शुरू करने से पहले एक बात साफ़ कर दूं की इस पोस्ट को पढ़ के मुह में कड़वा सा स्वाद आ सकता है .........पे अपना कोई इरादा नहीं इसे शुगर कोट करने का .......इसलिए हजरात अपने रिस्क पे पढ़ें .........अपनी sensibilities की हिफाज़त खुद करें ......अपन जिम्मेवार नहीं हैं .........
एक लड़का सुनसान सड़क पे चला जा रहा था .....तभी कही से कोई बदमाश आ गया .......उस बेचारे को कालर से पकड़ लिया .......गालियाँ दी .....शायद एकाध झापड़ भी मारा ......ज़बरदस्ती उसकी जेब से पर्स निकाला ....उसमे से पचास का नोट ले गया .........लड़का चुप चाप घर चला आया .......किसी से कोई ज़िक्र नहीं किया .......घर वालों को पता चला तो उन्होंने भी बात दबा दी ....कौन पुलिस के झंझट में पड़े .....खाम खा बदनामी होगी ...........चलो 50 रु की ही तो बात है .......अब इतने बड़े हिंदुस्तान में .....120 करोड़ लोगों के देश में ऐसी हज़ारों घटनाएं रोजाना होती हैं .....पर लोग बाग़ दबा जाते हैं .........उधर लुटेरे मस्त हैं .....वो जानते हैं .......ऐश करो ....कुछ नहीं होगा ......
सो मसला ये है की वहाँ दिल्ली में और यहाँ टीवी पे चिहाड़ मची है ............. लड़के लडकियां चीख रहे हैं we want justice ......फांसी पे लटका दो . सब लोग कह रहे हैं की बलात्कार के मुजरिमों को फांसी होनी चाहिए .......... अब ये दिल्ली में जो उस लड़की के साथ हुआ वू वाकई बड़ा विभत्स था और निश्चित रूप से उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए .....तालिबानी या यूँ कहें की शरियत वाला संगसार करना चाहिए ......... पर कानून में बलात्कार के हर मुजरिम के लिए फांसी की सज़ा मुक़र्रर करना गलत होगा ......क्योंकि मैं ये मानता हूँ की रेप के जितने केस जो संज्ञान में आते है इनमे ज़्यादातर ......सब नहीं .......ज़्यादातर , फर्जी होते हैं . और जो असली रेप होते हैं वो तो खुद लड़की या उसके परिवार द्वारा दबा दिए जाते हैं ........सिर्फ वही मामले बाहर आते हैं जो दबाने लायक नहीं होते , या जिनमे पब्लिक involve हो जाती है .......या फिर जहां पीड़ित महिला और उसके परिवार वाले असाधारण हिम्मती होते हैं और पुलिस में पहुँच जाते हैं .......अन्यथा हमारा पूरा समाज और सिस्टम मामले को दबा देने की पूरी कोशिश करता है .
पिछले दिनों हरियाणा में gang rapes की बड़ी धूम रही .......महिना दो महिना पूरा महोत्सव चला गैंग रेप का ..........अखबार और टीवी ने खूब चांदी काटी ........ फिर एक बड़े पुलिस अधिकारी ने दबी जुबां में ये सच्चाई कहने की कोशिश की कि भैया ये मामल संदिग्ध है ......और ये कहते ही उस बेचारे पर टीवी का एंकर और महिला मोर्चा यूँ टूट पड़े जैसे बेचारे खरगोश पे कुत्ते टूट पड़ते हैं .......उस बेचारे पुलिस वाले ने और मुख्य मंत्री ने दुम दबा ली ......फिर वो सारे लड़के अन्दर कर दिए गए ...सामूहिक बलात्कार की संगीन धाराएं लगा कर .........जबकि सच ये है की लड़की उनमे से एक या कुछ लड़कों को जानती थी , और अपनी सहमती से उनके साथ मौज मस्ती कर रही थी .....जब किसी ने देख लिया , या घर वालों को पता लग गया तो मामला रेप का बना दिया गया ...........ज्यादा तर मामलों में लड़की और उन लड़कों की कॉल डिटेल से पता लगा की लड़की उनसे लगातार संपर्क में थी .......उसने खुद उन्हें बुलाया ........पर अब जब मामला सामूहिक बलात्कार का बन ही गया तो दे दो लड़कों को फांसी .......we want justice ........
