Sunday, June 2, 2013

स्वर्ग सी ...........खूबसूरत......... मनाली

                                                       बहुत पहले जब बनारस से जालंधर शिफ्ट हुए तो मोटर साईकिल गाँव में पडी थी . उसे जालंधर ले जाना था .धर्म पत्नी से झूठा वादा किया की बनारस से बुक करा दूंगा ट्रेन में . गाँव से चला और चलाता हुआ सीधे जालंधर  ले आया . वो मेरी पहली यात्रा थी , लम्बी , बाइक से .बड़ा मज़ा आया और चस्का लग गया .फिर उसके बाद धर्म पत्नी को पीछे बैठा के कई टूर मारे . एक बार तो तपती गर्मी में , जून के महीने में हम दोनों जालंधर से बनारस गए . इन दिनों यहाँ पंजाब से अक्सर हिमाचल में डलहौजी , मनाली और धर्मशाला मैक्लोडगंज के चक्कर लगते रहते हैं . मुझे अपने पहली मनाली यात्रा याद आती है .
                                 बड़ा नाम सुना था मनाली का . मेरे एक घुमक्कड़ मित्र फ़िदा थे मनाली पे .........उसकी शान में कसीदे पढ़ा करते थे ........देव भूमि ....स्वर्ग ....और न जाने क्या क्या ......... हम दोनों मियाँ बीवी अपने पल्सर से निकले . होशियारपुर , कांगड़ा , पालमपुर , मंडी होते हुए मनाली पहुंचे . गर्मियों का सीज़न था . यात्रा इतनी लम्बी थी की बुरी तरह थक गए . भुंतर आ के रास्ता पूछा तो लोगों ने दो रास्ते बताये . पहला NH और दूसरा नग्गर होता हुआ state highway . पर उस भाई ने हमें ये बताया की स्टेट हाईवे सुनसान और खतरनाक है सो आप NH से ही जायें . सो हम NH पे हो लिए . कुल्लू पहुँचते पहुँचते 8 बज चुके थे . मुझे होटल के कमरे की चिंता सताने लगी थी . मनाली के होटलों का अंदाजा था मुझे . सो हमने उस रात कुल्लू में ही रुकने का फैसला किया . रास्ते में पड़ने वाले हर होटल को देखा . कहीं कमरा नहीं मिला . ऊपर से NH पे काम चल रहा था .जगह जगह टूटा हुआ था . बुरा हाल था . किसी तरह गिरते पड़ते मनाली पहुंचे . वहाँ किसी तरह होटल मिला . दो हज़ार में . यूँ मैं इतने गंदे और घटिया कमरे के सौ रु भी न देता पर भैया सड़क पे रात बिताना संभव न था . धर्म पत्नी चूंकी इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ के खानदान से ताल्लुक रखती हैं सो उनका तो उस कमरे को देखते ही पारा चढ़ चुका था . वो कमरे को कम और मुझे ज्यादा कोस रही थीं . खैर ....नहा धो के बाहर निकले .....सामने मेन  मार्किट थी .....वहाँ का नज़ारा देख के तो होश उड़ गए ....... हावड़ा स्टेशन से निकली लोकल ट्रेन की  भीड़ का दृश्य उपस्थित था .........बाप रे बाप ....... इतनी भीड़ ....... पहली समस्या थी भोजन .........यूँ भी मनुष्य की मूल समस्या है तो भोजन ही ........वहाँ सामने बोर्ड लगा था chawla chicken  .......ये एक ऐसा नाम है जहां उत्कृष्ट स्वाद और गुणवता की गारंटी होती है , देश भर में ......सो हम निश्चिन्त हो अन्दर घुस गए . पर कमबख्त मनाली शहर ने यहाँ भी धोखा दे दिया .......गंदे घटिया माहौल में घटिया भोजन ......चावला चिकन के नाम पे कलंक ..........बहार आये .....घटिया गुलाब जामुन खाए ........हावड़ा स्टेशन की भीड़ में आधा घंटा टहले ............भड़ास निकाली ........ कितने चूतिया लोग हैं हिन्दुस्तान में .........साले गर्मियों में मनाली चले आते हैं ............घूमने ..........और कमरे में जा के सो गए . 

