Thursday, June 23, 2011

बुंदेलखंड को अन्ना हजारे ढूँढने होंगे .....अपने अन्दर

                                                      पिछले दिनों अखबारों में पढने को मिला की हाल ही में बुंदेलखंड के 519 किसानों  ने आत्महत्या कर ली है ........ये पढ़ के मेरे मुह से निकल गया की चलो कुछ तो अच्छा काम किया इन लोगों ने जिंदगी में .........क्यों चौंक गए न आप ये बात सुन के ......मेरी पत्नी बगल में बैठी थी .....वो भी चौंक गयी .....बोली ...ऐसा क्यों कहते हैं आप ..........मैंने कहा ठीक कहता हूँ .......क्यों  ????? मैंने कहा जानना चाहती  हो क्यों ????? और फिर हुए बुंदेलखंड के किस्से....और कई दिन चलते रहे ........कुछ किस्से आपको सुना रहा हूँ .......उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के  बांदा, झाँसी ,ललितपुर ,छतरपुर ,टीकमगढ़ ,दमोह ,सागर ,इत्यादि 13 जिले मिला कर एक एरिया है जिसे बुंदेलखंड कहते हैं .......अब मेरा बचपन चूंकि हरियाणा .पंजाब ,दिल्ली और राजस्थान इत्यादि में बीता तो मुझे ये बताया गया था की हमारा गृह क्षेत्र यानी पूर्वी उत्तर प्रदेश काफी पिछड़ा यानी की backward है ..... ,जिसमे ख़ास तौर पर हमारा जिला गाजीपुर तो एकदम ही पिछड़ा हुआ है और मुझे भी लगभग 10 साल तक वहां रह के और काम कर के इस बात का पक्का अहसास हो गया था की हम दुनिया की सबसे backward जगह पर रहते हैं ..........हम अक्सर कहा करते थे की की ये पूर्वी उत्तरप्रदेश ,पंजाब से 50 साल पीछे है .........पर भैया ....इश्वर की असीम कृपा हुई जो मुझे बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में 3 -4 साल रहने का ,नौकरी करने का और खेती करने का मौका मिला ..........जब मैं पहली बार वहां बुंदेलखंड गया और लौट के अपने घर गाजीपुर आया तो अपनी बीवी से बोला ........मुबारक हो ....आप तो यूँ समझ लीजिये की इंग्लैंड और अमेरिका में रह रही हैं ....असली हिन्दुस्तान देखना है तो मेरे साथ बुंदेलखंड चलो .........तो भाइयों बुंदेलखंड की महिमा तो अपरम्पार है ...इस पर तो मैं सारी जिंदगी लिख सकता हूँ ....... पर मैं दो चार किस्से सुना के ही बात ख़तम कर दूंगा .......बात ज्यादा पुरानी नहीं है .......2001 -2 की है ......जब मैं वहां छतरपुर में पोस्टेड था तो मुझे वहां किसी ने बताया की यहाँ जमीन बहुत सस्ती है ........क्या रेट है भाई .......यही को 5000 रु ........क्या  ???????   खेती की ज़मीन  ???????? 5000 .....मैंने पूछा 5000 में कितनी  ?????? एक एकड़ ........मैंने कहा ...अबे चल ......किसी और को बनाना ......कितना बड़ा है एकड़ ....कैसी ज़मीन है .......मेरा वो दोस्त बोला भैया acre   एक standard unit है पूरे world में एक ही होता है .......और ज़मीन तुम खुद देख लेना .....अब साहब मेरी तो नींद उड़ गयी  .....5000 में एक acre .....मेरी salary उन दिनों 7000 थी ....वाह हर महीने डेढ़ acre जमीन .......जमीन हमने देखि तो शानदार फसल लहलहा रही थी ...सोयाबीन की ......सो भैया finally हमने वहां 55 acre जमीन ले ली और लगे खेती करने .....राजपूतों का गाँव था ....हर आदमी के पास वहां 20 -30 - 50 acre जमीन होती है .........गरीब आदमी के पास भी 2 -5 acre होती है ...पर सारा गाँव सारा दिन बैठ के ताश खेलता था .....थोड़ी  बहुत खेती होती थी बाकी काफी जमीन यूँ ही पड़ी रहती थी .....एक बार एक आदमी आ गया हमारे यहाँ ...एकदम सुबह सुबह 5 बजे .........बोला आपको तो लूट लिया लोगों ने ....मैंने पूछा कैसे ....बोला ये आपकी ज़मीन तो एकदम बेकार है ........5000 दे दिए आपने इसके ......मेरी ज़मीन देखो जा के .......थोड़ी देर बाद बोला 25 acre का प्लाट है ....