आज के अखबार में है खबर , कि
अब श्री श्री रविशंकर जी भी कूद पड़े हैं मैदान में .........भ्रष्टाचार के
खिलाफ ........... उन्होंने जौनपुर में एक कार्यक्रम में भ्रष्टाचार के
खिलाफ मुहीम शुरू की है .वो सत्संग कर के लोगों से भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े
होने की अपील कर रहे हैं . उसपे समाजवादी पार्टी के एक नेता जी हैं आज़म
खान साहेब , उनकी एक टिप्पणी आई है ............ लो जी अब एक जुल्फों वाले
बाबा भी आ गए ............मुझे ये बात समझ नहीं आती कि अगर ये बाबा लोग ऐसा
कर रहे हैं तो सत्ता प्रतिष्ठान और राजनैतिक दलों में ये बचैनी क्यों है ?
तल्ख़ टिप्पणियां क्यों हो रही हैं ?????? दूसरी बात ये कि क्या बाबा लोग
को ऐसा करना चाहिए ? क्या स्वामी रामदेव को काले धन के खिलाफ मुहिम चलानी
चाहिए ? उस दिन जब रामलीला मैदान से बाबा को पुलिस उठा के हरिद्वार छोड़ आयी
तो बहुत से लोगों ने ये प्रश्न पूछा .........क्या ज़रुरत है आपको ये सब करने की ? दरअसल उनका कहने का मतलब ये है कि , क्यों पंगा ले रहे हो यार ? बाबा गिरी बढ़िया चल ही रही है . भक्त लोग चरणामृत ले ही रहे हैं .मुख्यमंत्री लोग माथा टेकते हैं..... लाइन लगा के .........AC आश्रम है यार .योगा सिखाओ , पैर पुजवाओ .चन्दा बटोरो .ऐश करो ........ बाबा हैं की मरे जा रहे हैं .......धूल फांक रहे हैं सड़कों की .......सुबह 5 बजे भोंकना शुरू करते हैं .........रात 11 बजे तक भोंकते हैं .........न आप चैन से जियेंगे न दूसरों को जीने देंगे ...............9 महीने में एक लाख किलोमीटर घूम दिए ......अब फिर चल पड़े हैं .......इस बार दो लाख Km दौड़ेंगे
........सरकार पीछे पड़ी है .....एक एक कागज़ छान रही है ........ चरित्र
हनन कर रही है ....जेल भेजने की तैयारी कर रही है .....बाबा फिर भी अड़े है
........फांसी पे लटका दो ....गोली मार दो .......... मंज़ूर है
.........पर राष्ट्र धर्म निभाऊंगा .......सन्यासी का धर्म निभाऊंगा
.......निजी बातचीत में वो बड़ी तफसील से समझाते हैं ....अच्छा ये बताओ
....ये न करूँ तो और क्या करूँ ......बैठ जाऊं सचमुच आश्रम में .........चुपचाप
.....यही एक ही जीवन तो मिला है काम करने के लिए ....और आजतक जो कुछ किया
क्या वो अपने लिए किया ?????? मुझे कौन सी बेटी ब्याहनी है .....मेरे कौन से बेटे हैं जिनके लिए धन जोड़ना है .....पर हाँ , मेरे 121
करोड़ बेटे हैं ....उनके लिए जो कुछ बन पड़ेगा करूँगा .............एक और
बात कहते हैं की आखिर सारी दुनिया क्या करती है .......एक बीवी होती है , 2 -3 बच्चे होते हैं और उस एक बीवी और 2 -3 बच्चों को खुश रखने में सारी जिंदगी बिता देते हैं लोग ................पर नहीं ........मैंने अलग रास्ता चुना है .........मैं 121 करोड़ माताओं बहनों और बच्चों को खुश रखने की कोशिश करूंगा ..............