                                                सुबह उठे ....बैग उठाया ........नाश्ता किया और निकल लिए .........सोलंग वैली गए ...वहाँ घंटा भर रुके ....चलो जी ....हो गया टूरिज्म मनाली का .....निकलो .........भारी बुझे मन से वापस निकले ....वापसी  में निर्णय किया की नग्गर वाले रोड से चलेंगे .........रोड बढ़िया था और खाली था ...नाम मात्र का ट्रैफिक था ........मूड कुछ ठीक हुआ ......सामने रोड पे बार बार एक नाम आ रहा था .....YES  family restaurant ......हमें लगा कोई हिमाचली परिवार अपने घर में खाना खिलाता होगा ...बार बार बोर्ड पढ़ा तो उत्सुकता जगी ......भूख लगी ही थी ..........सोचा चलो खाना खा ही लेते हैं ........पूछा तो पता लगा की आगे खखनाल गाँव में है .......वहाँ रोड के किनारे बाइक लगाई ........पता लगा की नीचे इस पगडंडी नुमा रास्ते पे कोई दो सौ मीटर आगे है ......आगे घने सेब के बगीचे के बीच से होते हुए वहाँ पहुंचे .....अच्छा  खासा घर था ....गेट बंद था ...खटखटाया ....कोई जवाब न मिला ....खुद ही  खोल के अन्दर चले गए ......वहाँ समझ आया की नीचे घर है और ऊपर restaurant . ऊपर पहुंचे तो एक श्री मान जी निकले ....अँगरेज़ थे ........DANIEL ......खाना मिलेगा .....हाँ हाँ ज़रूर मिलेगा ..........आइये आइये ........restaurant खाली पडा था ....सुनसान .......अन्दर गए ...एक बेहद खूबसूरत हॉल से होते हुए बाहर बरामदे में आये ..........वहाँ सामने Valley में मनाली लेटी हुई थी ........वो मनाली जिसकी खोज में हम निकले थे .......... शांत , सुन्दर ....स्वर्ग सी सुन्दर मनाली .........वो मनाली , जिसे देख के मेरा वो दोस्त आशिक हो गया था ...सामने दूर तक फैली वादी में सेब के बाग़ लहलहा रहे थे ..........नीचे ब्यास नदी थी और उसके उस पार वो हरी  भरी पहाड़ियां और उनके ऊपर वो बर्फ से ढके चांदी से चमकते पहाड़ ......यूँ मानो साक्षात् स्वर्ग धरती पे उतर आया था ........वो नयनाभिराम दृश्य आँखों में समा नहीं रहा था .....वहाँ danial साहब ने दो आधुनिक टेलिस्कोप लगा रखे थे .........हम दोनों कुर्सियों पे जम गए ........ और निहारने लगे खूबसूरत मनाली को ........और मैंने धर्मपत्नी को घोषणा कर दी .....मिल गयी मनाली ....वापसी कैंसिल .......danial ने बताया की भोजन में समय लगेगा ....हमने कहा कोई बात नहीं .........आर्डर दिया .....बेगम ........ तुम निहारो मनाली को ....मैं अभी आया ......... गाँव में घुसते हुए मैंने एक होम स्टे का बोर्ड पढ़ लिया था ....वहाँ उस घर तक गया .......बंद पडा था . जीवन का कोई नामो निशाँ न था ..........आवाज़ लगाई .....कुछ नहीं ....बाहर निकला तो एक महिला दिखी ....हीरा .......उस से पूछा ...पता लगा की बाहर गए हैं .....कोई और है ऐसा घर ???????? जी नहीं ....बड़ी निराशा हुई ..........कमरा चाहिए क्या ? हाँ चाहिए तो ............. उसने बड़ा सकुचाते हुए कहा देखिये यूँ मेरे घर में एक कमरा तो है ......... पर देख लीजिये ...अगर आपको पसंद आ जाए तो .............भगवान् कसम , अपना तो दिल बाग़ बाग़ हो गया ..........उस बेचारी  के घर में एक ही कमरा था कायदे का ......... जिसे वो ड्राइंग रूम , और गेस्ट रूम के रूप में इस्तेमाल करते थे .....साफ़ सुथरा , खूबसूरत सा .........कितने पैसे लोगी ?????? जो आप उचित समझें .........मैंने बहुत सोच समझ के कहा .......डेढ़ सौ रुपया ....वो बोली ....अजी कहाँ मिलेगा डेढ़ सौ रु में कमरा ......और ऊपर से दो लोग का खाना भी  ......दो सौ लगेंगे कम से कम ........मेरे तो दिल में लड्डू फुट रहे थे , पर अब मैं भी एक कमीने धूर्त दुष्ट हिन्दुस्तानी की  तरह फ़ैल गया ........ठीक है , दो सौ मिलेंगे पर भोजन में आपको रोजाना लिंग्डी और दुसरी जंगली देसी साग भाजी खिलानी पड़ेगी ........और वो ख़ुशी खुशी  मान गयी ............ मैं विजयी भाव से इठलाता हुआ वापस पहुंचा , धर्म पत्नी के पास ........ यूँ मानो अश्व मेध यज्ञ से लौटा हूँ ..........और मैंने उसे अपनी विश्व विजय का शुभ समाचार सुनाया ......कसम से , अगर उस दिन उसके पास धूप बत्ती की थाली रही होती तो वो मेरी आरती उतारती ......कहाँ वो गंदा सा दो हज़ार का कमरा और कहाँ ये दो सौ में  भोजन समेत ....

