Saturday, September 24, 2011

चलते रहो .......चींटियों की तरह

कल रात हम दोनों बाप बेटे सोने की तैयारी कर रहे थे,बिस्तर पर लेटे  ......नींद आने का इंतज़ार कर रहे थे ...सामने दीवार पे चींटियों की कतार .....अपने काम में लगी थी ........कुछ जा रही थीं ,कुछ आ रही थीं .........हम दोनों बस यूँ ही उन्हें लेटे लेटे देखते रहे ,बहुत देर तक ........क्या जीव बनाया है इश्वर ने ......बचपन में एक दंतकथा पढ़ी थी उनके बारे में ........यूँ की एक बार ईश्वर भी बड़ी देर से यूँ ही देख रहा था इन चींटियों को यूँ ही  काम करते और फिर वो इतना इम्प्रेस हो गया इनकी मेहनत को देख के कि उसने इन्हें ये आशीर्वाद दे डाला कि बेटा तुम लोग इतनी मेहनती हो कि अपने इसी गुण के कारण एक दिन इस धरती पर तुम्हारा राज हो जाएगा .........और चींटियों ने  इस बात पे विश्वास भी कर लिया और दूने उत्साह से सारी चींटियाँ अपने अपने काम में लग गयीं ...वो दिन और आज का दिन , धरती की सारी चींटियाँ सारा दिन काम में लगी रहती हैं ....भागी फिरती हैं ........और आज भी हर चींटी , सामने से आती हर चींटी से रुक कर पूछती है ........क्यों हमारा राज हुआ धरती पे ????????  तो सामने वाली कहती है .....बस बस होने ही वाला है .....और इतना सुन के फिर वो आगे बढ़ जाती हैं .....उसी उत्साह से .....जुट जाती हैं अपने काम में .....क्योंकि वो जानती हैं कि उनका राज  बस होने ही वाला है पूरी धरती पे ...........बड़ी छोटी सी , बड़ी simple सी कहानी है .....पर कितनी बड़ी फिलोसोफी छिपी है इसके पीछे ........
                                    बच्चे मेहनत कर रहे हैं दिन रात ........सुबह 5  बजे उठ जाते हैं ....फिर हाड तोड़ मेहनत करते हैं ground  में .......अपना खून जलाते हैं ......पसीना बहाते हैं ....रोज़ चोटें लगती हैं .......पिछले दिनों मेरे बेटे की गर्दन पे एक प्रतिद्वंदी पहलवान ने 20  मिनट तक घुटना रख के रगडा ......गर्दन छिल गयी ......पर अगले दिन वो फिर 5 बजे ground  में था .........दुखते शरीर के सारे कष्ट भुला के ......लक्ष्य प्रप्ति हेतु ....अनवरत संघर्ष करते हुए ........सारी धरती पर राज यूँ ही नहीं हो जाया करता ....स्वयं पर और अपने लक्ष्य  पर अटूट भरोसा कर के ....चींटियों की तरह दिन रात लगे रहना पड़ता है ..........बरसों तक ......फिर एक दिन सारी धरती पे राज हो जाता है तुम्हारा .......
उत्तिष्ठत जाग्रत
प्राप्य वरान्निबोधत ।
क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्ययादुर्गं
पथस्तत्कवयो वदन्ति ॥ कठोपनिषद 
Arise, awake, and learn by approaching the exalted ones,for that path is sharp as a razor’s edge, impassable,and hard to go by, say the wise.
जागो , उठो और लक्ष्य प्राप्ति तक आगे बढ़ते रहो .......विद्वत जन ने कहा है की ज्ञान प्राप्ति  का मार्ग अत्यंत कठिन हैं .....तेज़ किये हुए उस्तरे पे चलने के समान........फिर भी चलते  रहो .......चींटियों की तरह







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