एक और किस्सा है गैंग रेप का ........दिल्ली में दो विदेशी लडकियां उतरीं .....काश्मीर जाना था घूमने .....उन्हें वहाँ एक लड़का टकर गया और उसने उन्हें पटा लिया की वो उनका पूरा इंतज़ाम होटल और गाडी वगैरा सस्ते में arrange कर देगा ........वो उन दोनों को श्रीनगर ले गया ....वहाँ उसने एक और दोस्त के साथ मिल के उन दोनों को एक सस्ते से होटल में ठहरा दिया .....एक इंडिका गाडी में लेह घुमा लाया और सवा लाख का बिल बना दिया .........इस बीच लड़कियों को ये अहसास हो गया की उन्हें तो ठग लिया गया है .....ये पूरा टूर तो 20-25 हज़ार में निपट जाता .....उन दोनों लड़कियों ने उन दोनों लड़कों को सबक सिखाने और पैसे वापस वसूलने की नीयत से अब उन दोनों को पटा लिया और दिल्ली वापस ले आयीं .........दो दिन् मौज मस्ती की .....फिर थाने पहुँच गयी .....लो जी गैंग रेप हुआ है .....करो कार्यवाही ..........लटकाओ फांसी पे .....we want justice ......on india gate ...........उस दिन एक panelist ने दबी ज़बान में कह दिया की कुछ select मामलों में फांसी दी जा सकती है सबमे नहीं ..........और वो महिला मंडल की शेरनी उस बेचारे पे टूट पड़ी ....सेलेक्ट मामले ??????? HOW CAN U DIFFERENTAITE TWO RAPES .......RAPE IS RAPE .
दरअसल ये रेप का मामला ही बड़ा पेचीदा है .........पहला तो ये की कानून में इसकी परिभाषा ही बड़ी गलत है ......उस दिन मैं नेट पे पढ़ रहा था .....रेप की परिभाषा ........आधा चैप्टर पढ़ते पढ़ते मैं पूरी तरह हड़क गया ......सामने बैठी धर्म पत्नी टीवी देख रही थी .......मुझे लगा की अगर आज मैं जेल में नहीं हूँ तो ये इस शरीफ औरत की दरियादिली है .......वर्ना अपन तो सारी जिंदगी जेल में सड़ जाते ........फिर मुझे ये भी इल्हाम हुआ की चलो बेटा आज तक तो बच गए पर कल की क्या गारेंटी है ....न जाने कब पकडवा दे .......मारो साले को ....इसने रेप किया है ........आप रेप को कानून में पढ़ लीजिये .....मेरा ये दावा है की अगर उसे पूरी तरह लागू कर दिया तो दस साल से ऊपर का हर लड़का जेल में ही होगा ......और अगर ये INDIA GATE वालों की चल गयी तो फांसी पे लटक जायेगा .......ये तो हुआ इसका कानूनी पहलू .....अब इसका सामाजिक पहलू .........दरअसल रेप के साथ भारतीय समाज में एक बहुत बड़ा stigma ( इसे हिंदी में क्या लिखेंगे ? ) जुड़ा हुआ है . रेप से हुआ शारीरिक और मानसिक संत्रास बड़ा भयावह होता है ......पर कोई लड़की अगर इसे रिपोर्ट करती है तो जो त्रास उसे और उसके परिवार को झेलना पड़ता है वह उस ACTUAL ACT से हज़ारों गुना ज्यादा कष्टकारी होता है ..............ज़रा कल्पना कीजिये .....उस लडकी की जगह खुद को बैठा दीजिये थोड़ी देर ........आपके साथ इतनी बड़ी ज्यादती हो गयी .......किसी तरह आप गिरते पड़ते घर पहुंचे ........माँ को बताया .....माँ तो बेचारी सुन के ही आधी मर जाएगी .......बाप को पता लगा .......हरामजादी .....तू वहाँ गयी ही क्यों थी .......कल से इसका घर से निकलना बंद करो ........लो जी स्कूल कॉलेज बंद ........भाइयों को पता लगा तो वो बेचारे तो शर्म से मर जायेंगे ..........मैं ऐसे एक परिवार को जानता हूँ जहां एक लड़की से रेप हुआ और पूरे परिवार ने ही सोसाइटी से withdraw कर लिया ...........शहर छोड़ के चले गए .......फिर पूरे समाज की चीरती आँखें ........ताने फिकरे ........थाने में पुलिस वाले पहले तो आपको समझायेंगे कि छोड़ो जाने दो । फिर मुजरिम से पैसे ले के अपनी जेब गरम ........ अगर आप FIR लिखाने पे अड़ गए तो पूरा process इतना लम्बा , humiliating होता है की आपकी हिम्मत टूट जाती है , लड़ने की ......फिर सालों साल लटकते मुक़दमे .......वकीलों की जिरह .... फिर भी क्या guarantee है कि सजा होगी ही
