Monday, August 8, 2011

सावधान .......गहरा अंधा कुआँ है वहाँ ....

मेरी पिछली 3 पोस्ट्स पंजाब के ऊपर थी ....उन्हें पढ़ के बहुत से प्रश्न मेरे युवा मित्रों ने पूछे ........एक ने तो ये भी पूछा की फिर bhindraan waale का क्या हुआ ....इस पोस्ट का औचित्य क्या है .....क्या हम पुराने ज़ख्मों को कुरेद रहे हैं ........दोस्तों गलती करना बुरा नहीं .....हम अपनी गलतियों से ही सीखते हैं ....पर उन गलतियों को दोहराना नहीं चाहिए .......मैंने लिखा है की जिंदा कौमें अपनी गलतियों से सीखती हैं ....क्या सीखा हमने अपनी गलतियों से ???? उन दिनों भी मैं पंजाब में था ........अब भी हूँ .........मुझे साफ़ दिख रहा है ....बारूद के ढेर पर बैठा है पंजाब .......सिर्फ एक चिंगारी चाहिए .........तब निरंकारियों से झगडा था ....अब सच्चा सौदा वाले हैं ....तब बाबा गुरबचन सिंह थे ....अब गुरमीत राम रहीम सिंह हैं .....आशुतोष महाराज हैं ........रविदास वाले हैं .........मुद्दे वही हैं .......सच्चा सौदा वाले अनुयायी भी बहुसंख्यक सिख ही हैं ...वही झगडा है ......सिख कहते हैं 11th गुरु नहीं हो सकता ....सच्चा सौदा वाले कहते हैं क्यों नहीं हो सकता ....हम रहे ......वो कहते हैं कोई इसके पास मत जाओ इसको गुरु मत मानो ....चेले कहते हैं हम तो भाई मानेंगे ...अब चेलों की संख्या लाखों में है ........कम से कम 10 बार इनमे बड़ा संघर्ष हो चुका है ........कई बार तो curfew भी लगाना पड़ा है ......... राम रहीम के चेले अपना सत्संग करते हैं ...नाम चर्चा कहते हैं उसे .......पूरे देश में कहीं भी नाम चर्चा होती है तो सिख वहां पहुँच जाते हैं ....नहीं होने देंगे ........वो कहते हैं करेंगे ...रोक के दिखाओ .........आखिर ये उनका मूल अधिकार है .......फुन्दमेंतल राईट है ......रोजाना का scene है ये पंजाब में .........यही झगडा रविदासियों के साथ है ....ये कहते हैं की तुम्हारे मंदिर गुरुद्वारे में ग्रन्थ साहब है सो वहां उनके बगल में कोई गुरु बैठ के प्रवचन नहीं करेगा ....वो कहते हैं ज़रूर करेगा .....ये झगडा भी पुराना है ....पिछले साल वहां vienna में सिखों ने एक रविदास गुरु की ह्त्या कर दी .....पूरा पंजाब जलता रहा 5 दिन .......अब रविदास वाले कहते हैं की ठीक है तुम्हे ग्रन्थ साहब के बगल में हमारे गुरु के बैठने से आपत्ति है न ....ये लो हम अपने मंदिर गुरुद्वारे में ग्रन्थ साहब रखते ही नहीं .......और उन्होंने नई किताब लिख ली अपने लिए .......अब फिर बवाल ....ग्रन्थ साहब को कैसे हटा सकते हो .......इसपे रविदासी समाज भी दो फाड़ हो गया है ......ऐसा ही झगड़ा आशुतोष महाराज से है ....ब्यास वाले राधा स्वामियों से है ........मूल मुद्दा पूजा पद्धति को ले के है ...........इसका परिणाम क्या हुआ ...5 साल पहले पहली बार एक सिख समागम में सरेआम banor poster लगे जहां bhindraa waale के फोटो लगे थे ....खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे .....कांग्रेस की सरकार थी ...अमरेन्द्र सिंह CM थे ......फिर ये आम बात हो गयी ......आज कल जहाँ भी सिख समागम होते हैं खूब गुणगान होता है उसका ...........खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं .....और पहले तो interior गाँव में होता था ...अब तो जलंधर लुधियाना में होता है ...........फिर दो साल पहले गाड़ियों के पीछे bhindraan waale की तस्वीरें भाला लिए.....AK 47 लिए दिखने लगीं ......नीचे पंजाबी में लिखा होता ....लगदा है फेर आना पउ ....यानी .....लगता है की फिर आना पड़ेगा .....ये सब क्या है .........ak 47 लिए ये आदमी किसको धमका रहा है की लगता है फिर आना पड़ेगा ......सिखों की गाडियों के पीछे तलवार और भाले और AK 47 की फोटो आम हो गयी .....हर तीसरी गाडी के पीछे ये पोस्टर दिखने लगा .....आपको क्या लगता है ...ये सिर्फ मुझे ही दिखाई देता है .........हम लोग अपने घरों में चर्चा करते हैं इसकी .......तो क्या बाकी लोग नहीं करते होंगे ......पर कोई बोलता कुछ नहीं .......आज तक किसी अखबार में इसकी चर्चा नहीं हुई ...किसी न्यूज़ चैनल ने इसपे कुछ नहीं बोला .....शायद मैं पहला आदमी हूँ इस देश में जो इसपे आज लिख रहा है .......कुछ बुद्धिजीवियों से चर्चा की मैंने ...तो वो बोले की जैसे ही इसपे लिखना या बोलना शुरू करेंगे ....