Monday, February 18, 2013

इतनी बड़ी डील में दान दहेज़ तो चलता ही है

                                         कल अखबार में छप ही गया . वैसे छुपता भी कब तक .सच को बाहर तो आना ही होता है . समय से ताज़ा ताज़ा बाहर आ जाए तो ठीक वरना सड़ के बाहर आता है .बहुत बुरा महकता है तब .सो कल अखबार में सच छाप गया की 2005 में इटली के राष्ट्रपति जी जब भारत आये थे तभी सब घोटाला हुआ हेलीकाप्टर में . अब यूँ तो मैं हूँ तो बड़ा कमीना आदमी पर  यकीन मानिए , कमीने से कमीने आदमी में भी अंतरात्मा होती है . वो भी कभी तो सच बोल ही देता है . सो आज पूरा सच उगल दूंगा .
                                  और सच ये है की ये हेलीकाप्टर घोटाला में अपना पूरा हाथ है .हम ही सब किया हूँ . वो इटली का राष्ट्रपति जब आया था तो उसका सब आदमी लोग हमसे ही मिला था . और मिलता भी किस से . हमारे अलावा और कौन मदद कर सकता था या प्रभाव डाल सकता था . दरअसल इटली से हमरा पुराना सम्बन्ध रहा है . बचपन से ही प्रेम था इटली से . इतना प्रेम था के बचपन में खूब इटली दोसा खाते थे . खाते रहे .वो तो बहुत साल बाद हमरा भरम टूटा . जब हम एक जगह एक प्लेट इटली मांगे तो हमारे साथ जो स्कूल की  लडकी बैठी थी वो बोली , धत्त पागल ,  इटली थोड़े हे होता है ....... इसे तो इडली कहते हैं .......और अपना तो दिल ही टूट गया . उसके बाद ज़िन्दगी में कभी इडली को हाथ नहीं लगाया . जिसे इतने प्रेम से इटालियन डिश  समझ के खाते रहे वो तो घटिया मद्रासियों का , चावल का घोल निकला . उन दिनों इतना आक्रोश था मेरे मन में की मुझे अगर कानून की जानकारी होती तो मैं इन रेस्तौरेंट वालों को मिलते जुलते भ्रामक नाम रख के धोखा देने और पैसे ठगने का मुकदमा कर देता . खैर फिर मैंने पूरी रिसर्च कर के ओरिजिनल इटालियन डिश खोजी , पिज्जा ....और उसे खाना शुरू किया .दिन रात सुबह शाम .....य्य्य्य्य्ये पिज़्ज़ा पे पिज़्ज़ा ...इतनी दीवानगी थी इटली के प्रति ......पता लगा की godfather इटालियन माफिया पे लिखी गयी है तो सौ बार पढ़ डाली . godfather  फिल्म के तीनों भाग सैकड़ों बार देख मारे .सो इटली से हमारा सीधा सीधा भावनात्मक रिश्ता है सदियों पुराना . उस दिन जब राष्ट्रपति जी आये वहाँ से तो बोले , यार अजीत सिंह किसी तरह रिश्ता करवाओ .....तुम्हारी तो इतनी चलती है यहाँ ....मैंने खीसें निपोरते हुए कहा , क्यों शर्मिन्दा कर रहे हैं ...... जाइये हो जाएगा ....... सो बिचौलियों ने लडकी दिखाई .....दान दहेज़ तय हुआ ....और रिश्ता तय हो गया .......
                                  अब ये साला एक टुच्चा सा अखबार है , पीछे पडा है .......और ये CAG वाले .......ये साले किसी का घर बसते नहीं देख सकते . अब शादियों में दान दहेज़ तो चलता ही है . कानून का क्या है .कानून तो हर चीज़ के लिए बने हैं . और देखो भाई हमने तो लड़के और लडकी वालों को मिलवा भर दिया . और इतना भर कह दिया की लडकी अच्छी है . अब उन लोगों में क्या बात हुई , कितना दान दहेज़ लिया दिया , कितना माल मत्ता इधर उधर हुआ हमें नहीं पता . हम ठहरे एक नंबर के ईमानदार शरीफ और त्यागी किस्म के आदमी . हमको या हमारे बच्चों को या उनके यारों दोस्तों को इसमें नहीं लपेटना चाहिए .

















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