पिछले दिनों यहाँ पतंजलि योग पीठ में एक शिविर में मंच पे स्वामी रामदेव जी के साथ उनके युवा सहयोगी स्वामी गणेशानंद जी विराजमान थे . स्वामीजी को कुछ देर बाद दिल्ली के लिए निकलना था सो उन्होंने घोषणा की कि अब इसके बाद का शिविर पूज्य गणेशानंद जी लेंगे . स्वयं से बीस वर्ष छोटे युवक को पूज्य कह कर संबोधित करना कुछ अटपटा लगा ....सो उन्होंने बताया कि एक बार गुजरात में किसी संत के आश्रम में गए थे . वहां सब छोटे बड़े लोगों को पूज्य कह कर संबोधित किया जाता है . स्वामी जी ने इस पर प्रश्न किया कि महाराज .....पूज्य तो स्वयं से बड़े और श्रेष्ठ को बुलाना चाहिए ............तो उन संत ने उत्तर दिया कि इस सृष्टि का कण कण पूज्य है ..........ये हमारे भारत की गौरवशाली संस्कृति की एक छोटी सी झलक है ....यही झलक देखने लोग खिचे चले आते हैं भारत भूमि की ओर .............
बनारस ने प्राचीन काल से ही देश विदेश के सैलानियों और घुमक्कड़ों को आकर्षित किया है . बनारस दरअसल गंगा के किनारे ही बसता है और उसकी आत्मा भी गंगा के किनारे ही घूमती रहती है या यूँ कहिये भटकती रहती है .देशी विदेशी सैलानियों को बनारस में एक चीज़ जो सबसे ज्यादा आकर्षित करती है वो हैं गंगा के घाट और वहाँ की तंग गलियाँ . हर शाम जब सूरज डूबने लगता है तो सैलानी वहाँ दशाश्वमेध घाट पे अपने अपने कैमरे ले के जम जाते हैं , बनारस के पण्डे पुजारियों का एक ग्रुप रेशमी धोतियाँ पहने, माथे पे त्रिपुंड धारण किये , बड़े बड़े ,शुद्ध देशी घी से भरे multi storied दीपक लिए , अपना अपना स्थान ग्रहण कर लेते है .......य्य्ये बडे बड़े स्पीकर , माइक और पूरा तामझाम , और फिर शुरू होती है गंगा आरती .....शास्त्रीय संगीत गाने वालों का भी एक ग्रुप शामिल होता है .....फिर वो सब शुद्ध शास्त्रीय रागों में गंगा जी की आरती गाते हैं .....कई सारे पण्डे पुजारी वो बड़ा सा दीपक लहरा लहरा के गंगा जी की आरती उतारते हैं ....लोग भाव विभोर हो कर देखते सुनते हैं , टूरिस्ट फिल्म बनाते हैं
..........गंगा .......माँ गंगा .....पतित पावनी गंगा ........पुण्य सलिला , पाप नाशिनी , मोक्ष प्रदायिनी , गंगा मैय्या और ऐसे न जाने कितने ही भारी भरकम नामों और विशेषणों का उल्लेख करते फूले नहीं समाते बनारस के टूरिस्ट गाइड ........और टूरिस्ट भी इमोशनल हो जाता है .....भारत की गौरवशाली परम्परा में सृष्टि का कण कण पूज्य है , सो हम लोग वहाँ रोज़ शाम गंगा जी की आरती उतारते हैं ......
फिर हुआ यूँ की हम लोग सपरिवार यहाँ जालंधर आ गए .हमारे पड़ोस में एक सिख परिवार रहा करता था . मियां बीवी और उनके दो बच्चे प्रथम तल पर और ऊपर उनके बूढ़े माँ बाप . पहले दिन अल्ल्स्सुबह जोर जोर की आवाज़े आने लगी तो मेरी नींद खुली ........ वैग्रू वैग्रू वैग्रू वैग्रू ......... मैंने कहा की कमबख्त ये कौन सी बला आन पडी .......कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ...... मेरे बेटे ने बताया कि पडोसी भगवान् का नाम जप रहे हैं ......मैंने पूछा कि ये वैग्रू क्या हुआ .....उसने बताया कि वैग्रू नहीं वाहेगुरु वाहेगुरु .......तब मुझ मंद बुद्धि को समझ आया कि गुरु नानक देव जी का नाम जप रहे हैं ........सो पूरा परिवार सुबह 5 बजे शुरू हुए तो 9 बजे तक वैग्रू वैग्रू करते रहे ..........मैंने अपना सर पीट लिया की ये साले धार्मिक किस्म के लोग तो जीना हराम कर देंगे और हम ठहरे एक नंबर के नास्तिक ,पापी और मलेच्छ . खैर समय के साथ हमने इस noise pollution के साथ जीना सीख लिया . फिर धीरे धीरे पता चला कि बहू अपने पति और बच्चों के साथ नीचे रहती है सास ससुर ऊपर रहते हैं .....बच्चों को ऊपर जाने की सख्त मनाही है ...और बहू माँ बाप को पानी तक नहीं पूछती ........ बुढ़िया अपना खाना अलग बनाती है ......अलबत्ता सारा परिवार सुबह 4 घंटे वैग्रू वैग्रू जपता है .......एक दिन बूढा कहीं बाहर गयी थी ....... बुढऊ heart attack से चल बसे .....शाम को वापस आयी तो पता चला और रोआ राट मची ...... बाप मर गया , बहू बेटा नाम जपो .......भारत की गौरव शाली परंपरा में कण कण पूज्य है ........