ये बहुत तेज़ी से बढेगा ........ आज कम स कम 10 ऐसे बाबा हैं जो सरेआम जहर उगल रहे हैं interior areas में ....उनकी recordings सुनते हैं लड़के अपने mobiles में ...सब नई उम्र के लड़के है 15 से 25 वाले ........वो जिन्होंने वो दौर नहीं देखा .......... पिछले साल BJP ने जो पंजाब सरकार में पार्टनर है ....उसने CM से बात की सख्ती से ..........तो सभी गाड़ियों से वो पोस्टर और AK 47 की फोटो उतरवाई गयी ...........पर भैया मेरे....... सिर्फ गाडी से फोटो उतरी है .....दिल से कैसे उतरेगी ???????? जहां भी सच्चा सौदा की नाम चर्चा होती है ...बवाल होता है ....जहाँ भी आशुतोष महाराज ( ये नाम है उसका ...मैं कोई श्रद्धा वश महाराज नहीं लिख रहा हूँ ) का प्रोग्राम होता है curfew की नौबत आ जाती है ........ये वैचारिक संघर्ष है ....इसे आप पुलिस लगा के कब तक रोक लोगे ..........विचार का मुकाबला विचार से ही हो सकता है ........पर उसके लिए आपको समाज में एक स्वस्थ बहस छेड़नी पड़ेगी ........सिखों की एक body है ....SGPC ...जो उनके सभी गुरुद्वारों का संचालन करती है ........शिरोमणि अकाली दल की सत्ता और संगठन का वो मूल स्त्रोत है ....पिछले 5 साल से कांग्रेस बड़ी बेशर्मी से उसमे फूट डालने की कोशिश कर रही है .........अकाली दल को कमज़ोर करने के लिए ........यही काम इन्होने तब किया था ....bhindraan waale को खड़ा किया था ....अकालियों को कमजोर करने के लिए .......दिल्ली और हरियाणा में परमजीत सिंह सरना गुट को खड़ा कर के वहां से sgpc का आधिपत्य ख़तम कर दिया है .......पूरे देश के सिख इसे अपने धार्मिक मामलों में दखलंदाजी मानते हैं और इस मुद्दे को ले कर बेहद नाराज़ हैं ........
सवाल ये उठता है की हमने अपनी पिछली गलतियों से क्या सीखा ..........सिखों की नाराज़गी के जो मुद्दे ....उनकी जायज़ या नाजायज़ ....जो भी मांगे आज से 30 साल पहले थीं ...उनमे से एक का भी हल नहीं निकला ........चाहे वो चंडीगढ़ का मसला हो ....या पानी का मसला हो ......भाषा का मसला हो .......पंजाबी भाषी areas के merger का मसला हो .....या 84 के दंगा पीड़ितों को न्याय या pension या पुनर्वास का मसला हो... एक भी मुद्दा हल नहीं हुआ ......जो गलतियाँ मुल्क ने 30 साल पहले की थीं वही आज फिर दोहराई जा रही हैं ......मेरा दादा गाँव के बाहर वाले कुए में गिर के मरा था ....मेरे बेटे को ये पता ही नहीं है ...वो बेचारा ये जानता ही नहीं की वहां झाड़ियों के पीछे कोई गहरा कुआ भी है ......और वो सरपट दौड़ा चला जा रहा है उसी दिशा में ..........और मै कितना मूर्ख हूँ की मैंने आज तक उस कुए को ढकने का .....बंद करने का, कोई उपाय नहीं किया ....अपने बेटे को बताया तक नहीं की वहां कोई कुआ भी है .......पंजाब में सिखों के बच्चों का एक वर्ग फिर bhindraan waale को हीरो के रूप में देख रहा है ........उसकी पुरानी recordings सुन रहा है .........वो बच्चा बेचारा नादान है ...वो नहीं जानता की वो क्या कर रहा है .........उसे ये बताने की ज़रुरत है की असलियत क्या है भाई .......देख पहले भी ऐसा ही हुआ था ....देख क्या नतीजा हुआ था उसका .........सबको सारी हकीकत मालूम होनी चाहिए .........सरकार से आप क्या आशा करते हैं ....इन सालों ने तो हमेशा से अपनी सत्ता बचाने या पाने के लिए देश को बेचा है .........फिर बेच रहे हैं ...आगे भी बेचेंगे ........कोई भी आन्दोलन होगा ........जिस से इनको दिक्कत होगी .....उसे ये गलत तरीके से handle करेंगे ....गलत तरीके से कुचल देंगे ....मूल समस्या को एड्रेस नहीं करेंगे ........फिर वो चाहे खालिस्तान मोवेमेंट हो या आज का भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना और बाबा का मोवेमेंट हो ........इनकी handling गलत ही क्यों होती है ..........सिखों की जायज़ मांगों को लम्बे समय तक हल न करने का ही नतीजा था पंजाब का आतंकवाद .........क्या ये इसी तरह corruption movement को भी handle नहीं कर रहे ???????? दुनिया की किसी भी समस्या का हल है education .....सबको शिक्षित करो ......बताओ क्या है ?????? कैसे है ???????? क्यों है ??????? एक स्वस्थ बहस होने दो देश में ..........after all we are human beings ...हर आदमी अपना भला ही चाहता है .......हमें पता लगना चाहिए की हमारा भला बुरा क्या है ...........







