लड़की लड़के की
सादगी और ईमानदारी
पे मर मिटी
....... सीधा साधा लड़का
था , दुबला पतला
....... शरीफ तो इतना
था कि पूछिए
मत ......... मोहल्ले की लडकियां
तक छेड़ जाती
थी ........किसी से
कुछ कहता न
था .........यूँ मोहल्ले
में एक से
एक लौंडे थे
.....स्मार्ट डैशिंग .....बुलेट राजा
....... पर वो
कहते हैं न
, क़ि दिल आया
गधे पे तो
बुलेट क्या चीज़
है . सो लड़की
का दिल उस
लड़के पे आ
गया ........ लाख समझाया
सहेलियों ने ....कैसा घोंचू
है .......पर उसने
किसी की एक
न मानी ....उस
पे तो ईमानदारी
और आदर्शवाद का
भूत जो सवार
था ......... सो वो
उसपे मर मिटी
.......साल भर तक
गरमा गर्म रोमांस
चला ......... प्रेमालाप हुआ ....लड़के
ने बड़े बड़े
वादे किये ....... चाँद
तारे तोड़ लाऊंगा
......स्वर्ग को धरती
पे उतार लाऊंगा
....रानी बना के
रखूंगा .........लड़की फूल
के गोलगप्पा हुई
जा रही थी
........ वो शादी के
सपने संजोने लगी
......... मीठे मीठे सपनों
में खोने लगी
....... दूल्हा बरात ले
के आया ....... सब
घोड़ी पे आते
हैं ......मर्सीडीज़ में आते
हैं , ये मुआ
टूटी हुई साईकिल
पे आया .....आदर्शवादी
जो ठहरा ........ बोला
क़ि दूल्हा कोई
VIP थोड़े होता है
, जो कार में
चलेगा .........आम आदमी
हूँ ...सीधा सादा
शरीफ सा .........जब
फेरे लेने की
बारी आयी तो
वहाँ भी उसने
बचत कर दी
....7 फेरों की जगह
5 में ही काम
चला ले गया
....... जब विदाई की बेला
आयी तो बोला , डार्लिंग
तुम पीछे बैठो
, मैं चलाता हूँ
............ लड़की भी फुदक
के बैठ गयी
......... मोहल्ले भर में
चर्चा रही ........ दुल्हन
के बिदाई साईकिल
में ....एक नए
युग की शुरुआत
........बहुत तारीफ की लोगों
ने .......बोले इसे
देख के तो
महात्मा गांधी याद आ
गए ........ कितना सीधा , सच्चा
सुच्चा आदमी है
.......अखबारों में इस
अनोखी शादी के
चर्चे हुए ...........
फिर बारी
आयी सुहाग रात
की ......... और
लड़का अड़ गया
.......मैं सुहाग रात नहीं
मनाऊंगा ......... मैं ठहरा
शरीफ आदमी ....मैं
इतना गंदा काम
कैसे कर सकता
हूँ ........ मेरी ज़िंदगी
भर की कमाई मिटटी
में मिल जायेगी
....... ज़िंदगी में मैंने
बस इज़ज़त ही
तो कमाई है
......... मेरे उसूलों , मेरे आदर्शों
का क्या होगा
.....आखिर मुझमे और इन
चोर डाकुओं में
, इन भ्रष्ट लोगों
में कुछ अंतर
तो होना ही
चाहिए न ............मैं
आज से एक
नयी शुरुआत कर रहा हूँ
.....कोई सुख नहीं
भोगूँगा ....सिर्फ और सिर्फ
सेवा करूंगा ........लाओ
कहाँ हैं तुम्हारे
चरण .....दबा दूं
......थक गयी होगी
..........
लड़की ने माथा
पीट लिया .......... कैसे
निखट्टू से पाला
पड़ गया
.......... समझाया बुझाया
पर उसे कुछ
समझ न आया
........ ऐसी बातें कहीं छुपी
रहती हैं ....देखते
देखते बात पूरे
मोहल्ले में फ़ैल
गयी .......... मोहल्ले के बदमाश
लौंडे हंस हंस
के लोट पोट
हुए जा रहे
थे .......... पर
उसे कोई फर्क
न पड़ा ....वो
बोला हंस लो
, चाहे जितना हंस लो
.......पर हम अपने
आदर्शों से न
डिगेंगे ....... हम तो
सच्चे सेवक हैं
, सेवा करेंगे ....हम कोई
मेवा खाने के
लिए , मज़े लेने
के लिए थोड़े
न आये हैं
........... घर वालों ने समझाया
, बड़े बुज़ुर्गों ने
समझाया ....... बड़े बड़े
समाज शास्त्रीयों ने
समझाया ......संविधान विशेषज्ञों ने
पढ़ाया .........दुनिया दारी बतायी
....सब उंच नीच
समझाई .....पर उसके
कुछ समझ ना
आयी ........ बोला तुम्ही
क्यों नहीं मना
लेते सुहाग रात
.....हमको नहीं माननी
......... हम तो बस
दूर बैठे देखेंगे
....और तुमको कुछ भी
गलत न करने
देंगे ......... पर मोहल्ले
के लौंडे सब
बड़े चालू थे
......... बोले देखो भैया
...... दुल्हे तो तुम
हो ........ सुहाग रात मनाने
का जनादेश तो
तुम्ही को मिला
है ....दुल्हनिया तुम्हारी है
......... तुम्ही
मनाओ ........ हम अगली
बार अपनी वाली
को ब्याह के
लायेंगे तो सुहाग
रात मनाएंगे ........ इसके
साथ तो तुम्ही
मनाओ ........... अब लड़का
फंस गया ........ उधर
लड़की परेशान थी
......उसे भी अब
गुस्सा आ रहा
था ........ किसी ने
लड़के को कान
में समझाया ....बेटा
मौके के नज़ाकत
को समझो ........ दुल्हन
का पारा गर्म
हो गया तो
झाड़ू उठा लेगी
..........
लड़के के पास
अब कोई चारा
न था . सो
उसने मोहल्ले के
लौंडों को चिट्ठी
लिखी . बोला देखो
सुहाग रात तो
मैं मना लूँगा
पर मेरी ये
18 शर्तें
हैं ......... अगर तुम
लोग इन्हे मान
लो तो मैं
सोचूंगा ...........
सो उसने
पहली शर्त
ये बतायी क़ि
मैं अपने दुल्हन
को लाल बत्ती की
ambassador में नहीं घुमाऊंगा
, बल्कि साईकिल पे टहलाऊंगा
, तो तुम सब
हंसोगे नहीं .
मैं सुहागरात रामलीला मैदान
में मनाऊंगा , घर
में नहीं .
मैं अपनी बीवी
को दाल में
तीन चम्मच घी
डाल के खिलाऊंगा
तो तुम कोई
ऑब्जेक्शन नहीं करोगे
.........
मोहल्ले के लौंडे
चूंकी बड़े बदमाश
थे , सो सभी
शर्तों पे राज़ी
हो गए . पर
लड़का वाकई शरीफ
है .......कहता है
ज़रा रुको ......अपनी
मम्मी से पूछ
के बताता हूँ
...........देखिये कब मनती
है मोहल्ले में
सुहागरात ......
बहुत बढ़िया अजीत भईया....!!!
ReplyDelete-शक्ति प्रताप सिंह विशेन
Ha ha ha aanad aa gya
ReplyDeletevery funny. ...
good one
ReplyDeleteअब उठा है घुघट
ReplyDeleteमज़ा आ गया दद्दा
ReplyDeleteWah dadda
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