Tuesday, July 5, 2011

हमारे दादा के पास हाथी था ...सचमुच का

                                            केरल के एक मंदिर के तहखानों से खजाना मिला है ......मिला क्या अभी तो मिल रहा है ....भाई लोग गिन रहे हैं ...अंदाज़े लगा रहे हैं .....सुना है की अब तक एक लाख करोड़ रु की सम्पदा मिल चुकी है ........सब तरफ से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं ......बहुत से लोगों को याद आ गया की अरे भारत तो सोने की चिड़िया होता था ......अब यदि आप इतिहास पर नज़र दौडाएं तो बहुत कुछ पढने को मिलता है .....पता नहीं कितनी बार मुहम्मद गजनवी ने सोमनाथ का मंदिर लूटा ......और कहते हैं की पता नहीं कितने हज़ार ऊँटों पे लाद के ले गया था और फिर पता नहीं कौन कौन से गजनवी   ...गोरी ...नादिरशाह और न जाने कौन कौन हुआ है जिसने लूटा ...फिर सुनते हैं की 300 साल अँगरेज़ लूटते रहे  .....राजीव दीक्षित जी कहा करते थे की clive हमारे देश से सोना लूट के 900 जहाज़ों में भर के ले गया था .......अब हमारे जैसे भुक्खड़ जिन्हें जिंदगी में पेट  भर दाल रोटी नसीब न हुई ....टूटी चप्पल फटकार के सड़क पर घूमते हैं ......हमसे कोई कहे की हमारे  दादा के पास हाथी था तो हम तो यही कहेंगे की देखो साला छोड़ रहा है लम्बी लम्बी .......अबे इतनी ढील मत दो यार ....उलझ जायेगी भैया ........
                                            पर आज का अखबार देख के तो यही लग रहा है भैया की सचमुच हमारे दादा के पास हाथी था ......अब  हमने हिन्दुस्तान के बड़े बड़े  मंदिरों का नाम सुना है ......एक बार मदुरै चले गए .......वहां सुना था की कोई नामी मंदिर है सो खानापूर्ति करने के लिए चले गए ....किसी से पूछा कहाँ है मिनाक्षी मंदिर ......उसने कहा बस थोडा आगे .........आगे बढे तो एक मंदिर सा दिखा ........5 -7 मंजिला लग रहा था दूर से ......वहां पहुंचे तो पता लगा की भैया ये मंदिर नहीं ...ये तो उसका गेट है ...मंदिर तो अन्दर है .....और भैया अन्दर गए तो देखते रह गए .......उसे मंदिर कहना तो गलत  होगा  ...मंदिर  क्या था छोटा मोटा शहर था भैया .........दो घंटे पैदल घूमते रहे ...अंत में थक हार कर बैठ गए ....बाद में एक नक्शा खरीदा उसका, तो पता चला की अभी तो एक चौथाई ही घूमा है ......अब इतना बड़ा मंदिर देखने के लिए तो अन्दर गाडी की व्यवस्था होनी चाहिए .....अब मुझे लगा की औरंगजेब  अगर इसको भी तोड़ के मस्जिद बनाता तो 500 -700 मस्जिद निकल आती एक में ......... इतना सब देख के हम एक चाय की दूकान पे बैठ गए ...वहां एक सज्जन मिल गए ...बताने लगे की अरे ये तो कुछ भी नहीं ....हिन्दुस्तान में तो इससे भी बड़े बड़े मंदिर हुआ करते थे ..............और इतने बड़े बड़े तो उनके तहखाने होते थे जहा सोना हीरे जवाहरात भरे रहते थे ............हमने मन ही मन कहा देखो साला छोड़ रहा है लम्बी लम्बी .......फिर मुझे उसमे एक हिंदूवादी, साम्प्रदायिक, RSS का agent दिखने लगा जो ऐसी लम्बी लम्बी गपाश्टक छोड़ के ,बेचारे मुसलमानों को बदनाम करके, देश का साम्प्रदायिक सौहार्द छिन्न भिन्न कर रहा है ....देश को तोड़ने की बात कर रहा है ......अब आज का अखबार पढ़ के मुझे ये समझ नहीं आ रहा की ये अखबार लम्बी लम्बी छोड़ रहा है ...या वो तमाम लोग लम्बी लम्बी छोड़ते थे जो आज तक कहते थे की भारत सोने की चिड़िया ...और न जाने क्या क्या था ....यहाँ कोई गरीब था ही नहीं .....और भैया इस मंदिर का तो हमने आज तक नाम ही नहीं सुना था .....अगर इसके तहखाने में इतना निकला तो बाकी जो बड़े बड़े नामी मंदिर थे ,जो लूट लिए गए ...उनके तहखाने में क्या कुछ रहा होगा ...........