Sunday, August 7, 2011

सोने का शहर ....जैसलमेर

दोस्तों ....कल मैं जैसलमेर में था ......पहली बार जैसलमेर 10 साल पहले आया था ....कल फिर आया .........जब पहली बार आया था तो एक दोस्त के साथ था .....एक गाइड ने बस यूँ ही घुमा दिया था ....कल अकेला सारा दिन घूमता रहा और समूचा जैसलमेर घूमा ....वाह .....क्या बात है .......शहर क्या है बस यूँ समझ लीजे ....पत्थर पे कविता लिखी है किसी ने .......सुन्दरता के पैमाने होते हैं सबके .....जैसे कुछ लोग सिर्फ गोरे रंग को ही सुन्दरता मान बैठते हैं ....पर असली सुन्दरता तो होती है भैया नैन नक्श में .....एक लड़की होती थी किसी ज़माने में हमारे साथ ......काली थी .......सांवली नहीं ,काली थी एकदम तवे जैसी ......पर क्या ग़ज़ब की सुन्दरता दी थी भगवान् ने उसे .....क्या नैन नक्श थे .....क्या चाल ढाल थी .....क्या गाती थी ....और थी भी बेहद intelligent .........यूँ समझ लीजे ...पूरा शहर मरता था उस पे ......एक दिन अचानक खबर आयी की शादी कर ली उसने .....हम तीन चार दोस्त बैठे थे उस समय ......धक्का सा लगा हम सबको ........तो जैसलमेर कुछ यूँ ही है .....बेहद खूबसूरत ........सोने से नहाया सा ......अब सोने की सुन्दरता तो होती ही है ....पर जो नैन नक्श हैं जैसलमेर के ....वाह .....वाह ...क्या बात है ...भाषा में शब्द कम पड़ जाते हैं उसका बखान करने के लिए .........सारी दुनिया को ताज महल बहुत अच्छा लगता है...... पर बच गए आगरे वाले .....अगर जैसलमेर कहीं दिल्ली के नज़दीक होता तो आज आगरे वाले भीख मांगते .......सारा शहर पीले रंग के sand stone से बना है ......वो पत्थर जैसलमेर के इर्द गिर्द ही पाया जाता है .....शहर के बीचों बीच एक किला है बड़ा सा ......दूर से यूँ लगता है भोंडा सा ........पर उसके अन्दर जाओ तो समझ आता है उसका सौंदर्य ........उसके बड़े बड़े slabs ......बिना किसी मसाले के बस यूँ ही एक के ऊपर एक रख के वो किला बनाया गया है .........और उसमे एक महल ....कई सारे मंदिर ...और ढेरों मकान है ....किला क्या है ...पूरा शहर है जनाब .......5000 लोग रहते हैं अब भी उसमे .......और उस किले के अन्दर ...उन भवनों के ऊपर जो नक्काशी है .......वाह ....लाजवाब ....इतनी बारीक ...इतनी खूबसूरत .......हर घर की जो सामने वाली दीवार है ......उसपे पूरी नक्काशी हैं .......झरोखे कहते हैं उन्हें ......ताज महल की नक्काशी तो पानी भरती है उसके सामने .......और ऐसे हज़ारों घर हैं ....मंदिर हैं ...महल हैं...... हवेलियाँ हैं ......छतरियां हैं ...और बहुत से सार्वजनिक भवन हैं ........सब एक से एक लाजवाब.......एक और खासियत है यहाँ की वास्तु कला में ..........पत्थर को पोलिश नहीं किया गया है ..........बस यूँ ही रख दिया है .....वहां एक gate है बहुत बड़ा ...हवा पोल कहते हैं ......उसके नीचे - चबूतरे बने है ....खूब हवा लगती है वहां इसलिए लोग बैठे रहते हैं वहां ....अब 1000 साल से लोग बैठ रहे हैं उन पे सो पत्थर घिस घिस के पोलिश हो गया है ....खूब चमक गयी है ......उस पत्थर को सहला के देखा मैंने ....संगमरमर बहुत मुलायम होता है ....उसका स्पर्श बहुत soft होता है ....इसी लिए उसे संग मर्मर कहा गया है .......संग माने पत्थर और मर्मर माने मुलायम ......पर जैसलमेर का ये sand stone मुझे मकराने के संग मर्मर जितना ही मुलायम लगा .....फिर भी भवन निर्माण में इसे पोलिश कर के नहीं लगाया गया है ....फिर भी उन भवनों में गज़ब का सौंदर्य है .......अब शहर में जो नए मकान बन रहे हैं इसी पत्थर से ...वो सब मशीन से कट के पोलिश हो के रहे हैं ...पर वो बात कहाँ जो उन पुराने अनगढ़ पत्थरों में है ........किले में - जैन मंदिर हैं ....... बाहर से एकदम सपाट हैं .....यूँ ही भोंडे से .........पर अन्दर जाने पर तो यूँ लगता है की मानो साक्षात इश्वर ने ही बनाया होगा .........किले के बाहर शहर में हवेलियाँ हैं पुरानी ....पटवों की हवेली ...सालम सिंह की हवेली और नाहर सिंह की हवेली ........आँखों में समाता नहीं है उनका सौंदर्य ....... किले के ऊपर दीवारों पर पुरानी तोपें रखी हैं ...वहां अब view point बन गए है ......वहां से चढ़ के नीचे देखा तो देखता रह गया .........नीचे नया शहर बसा हुआ था .......यूँ लगा मानो किसी ने वहां दूर ज़मीन पे कोई खूबसूरत पेंटिंग बना रखी है ...........जिला प्रशासन ने इस बात का ख्याल रखा है की शहर में बनने वाली हर इमारत शहर की पारंपरिक निर्माण कला के अनुरूप हो .......इस से पूरा शहर एक कलाकृति सा लगता है
अब ये तो बात हुई इमारतों की .......सुन्दर इमारतें तो किसी भी शहर में मिल सकती हैं ....पर लोग ???????? किले में हज़ारों लोग रहते है ......- घंटे बस यूँ ही घूमता रहा उन गलियों में ......इस दौरान कई लोगों ने आगे बढ़ के बुलाया .......ढेर सी बातें की ...हाल चाल पूछा ....चाय पानी पिलाया .....इतने प्यारे लोग ....इतने मिलनसार लोग ......और इतनी मेहमान नवाजी .....आम आदमी में .....dukaan दार अक्सर सड़क चलते लोगों को आवाज़ दे कर बुला लिया करते हैं ....पर इन टूरिस्ट प्लेसेस पर आम आदमी नहीं बुलाता इस तरह ....पर जैसलमेर के लोगों की बात ही कुछ और है .....
