदा महकमा बना दिया है .....ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए ........तो फिर उसमे कोई सिस्टम तो बनाया होगा न ......की जब बम फूटे तो ऐसा ऐसा करना .........घायलों से ऐसे निपटना .......लाशों को ऐसे निपटाना .........फिर भी उस बेचारे मास्टर को नंगा deliver कर दिया family को ........मरणोपरांत ............
श्रीमती जी भुन भुना रही थी .......चाय एकदम कडवी थी ...शायद पत्ती दो बार दाल दी .......शहीद का दर्ज़ा मिलना चाहिए इन लोगों को ....जो बेचारे मरे इन bomb blasts में .........सरकार को बाकायदा coffin में रख के ,तिरंगे में लपेट के घर पहुंचानी चाहिए dead body ......अरे जीते जी इज्ज़त न सही मरे आदमी की इज्ज़त तो होनी ही चाहिए ............मरने से तो नहीं बचा सकते ,पर मरने के बाद तो कुछ कर ही सकते हैं ..........मैंने उनसे कहा की बेगम ......देखो ...एक बात एकदम clear है ...इस बम ब्लास्ट में मेरा कोई हाथ नहीं है ........फिर तुम ये गुस्सा मेरे ऊपर क्यों उतार रही हो यार .....ऐसी चाय पिला के ..........नहीं ....हम यूँ ही बैठे नहीं रह सकते ...हाथ पे हाथ धर के ..........कुछ करना पड़ेगा हमें ...........हाँ ठीक कहती हो तुम .....कुछ करना पड़ेगा .........दुबारा बनानी पड़ेगी .........जाओ और खुद बना लो ..........मुझे पता लग गया था की बेगम का मूड खराब है .....सो उठे और चाय बनाने चल दिए ..........सरकार को अब समझ लेना चाहिए ................सावधान हो जाना चाहिए ......... बेगम का मूड खराब है ....
तो भैया ....आज सुबह की बात है .......अपन चाय की चुस्कियां लेते अखबार पढ़ रहे थे तो यूँ ही मुह से निकल गया ....रोक चुके आतंकवाद .......श्रीमती जी बोलीं तो तुम्ही रोक लो ........मैंने चश्मे के ऊपर से झाँका और बोला मेरे पास है एक नुस्खा आतंकवाद रोकने का .........वो क्या जनाब ??????? जिस प्रकार कबूतर द्वारा दोनों आँखें बंद कर लेने से बिल्ली भाग जाती है उसी प्रकार हम सभी लोग अगर अपनी दोनों आँखें बंद कर लें तो आतंकवाद भी भाग जाएगा .......वाह .......सुभान अल्लाह...... क्या बात कही है ....वाह ......क्या वाह वाह लगा रखी है ...ध्यान से सुनो ....अकेले बम्बई की लोकल ट्रेनों से कट के हर साल 350 आदमी मर जाते हैं ......पूरी रेलवे का आंकड़ा तो शायद 5000 के ऊपर चला जाएगा......... 100 -50 बम धमाके में मर गए तो कौन सी आफत आ गयी.......... road accidents में हज़ारों मर जाते हैं .......बाढ़ में डूब जाते हैं .......भूख से मर जाते हैं ......शीत लहर में मर जाते हैं ........गर्मी से मर जाते हैं .........माँ बाप मार देते हैं ( abortion करा के ) ,बाद में मार देते हैं घर की इज्ज़त के नाम पे .........फिर ये सौ पचास बम धमाके से मर गए तो इतनी हाय तोबा मचाने की क्या ज़रुरत है ........जिस प्रकार ऊपर वर्णित सभी प्रकार की मौतों को हमारे देश में सामजिक मान्यता मिली हुई है उसी प्रकार आतंकवाद से हुई मौतों को भी एक स्वाभाविक ,सामान्य,रूटीन घटना मान कर आगे बढ़ जाना चाहिए .......यही उचित है .......ये इन साले TV और अखबार वालों ने धंधा बना लिया है अपनी TRP और Readership बढाने का .......ज़रा सी कोई बात हो जाए तो महीनों लगे रहते हैं उसके पीछे ......