ले लो ....हमने पूछा रेट .....वो डरते डरते बोला च ....च... चार हज़ार ......मैं बोला .......हाँ ...पहले इन्होने लूट लिया ...अब तू लूट ले ........... तो साहब finally वो श्रीमानजी 2500 रु acre के हिसाब से अपनी 25 acre ज़मीन देने को तैयार हो गए.......यानी 62000 में 25 acre ...बढ़िया ....प्लेन ....काली मिटटी .....ज़मीन में 60 फुट नीचे बेशुमार पानी वाली ज़मीन ......वहां एक दिन बगल के गाँव से  हमने अपने खेत पर काम करने के लिए कुछ मजदूर बुलवाए ............8 -10 मजदूर चाहिए थे .........सुबह 6   बजते बजते 30 -40 लोग आ गए .........अरे इतने आदमी क्या करेंगे ........अरे बाबूजी अब आ ही गए हैं तो रख लो काम पर .....अरे भाई क्या काम करेंगे .......पैसे भी तो देने हैं .......अरे दे देना कुछ .....फिर भी कितने ...दे देना 6 रु आधे दिन के .......यानी 4 घंटे काम करने के 6 रु .......खैर साहब हो गया तय और वो सब लोग 4 घंटे काम कर के 6 रु के हिसाब से पैसे ले के चले गए ..........शाम को एक आदमी आया और बोला कल सुबह 10 बजे पंचायत है गाँव में ...आपको आना है .....पहुंचे हम दोनों बाप बेटा ......हम दोनों मुजरिम थे ....आरोप सुनाया गया की हमने गाँव में मजदूरी का रेट बढ़ाया इसलिए हमारा हुक्का पानी बंद .....क्यों भाई .....4 रु का रेट था ....6 क्यों दिए .....आप तो अमीर आदमी हो ......दे दोगे ....बाकी लोग कहाँ से देंगे  ???????? खैर साहब हमने हाथ पाँव  जोड़े .......माफ़ी मूफी मांगी तो पंचायत ने 50 रु जुर्माना और एक मुर्गा ले के जान छोड़ी ...........शानदार जमीन .......बेहद उपजाऊ.......फिर भी ये दशा ........वहां की ज़मीन सागौन , नीम्बू प्रजाति के पेड़ों और बेर इत्यादि के लिए बहुत उपयुक्त है फिर भी वो लोग कायदे से खेती नहीं करते ...सामान्य वर्षा होती है ........गाँव  में शायद ही  किसी के पास एक किलो दूध मिल जाए हालांकि भैंसे सबके पास 8 -10 होती हैं ........पर उन्हें खूंटे पर बाँध के नहीं खिलाते .......कोई चारा नहीं देते ........कोई 100 ग्राम दूध देती कोई पाव भर .........और वहां  मैंने एक एक किसान के पास भूसे के विशाल पहाड़ जैसे ढेर देखे .....एक एक ढेर में 20 - 30 ट्रक भूसा ....पर उसे सम्हाल के नहीं रखते ...वो यूँ ही हवा में उड़ जाता और बरसात में सड़ जाता ....न पशु पालन ,न बागवानी ,न कृषि  ...कुछ भी नहीं ........सारा दिन बैठ के ताश खेलते थे .....पूरे इलाके की ज़मीन बकरी और भेड़ पालन के लिए बेहद उपयुक्त है ...चारों तरफ खुला जंगल है ....पर कोई भेड़ बकरी पालन नहीं करता .......तेंदू पत्ता इफरात होता है .....बीडी बनाने का खूब काम है इलाके में ...औरतें बनाती भी हैं पर मर्द सारा दिन ताश ........
                                                     अब आपको मैं ये बता दूं   की बुंदेलखंड जैसा ही पर उस से भी से भी  बदतर इलाका गुजरात में था ....बुंदेलखंड में तो बहुत बारिश  होती है .....गुजरात  तो एकदम सूखा  था ............पर भौगोलिक संरचना एक जैसी है दोनों की .......ज़मीन एक दम प्लेन नहीं है ....सो ऐसी ज़मीनों में छोटे छोटे बरसाती नालों का एक प्राकृतिक नेटवर्क बन जाता है जिसमे बरसात का पानी बहता  हुआ आगे किसी छोटी नदी में  मिल जाता है .........जब नरेन्द्र मोदी मुख्य मंत्री हुए वहां के तो उन्होंने संकल्प लिया और 1000 दिनों में लाखो छोटे छोटे stop dams बना डाले पूरे गुजरात में इन बरसाती नालों पर ......सारा गुजरात उठ खड़ा हुआ था तसले फावड़े ले कर ....आज पूरा गुजरात लहलहा रहा है .........एक एक नाले पर सैकड़ों छोटी छोटी झीलें  बना डाली गुजरातियों  ने ..........गुजरात के एक गाँव में जितना  दूध होता है ...