याद है ? वो लड़का जिसका 50 का नोट लूट लिया था ......अब उसे अगर पता हो कि इसकी FIR लिखा के उस लुटेरे को सज़ा दिलाने के चक्कर में लाखों चले जायेंगे तो वो कभी भी थाने नहीं जायेगा .........अगर संभव हुआ तो मामले को दबा देगा ......कौन जानता है की जेब में पचास का नोट कम है ........यकीन मानिए सचमुच के रेप cases में ज़्यादातर लोगों की approach यही होती है ......... इसलिए ज़्यादातर मामले तो सामने नहीं आते ........और जो आते हैं उनमे ज़्यादातर फर्ज़ी होते हैं ..........उन दिनों मेरी पोस्टिंग मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में थी .....एक मित्र थे वकील .....सार दिन उनके चैम्बर में बैठकी होती थी .......उनके ज़्यादातर मुक़दमे रेप के ही थे .........मैंने पूछा ये क्या चक्कर है ....रेप के इतने केस .....वो हंस के बोले .......हाँ ....यहाँ सिर्फ रेप ही होता है .....दरअसल वहाँ के गावों में एक चीज़ बड़ी प्रचलित थी .....जिसे फ़साना हो .......जिससे हिसाब किताब बराबर करना हो उसे रेप में फसा दो .........कुछ नहीं तो साल 10 साल कचहरी के चक्कर तो मरेगा .........और लोगबाग वहाँ इंडिया गेट पे मरे जा रहे हैं ......फांसी दो ..........
दिल्ली में जो उस लड़की के साथ हुआ , ह्रदय विदारक था .....विभत्स था .........इसके लिए तो फांसी भी कम है .....पर मान लिया कि कानून बन ही गया ....और जज ने फांसी लिख भी दी .....तो क्या गारंटी है ......प्रतिभा पाटिल जैसी कोई महा महिम माफ़ कर देगी .......जी हाँ , मोहतरमा जाते जाते 5 rapists को माफ़ कर गयी हैं ......उनमे दो तो ऐसे थे जिन्होंने एक जेल में सज़ा कटते हुए जेल के ही एक वार्डर की तीन साल की बच्ची का रेप के बाद मर्डर कर दिया था ........ फिर भी पता नहीं क्यों महामहिम को दया आ गयी ........
दिल्ली का एक बड़ा ही मजेदार और सच्चा किस्सा है ........ पूना की एक महिला जो दिल्ली से माल ले जा के बेचती थी ....उसने अपने एक wholesale supplier से दोस्ती कर ली ........फिर उसके मार्फ़त उसी लाइन के तीन और से भी उसकी दोस्ती हो गयी .......धीरे धीरे उसने सबसे रिश्ते बना लिए .........साल छह महीने बाद उसने एक पार्टी दी ....... चारों को बुलाया ..........खूब मौज मस्ती हुई .......वो बोली यार ऐसे नहीं .......तुम चारों मुझे रेप करो .....मेरी तो ये fantasy है .......मेरे हाथ पाँव यूँ bed से बाँध दो ........हाँ अब चारों मेरे कपडे फाड़ो ......मै रो गिडगिडा के बोलूंगी .....प्लीज़ मुझे छोड़ दो ........ सुबह बेचारी गरीब अबला नारी सारे प्रूफ ले के थाने पहुँच गयी ..........लो जी हो गया रेप .....करो कार्यवाही .......वो चारों आये ....मामला एक करोड़ में निपटा ........75 बेचारी गरीब अबला ले गयी , 25 थानेदार ...........जब वो चली गयी तो थानेदार बोला .....जाओ बेटा ....सस्ते में छूट गए ......अगर वो मुझसे पहले मिल लेती तो 4 करोड़ में पड़ते .........