फिर हुआ यूँ की हम लोग सपरिवार यहाँ जालंधर आ गए .हमारे पड़ोस में एक सिख परिवार रहा करता था . मियां बीवी और उनके दो बच्चे प्रथम तल पर और ऊपर उनके बूढ़े माँ बाप . पहले दिन अल्ल्स्सुबह जोर जोर की आवाज़े आने लगी तो मेरी नींद खुली ........ वैग्रू वैग्रू वैग्रू वैग्रू ......... मैंने कहा की कमबख्त ये कौन सी बला आन पडी .......कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ...... मेरे बेटे ने बताया कि पडोसी भगवान् का नाम जप रहे हैं ......मैंने पूछा कि ये वैग्रू क्या हुआ .....उसने बताया कि वैग्रू नहीं वाहेगुरु वाहेगुरु .......तब मुझ मंद बुद्धि को समझ आया कि गुरु नानक देव जी का नाम जप रहे हैं ........सो पूरा परिवार सुबह 5 बजे शुरू हुए तो 9 बजे तक वैग्रू वैग्रू करते रहे ..........मैंने अपना सर पीट लिया की ये साले धार्मिक किस्म के लोग तो जीना हराम कर देंगे और हम ठहरे एक नंबर के नास्तिक ,पापी और मलेच्छ . खैर समय के साथ हमने इस noise pollution के साथ जीना सीख लिया . फिर धीरे धीरे पता चला कि बहू अपने पति और बच्चों के साथ नीचे रहती है सास ससुर ऊपर रहते हैं .....बच्चों को ऊपर जाने की सख्त मनाही है ...और बहू माँ बाप को पानी तक नहीं पूछती ........ बुढ़िया अपना खाना अलग बनाती है ......अलबत्ता सारा परिवार सुबह 4 घंटे वैग्रू वैग्रू जपता है .......एक दिन बूढा कहीं बाहर गयी थी ....... बुढऊ heart attack से चल बसे .....शाम को वापस आयी तो पता चला और रोआ राट मची ...... बाप मर गया , बहू बेटा नाम जपो .......भारत की गौरव शाली परंपरा में कण कण पूज्य है ........
उधर अँगरेज़ साला .....कुछ नहीं पूजता ........ एक नंबर का materialistic है ...पिछले दिनों discovery channel पे एक प्रोग्राम देख रहा था . टेम्स नदी पे एक ब्रिज बन रहा था सो उसके ठेकेदार से जो करार हुआ की उसमे ये तय था की पुल बनाने की प्रक्रिया में अगर एक बूँद भी cement वाला गंदा पानी गिर गया तो कम्पनी पे दस हज़ार पोंड का जुर्माना लगेगा ......अँगरेज़ Thames की पूजा नहीं करता , रोज़ शाम को आडम्बर पूर्ण आरती का ढोंग नहीं करता पर पूरी नदी में एक बूँद भी गन्दा पानी या एक तिनका भी गंदगी का गिरने नहीं देता ....यहाँ साले हरिद्वार और बनारस में tourists को दिखाने के लिए गंगा आरती करते हैं ....सुना है की अब पटना में भी होगी गंगा जी की आरती .....और पूरे देश का गू मूत गंगा में बहाते हैं ........गंगा और इसकी सहायक नदियाँ पूरे देश का untreated sewer ले के आती हैं .........आज हमारी एक एक नदी एक गंदे sewer में तब्दील हो गयी है ....... पूरा देश एक garbage dump बन गया है ,और हम साले सृष्टि का एक एक कण पूज रहे हैं .
There are so many issues which have been malaising our societies. And nothing would happen to set it right unless there is driven government at the helm. I really really fervently wish someday we'd live in better India.
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