कुछ साल पहले की बात है ......मेरे गाँव का एक लड़का जो रिश्ते में शायद भतीजा लगता है मेरे बगल में बैठा था .........वो कुछ सालों से समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता है और बड़ा सक्रिय हो कर कार्य करता है ......सो ऐसे सक्रिय कार्यकर्ताओं को खुश रखने के लिए राजनैतिक दल छोटे मोटे पद दे दिया करते हैं ......और ऐसे छुटभैय्ये नेताओं की संख्या एक जिले में हज़ारों होती है .......सो वो लड़का मुझे impress करने को कोशिश कर रहा था ........प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी .......इसी क्रम में उसने स्थानीय बिजली विभाग के एक अधिकारी को फोन लगाया ....अब ये नेता जी लगे उस अधिकारी को हड़काने ....और वो अधिकारी महोदय लगे नेताजी के सामने घिघियाने ......अब इस पूरी बातचीत का मकसद चूंकि सिर्फ मुझे impress करना ही था इसलिए नेता जी अपने फोन का स्पीकर ऑन करके बात कर रहे थे .......मामला कोई ट्रांस्फोर्मेर बदलने का था .........अब धीरे धीरे नेता जी फोन पर बदतमीजी पर उतर आये .....अधिकारी महोदय yes sir ....yes sir ही करते रहे ......और बात ख़तम करते करते नेताजी ने साहब को दो चार मोटी मोटी गालियाँ दे कर ट्रान्सफर करा देने की धमकी दी और फोन काट दिया ........इसके बाद नेता जी ने अपने कलफ लगे कुरते की बाहें ऊपर की ....और बड़े गर्व से छाती फुलाते हुए मेरी तरफ देखा ..........बोले ......बिजली विभाग का SDO था ........ओह तो ये sdo साहब थे जो इस गलीज ...छुटभैये ...सड़क छाप नेता की गालियाँ सुन रहे थे .......कुछ दिन बाद मैं बिजली विभाग के दफ्तर गया तो वो SDO साहब मुझे मिल गए .......बातचीत के क्रम में पता लगा की sdo साहब IIT BHU से M Tech हैं .......हाल ही में मेरी भान्जी ( बहन की बेटी ) ने IIT जी के exaam clear किया है .....घर में काफी ख़ुशी का माहौल था ...सब लोग उसे बधाईयाँ दे रहे थे .....पता चला की हमारी बेहद intelligent भान्जी से और भी ज्यादा हज़ारों intelligent बच्चे हैं इस देश में .......जो अब हमारे इन IIT s से इंजिनियर बन कर निकलेंगे ........अचानक मुझे वो घटना याद आ गयी ........हमारे देश के सबसे प्रतिभावान ,सबसे intelligent ....... हमारे ये IAS ,IPS ...और अन्य competitive exams पास करने वाले ये लोग जब सरकारी नौकरियों में जाते हैं तो कैसे इन नाली के कीड़ों जैसे सड़क छाप ,गंदे, घटिया ,गलीज ,दो कौड़ी के नेताओं के तलुए चाटने लगते हैं .....( मैं नाली के कीड़ों और सड़क छाप लोगों से क्षमा चाहता हूँ की मैंने उनकी तुलना इन नेताओं से की .....दरअसल मेरा इरादा आप लोगों का अपमान करने का नहीं था ) .....अब ये अधिकारी गण मुख्य मंत्री या मंत्रियों की गाली सुने तो बात समझ में आती है .......पर ये इन छुटभैये नेताओं को कैसे और क्यों बर्दाश्त करते हैं ..........
