कल एक लेख लिखा था .......उसमे बेचारे आम हिन्दुस्तानी को भेड़ बकरी बना रखा है मैंने ........जोर जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए , चुप चाप नहीं सहना चाहिए ....क्रान्ति का झंडा बुलंद कर देना चाहिए ........वगैरा वगैरा .....अब आज का अखबार पढ़ के तो अपन हड़क गए .....सो भाइयों , कल के अपने क्रांतिकारी विचार मैं वापस लेता हूँ .....जान है तो जहान है .......देश गया चूल्हे भाड़ में ......पहले अपनी जान बचाओ .......
दरअसल हुआ यूँ है कि कल अपने युवराज गए थे फूलपुर ........उत्तर प्रदेश में .......वहां एक रैली करने पहुंचे तो समाजवादी पार्टी के कुछ कार्य कर्ता लोग लगे काले झंडे दिखाने ...........पहले जैसे लाल झंडा देख के सांड भड़क जाते थे अब वैसे ही काले झंडे देख के अपने नेता जी लोग भड़क जाते हैं .........वैसे मैंने पढ़ा है कि काले झंडे दिखाना या काली पट्टी बाँध के प्रदर्शन करना लोकतंत्र में विरोध का एक शांति पूर्ण तरीका है और हमारा संवैधानिक अधिकार है ..........भारत का संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को ये अधिकार देता है कि वो शांति पूर्वक इकठ्ठा होकर प्रदर्शन कर सके , विरोध कर सके . पर भैया कल तो गज़ब हो गया ......युवराज वहीं खड़े थे .......उस लड़के ने काला झंडा क्या दिखाया , भड़क गए . अब जब जहाँपनाह नाराज़ हो जाएँ तो दरबारियों ,कारिंदों का ये फ़र्ज़ बनता है कि वो कुछ करें ....सो वहाँ खड़े थे अपने जतिन प्रसाद जी और परमोद तिवारी जी .....अब तिवारी जी तो लगभग बुढ़ा गए हैं पर जतिन प्रसाद की गिनती अभी लौंडा लाफाडियों में होती है ....यानी अभी बच्चे हैं .......वैसे हैं तो अभी युवराज भी बच्चे ही ...सपना चाहे वो परधान मनतरी बनने का देखते हों ....... सो जतिन प्रसाद का खून खौल उठा ....अरे इस साले की ये हिम्मत .......युवराज को काला झंडा दिखाता है .....और फिर वो ये भूल गए की वो केंद्रीय मंत्री भी हैं .........साथ में परमोद तिवारी भी बुढापा भूल गए और दोनों लगे बेचारे उस कार्यकर्ता को गिरा के मारने ..........लातों जूतों से मारा ....पटक के मारा .......थप्पड़ घूसों से मारा .........जब ये दोनों नेता वहाँ अपनी मर्दानगी दिखा रहे थे तो युवराज खड़े चुपचाप तमाशा देख रहे थे ..........इधर युवराज बड़े angry young man टाइप बयान देते हैं ....कभी उनको UP की दुर्दशा देख के गुस्सा आता है ....कभी रोना आता है और कभी तरस आता है ....अब ये तो पता नहीं की उस बेचारे गरीब आदमी को सड़क पे पिटते देख उनके मन में क्या भाव जागृत हुआ , पर भैया अपन तो हड़क गए ..........
वैसे एक बात बताऊँ आप को ???????? हड़क तो मैं उसी दिन गया था जब ये सरकार बाबा और अन्ना के अनशन पर पाबंदियां लगा रही थी . जंतर मंतर पे मत करो ......बुराड़ी में करो ..........5000 से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए .......50 से ज्यादा कारें नहीं होनी चाहिए .........4 दिन से ज्यादा प्रदर्शन नहीं चलेगा ..............धारा 144 लगा दो ....सिर्फ योग कराओ ....सरकार के खिलाफ भाषण मत दो ...........अनशन मत करो .........अनशन से क्या होने वाला है ...........अनशन किसी समस्या का हल नहीं है ...........तू होता कौन है बे अनशन करने वाले ....कभी कोई चुनाव जीता है ????????? तेरी औकात क्या है ???????? मुझे तो सरकार की नीयत पे उसी दिन शक हो गया था ...........ये सरकार भूखा भी रखेगी और रोने भी नहीं देगी ........पीटेगी भी और रोने भी नहीं देगी .