राजस्थान से बहुत पुराना रिश्ता रहा है मेरा .......मुझे कलकत्ते से इश्क है .....बंगाल से नहीं ......बनारस से इश्क है ...UP से नहीं ....पर मुझे समूचे राजस्थान से इश्क है ........क्योंकि पूरे राजस्थान में ...बात है कुछ .......वो कहते हैं रंग रंगीलो राजस्थान .......इतनी सम्पन्नता ....सिर्फ आर्थिक नहीं........सांस्कृतिक सम्पन्नता ...जो राजस्थान में दिखाई देती है वो कहीं नहीं देती .........यूँ समझ लीजे हर गली हर गाँव टूरिस्ट प्लेस है .......हर शहर का रंग अलग .....जयपुर गुलाबी है तो जैसलमेर पीला ...जोधपुर लाल तो कोई और किसी और रंग में रंगा है .........सबकी वास्तु कला अलग ....हर शहर का अपना distinct स्टाइल है architecture का .......खान पान ....इतना rich cuisine हमारे देश में किसी region का नहीं जितना राजस्थान का .......इसपे एक पूरी पोस्ट लिखने का इरादा है मेरा ....पर लाइनें लिखे बिना पोस्ट अधूरी सी लगेगी .......हिन्दुतान की सबसे बेहतरीन चाय राजस्थान में मिलती है ( साउथ के बाद ).....नमकीन ...कचोरियाँ ......पकोड़े ...यानी बेसन के सब item ....राजस्थान के अलावा कही अच्छे नहीं बनते ........अगर कही बनते हैं तो मान लीजिये ...बनाने वाला राजस्थानी ही होगा ...........राजस्थान के स्टेशनों पर भी जो पकोड़े मिल जाते हैं वो आपको अपने शहर की सबसे अच्छी दूकान में नहीं मिलेंगे .......और खाना ........इतने सालों में मैंने आज तक राजस्थान में कभी घटिया खाना नहीं खाया ... किसी होटल ..ढाबे में ... किसी के घर में ........मेरे एक दोस्त होते थे बूंदी में .....एक दिन वो बताने लगे की यहाँ किसी राजपूत के घर में बहू आपको एक महीने तक हर रोज़ नए किस्म का मांस पका कर खिला सकती है ....तो उनके बगल में एक मारवाड़ी भाई बैठा था .......वो बोला देख लो इतनी गवार हैं यहाँ की लडकियां .....मारवाड़ की लड़की आपको साल भर रोज़ एक नया पकवान बना कर खिला सकती है ....इतनी समृद्ध है राजस्थान की पाक कला .......बाकी फिर कभी





आन्दोलन को बदनाम कर दो ....मर जाएगा ......3

कैसे ख़त्म हुआ पंजाब से आतंकवाद ..........कुछ लोग कहते हैं की KPS GILL ने कर दिया ......अबे आतंकवाद हुआ कोई रसगुल्ला हो गया .....KPS GILL ने उठाया और खा लिया ....लो ख़तम .......बाप का माल है क्या .......ऐसे ही थोड़े रातों रात ख़तम हो जाएगा ............पहले ये देखना पड़ेगा की शुरू कैसे हुआ था .......ज्ञानी जैल सिंह , जो उन दिनों पंजाब का मुख्य मंत्री होता था, पंजाब में अकालियों यानि शिरोमणि अकाली दल ,को कमज़ोर करने के लिए जरनैल सिंह भिंडरां वाले को खड़ा करना शुरू किया .....उसे नेता बनाया .....वक्ता वो अच्छा था .....भाषण अच्छे देता था ......कांग्रेस ने उसे खड़ा किया और बहुत जल्दी ही वो खड़ा हो गया ......हमारे यहाँ एक कहावत है ......विष बेल जैसे ही उगे ,उसे नष्ट कर देना चाहिए .......अगर उसे समय पर नहीं मारा तो वू पूरे पेड़ पर फ़ैल जाती है ....उसपे कब्जा कर लेती है और अंत में एक दिन पेड़ मर जाता है .......यहाँ तो विष बेल उगा के बाकायदा उसे खाद पानी दिया जा रहा था .......सो वो जल्दी ही फ़ैल गयी ........बगल में पाकिस्तान बैठा है ...वो तो हमारे देश में ऐसे elements ढूंढता ही रहता है .........उसने बहुत जल्दी पहचान लिया की ये अपने काम का आदमी है ...और लगा उसे पुचकारने ..........इतिहास कहता है की जैसे मुसलामानों के दिमाग में पाकिस्तान का कीड़ा कुलबुलाता था वैसे ही सिखों के दिमाग में खालिस्तान का कीड़ा था .....1946 में एक बार इन्होने भी माँगा था पर हालात बहुत खराब थे इसलिए बात नहीं बनी ....सो उसी कीड़े को फिर उभार दिया पकिस्तान ने और भिंडरां वाले को आगे कर दिया ....