एक दफे एक लेखक टाइप आदमी हुआ करते थे अपने मुल्क में , मुंशी प्रेम चंद . कहानी वहानी कुछ लिखा करते थे . सुना है बड़े फेमस हुए हैं अपने टाइम में . उनकी कुछ कहानियाँ मैंने भी पढ़ी हैं .आज मुझे यूँ ही ख्याल आया कि बड़े अच्छे समय से हो के मर खप गए मुंशी जी . आज होते तो बड़े जूते पड़ते . गली कूचे में , चौराहे पे , सड़क पे , हर जगह पिटते . लोग बाग़ घेर के मारते . घर से निकाल के मारते . रोज़ थाने जाते .उम्र मुक़दमे लड़ते और सफाइयां देते बीत जाती . नौकरी से ससपेंड हो जाते . वो यूँ कि कहानी लिखते थे . अब आदमी कहानी लिखेगा तो भैया उसमे एक हीरो होगा , एक हिरोइन होगी , कोई एक भिलेन भी होगा . अब हीरो सवर्ण होगा या दलित होगा , या OBC होगा . कमबख्त कुछ तो होगा . हिन्दू होगा या मुसलमान होगा . हीरो है तो कुछ तो करेगा ही कहानी में . आजकल दिक्कत ये है कि हीरो कुछ भी करेगा तो लेखक पिटेगा . अगर हीरो दलित है तो वो बाभन की लड़की से प्रेम करेगा .बाभन भिलेन बन जाएगा . वो डैलोग मारेगा ..........साले चमारिया .....तेरी ये हिम्मत .......तू बाभन की लड़की से आँख लड़ाता है ......अब यही से बवाल शुरू हो जाएगा .........दलित सब सड़क पे , मायावती आगे आगे ........लेखक महोदय अन्दर .........
थाने में थानेदार समझाएगा कि साले क्यों हमारी नौकरी खराब कर रहा है ........कुछ और काम धंधा कर ले , ये कहानी लिखनी जरूरी है . अच्छा एक काम कर , ये डायलोक चेंज कर दे . इसे यूँ लिख ..........भाई साहब आप ब्राह्मण की लड़की से अफेयर मत चलाओ , अपनी caste की कोई लड़की ढूंढ लो ..........अपना प्रेम चंद मायूस हो जायेगा .......अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देगा ..............साले दिलाऊं तुझे स्वतंत्रता ........दंगा भड़काने के जुर्म में अन्दर जाएगा , साल भर जमानत नहीं होगी .......फिर वहीं , जेल में ही घूमना ......स्वतंत्र . .......... अच्छा यूँ कर दे , लड़का भी दलित , लड़की भी दलित .....प्रेम हुआ ,शादी हुई .....दो तीन बच्चे हुए ,कहानी ख़तम . सब कुछ प्रेम से निपट जायेगा ....शहर में दंगा तो नहीं होगा .
लेखक परेशान है ......लिखे तो क्या लिखे ............बनाए तो क्या बनाए .......... अब हीरो , हिरोइन , भिलेन की कोई जात बिरादरी धर्म सम्प्रदाय तो होगा ही ......... ये तीनों कुछ भी करेंगे , कोई न कोई तो आहात होगा ही ........किसी न किसी की भावना को तो ठेस पहुंचेगी ही ........अब अगर आतंकवादी दिखाना है तो क्या नाम रखे ......संजीव कुमार रख देंगे तो RSS , बीजेपी नाराज , करीम भाई रख दिया तो नितीश कुमार , मुलायम सिंह , लालू परसाद , ओवैसी साहब सब नाराज , माइकल डी कोसटा रख नहीं सकते . अब अफगानिस्तान में आतंकी गुफा में बैठ के नमाज़ पढ़ रहा है ............ थानेदार समझा रहा है .......देखो भैया प्रेम चंद , स्टोरी को चेंज करो .....इसमें दिखाओ की आतंकवादी नागपुर में भगवा पहन के हवन कर रहा है ...........