पिछले दिनों एक लेख पढ़ा ....शायद चेतन भगत ने लिखा था ........मूल मुद्दा ये था की जब गुजरात या दिल्ली जैसे दंगे कहीं होते हैं तो हमारे ये प्रशासनिक अमले के अधिकारी क्यों सरकार में बैठे नेताओं की बात सुन कर अपने कर्तव्यों से मुख मोड़ लेते हैं और चुपचाप हज़ारों लोगों को मरते कटते ,जिंदा जलते देखते रहते हैं .......चेतन भगत ने बड़ा बेबाक विश्लेषण किया था की गुजरात में नरेन्द्र मोदी .....या 1984 में दिल्ली में ...राजी .....छोडिये .......जाने दीजिये नाम लेना अच्छा नहीं लगता .......ये लोग कोई हिटलर नहीं थे जो इन पुलिस अधिकारियों को आदेश न मानने पर गोली से उड़ा देते ......अधिक से अधिक ट्रान्सफर कर देते .....पर क्या वाकई वो ट्रान्सफर कर पाते इतने लोगों का एक साथ ....उस माहौल में .....ज़रा कल्पना कीजिये ..........दिल्ली या गुजरात के उन दंगों में यदि हमारा पूरा प्रशासनिक अमला और पुलिस फोर्स मुख्य मंत्री और अन्य मंत्रियों के मौखिक आदेशों की अवहेलना करते हुए अपने काम में जुट जाते तो क्या होता .......मुख्य मंत्री जी देखते रह जाते और दंगा एक घंटे के अन्दर कण्ट्रोल हो जाता .....और फिर मुख्य मंत्री जी कितने लोगों का ट्रान्सफर करते .....और एक को हटा कर यदि वो दूसरे को बैठा भी देते तो ????????? होता तो वो भी कोई IAS ...IPS ही ....वो भी मंत्री जी की बात अनसुनी कर अपना काम करता ....तो ???????
इस पूरे घटना क्रम में मुझे एक ही बात समझ आती है की हमारे ये तथाकथित सबसे intelligent , सबसे तेज़, सबसे मेधावी ,बुद्धिजीवी लोग जो हमारे देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाएं पास कर के ...........IAS ,IPS और डॉक्टर इंजिनियर बनते हैं ........जब सरकारी नौकरियों में आ जाते हैं .....तो एक मलाईदार पोस्टिंग के लिए .........उस पोस्टिंग के दौरान कुछ लाख या करोड़ रुपयों के लिए ......या अपने करियर के लिए ........अपने ज़मीर ...अपने दीनोइमान इन नेताओं के पास गिरवी रख देते हैं .....उनके तलवे ( और न जाने क्या क्या ) चाटने को तैयार रहते हैं .......बल्कि चाटते हैं .....आपको क्या लगता है वो SDO उस दिन उस दो कौड़ी के नेता को डांट के फोन रख देता तो क्या होता ....अरे ज्यादा से ज्यादा ट्रान्सफर हो जाता .....अबे तनख्वाह तो फिर भी मिलती ही तुझे .........पर इसके साथ ही मुझे एक और बड़ा मजेदार किस्सा याद आता है ........इस घटना के एक या दो साल बाद की ही बात है .......उत्तर प्रदेश में अपनी बहिन माया वती जी की सरकार थी .............इस बार नहीं .....इस से पिछली बार की बात है ....उन दिनों गाजीपुर के कुख्यात माफिया सरगना मुख्तार अंसारी अभी हाल ही में समाजवादी पार्टी छोड़ के बहुजन समाज पार्टी में भर्ती हुए थे ..........अब मुख्तार अंसारी पूर्वी उत्तरप्रदेश में मुसलामानों के बड़े नेता माने जाते हैं ......सो उन्हें खुश करने के लिए बहिन जी ने उन्हें Z Plus सिक्यूरिटी देने का आदेश जारी कर दिया ...........उन दिनों गाजीपुर में एक एकदम नया लौंडा ........चिकना सा .......नया नया IPS ........SP बन के आया था .....नाम था संदीप सालुंके ......