CONTINUED ........
एक लड़का सुनसान सड़क पे चला जा रहा था .....तभी कही से कोई बदमाश आ गया .......उस बेचारे को कालर से पकड़ लिया .......गालियाँ दी .....शायद एकाध झापड़ भी मारा ......ज़बरदस्ती उसकी जेब से पर्स निकाला ....उसमे से पचास का नोट ले गया .........लड़का चुप चाप घर चला आया .......किसी से कोई ज़िक्र नहीं किया .......घर वालों को पता चला तो उन्होंने भी बात दबा दी ....कौन पुलिस के झंझट में पड़े .....खाम खा बदनामी होगी ...........चलो 50 रु की ही तो बात है .......अब इतने बड़े हिंदुस्तान में .....120 करोड़ लोगों के देश में ऐसी हज़ारों घटनाएं रोजाना होती हैं .....पर लोग बाग़ दबा जाते हैं .........उधर लुटेरे मस्त हैं .....वो जानते हैं .......ऐश करो ....कुछ नहीं होगा ......
सो मसला ये है की वहाँ दिल्ली में और यहाँ टीवी पे चिहाड़ मची है ............. लड़के लडकियां चीख रहे हैं we want justice ......फांसी पे लटका दो . सब लोग कह रहे हैं की बलात्कार के मुजरिमों को फांसी होनी चाहिए .......... अब ये दिल्ली में जो उस लड़की के साथ हुआ वू वाकई बड़ा विभत्स था और निश्चित रूप से उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए .....तालिबानी या यूँ कहें की शरियत वाला संगसार करना चाहिए ......... पर कानून में बलात्कार के हर मुजरिम के लिए फांसी की सज़ा मुक़र्रर करना गलत होगा ......क्योंकि मैं ये मानता हूँ की रेप के जितने केस जो संज्ञान में आते है इनमे ज़्यादातर ......सब नहीं .......ज़्यादातर , फर्जी होते हैं . और जो असली रेप होते हैं वो तो खुद लड़की या उसके परिवार द्वारा दबा दिए जाते हैं ........सिर्फ वही मामले बाहर आते हैं जो दबाने लायक नहीं होते , या जिनमे पब्लिक involve हो जाती है .......या फिर जहां पीड़ित महिला और उसके परिवार वाले असाधारण हिम्मती होते हैं और पुलिस में पहुँच जाते हैं .......अन्यथा हमारा पूरा समाज और सिस्टम मामले को दबा देने की पूरी कोशिश करता है .
पिछले दिनों हरियाणा में gang rapes की बड़ी धूम रही .......महिना दो महिना पूरा महोत्सव चला गैंग रेप का ..........अखबार और टीवी ने खूब चांदी काटी ........ फिर एक बड़े पुलिस अधिकारी ने दबी जुबां में ये सच्चाई कहने की कोशिश की कि भैया ये मामल संदिग्ध है ......और ये कहते ही उस बेचारे पर टीवी का एंकर और महिला मोर्चा यूँ टूट पड़े जैसे बेचारे खरगोश पे कुत्ते टूट पड़ते हैं .......उस बेचारे पुलिस वाले ने और मुख्य मंत्री ने दुम दबा ली ......फिर वो सारे लड़के अन्दर कर दिए गए ...सामूहिक बलात्कार की संगीन धाराएं लगा कर .........जबकि सच ये है की लड़की उनमे से एक या कुछ लड़कों को जानती थी , और अपनी सहमती से उनके साथ मौज मस्ती कर रही थी .....जब किसी ने देख लिया , या घर वालों को पता लग गया तो मामला रेप का बना दिया गया ...........ज्यादा तर मामलों में लड़की और उन लड़कों की कॉल डिटेल से पता लगा की लड़की उनसे लगातार संपर्क में थी .......उसने खुद उन्हें बुलाया ........पर अब जब मामला सामूहिक बलात्कार का बन ही गया तो दे दो लड़कों को फांसी .......we want justice ........
