Sunday, October 16, 2011

खूबसूरत मकबरे में दफ्न सपने

                                            असली नाम तो याद नहीं ,पर प्यार से रानी कहते थे उसे ........बाप बचपन में ही मर गया था .....तहसीलदार हुआ करता था ............उसकी जगह मां को अनुकम्पा नियुक्ति मिल गयी थी ...........तीन भाई बहन थे ............वो सबसे बड़ी थी . मां ने अच्छे से पढ़ाया लिखाया था .....अच्छे से यानी दसवीं ,  बारहवीं और BA .........बेटा सबसे छोटा था .....बेटा ....वो भी सबसे छोटा , तो लाडला होना तो जायज़ ही है .....बेटे को एक प्राइवेट  कॉलेज से इंजीनियरिंग कराई और  बेटी को स्थानीय कॉलेज से BA...... फिर BA कराने के बाद उसे यहाँ भेज दिया था .....अपने ननिहाल जहां उसके मामा और नाना उसके लिए लड़का ढूंढते थे ........जिससे कि उसकी शादी हो जाए .......किसी तरह ........बड़े बड़े सपने देखा करती थी ......बड़ी बड़ी बातें किया करती थी .......आगे और पढना चाहती थी .......खूब खूब पढना चाहती थी ..........बड़ी मस्त लड़की थी .....जोर जोर से हंसती थी ....फिर मुझ जैसा बातूनी और गपोड़ी साथ बैठा हो तो माहौल ही  अलग टाइप का बन जाता है ........सो हम लोग सारा दिन बैठ के गप्पें मारते थे ......मै सारा दिन उसे किस्से सुनाता था ......बहस  होती थी ....हर विषय पर वो अपनी राय रखती थी ........कभी उसने मेरी हाँ में हाँ नहीं मिलाई .......हर बात में एक नया तर्क देती थी .......उसकी अपनी एक personality थी ..........मैं उसे कहा करता था कि  तुम्हे तो वकालत करनी चाहिए ........या फिर पत्रकारिता .......इसपे वो एकदम चुप हो जाती थी .......उसे  इस बात का तनाव रहता था की उसकी शादी को ले कर पूरा परिवार परेशान रहता था .........पूर्वांचल में पढ़ी लिखी ( ये " पढ़ा लिखा " शब्द बड़ा जटिल है और इसका अर्थ बड़ा व्यापक होता है ) लड़की की शादी बहुत बड़ा काम होता है ....इतना बड़ा , atlantic ocean को तैर के पार करने जैसा ...........लड़की इस बात से तनाव में रहती थी कि  वो कितना बड़ा बोझ है अपने परिवार पर ..........खैर किसी तरह उसकी शादी हो ही गयी ....बनारस के एक अच्छे परिवार में ......उसके ससुर एक बैंक के बड़े अधिकारी थे ....उसका पति दिल्ली की किसी  कम्पनी में काम करता था .........अच्छा ख़ासा सम्पन्न परिवार था . शादी  के बाद उससे संपर्क टूट गया ..........फिर एक दिन , 2 -3 साल बाद मैं बनारस किसी काम से गया था ,किसी से मिलने .....फिर मुझे अचानक ये अहसास  हुआ कि  मैं तो रानी के घर के सामने से ही निकल रहा हूँ ,और मैंने बस यूँ ही , अनायास ही घंटी बजा दी .....एक छोटू टाइप लड़के ने दरवाज़ा खोला ,फिर एक बुज़ुर्ग महिला आयीं .........और फिर उन्होंने रानी को बुलाया ......वो मुझे देख के आश्चर्य चकित थी ,कि  मैं कहाँ से टपक पड़ा और मैं उसे देख के आश्चर्य चकित था कि  इसे क्या हो गया ,  वो चमकती बनारसी साडी में ,गहनों से लदी फदी ,ऊपर से नीचे तक ,और पूरे फ़िल्मी मेकप  में ..........सोलहों श्रृंगार किये .....अब मैं ठहरा एक नंबर का हंसोड़ ,गंवार और मुहफट आदमी ......मैंने छूटते ही उससे पूछा , ये क्या नाटक फैला रखा है .....एकता  कपूर  की शूटिंग  चल  रही है क्या घर  में  ????????  पर उसे जवाब  देने  का मौका  नहीं मिला  क्योंकि  वो उसकी सास  टाइप औरत  उसके बगल  में आ  कर बैठ  गयी थी ..........लगभग आधा घंटा रहा मैं वहां पर .....उसकी सास जमी रही वहीं पर .........चाय नाश्ता  हुआ .....इधर उधर की बातें हुई .........क्या करती हो आजकल सारा दिन ??????  करना क्या है .....टीवी देखती हूँ सारा दिन .........मैंने पूछ लिया कुछ करती क्यों नहीं ......जवाब उसकी सास ने दिया .......किस चीज़ की कमी है घर में ????? ज़रुरत ही क्या है कुछ करने की  ???????? हमें कोई बहू से नौकरी करवानी है ??????? अब इसके बाद पूछने के लिए कुछ बचा न था ........बहुत सी बातें हुई इस दौरान .......मूक भाषा में ........जब तक मैं वहाँ रहा ...हम बातें करते रहे ..........उसी मूक भाषा में ........मैंने पूछा उससे ....क्या हुआ उन सपनों का .....जो तुम देखा करती थी ..........वो बोली , दब गए इन गहनों के बोझ तले ........मैंने पूछा कहाँ गयी वो हंसी ....जो तीसरे मोहल्ले भी सुनायी देती थी .......छुपी हुई है , मेकप की इस मोटी परत के पीछे ..........क्या करती हो सारा दिन  ?????? एक चमकती हुई ट्राफी की तरह पड़ी हूँ इनके drawing room में  .........क्या हुआ तुम्हारे career का .....फुल टाइम house wife होना भी तो career ही है .......
                                                         पिछले दिनों उस लड़की के मामा आये थे मुझसे मिलने ....मैंने पूछा कैसी है रानी .......कहाँ है ..........क्या करती है ??????? वहीं रहती है बनारस में ......बहुत खुश है ....बहुत सुखी है ....एक बेटी है .....भरा पूरा परिवार है ....किसी चीज़ की कमी नहीं है ...........अजी कुछ करने की ज़रुरत ही नहीं ....बड़ा सम्पन्न परिवार है .......मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कि जा कर उसे देख आऊँ .......एक खूबसूरत मकबरा है वो........संगे मर्र्मर्र का ........ जिसमे दफ्न है उसके वो सारे सपने

4 comments:

  1. मकबरा भी कहा जा सकत है और परिवार को एक सूत्र में बांध रखने वाली गृहणी भी दोनो का अपना अपना स्थान है चाहे कमाई मे पति के साथ कंधे से कंधा मिलाती औरत हो या गृहणी अपने फ़ायदे भी है और नुकसान भी पर यह बात उस महिला के व्यक्तित्व पर भी निर्भर करती है कि उसे कौन सा रूप पसंद है

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  2. ्दो सोच को जन्म दिया है………………अगर वो खुश है तो ठीक है और यदि नही उन हालात से तो बात गलत है।

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  3. me kisi tark me nahi padungi sir par ye sach hai kabhi kabhi ye gahnon ka bojh bhari padne lagta hai aur ye bhi utna hi bada sach hai ki kabhi noykri karna ghar sambhalna yahi tathakathit working women hona bhi apne aap me kasht dene lagta hai......

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  4. कनु जी ......मुद्दा नौकरी करने का नहीं है ........मुद्दा identity का है ......उसकी अपनी खुदी .....existence .......का है ........

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