                                      आज सुबह ,यहाँ योगपीठ में बाबा रामदेव बताने लगे की हमारा देश कितना संपन्न था .....यहाँ कोई गरीब था ही नहीं .....हर आदमी धन्ना सेठ होता था ........अब जो लोग दान में इतना कुछ दे रहे हैं उनके पास इससे ज्यादा ही रहा होगा ......... अब ये तो इतिहासकार लोग ही बताएँगे की सच्चाई क्या है ...ये सारी सम्पदा दान की थी ....टैक्स की थे ...या राजाओं ने या पुरोहितों ने जनता का शोषण कर के जमा की थी ........आखिर इतनी सम्पदा को सहेज के रखने का मतलब क्या था ....यह जन कल्याण के कार्यों में खर्च क्यों न हुई .........इसपे बाबा रामदेव बताने लगे की पूरे विश्व को सामान एक्सपोर्ट  होता था यहाँ से ......और बदले में सिर्फ सोना चांदी और हीरे जवाहरात आते थे ....हम कुछ import नहीं करते थे ........यूरोप और अरब में तो कुछ था ही नहीं ....बात भी सही है ....अरब में तब कौन सा तेल था  ??????? खजूर के अलावा होता ही क्या रहा होगा ......यूरोप का पता नहीं .....खैर जो भी है बताया जाता है की भारत की आम जनता इतनी सुखी थी की किसी को कोई कमी नहीं थे ....सोना चांदी इफरात था .....पैसा खर्च करने की जगह ही नहीं थी ......सो कहाँ खर्च करते .....बस यूँ ही पड़ा रहता था ......
                                    अब अपन यहाँ कंफ्यूज  हो जाते हैं  ...एक बार मन करता है की इन बातों पर विश्वास कर लें ....हाँ यार सचमुच सोने की चिड़िया था अपना देश ......चलो रहा होगा ......पर आज क्या है    ????????? और आगे क्या होगा ........इसका बहुत अच्छा जवाब आज यहाँ बाबा रामदेव ने हरिद्वार में दिया ..........दोस्तों ....अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है .....भारत अब भी सोने की चिड़िया बन सकता है .......आखिर 120 करोड़ इमानदार और मेहनती लोग हैं यहाँ ......( एक करोड़ चोर डाकू मैंने छोड़ दिए हैं ) .....ज़रुरत है इन 120 करोड़ लोगों का  चरित्र निर्माण कर के इन्हें राष्ट्र की सेवा में ...राष्ट्र के पुनर्निर्माण के पथ पर अग्रसर किया जाए .......इन्हें आत्मग्लानि और निराशा की गर्त से बाहर निकाला जाए ........भारत आदि काल से ही आर्थिक ,सामजिक ,सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से पूरे विश्व का गुरु रहा है ...आगे भी रहेगा .......आवश्यकता है पुनर्जागरण की , व्यवस्था परिवर्तन की .........भारत की युवा पीढ़ी से मेरा अनुरोध है की पश्चिम की और ताकना बंद कर के अपने गौरवशाली अतीत में झांकें .......वहीं से हमें आगे की दिशा तय करने का संबल मिलेगा ........




2 comments:

  1. kamaal likha hai... dada ji ko awaaz diya jaye , khoyi sampda kuch hamen bhi mile

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  2. जी आप ने ठीक कहा
    , मैंने भी ये महा विशाल मंदिर देखा है,
    जो कि किसी बडे किले से कम नहीं है।
    बाहर आने पर यह समझने में समय लगता है कि हम कहाँ से घुसे थे।

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