Thursday, September 19, 2013

BIGBOSS का आध्यात्म और दर्शन .......

                                                        मैं लगभग 50  का हो चला हूँ और आम भाषा में मेरे जैसे लोग खडूस कहलाते हैं और जो मेरी सोच और विचारधारा है उस से कई बार मुझे स्वयं लगता है की मैं वाकई बेहद खडूस किस्म का आदमी हूँ .....बहुत जिद्दी .....अपनी पसंद दूसरों पर थोपने वाला ..........दूसरों की पसंद को बिलकुल भी सम्मान न देने वाला ..........जो मुझे पसंद है बस वही अच्छा है और बाकी सब कूड़ा है .......और इस बेबाक स्वीकारोक्ति से मुझे कोई परहेज़ नहीं है .........अब पसंद नापसंद की बात चली है तो इसका और खुलासा करता हूँ ....घर में DISH TV है ...........अंग्रेज़ी फिल्में 401  से शुरू होती हैं .....फिर उसके आगे NEWS एंड INFORMATION .......डिस्कवरी NGC इत्यादि ............सो अपना तो टीवी ही 400  से शुरू होता है ......और जो आदमी मुझे 400  से नीचे टीवी देखता मिल जाए मैं उसकी तरफ ऐसे देखता हूँ मानो वो कोई अत्यंत घिनौना काम कर रहा है .........कितना गलीच आदमी है ........मन ही मन दांत पीसता हूँ और यदि सचमुच मुझे कोई ऐसा संवैधानिक अधिकार मिल जाए तो मै वाकई उसे C ग्रेड सिटीजन घोषित कर दूं ......... और जीवित रहने के अतिरिक्त अन्य सारे अधिकारों से वंचित कर दूं ...............ऐसा कोई भी व्यक्ति जो 400 के नीचे टीवी देखता है वह मनुष्य के शरीर में पशु है ऐसा मेरा मानना है

