एक बार ट्रेन में एक नेताजी मिल गए थे .....बिहार से थे ......नेता मूलतः बड़ा मजेदार प्राणी होता है .........उससे गप्पें मारने में बड़ा अच्छा टाइम पास होता है , सो अपन शुरू हो गए .........उन दिनों अपने लालू जी सत्ता में थे ......और उन्हें गरियाने में बड़ा सुख मिलता था .........ज़रा सा कहीं मौका मिला नहीं की निकालने लगे भड़ास .....और यकीन मानिए ऐसे जो फेवरिट पात्र होते है ....उन्हें गरिया के बड़ा मज़ा आता है ........इतनी शान्ति मिलती है की आत्मा तृप्त हो जाती है .....यूँ लगता है जैसे तपते रेगिस्तान में बारिश की बूँदें पड़ गयी हों .........
तो उस दिन ट्रेन में तोप के मुह के सामने थे अपने लालू जी ...... और वो जो नेता जी थे वो भी लालू विरोधी ही निकले .........फिर बिहार की बदहाली पर बिहारियों को गरियाने का सिलसिला चल पड़ा .........मुख्य विलेन लालू जी थे ........तो उन नेता जी ने बड़ी अच्छी टिप्पणी की एक ........उनका तर्क था की लालू और उनके आन्दोलन ने बिहार की दलित , दबी कुचली , ज़मींदारों और सामंतों की सताई हुई गरीब जनता को आत्मसम्मान से जीना सिखाया ....और उन्हें इस अगड़े सामंतों के सामने खडा कर दिया ........उन्हें उनके राजनैतिक और सामाजिक हक़ दिलवाए .........अब वो भी ठाकुर साहब और यादव जी के सामने खड़े हो कर गरिया सकते थे ...........उनकी इस बात से तो मैं भी सहमत हूँ ..........उस दौर में ये ज़रूरी भी था ......पर उसके बाद लालू जी को तुरंत इस अराजकता को सम्हाल लेना चाहिए था और कानून व्यवस्था और विकास पर ध्यान देना चाहिए था ..........इसमें वो चूक गए और बिहार को उन्होंने 15 साल तक गर्त में धकेल दिया .........अब बमुश्किल नितीश बाबू ने बिहार को सम्हाला है ......एक सज्जन मिले पिछले दिनों ........बिहार से थे ....वो बताने लगे की अब हालात काफी सुधर गए हैं .....ये की उनके गाँव में बिजली आ गयी है ....बगल वाले गाँव में भी खम्बे गड़ गए हैं .....जल्दी ही तार भी बिछ जायेंगे .........मैं आश्चर्य चकित था ...मैंने पूछा ...बिहार में अब आयी है बिजली ....सन 2011 में ....वो बोले अजी नहीं जनाब .....हमारे गाँव में बिजली तो सन 62 में ही आ गयी थी ........पर लालू जी के राज में जब अराजकता फैलने लगी तो बिजली मिलनी बंद हो गयी ......फिर चोर लोग खम्बों से तार चुरा ले गए .......उसके बाद लोगों ने उन खाली पड़े खम्बों को भी उतार लिया और अपने अपने हिसाब से सदुपयोग कर लिया ..........अब ये बातें आपको अजीब सी लग रही होंगी .....सहसा मुझे भी विश्वास न होता ....पर मैं एक बार 2001 में बिहार के सिमुलतला ( अब ये झारखंड में है ) में ये नज़ारा देख चुका हूँ जहां पिछले 6 महीने से बिजली नहीं थी क्योंकि तार चोर 8 किलो मीटर तार काट ले गए थे ....इसकी चर्चा मैं अपने पूर्व लिखित पोस्ट http://akelachana.blogspot.com/2011/05/blog-post_24.html लालू यादव का सिमुलतला में भी कर चुका हूँ ........
पिछले दिनों अपने गाँव जाने का मौका मिला .......इस बार बनारस से गाजीपुर के बीच बस से यात्रा करनी पड़ी .....वो सड़क जो नब्बे के दशक में एक दम चिकनी हुआ करती थी .....जिसपे हम लोग 100 -120 पे कार दौडाते थे ........उसपे गड्ढे थे ....गड्ढे भी ऐसे वैसे नहीं ........ये बड़े बड़े गड्ढे ....पूरी सड़क टूटी पड़ी थी .........70 किलोमीटर के सफ़र में बस से तीन चार घंटे लग गए .......national highway -29 है ये ........इसके बारे में कहा जाता था की 2010 तक ये 4 लेन हो जाएगा .......आज उस सड़क पे चलना दूभर हो गया है .....उधर गुजरात के बारे में सुनते हैं कि वहाँ की गाँव की सडकें भी शानदार बन गयी हैं ........बिहार में सुनते हैं कि जिस सफ़र में पहले चार घंटे लगते थे अब एक घंटे में पूरा हो जाता है ........अगर सड़कों को पैमाना मान लिया जाए तो बिहार गुजरात बनने की ओर अग्रसर है और उत्तरप्रदेश लालू जी का बिहार बन रहा है .........हमारे गाँव में सन 65 में 6 घंटे बिजली आती थी .....आज भी 6 घंटे ही आती है .......बहिन मायावती जी को इतिहास से सबक लेना चाहिए ........मतदाताओं को अपने बिहारी और गुजराती भाइयों से कुछ सीखना चाहिए..........दलित महापुरुषों की मूर्तियाँ और पार्क बनवा कर दलितों में आत्मसम्मान का भाव जागृत करना निस्संदेह आवश्यक है .....परन्तु पेट यदि भरा हो तो शायद ये आत्मसम्मान का भाव ज्यादा देर तक टिकेगा .......तेज़ी से लालू का बिहार बनते उत्तर प्रदेश की जनता को दीपावली की शुभ कामनाएं ........
Ek baat ka zikar karna aap bhool gaye...UP main encephalitis se marte bachhe par Miss mayawati ka dhyan apne shringar aur murti sthapit karne se hate to kuch UP ki unnati ho....sach hai sir ki India Shining....Shubh Deepavali!!!
ReplyDeleteअजीत बाबू अगर आपने दिल्ली-शामली-सहारनपुर-चकराता मार्ग देखा है एक साल से लेकर आज तक तो आप मान जाओगे कि ये मार्ग यूपी का सबसे खराब मार्ग है, वैसे मार्ग बचा ही नहीं अत: ये तो कह ही नहीं सकते कि इसमें खड्डे है?
ReplyDeleteएक प्रश्न खड़ा हुआ ??? अजीब विडम्बना है...अब तो लोग भी मानने लगे कि साहब कुछ नहीं हो सकता....ये है हमारे देश कि राजनैतिक जागरूकता....पर बात मानिये अगर देश कि सरकार चाह दे कि देश का विकास करना है...तो एक साल में फर्क दिखने लगेगा.....नितीश के बिहार के विकास ओ कई लोग अभी तक महज छलावा कहते है...मोदी के गुजरात का तो आप देख ही रहे है....
ReplyDeleteअजी काहे जा रहे हैं उस सडक पर
ReplyDeleteमायावती ने इत्ता बडा पार्क बनवा दिया वहीं बैठिये, घूमिये ना
वहां तक सडक भी चकाचक है और बिजली भी पूरी रात चमाचम करती है। :)
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