उसे रुपया पैसा गोला बारूद हथियार ...सब देना शुरू कर दिया ....और वो लगा घूम घूम के भाषण देने .......अब धर्म की बात .....अलग सूबा ...खालिस्तान .......हम हिन्दुओं की गुलामी क्यों करें .........जब ऐसे ऐसे मुद्दे होंगे .......गुरद्वारे में सभा होगी तो लोग तो ध्यान से सुनेंगे ही ........सो वो सुनाने लगा और लोग सुनने लगा .........कार्ल मार्क्स ने कहा है की धर्म अफीम का काम करता है ........जब धर्म की बात होती है तो आदमी अपने दिमाग को ताला लगा के दिल की बात सुनता है .........तो भैया वो घूम घूम के सुनाने लगा और लोग सुनने लगे .........उसकी कैसेट उन दिनों हर घर में बजती थी ..........हमारे यहाँ एक sect है ...निरंकारी .....हैं तो सिख basically .......पर वो सिखों की basic फिलोसोफी ....की अब कोई 11th गुरु नहीं होगा ...अब गुरु होंगे ग्रन्थ साहब .......पर ये निरंकारी कहते हैं की भैया हम नहीं मानते ........ग्रन्थ साहब तो हैं पर हमें एक बन्दा भी चाहिए गुरु ...सो उन्होंने बना लिया ...........और लाखों हिन्दू सिख उनके अनुयायी हैं .......उनसे ये सब बहुत चिढ़ते थे ........सो 1980 की बात है उन्होंने निरंकारी बाबा गुरबचन सिंह को ठोक दिया ......पंजाब केसरी अखबार बहुत खिलाफ लिखता था सो उसके सम्पादक और मालिक लाला जगत नारायण को ठोक दिया ....लाला जी बहुत बड़े हिन्दू लीडर थे पंजाब के .........देखते देखते भिंडरां वाला सिख कौम का बहुत बड़ा लीडर बन गया ....आज भी मुझे लगता है की गुरु गोबिंद सिंह जी के बाद उसी की ranking आएगी .......पूरे पंजाब में वो हिन्दुओं और भारत सरकार के खिलाफ और भारत देश के खिलाफ जहर उगलता था ...और ये हिजड़े दिल्ली में बैठ के देख रहे थे .......आज जितनी फुर्ती ये बाबा रामदेव और आचार्य बाल कृष्ण के खिलाफ दिखा रहे है .......काश उसकी .001 % भी इन्होने उसके खिलाफ दिखाई होती .......1983 तक आते आते पूरे पंजाब में उसका साम्राज्य था .......एक बार बताया जाता है की पूरा एक ट्रक भर के हथियार ....rocket launchers ......LMGs....और AK 47 स्वर्ण मंदिर के बाहर CRPF ने रोक लिए ....2 घंटे में दिल्ली से फोन गया की जाने दो ........पंजाब केसरी के एक पत्रकार ने ये छाप दिया ....शाम को पंजाब पुलिस ने उसे पटक के मारा और 2 दिन बाद अमृतसर में वो अपने 9 साल के बच्चे के साथ स्कूटर पे जा रहा था उसे भून दिया गया ......कहा जाता है की उसके बाद फिर कभी अखबार ने कुछ नहीं लिखा ........सो कहने का मतलब ये है की उन दिनों अगर ज्यादा नहीं तो 95 % सिख भिन्द्रा वाले के समर्थक थे .......कुछ नहीं भी थे तो confused थे या हाशिये पर धकेल दिए गए थे ........अब जिस आन्दोलन को इतना जन समर्थन मिलेगा वो तो सफल होगा ही और उसे दबाना भी आसान नहीं ........ऊपर से जब सरकार हिजड़ों की हो .........खैर साहब जब पानी सर के ऊपर गया और यहाँ तक नौबत गयी की 2 दिन में खालिस्तान की घोषणा हो जायेगी और कुछ देश उसे मान्यता दे देंगे तो हिजड़े सो के उठे और उन्होंने स्वर्ण मंदिर में आर्मी भेज दी .......10 घंटे बाकायदा युद्ध हुआ ......जितने फौजी कारगिल में दो महीने में मरे उतने 4 घंटे में मरे थे .......बहुत से आतंकी और कुछ बेचारे निरीह श्रद्धालु जिन्हें आतंकी ढाल के तौर पे इस्तेमाल कर रहे थे ....सो इस कार्य वाही के बाद जो रहे सहे सिख थे वो भी भिन्दरा वाले के समर्थक सही सरकार के विरोधी हो गए ........फिर हिजड़ों की सरताज ....जिन्हें कभी साक्षात दुर्गा कहा था अटल जी ने वो मरीं ......राजीव गाँधी आये ....उन्होंने पंजाब समझौता किया आनन फानन में .......पर कुछ हुआ .....आतंकवाद बढ़ता गया ...पंजाब तबाह हो गया ........फिर आखिर ख़तम कैसे हुआ .........