                                                अब चूंकि सोशल मीडिया में अब तक तो बोलने लिखने की आज़ादी है ( आगे का पता नहीं ) इसलिए आज खुल के लिख रहा हूँ . पर आप मेरी बातों को अन्यथा बिलकुल न लें ....मैं अपनी औकात अच्छी तरह जानता हूँ ............और ज़्यादातर  अपने कपड़ों में ही रहता हूँ ..........धर्म पत्नी चूंकि पिछले 24 बरस से साथ रह रही हैं इसलिए काफी हद तक सुधर गयी हैं .........उनका टीवी भी ज़्यादातर 400 से ही शुरू होता है ....कभी कभार स्त्री सुलभ जन्म जात instincts की वजह से यदि 400 से नीचे चली भी जाती हैं तो मैं बहला फुसला के , मान मनव्वल कर के पुनः 400 पे ले आता हूँ . तात्कालिक परिस्थितियों के अनुरूप कई बार जब वो भारी पड़ जाती हैं और मेरी छाती पर सवार हो जाती हैं तो बर्दाश्त भी करना पड़ता है .......... यकीन मानिए ........मैंने आज तक जीवन में जो भी लाफ्टर चैलेंज या घटिया हिंदी फिल्में थोड़ी बहुत देखी हैं  वो धर्म पत्नी के दुष्प्रभाव और कुसंगत के कारण ही देखी हैं ..........परन्तु जैसा की ज़िन्दगी का खेल है .......आदमी का अच्छा समय ही हमेशा नहीं रहता .....कभी बुरा वक़्त भी आता है ........और मेरा बुरा वक़्त तब शुरू होता है जब कभी कभार मेरी साली साहिबा ...धर्म पत्नी की छोटी बहन , पधार जाती हैं ........ यूँ तो वो बेहद संवेदनशील जीव जंतु हैं परन्तु TV दर्शन के मामले में .....क्या बताऊँ ....उनका टीवी 100 नंबर से शुरू होता है और 250 पे ख़तम हो जाता है .........पिछले हफ्ते पधारीं ....बड़ी excited थीं ....मैंने पूछा ऐसा क्या हुआ .........बोलीं आज से BIGBOSS शुरू हो रहा है .........मेरे लिए इस से बुरी खबर कोई हो नहीं सकती थी .........मैंने पूछा ......... हे प्रभु किन पापों की सज़ा दे रहे हो .........मेरा मन किया की धरती फट जाए और मैं उसमे समा जाऊं .....खैर एक सहन शील प्राणी की तरह कलेजे पे पत्थर रख लिया और अपने दिल को यूँ बहलाया की बुरा वक़्त कोई हमेशा थोड़े रहता है .........वक़्त अच्छा भी आयेगा नासिर .....गम न कर , ज़िन्दगी पडी है अभी ..........अपन ने सोच लिया की चलो हम एक घंटा और नेट पे बिता लेंगे ........पर किस्मत में कुछ और ही लिखा था .....जोर का आंधी तूफ़ान आया ..........बिजली चली गयी ....खम्बे उखड गए .........इन्टरनेट बंद हो गया ........बुरा वक़्त अकेले नहीं आता ........TV पे BIGBOSS शुरू हुआ ....... एक तो होस्ट ही ऐसा आदमी था जिसकी शक्ल मैं एक मिनट नहीं देख सकता ............उसे तीन घंटा बर्दाश्त करना ........हे राम .......ऊपर से उनके एक से एक CONTESTENTS .......एक मोहतरमा स्किन टाइट पाजामी के ऊपर ब्रा पहन कर घूम रही थी घर भर में .........धर्म पत्नी ने बड़े गर्व से और बड़े ही निर्विकार भाव से बताया की नहीं ये ब्लाउज है ........मुझे ये समझ आया की आर्थिक मंदी के ज़माने में ड्रेस डिज़ाईनर ने या तो ब्रा का खर्चा बचा लिया है या ब्लाउज का .........भारत सरकार को सीखना चाहिए ...........पूरे तीन घंटे मैं कलेजे पे पत्थर रख के BIGBOSS देखता रहा .........मुझे तो बड़ा ही आध्यात्मिक कार्य क्रम लगा .............बहरहाल मुझे ये समझ आया की स्वर्ग नर्क सब कर्मों का फल है ......पापों का फल अवश्य मिलता है .....स्वर्ग नर्क सब यहीं है इसी धरती पे है ....और आपको स्वर्ग नर्क सब इसी जीवन में भोगना है ...........और ये की हमारे जालंधर शहर में जो ये सौ सौ मारले के प्लाट पे बने हुए आलीशान भवन हैं .....जिनमे हर कमरे में AC लगा है ....प्लास्मा टीवी है .........शानदार स्विमिंग पूल है , ये स्वर्ग है ........और ये तमाम लोग जो छोटे घरों में रहते हैं , हैण्ड पाइप से पानी लेते हैं , जिनके घरों में INDIAN STYLE के संडास हैं , वो जो बाल्टी में पानी ले कर मग से नहाते हैं , और जो ज़मीन पे बिस्तर बिछा के सौ रु वाली चादर पे सोते हैं .......वो नर्क है ......

                                                                  BIGBOSS  हिन्दी टीवी के फूहड़ कार्यक्रमों में चैम्पियन है . दर्शनरति या वोयेरिज्म और परपीडनरति इसके मुख्य आधार हैं . इसका मुख्य सन्देश यह है कि साधारण लोग पिंजड़ावासी जानवरों के मानिंद होते हैं , जिन पर ऐसे लोगों की हुकूमत बिलकुल वाजिब है , जो BIGBOSS जैसे ताकतवर हों .इसका सीधा धोबीपाट सन्देश यह है बदरंग दीवारें , अभाव , जमीनी बिस्तरें , भारतीय शौचालय , बाहर के नल का पानी --- ये तमाम चीजें जो करोड़ो साधारण निम्न मध्यवर्गीय हिन्दुस्तानी की ज़िंदगी है , असल में , नरक की ज़िंदगी हैं. यह गरीबी और गरीबों के साथ घिनौना मज़ाक है .यह असल में ''गरीबी पाप है '' की अमरीकी विचारधारा को सब के गले उतारने की कोशिश है .

 note : इस पोस्ट को लिखने की तात्कालिक प्रेरणा अपने फेसबुक मित्र श्री आशुतोष कुमार जी के स्टेटस अपडेट से मिली जिसे मैंने अंतिम पैराग्राफ में , बिना उनकी आज्ञा लिए हूबहू चेप दिया है 





1 comment:

  1. बहुत ही सटीक व तीक्ष्ण व्यंग.....!!!

    ReplyDelete