पर कोढ़ में खाज हो
गयी है . अब तक दो ही थे ......बाबा और अन्ना ...अब ये तीसरे आ गए
........जुल्फी बाबा ...श्री श्री ..........दो ने ही जीना हराम कर रखा था
........तीन तो जान ले लेंगे ........... उस दिन दिग्विजय सिंह भड़ास निकाल
रहे थे ...आज आज़म खान बोले हैं ....कल कोई और भी बोलेगा ........... आखिर
दिक्कत क्या है इन्हें ........... दरअसल लगता यूँ है की अन्ना और बाबा
लोगों की मुहीम का राजनैतिक लाभ सीधे सीधे BJP को हो रहा है
........स्वाभाविक सी बात है होगा भी .....होना भी चाहिए ........अरे भाई
जो vacuum बन रहा है उसे कोई भरेगा भी तो ..........ये मुहिम कांग्रेस को कमज़ोर करती है सो इसका सीधा फायदा बीजेपी को पहुंचता है
..........सो कांग्रेस का खीजना तो लाज़मी है ....अब ये जो आज़म खान साहब
झल्लाए हैं वो यूँ की उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भाजपा और प्रखर
हिंदुत्व का विरोध और मुस्लिम हितों का संरक्षण कर पनपती रही है
..............बाबा और श्री श्री की मुहिम से हिन्दू वोट भ्रष्टाचार के
विरोध में संगठित हो रहा है ( क्योंकि इन बाबा लोगों की सभाओं, सत्संगों
, शिविरों में ज़्यादातर श्रोता हिन्दू ही होते हैं ) सो नेता जी लोग डर
रहे हैं की भैया ये पूरा माल मलीदा कहीं भाजपा की झोली में न गिर जाए ........सो
विरोध कर रहे हैं ........पर एक बात तय है ........ऐसा तो हो नहीं सकता कि
ये बाबा लोग और अन्ना सब भाजपा के हाथों बिक गए हैं ......... ये तो अपना
स्वाभाविक धर्म निभा रहे हैं ......अब इसका जो तात्कालिक नफ़ा नुक्सान जिसको
होना है सो होगा ....पर ये बहुत ही संकुचित दृष्टिकोण है........... एक
अत्यंत व्यापक और विकराल समस्या के प्रति ........... कटु सत्य ये है कि
भ्रष्ट आचरण भारत देश के रोम रोम में समा गया है ...........हमारी पूरी सोच
ही विकृत हो चुकी है .......हमने इसे एक शाश्वत सत्य के रूप में स्वीकार
कर लिया है .........हमने इस से हार मान ली है .........ये मान लिया है कि
यही सही तरीका है ......भ्रष्ट कार्य शैली ही सही जीवन शैली
है . चारित्रिक पतन की पराकाष्ठ ये है कि कोई अगर इमानदारी का व्यवहार कर
रहा है तो हंसी का पात्र है ...हेय दृष्टि से देखा जा रहा है ......पागल
कहा रहा है ...........सिर्फ एक जन लोकपाल बिल ला कर इस समस्या को दूर नहीं
किया जा सकता ..............इसमें तो पूरे राष्ट्र को लगना होगा
.......भारत का प्रत्येक बुद्धि जीवी .........प्रत्येक मेहनत कश आदमी
...सभी साधू संत महात्मा , समाज सेवी ,अध्यापक ,कवि ,लेखक ,पत्रकार ,
फिल्मकार , कलाकार जब इस समाज सुधार आन्दोलन में कूदेंगे तभी
कुछ सफलता मिल सकती है .......... गंदगी से बजबजाती नाली में घुस के उसे
हाथों से साफ़ करना पड़ता है ........भयंकर बदबू उठती है ..........सब कुछ
बर्दाश्त कर के लगे रहना पड़ता है .....यहाँ पंजाब में संत बलबीर सिंह
सीचेवाल ने पवित्र नदी काली बेई ....जो एक सीवर में तब्दील हो चुकी थी
.....उसे एक महा अभियान चला कर साफ़ किया .....सालों ये काम
चलता रहा ....लाखों लोग उसमे शामिल हुए .......तसले फावड़े बाल्टियां ले के
कूद पड़े ..............हर व्यक्ति ने अपनी सामर्थ्यानुसार , श्रद्धानुसार
सहयोग दिया .....और आज वो साफ़ मीठे पानी की एक खूबसूरत नदी है
............भारत देश की इस चारित्रिक नदी को साफ़ करने के लिए
भी जब सब लोग कूद पड़ेंगे तभी कुछ होगा ........मुझे ताज्जुब होता है
.....अभी तक सिर्फ श्री श्री ही आये ???????? बाकी लोग किस दिन का
इंतज़ार कर रहे हैं ???????
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