कोई भी आन्दोलन शुरू कब होगा ?????? जब जन समर्थन होगा ........और ख़तम कैसे होगा ....जब जन समर्थन ख़तम हो जाएगा .........सरकार ने धीरे धीरे आतंकियों का जन समर्थन ख़तम कर दिया ...........कैसे ?????? एक तो जनता 10 साल से मार काट .....अशांति ...रोज़ रोज़ के curfew से तंग गयी ....खेती बाड़ी ...काम धंदा ...सब कुछ तो बर्बाद हो गया था .......... आन्दोलन की शुरुआत में पहले तो लोग बड़े जोशो खरोश से कूदे .....नए नए बच्चे भर्ती हो गए ....हथियार उठा लिए .......आतंकी बन गए ......शुरू में अपराध का glamour नयी उम्र के लड़कों को बड़ा attract करता है ........पर पता तो बाद में लगता है .......बाद में जब भागने लगते हैं तो वो भागने नहीं देते ........एक पूरी पीढ़ी बर्बाद हो gayee थी पंजाब की ...........हमारे साथ की एक लड़की होती थी ....मंजीत कौर ..athelete थी ......उसका छोटा भाई भर्ती हो गया था उनमे ........फिर जब अक्ल आये तो लगा भागने ........रोज़ पुलिस घर आती ...और वो सब भी .......पूछते कहाँ है ........उन दिनों मैं दिल्ली रहता था ...एक दिन वो लड़की आयी ...मेरे घर रुकी .......उन लोगों ने अपने भाई को UP में तराई में ....उधम सिंह नगर में छुपा रखा था .......छुप के मिलने जाते थे उस से .........अगले दिन सुबह वो चली गयी ...फिर एक साल बाद मिली ...मैंने पूछा कहाँ है आज कल ............तो रोने लगी फूट फूट के ......वहीं उधम सिंह नगर में मार गए थे ........मैंने पूछा पहले तो बड़े जोर से नारे लगाती थी खालिस्तान जिंदाबाद के .....अब भी लगाती है ??????? तो लगी जोर जोर से गरियाने ........मुझे नहीं ....उनको .........समय के साथ जनसमर्थ कम होने लगा था ........एक और बात थी ...शुरू में तो लोग धर्म के लिए जुड़े आतंकियों से .......बाद में चोर बदमाश घुस गए .......लगी वसूली होने .......सुपारी ले के हत्याएं करने लगे .......लोग दुश्मनियाँ निकालने लगे .......हम लोग NIS पटियाला में थे तो so called आतंकियों के फोन आते थे ....फलाने का एडमिशन कर लो ...उसको पास कर दो .......इसे 1st डिविज़न दे दो....... ये स्तर हो गया था .......so कौम और धर्म के लिए लड़ने वालो में चोर बदमाश घुस आये थे ...जन समर्थन तो कम होना ही था .....कपिल सिब्बल जैसे कुटिल और काइयां लोग तो उन दिनों भी थे .........सरकार ने बाकायदा एक फ़ोर्स बनायी ......पंजाब पुलिस के बहुत से सिपाही और अफसर थे .......बहुत से हिन्दू थे ( ये बात मुझे हाल ही में मेरे एक दोस्त ने बताई जो पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर है और उन दिनों इसी गति विधि में शामिल था )....जो रोज़ रात को लूट पाट करते थे .....फिरौती के लिए फोन करते थे .....घरों में घुस के बहन बेटियों को पकड़ लेते थे .....फिर ज़रा सा विरोध होते ही भाग लेते थे .....एक सरकारी गाडी बाकायदा उन्हें गाँव के बाहर उतारती और pick करती थी .......फिर अगले दिन अखबारों में छपता ....खूब नमक मिर्च लगा के ....देखो तुम्हारे खाडकुओं ने क्या किया .......आन्दोलन बहुत तेज़ी से बदनाम हो रहा था ...आम जनता में .......फिर हर गाँव में सुरक्षा समितियां बना दी गयीं .......नकली आतंकी आते ...सुरक्षा समिति उन्हें डंडे ले के दौड़ा लेती वो भाग जाते ...........फिर अगले दिन अखबार में छपता ...देखो आतंकी कितने डरपोंक हैं भाग गए ........और पब्लिक उन्हें धीरे धीरे सचमुच दौडाने लगी ....उनका खौफ धीरे धीरे ख़तम होने लगा था ........ये सिलसिला दो साल चलता रहा ......प्रेस की बहुत बड़ी भूमिका थी इसमें ..........और पुलिस तो सब जानती ही थी ...की कौन असली आतंकी है कहाँ छुपा है ....जो पब्लिक कल तक उन्हें घर बैठा के देसी घी का हलुआ खिलाती थी ....मुर्गा खिलाती थी .......चंदा देती थी........ वही अब दौड़ा के मारती थी ....पुलिस को खबर कर देती थी ........जब सरकार ने देखा की लोहा अब लाल हो गया है .......तो पागल कुत्ते की तरह गलियों में दौड़ा दौड़ा के मारना शुरू किया ..........रोज़ हज़ारों एन्कोउन्टर होते थे ...मार के सतलुज और ब्यास में फेंक देते थे ...पंजाब है भाई .......नदियों की कमी थोड़े ही थी .......मारो नदी में फेंक दो ....गेहूं के साथ कुछ घुन भी पिसा बेचारा .........6 महीने में ठोक पीट के बराबर कर दिया ........उन दिनों KPS GILL था DGP ...... so GILL साब ज़िंदा बाद ....आतंक वाद उन्होंने ख़तम किया ........उसे तो वो rupan deol ले डूबी नहीं तो गवर्नर बनता वो बाद में .......तो भैया ....समझे ?????? कैसे बदनाम किया जाता है आन्दोलन को ????? यही कर रही है सरकार आजकल .......अन्ना हजारे ...बाबा राम देव और आचार्य बाल कृष्ण के साथ ........RSS के लोग हैं .......RSS ठहरी साम्प्रदायिक .......कांग्रेस तो दूध की धुली है भाई .......84 में जो हुआ वो साम्प्रदायिकता थोड़े ही थी .......बाल क्रिशन की तो डिग्री फर्जी है ....राम देव तो पैसे वाला है ....बीजेपी का आदमी है ........अबे ये तो मुसलमान विरोधी हैं .........इनके चक्कर में मत पड़ो ........भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन को बदनाम किया जा रहा है ...सुनियोजित ढंग से ....प्रेस सब जानती है ....पर उसके मुह में हड्डी डाल दी गयी है .........वो बाबा और अन्ना पर ही भौंक रही है .....उनका चरित्र हनन कर रही है ......