एक और किस्सा है गैंग रेप का ........दिल्ली में दो विदेशी लडकियां उतरीं .....काश्मीर जाना था घूमने .....उन्हें वहाँ एक लड़का टकर गया और उसने उन्हें पटा लिया की वो उनका पूरा इंतज़ाम होटल और गाडी वगैरा सस्ते में arrange कर देगा ........वो उन दोनों को श्रीनगर ले गया ....वहाँ उसने एक और दोस्त के साथ मिल के उन दोनों को एक सस्ते से होटल में ठहरा दिया .....एक इंडिका गाडी में लेह घुमा लाया और सवा लाख का बिल बना दिया .........इस बीच लड़कियों को ये अहसास हो गया की उन्हें तो ठग लिया गया है .....ये पूरा टूर तो 20-25 हज़ार में निपट जाता .....उन दोनों लड़कियों ने उन दोनों लड़कों को सबक सिखाने और पैसे वापस वसूलने की नीयत से अब उन दोनों को पटा लिया और दिल्ली वापस ले आयीं .........दो दिन् मौज मस्ती की .....फिर थाने पहुँच गयी .....लो जी गैंग रेप हुआ है .....करो कार्यवाही ..........लटकाओ फांसी पे .....we want justice ......on india gate ...........उस दिन एक panelist ने दबी ज़बान में कह दिया की कुछ select मामलों में फांसी दी जा सकती है सबमे नहीं ..........और वो महिला मंडल की शेरनी उस बेचारे पे टूट पड़ी ....सेलेक्ट मामले ??????? HOW CAN U DIFFERENTAITE TWO RAPES .......RAPE IS RAPE .
दरअसल ये रेप का मामला ही बड़ा पेचीदा है .........पहला तो ये की कानून में इसकी परिभाषा ही बड़ी गलत है ......उस दिन मैं नेट पे पढ़ रहा था .....रेप की परिभाषा ........आधा चैप्टर पढ़ते पढ़ते मैं पूरी तरह हड़क गया ......सामने बैठी धर्म पत्नी टीवी देख रही थी .......मुझे लगा की अगर आज मैं जेल में नहीं हूँ तो ये इस शरीफ औरत की दरियादिली है .......वर्ना अपन तो सारी जिंदगी जेल में सड़ जाते ........फिर मुझे ये भी इल्हाम हुआ की चलो बेटा आज तक तो बच गए पर कल की क्या गारेंटी है ....न जाने कब पकडवा दे .......मारो साले को ....इसने रेप किया है ........आप रेप को कानून में पढ़ लीजिये .....मेरा ये दावा है की अगर उसे पूरी तरह लागू कर दिया तो दस साल से ऊपर का हर लड़का जेल में ही होगा ......और अगर ये INDIA GATE वालों की चल गयी तो फांसी पे लटक जायेगा .......ये तो हुआ इसका कानूनी पहलू .....अब इसका सामाजिक पहलू .........दरअसल रेप के साथ भारतीय समाज में एक बहुत बड़ा stigma ( इसे हिंदी में क्या लिखेंगे ? ) जुड़ा हुआ है . रेप से हुआ शारीरिक और मानसिक संत्रास बड़ा भयावह होता है ......पर कोई लड़की अगर इसे रिपोर्ट करती है तो जो त्रास उसे और उसके परिवार को झेलना पड़ता है वह उस ACTUAL ACT से हज़ारों गुना ज्यादा कष्टकारी होता है ..............ज़रा कल्पना कीजिये .....उस लडकी की जगह खुद को बैठा दीजिये थोड़ी देर ........आपके साथ इतनी बड़ी ज्यादती हो गयी .......किसी तरह आप गिरते पड़ते घर पहुंचे ........माँ को बताया .....माँ तो बेचारी सुन के ही आधी मर जाएगी .......बाप को पता लगा .......हरामजादी .....तू वहाँ गयी ही क्यों थी .......कल से इसका घर से निकलना बंद करो ........लो जी स्कूल कॉलेज बंद ........भाइयों को पता लगा तो वो बेचारे तो शर्म से मर जायेंगे ..........मैं ऐसे एक परिवार को जानता हूँ जहां एक लड़की से रेप हुआ और पूरे परिवार ने ही सोसाइटी से withdraw कर लिया ...........शहर छोड़ के चले गए .......फिर पूरे समाज की चीरती आँखें ........ताने फिकरे ........थाने में पुलिस वाले पहले तो आपको समझायेंगे कि छोड़ो जाने दो । फिर मुजरिम से पैसे ले के अपनी जेब गरम ........ अगर आप FIR लिखाने पे अड़ गए तो पूरा process इतना लम्बा , humiliating होता है की आपकी हिम्मत टूट जाती है , लड़ने की ......फिर सालों साल लटकते मुक़दमे .......वकीलों की जिरह .... फिर भी क्या guarantee है कि सजा होगी ही
