फेस बुक पे अलोक पुराणिक साहब का ये लेख पढ़ा ......... अच्छा लगा ....... सो बिना उनकी आज्ञा permission के यहाँ चेप रहा हूँ . लीजिये मज़ा लीजिये
यूपी में एक अदालत ने बहुत ही, मतलब बहुत बहुत वरिष्ठ आईएएस अफसरों को करप्शन का दोषी ठहराया।
मतलब नोएडा में मन मरजी से प्लाट काटने-बांटने तक को करप्शन माना जाने लगे, तो साहब सिस्टम तो ध्वस्त हो जायेगा। अफसरों में बड़ा खौफ है, वो काम नहीं कर पा रहे हैं-एक सीनियर आईएएस आफीसर मुझे समझा रहे थे।
सिस्टम ध्वस्त हो जायेगा साहब, अगर अफसर ईमान पर उतर आये। विद्वान पाठकों ने देखी- सुनी होगी एक टर्म-वर्क टू रुल। यूं इसका मतलब है नियम के हिसाब से काम, पर साहबान इसे लगभग काम ठप करना, लगभग हड़ताल माना जाता है। सरकारी बंदे अगर नियम से, ईमान से काम करने पे उतर आयें, तो सिस्टम ध्वस्त हो जायेगा।
एक बार एक सरकारी अफसर से मुझे कुछ कागजों पर साइन कराने थे। अफसर इस बात पे नाराज था कि उसका बास मेरा पुराना परिचित निकल आया, सो उसे रिश्वत मांगने में शर्म सी आ रही थी। मैंने कहा साइन करें, तो वह बोला -नियम के मुताबिक मेरा काम साइन करना है, पेन खोलना मेरी जिम्मेदारी में नहीं है। नियम के हिसाब से चलूंगा, पेन नहीं खोलूंगा। मैंने निवेदन किया- लाइये मैं खोल दूं पेन। वह और नाराज, बोला-सरकारी संपत्ति के साथ छेड़छाड़। नहीं, नहीं खोल सकते। मैंने मामले की नजाकत को समझा, कुछ भेंट-नजराना हुआ। तब उसने नियम-ईमान को फ्लेक्सिबल किया, और काम हुआ। वह कुछ लेने से इनकार किये रहता, फुल ईमान मचाये रहता, तो मेरा काम तो ना होना था।
तमाम सरकारी दफ्तरों में बंदे खरीदारी करने से हिचक रहे हैं, खरीद में नार्मल कट कमीशन भी खा लिया, तो धरपकड़ हो जायेगी। और अगर नार्मल कमीशन भी ना खा पायें, तो कुछ खरीदें ही क्यों। ऐसे तो सिस्टम ध्वस्त हो जायेगा।
समझदार जानते हैं, बेईमानी के तेल से सिस्टम के पहिये चकाचक चलते हैं, ईमान पड़ जाये उसमें, तो जाम हो जाते हैं। आइये, अफसरों को आश्वस्त करें -हम आपके साथ हैं, सिस्टम ध्वस्त नहीं होने देंगे।
काटिये, प्लीज काटिये राष्ट्रहित में, सिस्टम हित में अपनी बेटी और दामादों के नाम आठ दस प्लाट।
उठो हे अफसर, चलो, प्लाट बांटो, नोट काटो।
उठो हे अफसर, चलो, प्लाट बांटो, नोट काटो।
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