Friday, August 5, 2011

1984 का नरसंहार .....जैसा मैंने देखा .......2

1984 में दिल्ली का वो दंगा मैंने देखा ...शुरू से आखिर तक ......इसके अलावा भी बहुत दंगे होते ही रहते हैं हमारे देश में ....छोटे या बड़े .........रोज़ होते हैं .....पर दिल्ली वाला दंगा देख के मैं सिर्फ एक बात कह सकता हूँ ........अगर सरकार या प्रशासन चाहे तो मुझे या आपको सांस भी लेने दे .....लड़ाई झगडा मार पीट या दंगा फसाद तो बड़ी दूर की बात है .........ये जो कहा जाता है की लोगों में गुस्सा था जो फूट पड़ा ...ये सब बकवास है .....ये सच है की उस दिन इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद लोगों में ज़बर्दत गुस्सा था ........आम आदमी अन्दर से जल रहा था ....फिर भी एक थप्पड़ तक नहीं चला था ........ह्त्या के 36 घंटे बाद भी सब शांत थे ....गुस्से में थे ....पर शांत थे ........शाम को कुछ एक जगहों पर थोड़ी बहुत लूट पाट तो हुई पर मार काट नहीं ........फिर 48 घंटे बाद ...बाकायदा सुनियोजित ढंग से मार काट शुरू कराई गयी .......राजीव गाँधी ने सारे आम कहा था ....इन्हें सबक सिखाओ ......जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती कांपती ही है ..........एक बार एक प्रेस कांफेरेंस में कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी नरेन्द्र मोदी को आदम खोर पिरान्हा मछली बता रहे थे ........तो मैंने उनसे पूछा था लुधियाना में ......मनीष जी दिल्ली की आदम खोर पिरान्हा मछली का नाम भी बता दीजिये लगे हाथ ........लीजिये आज मैं चिल्ला चिल्ला के कह रहा हूँ .....दिल्ली का आदमखोर भेड़िया था राजीव गाँधी ..........पूरे 48 घंटे थे राजीव गाँधी के पास ....हालात को काबू करने के लिए ........48 मिनट काफी होते हैं हालात पे काबू पाने के लिए .....क्योंकि मैंने उस दिन देखा था उस आदमी को ..........जो अकेला वहां बैठा था लुंगी पहने ...और उसकी सिर्फ एक घुड़की से वो 400 लोगों की भीड़ चुप चाप खड़ी रही .......लोगों के आक्रोश को भांप के पहले दिन से ही एहतियातन कर्फ़ु लगा कर शांति बहाल करनी चाहिए थी ....पर पूरे तीन दिन तक दिल्ली में भयंकर मार काट होती रही ....फिर धीरे धीरे पूरे उत्तर भारत में फैला दी गयी .........और फिर तीन दिन बाद शाम को सेना ने फ्लैग मार्च किया ....और कुछ ही घंटों में सब शांत हो गया ........वो तीन दिन अब भी याद हैं मुझे .......हमारे घर के सामने गली में एक छोटे से कमरे में एक सिख दंपत्ति रहता था .........वो लोग पूरे समय हमारे घर में ही रहे .......एक एक घर को चुन चुन कर आग लगाई गयी थी ........जो बच गए उनकी बाकायदा लिस्ट बनती थी रोज़ शाम को ....फिर रात को नाम tick करते जाते थे और आग लगाते जाते थे .........वहां कोल्हापुर रोड पे एक सिख की बहुत बड़ी दूकान थी crockery की .....उसे सब लूट रहे थे ....उसका लड़का वही गली के नुक्कड़ पे खड़ा देख रहा था .......बाल कटा रखे थे उसने इसलिए वो सुरक्षित था ..........हम वहीं बगल में खड़े थे ......हमारे सामने से एक आदमी dinner set का एक डब्बा हाथ में लिए निकला .........1200 रु का पीस है ये ......सिर्फ इतना निकला उसके मुह से .....और वो चुप चाप अपनी सारी जिंदगी की कमाई लुटते देखता रहा ........6000 लोगों को ज़िंदा जला दिया गया ........लोगों को पकड़ कर उनके गले में जलते हुए टायर दाल दिए गए ..........हमारे घर के बगल में...... मलका गंज चौक पे ........एक लड़के को जिंदा जला रहे थे .........वो निकल के वहां से भागा ........उसे लोगों ने दौड़ा के पकड़ा .........घसीट के फिर लाये ...और फिर से उस आग में फेंक दिया ........लोग ऐसे घेर के खड़े थे जैसे मोहल्ले में होली जला रहे हों ............यहाँ प्रश्न ये उठता है की मनुष्य जब भीड़ का हिस्सा बन जाता है तो अपना स्वयं का चरित्र क्यों खो देता है ........1980 से ले कर आज तक मैंने इस देश को एक भीड़ में तब्दील होते देखा है ..........और चन्द वोटों की खातिर ...किसी एक राज्य में अपनी सत्ता बचाने के लिए या हासिल करने के लिए देश को गर्त में धकेलते राज नेताओं को देखा है ..........कांग्रेस पार्टी ने पंजाब में अकालियों को कमज़ोर करने के लिए पहले भिंडरां वाले भस्मासुर को पैदा किया और वही भस्मासुर फिर सबको खा गया ........पंजाब ने और पूरे देश ने इसकी कीमत 20 साल तक चुकाई ........