याद है ? वो लड़का जिसका 50 का नोट लूट लिया था ......अब उसे अगर पता हो कि इसकी FIR लिखा के उस लुटेरे को सज़ा दिलाने के चक्कर में लाखों चले जायेंगे तो वो कभी भी थाने नहीं जायेगा .........अगर संभव हुआ तो मामले को दबा देगा ......कौन जानता है की जेब में पचास का नोट कम है ........यकीन मानिए सचमुच के रेप cases में ज़्यादातर लोगों की approach यही होती है ......... इसलिए ज़्यादातर मामले तो सामने नहीं आते ........और जो आते हैं उनमे ज़्यादातर फर्ज़ी होते हैं ..........उन दिनों मेरी पोस्टिंग मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में थी .....एक मित्र थे वकील .....सार दिन उनके चैम्बर में बैठकी होती थी .......उनके ज़्यादातर मुक़दमे रेप के ही थे .........मैंने पूछा ये क्या चक्कर है ....रेप के इतने केस .....वो हंस के बोले .......हाँ ....यहाँ सिर्फ रेप ही होता है .....दरअसल वहाँ के गावों में एक चीज़ बड़ी प्रचलित थी .....जिसे फ़साना हो .......जिससे हिसाब किताब बराबर करना हो उसे रेप में फसा दो .........कुछ नहीं तो साल 10 साल कचहरी के चक्कर तो मरेगा .........और लोगबाग वहाँ इंडिया गेट पे मरे जा रहे हैं ......फांसी दो ..........
दिल्ली में जो उस लड़की के साथ हुआ , ह्रदय विदारक था .....विभत्स था .........इसके लिए तो फांसी भी कम है .....पर मान लिया कि कानून बन ही गया ....और जज ने फांसी लिख भी दी .....तो क्या गारंटी है ......प्रतिभा पाटिल जैसी कोई महा महिम माफ़ कर देगी .......जी हाँ , मोहतरमा जाते जाते 5 rapists को माफ़ कर गयी हैं ......उनमे दो तो ऐसे थे जिन्होंने एक जेल में सज़ा कटते हुए जेल के ही एक वार्डर की तीन साल की बच्ची का रेप के बाद मर्डर कर दिया था ........ फिर भी पता नहीं क्यों महामहिम को दया आ गयी ........
दिल्ली का एक बड़ा ही मजेदार और सच्चा किस्सा है ........ पूना की एक महिला जो दिल्ली से माल ले जा के बेचती थी ....उसने अपने एक wholesale supplier से दोस्ती कर ली ........फिर उसके मार्फ़त उसी लाइन के तीन और से भी उसकी दोस्ती हो गयी .......धीरे धीरे उसने सबसे रिश्ते बना लिए .........साल छह महीने बाद उसने एक पार्टी दी ....... चारों को बुलाया ..........खूब मौज मस्ती हुई .......वो बोली यार ऐसे नहीं .......तुम चारों मुझे रेप करो .....मेरी तो ये fantasy है .......मेरे हाथ पाँव यूँ bed से बाँध दो ........हाँ अब चारों मेरे कपडे फाड़ो ......मै रो गिडगिडा के बोलूंगी .....प्लीज़ मुझे छोड़ दो ........ सुबह बेचारी गरीब अबला नारी सारे प्रूफ ले के थाने पहुँच गयी ..........लो जी हो गया रेप .....करो कार्यवाही .......वो चारों आये ....मामला एक करोड़ में निपटा ........75 बेचारी गरीब अबला ले गयी , 25 थानेदार ...........जब वो चली गयी तो थानेदार बोला .....जाओ बेटा ....सस्ते में छूट गए ......अगर वो मुझसे पहले मिल लेती तो 4 करोड़ में पड़ते .........
CONTINUED ........
baap re bap
ReplyDeleteसही कहा असली रेप बदनामी के डर से दबा दिया जाता हैँ क्या करे सिस्टम ही ऐँसा हैँ एक काम कर सकते हो और हैँ अंत मेँ अफसोस ।
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