                                     खाना तैयार था .और उस दिन हमने अपने जीवन का सबसे स्वादिष्ट शाही पनीर खाया . हम वहाँ तीन चार घंटे रुके रहे . बेहतरीन कॉफ़ी पी . डेनियल की  जन्म कुंडली बांची . पता लगा की श्री मान जी स्विट्ज़रलैंड के हैं ....बरसों पहले आये थे ........मनाली की ख़ूबसूरती पे ऐसे मुग्ध हुए की यहीं बस गए . कुल्लू की एक स्थानीय लडकी से शादी कर ली ....ज़मीन खरीदी और ये रेस्टोरेंट बना दिया Yes family restaurant ........हम वहाँ तीन चार घंटे रहे ......कोई झाँकने तक ना आया ....बस एक कुक था और डेनियल .......उस दौरान जनाब डेनियल एक क्षण  भी बैठे नहीं ....कुछ न कुछ करते रहे .....बढ़िया शानदार केक बनाया .....बेहद स्वादिष्ट ..........काफी पिलाई ........धर्मपत्नी बोली ....इस साले के पास एक ग्राहक नहीं फिर भी इतना बिजी ......आने दी सेल नहीं ....24 घंटे वेळ नहीं ........इतनी शानदार जगह और एक भी ग्राहक नहीं ......... यूँ ही हज़ार झंझट थे हमारी ज़िन्दगी में ....एक और आ गया ....ये कमबख्त डेनियल का रेस्टोरेंट .....इस बेचारे ने इतना शानदार रेस्टोरेंट बनाया ....जहां कोई नहीं आता ........ हमें चिंता हो गयी .....कुछ दिन में बंद हो जाएगा ....ताला लग जाएगा ........फिर हमने उन चूतिये हिन्दुस्तानियों को गरिआया जो वहाँ उस नर्क सी मनाली में पड़े हैं और यहाँ ये स्वर्ग सी जगह खाली पडी है ...........और हमने बड़े भारी बुझे मन से Yes family restaurant को श्रद्धांजली देते हुए विदा ली .........शाम को पुनः आने का वादा करते हुए ........उस शाम फुटबाल का वर्ल्ड कप शुरू हो रहा था ....और डेनियल ने हमें इनवाईट किया था ....हम अपने कमरे में पहुंचे .....कुछ देर आराम किया .......... शाम को हीरा के घर लिंग्डी के साग की दावत थी ...........

                                               सात बजे डेनियल के पास पहुंचे तो दृश्य बदला हुआ था ........चालीस अंग्रेजों का एक भरा पूरा ग्रुप वहाँ पसरा हुआ था .....जश्न का माहौल था ....TV की बड़ी स्क्रीन पे शकीरा वाका वाका पे ठुमक रही थी .......पता चला की यहाँ यूँ ही शाम को महफ़िल जमती है .........और डेनियल मियाँ लाख पचास हज़ार  का धंदा कर लेते हैं .........एक अँगरेज़ का average बिल दो ढाई हज़ार का हो जाता है जबकि हम जैसे भुक्खड़ हिन्दुस्तानी चार छे सौ में हांफने लगते हैं ..........हम दोनों ने सुख की सांस ली ....मानो दिल से कोई बोझ उतर गया हो .........मैंने उन चूतिया हिन्दुस्तानियों को गरिआया और कोटिशः धन्यवाद दिया .......अच्छा  है , साले यहाँ नहीं आते .......अगर आने लगे तो इसे भी नर्क कर देंगे ..........हम लोग हफ्ता भर वहाँ खखनाल गाँव में जमे रहे .........हीरा और उसकी सास रोजाना बड़े चाव से हमें स्थानीय साग सब्जियां , जंगल से तोड़ के लाती और खिलाती थी ....उनके घर में भी हफ्ता भर जश्न का माहौल रहा . उनका मोटा चावल हमें भाता नहीं था सो हमने उन्हें दो किलो बासमती ला दिया ..........उस एक हफ्ते में हमने पूरा कुल्लू मनाली छान मारा अपनी  मोटर साईकिल पे ........

                                              अब भी हर साल जाते हैं मनाली हम लोग ......वहाँ उसी सड़क पे एक और जुगाड़ ढूंढ लिया है , जगत सुख गाँव में ....जहां ऑफ सीजन में दो सौ में शानदार कमरा मिल जाता है ....DOMIA PALACE में .........डेनियल ने अब रेस्टोरेंट के साथ चार कमरे भी बना लिए हैं ........थोड़े महंगे हैं ....पर शानदार हैं .......हीरा का परिवार मज़े में है ........स्वर्ग सी खूबसूरत मनाली भी मज़े में है .........
                                                                                 















2 comments:

  1. अजीत जी कुछ चित्र तो डाल देते....

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  2. प्रवीण जी ...ये यात्रा कोई 6 साल पुरानी है .......फोटो खींची होगी याद नहीं ....वैसे अब मेरे जीवन का ये एक लक्ष्य है की जल्दी ही एक ऐसा फोन ले लूं जिसमे ठीक ठाक सा कैमरा हो ............कई लोग कह चुके हैं .......फोटो होती तो मज़ा आता .....धन्यवाद

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