प्रेम चंद जी सारा माजरा समझ गए ....घर आये ......उन्होंने नयी कहानी लिखी ............उसमे एक हीरो है , शहर में नया आया है , गूंगा बहरा है इसलिए कोई उसका नाम नहीं जानता , पैंट शर्ट पहनता है .....सो न कोई नाम , न जात बिरादरी , न धर्म . कोई उल्टा सीधा काम नहीं करता . नौकरी करता है , सीधे घर जाता है , TV देखता है , सो जाता है .बेचारा सारी जिंदगी इसके अलावा कुछ नहीं करता .....इस डर से की कहीं कोई नाराज़ न हो जाए .........
समझे भैया .......... अब अपने मुल्क में यही कहानी लिखी जायेगी ....इसी पे फिल्म बनेगी ....कम से कम कोई नाराज़ तो नहीं होगा ...........अमन चैन कायम है ....स्थिति तनाव रहित और नियंत्रण में है
थाने में थानेदार समझाएगा कि साले क्यों हमारी नौकरी खराब कर रहा है ........कुछ और काम धंधा कर ले , ये कहानी लिखनी जरूरी है . अच्छा एक काम कर , ये डायलोक चेंज कर दे . इसे यूँ लिख ..........भाई साहब आप ब्राह्मण की लड़की से अफेयर मत चलाओ , अपनी caste की कोई लड़की ढूंढ लो ..........अपना प्रेम चंद मायूस हो जायेगा .......अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देगा ..............साले दिलाऊं तुझे स्वतंत्रता ........दंगा भड़काने के जुर्म में अन्दर जाएगा , साल भर जमानत नहीं होगी .......फिर वहीं , जेल में ही घूमना ......स्वतंत्र . .......... अच्छा यूँ कर दे , लड़का भी दलित , लड़की भी दलित .....प्रेम हुआ ,शादी हुई .....दो तीन बच्चे हुए ,कहानी ख़तम . सब कुछ प्रेम से निपट जायेगा ....शहर में दंगा तो नहीं होगा .
लेखक परेशान है ......लिखे तो क्या लिखे ............बनाए तो क्या बनाए .......... अब हीरो , हिरोइन , भिलेन की कोई जात बिरादरी धर्म सम्प्रदाय तो होगा ही ......... ये तीनों कुछ भी करेंगे , कोई न कोई तो आहात होगा ही ........किसी न किसी की भावना को तो ठेस पहुंचेगी ही ........अब अगर आतंकवादी दिखाना है तो क्या नाम रखे ......संजीव कुमार रख देंगे तो RSS , बीजेपी नाराज , करीम भाई रख दिया तो नितीश कुमार , मुलायम सिंह , लालू परसाद , ओवैसी साहब सब नाराज , माइकल डी कोसटा रख नहीं सकते . अब अफगानिस्तान में आतंकी गुफा में बैठ के नमाज़ पढ़ रहा है ............ थानेदार समझा रहा है .......देखो भैया प्रेम चंद , स्टोरी को चेंज करो .....इसमें दिखाओ की आतंकवादी नागपुर में भगवा पहन के हवन कर रहा है ...........
प्रेम चंद जी सारा माजरा समझ गए ....घर आये ......उन्होंने नयी कहानी लिखी ............उसमे एक हीरो है , शहर में नया आया है , गूंगा बहरा है इसलिए कोई उसका नाम नहीं जानता , पैंट शर्ट पहनता है .....सो न कोई नाम , न जात बिरादरी , न धर्म . कोई उल्टा सीधा काम नहीं करता . नौकरी करता है , सीधे घर जाता है , TV देखता है , सो जाता है .बेचारा सारी जिंदगी इसके अलावा कुछ नहीं करता .....इस डर से की कहीं कोई नाराज़ न हो जाए .........
समझे भैया .......... अब अपने मुल्क में यही कहानी लिखी जायेगी ....इसी पे फिल्म बनेगी ....कम से कम कोई नाराज़ तो नहीं होगा ...........अमन चैन कायम है ....स्थिति तनाव रहित और नियंत्रण में है
nice punch !!!
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