पूरे बुंदेलखंड में उतना नहीं होता ........बुंदेलखंड जैसा ही बेकार इलाका होता था तराई का ....उत्तरप्रदेश में ...आज वहां का हाल देखिये .........पंजाब के किसान वहां बस गए हैं और उन्होंने उसे पंजाब से भी ज्यादा संपन्न बना दिया है .......पंजाब का किसान जहाँ भी गया ...उसने वहां कायाकल्प कर दिया ....फिर बुंदेलखंड को क्या हो गया.........वहां क्यों नहीं पहुंचा पंजाब हरियाणा का किसान ......इसका जवाब इस किस्से में मिल जाता है की पुराने जमाने में एक परंपरा थी बुंदेलखंड में की एक बाप के पांच बेटे तो एक बेटा किसान ,एक पहलवान ,एक पुलिस वाला ,एक वकील ,औए एक बागी .........बागी यानी डकैत .........आज भी वहां किसी के घर में खाने को रोटी हो चाहे न हो 2 -4 नाली rifle बन्दूक ज़रूर होगी .........अब ऐसे इलाके का आदमी ख़ुदकुशी नहीं करेगा तो क्या करेगा .......
                                             अब आप सोच रहे होंगे की बुंदेलखंड में हमारी उस खेती बारी का क्या हुआ ......होना क्या था ....वही हुआ ...जो पूरे बुंदेलखंड का हुआ ........हमारे पिता जी ने वहाँ के एक स्थानीय डकैत से पंगा ले लिया ...........फिर एक दिन उसे खेत पर ही पटक के मारा ........पंगा बढ़ गया तो थाने में FIR कर दी .......बाद में पता चला की डकैत तो बड़ा नामी डकैत था ....3 पुलिसवालों की हत्या कर के बागी हुआ था ....सो दो महीने बाद पिताश्री की सूचना ( मुखबिरी ) पर डाकू साहब का encounter हो गया और फिर हम सब कुछ छोड़ छाड़ के भाग आये ...और वो ज़मीन 3 -4 साल बाद 5000 के रेट से ही एक आदमी को बेच दी जिसका पैसा आज तक नहीं मिला .........
                                              बुंदेलखंड हर लिहाज से .........प्राकृतिक भू सम्पदा ( irrigated fertile land ) ,वन सम्पदा .........भू गर्भीय जल  ( underground water ) ,लोकेशन .......दिल्ली से सिर्फ 6 घंटे दूर है ........सोया बीन जैसी cash crop होती है वहां .......खूब बारिश होती है ...फिर भी वहां के लोगों की काहिली ....दकियानूसी सोच , निकम्मेपन, के कारण आज एक बहुत ही पिछड़ा हुआ क्षेत्र है ............अब ऐसे निकम्मे आदमी का तो हर काम ही निकम्मा होगा सो उसकी सरकार भी निकम्मी .......7266 करोड़ रु मिला है केंद्र से .....पिछले तीन साल में agriculture , water resources , और irrigation के लिए .......पर सरकार वो खर्च ही नहीं कर पाए .....बहिन जी लखनऊ में मूर्ती लगवा रही है और किसान भाई ताश खेल के उठा और कीटनाशक पी गया ............
                                               मेरे एक मित्र ने बताया के बुंदेलखंड से भी बदतर दशा थी रालेगन सिद्धि की आज से 25 साल पहले ............200 भट्ठियां थी शराब की एक गाँव में ....एक दम सूखा था ....नाम मात्र की खेती होती थी ...........एक अन्ना हजारे ने स्वर्ग बना डाला रालेगन सिद्धि को अपने दम पर ..........आज पूरे विश्व से चल कर लोग आते है ....रालेगन सिद्धि का कायाकल्प देखने और समझने ...........बुंदेलखंड को भी अपने अन्दर से कुछ अन्ना हजारे पैदा करने पड़ेंगे ....ख़ुदकुशी करना तो कोई हल नहीं हुआ समस्या का ...........

3 comments:

  1. ab samjha main aapka gussa, us farmer suicide waali post jo maine likhi thi, uske upar :) par that was completely different from this experience of yours

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  2. रानी लक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर आज़ाद, मैथिली शरण गुप्त और ध्यानचंद के बुंदेलखंड की दुर्दशा!

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