खैर तीन दिन बाद कांग्रेस द्वारा प्रायोजित ....आयोजित और अभिनीत वो दंगा रोका गया ....... लाखों सिखों ने दिल्ली हमेशा के लिए छोड़ दी ........हज़ारों लोग मारे गए .......उनमे से कुछ लड़कों ने जो इस दंगे के भुक्त भोगी थे .......बाद में हथियार उठा लिए ........कुख्यात आतंकी पैनटा उनमे से एक था जो बाद में अमृतसर में operation black thunder में मारा गया .......वो खालसा कॉलेज दिल्ली का एक बेहद होनहार hand ball player था ......उसके पिता और भाई को जिन्दा जला दिया था 84 में ..........सुविख्यात फिल्मकार गुलज़ार साहब ने पंजाब के आतंकवाद पे एक बेहतरीन फिल्म बनाई है ............माचिस .........उस में अंत में फिल्म की हेरोइन तब्बू का एक संवाद है ..........क्या बिगाड़ा था हमने किसी का .......सीधे सादे लोग थे हम .......जी हाँ सीधे सादे लोग थे वो सब ......जो इस आग में जले ......कौन जिम्मेवारी लेगा इसकी ......उन घरों की जो इस आग में जले ..........दंगे के बाद जब curfew खुला तो मैं जल्दी से जल्दी दिल्ली से निकल जाना चाहता था ......ये पता लगाने के लिए की बसें चली या नहीं ........मैं साईकिल से बस अड्डे जा रहा था .........एक जगह मुझे बदबू सी आयी .........मैं एक ट्रक के पास खड़ा था .....अचानक मैंने देखा की उस ट्रक से एक जला हुआ हाथ बाहर निकला हुआ है ....मैं घबरा के दूर हो गया ........देखा तो वो ट्रक जली हुई लाशों से भरा हुआ था ........फिर मुझे अहसास हुआ की मैं तीस हजारी पोस्ट मोर्टेम हाउस के सामने खड़ा हूँ ....अन्दर निगाह मारी तो जो दृश्य देखा वो आज भी आँखों के सामने तैरता है .........वहां ढेर लगे थे लाशों के ...एक के ऊपर एक ...फिर चारों तरफ नज़र घुमाई ..तो देखा की वहां ऐसे कम से कम 20 ट्रक और खड़े थे ........मेरे बगल में एक सिख परिवार खड़ा था ....वो अपने बेटे की लाश लेने आये थे .......वो लड़की fiat कार से सर टिका के रो रही थी .....पर उसके मुह से आवाज़ नहीं निकल रही थी .....84 के वो ज़ख्म आज भी हरे हैं ........एक मुल्क के तौर पे क्या सीखा हमने उस दौर से ....जिंदा कौमें अपनी गलतियों से सीखती हैं और उन्हें दोहराने से बचती हैं ........पर वो 84 आज भी रोज़ दोहराया जाता है इस मुल्क में ...कभी गुजरात में ...कभी UP में और कभी कहीं और .......हम आज तक 84 के मुजरिमों को सज़ा नहीं दे पाए ...और वो लोग रोग हमें साम्प्रदायिक सद्भाव ,और secularism का पाठ पढ़ाते हैं .......
अब भी दिल्ली जाता हूँ अक्सर ....वहां शक्ति नगर में एक दुकान हुआ करती थी बहुत बड़ी किराने की......... 84 में 8 -10 दिन तक धुंआ उठा था उस से ....... फिर कुछ महीनों बाद वो फिर उठ खड़ा हुआ और उसने पहले से भी अच्छी दुकान बनाई ..........आज भी है खूब चलती है .......एक और सरदार जी थे ....नाम था DPS कोहली .....वो भी बर्बाद हो गए थे ८४ में .....आज वो koutons कम्पनी के मालिक हैं .....हज़ारों उदाहरण हैं ऐसे जो उस राख के ढेर से फिर उठ खड़े हुए ........और वो लूटपाट करने वाले आज भी उन्ही झुग्गियों में रहते हैं जहाँ पहले रहते थे .......दिल्ली के वो दंगा पीड़ित आज भी न्याय की बाट जोह रहे हैं .....अब भी उम्मीद है उन्हें की देर सबेर न्याय ज़रूर मिलेगा ......