मेरे एक दोस्त हुआ करते थे .....यादव जी थे ......एक दिन खबर आई कि मर गए ......बढ़िया आदमी थे .......भरी जवानी में मर गए ...heart attack
से मरे थे .......दुःख हुआ .......हम लोग फूंक ताप के आ गए .......कुछ दिन
बाद पता चला कि श्रीमान जी जातिवाद की भेंट चढ़ गए ........मेरी बीवी ने
पूछा कि दिल की बीमारी का जातिवाद से क्या सम्बन्ध होता है ....क्या ये
अहीरों को ज्यादा होती है .......मैंने कहा भाग्यवान ........क्या बेवकूफों
जैसी बात करती हो ......वो बोली नहीं ,जैसे यादव जी लोगों के
घर दूध मलाई ज्यादा होता है न , हो सकता है कि घी दूध ज्यादा खाने से दिल
के मरीज़ हो जाते हों ........अब मेरी बीवी ठहरी पंजाब के शहर की
लड़की........ वो क्या जाने की पूर्वांचल में जातिवाद का क्या मतलब होता है
.........सो उसे खोल के समझाना पड़ा ....पूरा डिटेल में ......विस्तार से
....अब बात यूँ है कि जातिवाद हमारे देश में है तो तकरीबन हर जगह ....कहीं
कम कहीं ज्यादा .......पर हम पुरबियों ने इसमें कुछ ज्यादा ही महारथ हासिल
की है ........देश के बाकी हिस्सों में लोग अपनी जात में शादी करते हैं
...और कुछ ( या काफी सारे ) जाहिल किस्म के लोग अपनी जाती के उम्मीदवार को
वोट देते हैं .......बस जातिवाद यहीं ख़तम हो जाता है ...पर हमारे यहाँ
पूर्वांचल में ये ज्यादा व्यापक है ........
हमारे गाँव के बगल में एक कस्बा है छोटा सा .....सादात .......वहाँ तीन बड़े intermediate college ( + 2 स्तर के स्कूल
) चलते हैं .....अब तो उनके मैनेजमेंट ने डिग्री कॉलेज भी शुरू कर लिए हैं
........एक राजपूतों का है ....बापू इंटर कॉलेज , एक यादवों का ....समता
इंटर कॉलेज , और एक भूमिहारों का , गोविन्द इंटर कॉलेज .......अब आप इलाके के किसी भी लड़के से पूछ लो ....क्या नाम है बेटा ?????? सुरेश यादव ....
समता में पढ़ते हो ????? जी हाँ ....अगर नाम है सुरेश सिंह तो बापू में
पढता होगा और अगर नाम है सुरेश राय तो गोविन्द में पढ़ेगा ......यानी पढ़ाई
भी अपनी जात के स्कूल में .....अब इन स्कूलों में हेडमास्टर से ले कर मास्टर और चपरासी तक सब एक जात के ........मैंने कई बार कुछ parents से ये जानने की कोशिश की कि वो ऐसा क्यों करते हैं .......तो उन्होंने मुझे बताया कि वो उस माहौल में comfortable फील करते हैं ........अबे तेरा बेटा कोई अफगानिस्तान में युद्ध लड़ने जा रहा है जो तू comfortable
फील करना चाहता है ....अब आइये ज़रा अस्पताल और डाक्टरों की बात करते हैं
....लोग डाक्टर भी अपनी जात का खोजते हैं .......तो मैं अपने जिस दोस्त की
बात कर रहा था जब उनकी पहले दिन तबियत खराब हुई तो घरवाले लाद के ले गए
केशव डाक्टर के पास ....केशव यानी केशव यादव .....झोला छाप डाक्टर हैं
....बड़ा अस्पताल चलाते हैं ..........उन्होंने सुई लगा के घर भेज दिया
...जाओ कुछ नहीं हुआ है ....दूध में हल्दी डाल के पिलाओ ठीक हो जाएगा
.........तीन दिन बाद फिर तबियत खराब हुई तो घरवाले फिर लाद फाद के
....सरकारी अस्पताल के सामने से होते हुए पहुंचे कमला यादव के पास ....वो
भी झोला छाप .........जब तक उनकी समझ में कुछ आता , यादव जी टें बोल गए
......रोआ राट मची ...लाद के सरकारी अस्पताल पहुंचे ...वहाँ MD cardiologist था ...उसने revive करने की कोशिश की , पर तब तक पंछी उड़ चुका था .....बाद में पता चला की तीन दिन पहले पहला heart attack
हुआ था .......उसमे तो बच गए ......दूध हल्दी पी रहे थे ....फिर आज दूसरा
हुआ तो वो साथ ही ले गया ..........अगर यादव जी अपना जातिवादी पूर्वाग्रह
त्याग कर पहले दिन ही अस्पताल चले जाते तो शायद आज हमारे बीच होते .....पर
क्या करें वो कमबख्त सरकारी डाक्टर ब्राह्मण था ....और आप तो जानते ही है कि
यी ब्राह्मण कितने कमीने होते है , लिहाजा मेरे दोस्त ,यादव जी ने , जान
दे दी पर किसी ब्रह्मण डाक्टर के पास नहीं गए .
