Wednesday, January 26, 2011

सबसे बड़ा चोर

पिछले दिनों एक अख़बार में एक ओपिनियन पोल छपा .....पाठकों से पूछा गया था कि आपकी नज़रों में सबसे ज्यादा भ्रष्ट कौन है। राजनेता, नौकरशाह या सरकारी कर्मचारी पाठकों ने अपने हिसाब से अपनी राय व्यक्त की निश्चित तौर पे इन विकल्पों में तो राजनेता बाज़ी मार ले जाएँगे मार भी गए पर मुझे ऐसा लगा की हमारे समाज में इनसे एक बहुत बड़ा चोर बैठा है पर हम लोग उसे देखना नहीं चाहते ..........मीडिया और बुद्धिजीवी वर्ग उस से इतना डरता है की इनकी हिम्मत नहीं होती की उस पर ऊँगली उठा सके ......उसे ये कह सके की तू कौन होता है बे हमें चोर कहने वाला ...............तू खुद सबसे बड़ा चोर..........पर भैया ...इसमें एक दिक्कत है दुकानदार आदमी बेचारा कह नहीं सकता ....ग्राहक से .....कि सा.....(लिख नहीं सकते .....सभ्य समाज में अच्छा नहीं मानते......कहते है गाली मत दो ..लिखो या दिखाओ ..............हाँ ......अँधा धुंध गोलियां चला के हत्या दिखा दो ...... ये बेचारी निरीह सी गाली.....वैसे अब तो ये गाली रह भी नहीं गई है.......मत लिखो ) हाँ तो मै कह रहा था कि दुकानदार आदमी बेचारा कह नहीं सकता ग्राहक से कि सा......... तू सबसे बड़ा चोर ...और हमें चोर बता रहा है..........इनकी बेचारों की तो दुकानदारी है...... चाहे सरकार हो, चाहे मीडिया या फिर और लोग....... पर भैया अपनी कौन सी दुकानदारी.....अपनी कौन सी दाल रोटी चलती है इस ब्लॉग पे लिखने से.....हमने कौन सा वोट लेना ही किसी से .......हम तो दे मारेंगे मुह पे .......कि तू सा....सबसे बड़ा चोर और दूसरों को चोर बता रहा है.......

जी हाँ मै बात कर रहा हूँ अवाम की ... जनता की ......the so called common man ......आम आदमी ....सबसे बड़ा चोर......राजनेता हो या अफसर ....नौकर शाह ....कम से कम लाख या करोड़ तो खाता है .........अपने जोशी दंपत्ति सुनते है 350 करोड़ डकार गए थे ............कलमाड़ी जी की मंडली भी सुनते हैं की १० ...२० हज़ार करोड़ खा गए है अब जनाब लाखों करोड़ों देख कर तो किसी का भी मन डोल सकता है ......और डोल जाये तो जायज़ भी है.........इसीलिए मै इन्हें कोई बहुत बड़ा चोर नहीं मानता .....पर तू सा.....१० रुपये पर बिक जाता है......२० रु के पव्वे पर बिक जाता है......एक सूती साड़ी पर बिक जाता है.......अबे यहाँ तक तो फिर भी ठीक है...... सर नेम पर तो मुफ्त में बिक जाता है........ वो कहते हैं की nuclear bomb में विस्फोट से पहले एक chain reaction होता है..........भाई मेरे....... तेरी ये 10..20 रु की चोरी से जो chain reaction शुरू होता है वही भ्रस्टाचार के इतने बड़े विस्फोट का कारण बनता है........ अब चोर तो चोर ..... बड़ा हो या छोटा.....छोटा चोर बड़े चोर को क्या कहेगा.....कैसे रोकेगा........ इसलिए रोकता भी नहीं है .....रोकना चाहता भी नहीं है........खाली रोता है ...शिकायत करता है........तू सा....ज्यादा खा गया.....ज्यादा ले गया ....मुझे कुछ नहीं मिला .......तुझे मै देख लूँगा....... अरे भाई क्या देख लेगा.....अगली बार वो तुझे वो १० नहीं तो २० में खरीद लेगा.....तू तो बिकने के लिए तैयार बैठा है

भाई मेरे ....चाबी तेरे ही हाथ में है.....शुरुआत तूने की है, ख़तम भी तुझे ही करनी पड़ेगी....तू ईमानदार हो जा मेरे यार..... और तेरे लिए तो बहुत आसन है ...10...20 रु की तो बात है....तू बस इस 10 रु का मोह छोड़ दे.....लात मार दे उसकी साड़ी पर ... बस आज की तो बात है ....अपने पैसे की ही पी ले.....रोज़ भी तो अपने पैसे की ही पीता है...भूल जा कि उसका सर नेम क्या है ...और तेरा क्या है......फिर तू वाकई देख लेगा इन सबको.......क्या यार .....10 रु के लिए चोर कहला रहा है.......
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3 comments:

  1. अजीत सिंह जी नमस्कार
    एक-दो दिन पहले ही आपके ब्लॉग तक पहुंचा हूँ। आपका ब्लॉग बहुत पसन्द आया। एक-एक करके सारी पोस्ट पढने की कोशिश कर रहा हूँ। सभी पोस्ट पर टिप्पणी नहीं दे पाऊंगा माफ करें। सचमुच बहुत सच्ची और सही बाते लिखी हैं आपने

    प्रणाम स्वीकार करें

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