एक कोई पुराना स्कूल master मर गया उस दिन हाई कोर्ट के सामने .....अगले दिन उसकी बीवी और बेटी चिघाड़ रहे थे टीवी पे ......हाय हाय ....हमारे बाप की लाश देने के लिए भी 3500 मांग रहे थे अस्पताल वाले ........फिर भी 6 घंटे तक इंतज़ार करवाया ............जब हमने कहा की भैया जल्दी करो तो वो बोले ...ज्यादा जल्दी है तो घर चले जाओ ....कल आ जाना .......फिर प्राइवेट एम्बुलेंस वाला 1200 ले कर भाग गया ......6 घंटे बाद लाश मिली तो एकदम निपट नंगी .......अब साहब सरकार शर्माए या न शर्माए ....अस्पताल शर्माए या न शर्माए .......घरवाले शर्मा गए ..........उन्होंने पूछा ...अरे भैया कपडे क्या हुए ....वो तो ले गए पुलिस वाले .....फोरेंसिक जांच के लिए ........अब क्या करें ........करना क्या है ......जाओ कफ़न ले कर आओ .........अब कहाँ से लायें कफ़न ........पर खुदा का लाख लाख शुक्र है ........तभी न जाने कहाँ से एक आदमी प्रकट हुआ ........आदमी न था .......फ़रिश्ता था ..........वो बोला मै लाये देता हूँ कफ़न ....और उसने वो डेढ़ मीटर झीना सा कपडा जिसकी कीमत रही होगी ....यही कोई 50 रुपया .......सिर्फ 400 रु में दे दिया .......अब दोनों माँ बेटी उस दिन टीवी पर रो रही थी ....सहानुभूति बटोरने के लिए ..........और मेरी बीवी खामखाह इमोशनल हुई जा रही थी .......मैंने उसे समझाया ....देखो भाग्यवान ...बात को समझो .......सरकार के लिए , पुलिस के लिए ,अस्पताल के लिए , उस एम्बुलेंस वाले के लिए , उस कफ़न वाले के लिए ......और तो और इन टीवी वालों के लिए भी .......ये एक रूटीन matter है .......ये दोनों मां बेटी और तुम .....तुम लोग खाम खाह इसे personally ले रहे हो ...अरे भाई अस्पताल वाला हर dead body देने के 3500 लेता है ...सो उसने आज भी ले लिए .....ambulance वाला 1200 में क्या ता उम्र तुम्हारी वेट करेगा .......6 घंटे बाद वो चला गया .........कूल n सिम्पल .....पुलिस कपडे ले गयी .......लाश बेचारी नंगी हो गयी ......but darling .....this is routine .....अब कफ़न ले के क्या चिदंबरम आयेंगे ....या राहुल गांधी ........बाप साला तुम्हारा मरा ....कफ़न चिदंबरम कहाँ से लायेंगे .........अपनी सोच को थोडा बड़ा करो ....ये सब छोटी सोच का नतीजा है ......मनुष्य को सुख या दुःख अपनी सोच की वजह से ही होता है ....ऊंचा सोचो ...बड़ा सोचो .........मौत चाहे ट्रक के नीचे आ के हुई चाहे ट्रेन के नीचे .........terrorist के bomb से हुई या पुलिस की गोली से .........ये सब तुम सोच सकती हो ....system के पास इतना टाइम नहीं है ...........सिस्टम अपने ढंग से काम करता है .........उसे करने दो ...............life is routine....... darling , जाओ चाय बनाओ ........खाम खाह की टेंसन मत लो ......और भी गम हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा .........श्रीमती जी चाय बना के लाई तो अपना चिंतन बदस्तूर जारी था .........यार ये नेता परेता जब अस्पताल जाते हैं,बम ब्लास्ट के बाद ,कुछ कहते होंगे ,अधिकारियों को दिशा निर्देश देते होंगे .... या बस यूँ ही TA ,DA बना के चले आते हैं ......राहुल बाबा पूरे दस मिनट रहे थे अस्पताल में ....क्या किया ????????? अब तो बताते हैं की बम्बई हमले के बाद सरकार ने बाकायदा महकमा बना दिया है .....ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए ........तो फिर उसमे कोई सिस्टम तो बनाया होगा न ......की जब बम फूटे तो ऐसा ऐसा करना .........घायलों से ऐसे निपटना .......लाशों को ऐसे निपटाना .........फिर भी उस बेचारे मास्टर को नंगा deliver कर दिया family को ........मरणोपरांत ............
श्रीमती जी भुन भुना रही थी .......चाय एकदम कडवी थी ...शायद पत्ती दो बार दाल दी .......शहीद का दर्ज़ा मिलना चाहिए इन लोगों को ....जो बेचारे मरे इन bomb blasts में .........सरकार को बाकायदा coffin में रख के ,तिरंगे में लपेट के घर पहुंचानी चाहिए dead body ......अरे जीते जी इज्ज़त न सही मरे आदमी की इज्ज़त तो होनी ही चाहिए ............मरने से तो नहीं बचा सकते ,पर मरने के बाद तो कुछ कर ही सकते हैं ..........मैंने उनसे कहा की बेगम ......देखो ...एक बात एकदम clear है ...इस बम ब्लास्ट में मेरा कोई हाथ नहीं है ........फिर तुम ये गुस्सा मेरे ऊपर क्यों उतार रही हो यार .....ऐसी चाय पिला के ..........नहीं ....हम यूँ ही बैठे नहीं रह सकते ...हाथ पे हाथ धर के ..........कुछ करना पड़ेगा हमें ...........हाँ ठीक कहती हो तुम .....कुछ करना पड़ेगा .........दुबारा बनानी पड़ेगी .........जाओ और खुद बना लो ..........मुझे पता लग गया था की बेगम का मूड खराब है .....सो उठे और चाय बनाने चल दिए ..........सरकार को अब समझ लेना चाहिए ................सावधान हो जाना चाहिए ......... बेगम का मूड खराब है ....
bahut khoob ajit bhai maja aa gaya...hindi times me aapke sab lekhon/blogs ka swagat hai..
ReplyDeleteRakesh Tiwari
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