सो जब संदीप सालुंके के पास मुख्तार अंसारी को Z Plus सिक्यूरिटी देने का आदेश पहुंचा तो ऐसा बतातेहै की नेता जी के बड़े भाई सांसद अफजाल अंसारी SP साहब से मिलने गए .....तो वो लौंडा बोला की नेता जी ....आप Z Plus की बात करते हो ........हम यहाँ साले को एनकाउन्टर करने का मन बना के बैठे हैं ....बता देना उसे .....जिस दिन दिख गया ....ठोक दूंगा ......नेता जी ने मिलाया बहिन जी को फोन ........तो सुनते हैं की SP साहब उनसे बोले ........Z plus तो दूर एक सिपाही नहीं दूंगा .......और मिल गया तो मारे बिना छोडूंगा नहीं ( नेता जी उन दिनों बिहार में फरारी काट रहे थे ) .....हाँ ये अलग बात है की SP साहब का चार घंटे में वहां से तबादला हो गया ..............अगले दिन सारे अखबारों ने ये खबर नमक मिर्च लगा कर छापी.......और एक क्रांतिकारी किस्म के अध्यापक महोदय ने अपने लड़के का नाम संदीप सालुंके रख दिया ..........और बड़े दुःख के साथ कहना पड़ता है की नए SP ने मुख्तार अंसारी को बाइज्ज़त Z plus दे दी .......पर मुझे गर्व है ये कहते हुए की वही संदीप सालुंके आज भी उसी शान से पुलिस विभाग की नौकरी कर रहे हैं ...और अक्सर उनका नाम पढने को मिल जाता है .........इसी तरह एक और बड़ा धाकड़ अधिकारी हुआ है ...वो भी कभी SP था गाजीपुर में ..........अरुण कुमार झा ........वही जिसने कुख्यात gangster श्री प्रकाश शुक्ला का एनकाउन्टर किया था ...........उसने भी मुख्य मंत्री की प्रादेशिक समीक्षा बैठक में मेरठ मंडल की crime meeting में भरी सभा में माया वती के मुह पर कह दिया था की सारे गुंडों को तो आप और आपके मंत्री फोन कर के छुडवा देता हैं ....crime control हम क्या ख़ाक करें .........और सुनते हैं की बहिन जी ने उन्हें वहीं तत्काल suspend कर दिया था ..........पर भाइयों सिर्फ suspend किया था .......गोली नहीं मारी थी .....अरुण झा आज भी शान से पुलिस की नौकरी कर रहे हैं ..........
मुद्दा ये है की हमारे ये बुद्धिजीवी अधिकारी क्यों चंद रुपयों की खातिर इन नेताओं के गुलाम बन कर बैठे हैं ........ क्या इसके लिए भी civil society को कोई आन्दोलन करना पड़ेगा ???????
We all look for heroes.
ReplyDeleteI've found some in your blogs ,and I tell you it is really heartening to read their stories.They give you hope and maybe they'll give direction to those who care .
Thanks for sharing such stories. :)
बहुत सुन्दर और सशक्त प्रस्तुति!
ReplyDeleteरिश्वत खाकर पैसे बनाने के चलते जमीर मर गया है इनका |
ReplyDeletemain apka fan ho gaya!!Likhte rahiye!!lagta hain aap mujhse baatein kar rahe hain!!very impressive and inspirational!!
ReplyDelete4जून की घटना पर मेरा और पिताजी का वार्तालाप हो रहा था। उस समय मैनें पिताजी से यही पूछा था कि अगर दिल्ली का पुलिस कमिश्नर गुप्ता ऊपरी आदेश आने पर भी दिल्ली पुलिस को उस रात मैदान खाली करवाने का आदेश ना देता तो उसका क्या बिगड जाता? ज्यादा से ज्यादा तबादला ही तो था।
ReplyDeleteप्रणाम
log sirf tabadle ke darr se netao ke talue nahi chat-te, vo aisa sirf malai milna band hone ke dar se karte hai.
ReplyDeleteThis was loovely to read
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