मोदी के गुजरात में ये आरोप लगाया जाता है की वहाँ मुसलामानों का सामाजिक
बहिष्कार हो रहा है ....हिन्दू मुसलामानों की दुकान से सामान नहीं लेते
.......... ....मेरे एक दोस्त हैं मुसलमान ......... बड़े पुराने दोस्त है
...कई साल तक हम साथ रहे ...कई साल बाद मैंने ये नोट किया की ये जनाब आज
तक कभी किसी हिन्दू की दुकान पे नहीं गए .........अब मुसलमान हलाल meat
खाने के लिए मुसलमान की दुकान से ही खरीदते हैं ..........यहाँ तक तो
जायज़ है .......पर उनका तो दही दूध ,कपडा लत्ता ,दावा दारु ,यहाँ तक की
छोटा से छोटा सामान भी मुसलमान की दूकान से आता था .........किसी हिन्दू की
दुकान पर उन्होंने आज तक पैर नहीं रखा .......फिर मैंने अपने इर्द गिर्द
बाकी मुसलामानों को भी नोट करना शुरू किया ........... वो भी अपने मजहब का
ही मदरसा ,स्कूल कॉलेज ,university ,अस्पताल डाक्टर खोजते
हैं ...........सुना है कि आजादी से पहले हिन्दुस्तान में रेलवे स्टेशनों
पर हिन्दू मुसलामानों के लिए अलग टूटियां होती थीं जहाँ लिखा होता था
.....हिन्दू पानी .....और मुस्लिम पानी .........कमबख्त पानी को भी मजहब
में बाँट रखा था .........कई ढाबे आज भी दिख जाते हैं ......... ABC हिन्दू
होटल ........मैंने इसके बारे में पूछा तो पता लगा कि यहाँ
हिन्दू होटल का मतलब शाकाहारी होता था जैसे यहाँ पंजाब में वैष्णु होटल
कहते हैं .......पर हिन्दू मुसलमान आज भी अलग होटलों में ही खाना पसंद करते
हैं .........