उस रात , वहाँ दिल्ली में , जब मनमोहन सिंह और अपने चिदंबरम बाबू की पुलिस ने हमें राम लीला मैदान में बाबा के अनशन से ज़बरदस्ती उठा के बाहर फेंक दिया ...और जब हम इकट्ठे हो कर जंतर मंतर जाने लगे तो पुलिस ने हमें दौड़ा दौड़ा के पीटा...सड़क पे लिटा के पीटा ....लाठियों से मारा .........तो मैंने बड़ी शहादत भरी मुद्रा में ब्लॉग लिखा .............मेरी बीवी ने कमेन्ट किया की हे प्राण नाथ ....ज्यादा भगत सिंह बनने की कोशिश मत करो ...........चुपचाप घर चले आओ और ये जो तीन तीन पैदा कर रखे हैं इन्हें पाल लो ..........देश की चिंता मत करो ....पडोसी के घर में भी एक भगत सिंह है .....देश वो सम्हाल लेगा ...........पर ये जिहाद करने का भूत अगर एक बार लग जाए तो जल्दी पिंड नहीं छोड़ता है ........... पर अब तो डर लगने लगा है .......हिटलर के समय की कहानियाँ सुनी हैं मैंने ........सुना है कि उस समय वहां नाजी एक लाइन में खड़ा कर के लोगों को गोली मारते थे और फिर ये गिनते थे कि एक गोली कितने लोगों के पार निकल जाती है ............ जर्मन अफसरों की औरतें दुधमुहे बच्चों को हवा में उछाल कर उस पे मशीन गन से गोलियां चलाती थीं फिर बाद में गिनती थी कि कितनी गोलियां लगीं ...........अब इसमें कितनी सच्चाई है मैं नहीं जानता ........पर ये सच है की मंत्री जी पीट रहे थे और युवराज देख रहे थे ..........सुना है की मुगलिया सल्तनत में बादशाह के दरबार में भूखे शेर के सामने , पिंजरे में एक आदमी को डाल देते थे और वो उसे मार के खा जाता था ...........जहाँपनाह तमाशा देखते थे ........
एक बड़ा पुराना शेर है ..................इब्तिदा इ इश्क है , रोता है क्या ...............
आगे आगे देखिये होता है क्या .................देखिये माँ बेटा क्या क्या करते कराते हैं .........
लौंडा लाफाडियों....hahaha, aapke blog padh ke meri hindi vocab jabardast hoti jaa rhi hai :D
ReplyDeleteदरअसल जब भारत में अंग्रेजों ने जो भी किया धरा सब देश को लूटने के लिए किया बनाया उसमें से कांग्रेस भी एक है|
ReplyDeleteकांग्रेस जैसे घटिया अंग्रेजी उत्पाद से बचना चाहिए
तुम समर्थ लेखक हो जैसा चाहो लिखो लेकिन दलदल में खिले कमल की खुशबू है राहुल गांधी |
ReplyDeleteये ससुरी राजनीति जो न करादे ... एक बहुते पुराना गाना याद आता है .. लौंडा बदनाम हुआ नसीबन तेरे लिए
ReplyDeleteThis is not the first time congress leaders have stooped to these levels. Digvijay singh had done a similar thing in Ujjain earlier this July.Rather they (his supporters in the following cars ) were carrying baseball bats and other weapons with themselves. And they beat up BJP people who were showing them black flags.
ReplyDeleteso you see, it is their mentality.
इसके अलावा और क्या उम्मीद थी?
ReplyDelete