पिछले दिनों जब देश में जन गणना होने लगी तो लालू
, मुलायम , शरद यादव और पासवान जैसे नेता हिल गए ....... मनमोहन सिंह की
सरकार चाहती थी कि जातीय आधार पे जन गणना न हो ...पर इन बेचारों की तो
दुकानदारी ही इनकी जात से चलती है ....जात न रही तो ये कहाँ के रहेंगे
.......व्यक्तिगत जीवन में VP singh बेहद इमानदार आदमी थे
....उनके जैसे इमानदार नेता भारतीय राजनीति में कम ही हुए हैं
........परन्तु राजनैतिक रूप से उन जैसा बेईमान भारतीय राजनीति में न हुआ
......अपनी व्यक्तिगत राजनैतिक महत्वाकांक्षा के लिए इस व्यक्ति ने मंडल
कमीशन की रिपोर्ट लागू कर भारतीय समाज में जातिवाद को बेहद मजबूती से
पुनर्स्थापित कर दिया .......अन्यथा 90 के दशक में भारत जाति प्रथा की इन बेड़ियों को तोड़ता लग रहा था ........ आज 20
साल बाद भी हमारे देश में जाति वाद पल्लवित पुष्पित हो रहा है .......फल
फूल रहा है ....नित नयी ऊँचाइयों को छू रहा है .........पिछले दिनों अन्ना
हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में इसका एक रूप देखने को मिला
.......बताया गया की दलित और मुसलमान इसमें शामिल नहीं .....क्यों भैया
........तो एक श्रीमान जी हैं ....उदित राज जी ....दलितों के स्वयंभू
प्रवक्ता कहाते हैं ....वो बोले ये आन्दोलन है संसद विरोधी ......संसद
विरोधी है तो संविधान विरोधी हुआ .........अब संविधान बनाया बाबा साहेब ने ,
सो जो संविधान विरोधी वो बाबा साहब का विरोधी ...और जो बाबा साहब का
विरोधी वो दलित विरोधी .......इसलिए अन्ना हजारे का ये आन्दोलन दलित विरोधी
है ....हम इसमें शामिल नहीं होते ....हम इसका विरोध करते हैं
.........अच्छा भैया मुस्लिम विरोधी कैसे हुआ ??????? वो यूँ की RSS ने समर्थन कर दिया न .....अब जिस चीज़ का समर्थन RSS करेगा उसका विरोध तो मुसलामानों को करना लाज़मी है .......सो मुसलमान भी अन्ना के आन्दोलन के विरोध में है ............
पर यहाँ तक तो गनीमत
है ........पिछले महीने एक और इलहाम हुआ मुझे ...वहां गाजीपुर में एक बहुत
बड़े संत महात्मा के निजी कक्ष में बैठा हुआ था मैं ...साथ में कुछ और
भक्त गण भी थे ....काफी देर बाद ये अहसास हुआ की सभी भक्त राजपूत थे
....मैंने धीरे से अपने उस मित्र से पूछा जो मुझे ले के गया था ......क्या बात है ......बाबा
ठाकुरों से घिरे हैं .....वो बोले हाँ ठाकुरों के ही बाबा हैं ये
........पिछले दिनों एक TV चैनल पे रिपोर्ट आ रही थी कि दो अहीरों ने
सोनिया , मनमोहन की नाक में दम कर रखा है .........बाबा रामदेव और अन्ना
हजारे ने .....सुना है कि दोनों अहीर हैं ..........फिर मुझे ये बताया गया
की अपने भगवान् राम ...अरे वही रामायण वाले ...वो भी तो ठाकुर ही थे
......और कृष्ण जी अहीर थे ........सो बाकी जात वालों को बड़ी हीन भावना
हुई सो सबने अपनी अपनी जात का भगवान् खोजना शुरू कर दिया ........सो आपको
ये जान कर आश्चर्य होगा की वहां पूर्वांचल में भगवान् लोग भी सरनेम लगाने लगे हैं .........
आधुनिक समय में ये
दकियानूसी सोच ख़तम होनी चाहिए ........पर ये दिनोदिन बढ़ रही है .......
भारतीय समाज में एक बहुत बड़े समाज सुधार आन्दोलन की ज़रुरत है जो इस रोग
से समाज को मुक्त करा सके ........... अन्यथा भारतीय राजनीती इसे और गहरे
गर्त में ले जाएगी .
जबतक बंटे रहेंगें नेताओं की चलती रहेगी।
ReplyDeleteएकजुट ना होने देना ही तो राजनीति है।
ब्राहम्णों के गणपति से पहले तेलियों के गणपति कैसे निकल सकते हैं विसर्जन के लिये। :)
प्रणाम
आधुनिक समय में दकियानुसी सोंच बंद होनी चाहिए ..
ReplyDelete.. आपको दीपोत्सव की शुभकामनाएं !!