Saturday, January 5, 2013

दामिनी के साथ ....एक राष्ट्र की मौत

                                                          बात 1975 की है ....बमुश्किल 10 साल उम्र थी मेरी . चंडीगढ़ में रहा करते थे हम लोग .मैं वहाँ चंडी मंदिर के केंद्रीय विद्यालय में 5 वीं क्लास में पढता था . एक सुबह मैं अपने एक सहपाठी के साथ स्कूल जा रहा था .तभी हमने देखा कि  एक आदमी साइकिल  चलाता अचानक गिर पडा .उसे शायद कोई मिर्गी टाइप  दौरा  पडा था .वो वहाँ सड़क पे पसर गया .हाथ पाँव  ऐंठ गए . हम दो छोटे छोटे बच्चे और उस सुनसान सड़क पे वो भारी भरकम आदमी . खैर किसी तरह हमने उसे सम्हाला  .उसके सर में हलकी सी चोट आयी थी . हाथ पैर छिल गए थे . हल्का सा खून भी निकल रहा था .थोड़ी देर बाद वहाँ एक व्यक्ति और आ गया . वो सयाना था .उसने हमारे साथ उसे सम्हाला  .कुछ देर बाद वो आदमी  होश में आया .उठने लायक हुआ तो पैदल ही हम उसके साथ चल पड़े , उसे सहारा देते . लगभग एक किलोमीटर दूर मिलिट्री हॉस्पिटल था . वहाँ उसकी मरहम पट्टी करवाई   . फिर स्कूल पहुंचे .पूरा  एक घंटा लेट . वहाँ क्लास टीचर जल्लाद की माफिक सामने खड़ी थी ......कहाँ थे ??????? लेट क्यों आये ????? कहाँ आवारागर्दी कर रहे थे ???????? और इन तीन सवालों का जवाब देने का कोई मौक़ा दिए बगैर पहले तो उसने एकदम instant जस्टिस यूँ किया कि  4-4 झापड़ रसीद किये .........फिर सीधे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया . प्रिंसिपल कुछ बिजी था सो हम दोनों दस एक मिनट उसके दफ्तर के बाहर खड़े रहे .मुजरिमों की तरह .........फिर पेशी हुई और उसने एक लम्बा लेक्चर देते हुए आखिरी वार्निंग दे के छोड़ दिया ......जबकि मैंने उस भले आदमी को बताया भी कि  कैसे हम उस आदमी की मदद करने में लेट हुए थे ..........पर उन दोनों जल्लादों ने हमें बिलकुल appreciate  नहीं किया . आज इतने साल बाद बचपन की वो घटना याद आ गयी मुझे ....एक और किस्सा सुन लीजिये ........
                                     मेरे कुछ रिश्तेदार UK में रहते हैं। एक बार यूँ ही बातचीत में एक किस्सा सुनाने लगे। वहाँ उनके पड़ोस में एक बिल्ली कार के नीचे आ कर मर गयी। ये किसी को पता नहीं था कि  किसकी बिल्ली थी , कहाँ से आयी , पालतू थी या आवारा। पर थी बिल्ली , ये तय था . जिसकी गाडी के नीचे आयी  उसने ब्रेक मारी , तुरंत नीचे उतरा . बिल्ली लहुलुहान थी और मर चुकी थी . सबसे पहले उसने एक कपडा निकाल के उसके शव को ढका . तब तक सामने वाले घर से एक व्यक्ति निकल आया . उसने बिल्ली को पहचानने की कोशिश की, पर उसकी पहचान न हो सकी . तुरंत आपातकालीन सेवा को फोन हुआ और मिनटों में एम्बुलेंस एवं पुलिस वाले घूं  घूं  करते पहुँच गए। पीछे पीछे vetenary विभाग के लोग भी पहुँच गए . पुलिस वाले बिल्ली की पहचान करने में जुट गए . vetenary डॉक्टर्स ने बिल्ली की जांच कर उसे मृत घोषित किया .और उसके शव को ससम्मान कपडे में लपेट के विधिवत निस्तारण हेतु ले गए . इसके बाद सम्बंधित विभाग के लोगों ने सड़क की अच्छी तरह से धुलाई कर के उसे disinfect किया . कार  मालिक ने स्वयं को उचित कार्यवाही के लिए प्रस्तुत किया . आगे चल के उसे लापरवाही से गाडी चलाने के लिए दण्डित किया गया .पुलिस ने अंततः बिल्ली के मालिक को ढूंढ निकाला .उसने अपनी पालतू बिल्ली को लावारिस छोड़ दिया था .उसके ऊपर दंडात्मक कार्यवाही हुई ...............दोस्तों ये दोनों  सत्य घटना है और इसमें लेश मात्र भी कल्पना नहीं है .
                              आज सुबह के अखबार देखे तो मन विचलित  हो गया  . खुद पे घृणा आयी . एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के रूप में खुद को फेल होते देख के दुःख हुआ .........सड़क किनारे मरते हुए दो लोग ......और इतनी बेरुखी ........एक लहू लुहान नग्न लड़की को कपड़ा ओढाने तक की ज़हमत नहीं उठायी लोगों ने ..........लोग आते गए और अपनी गाड़ियों से झाँक के ....तमाशा देख के चलते बने ........ 3-3 PCR सिर्फ इस बहस में उलझी रही की किस थाने  का केस है ..........अंत में एक PCR  आयी  तो उसके पुलिसियों ने हाथ तक नहीं लगाया उस बेचारी लड़की को ......उस घायल लड़के ने उसे स्वयं किसी तरह PCR में लादा  ........ढाई घंटे बाद वो किसी तरह अस्पताल पहुंचे ..........दिसंबर की सर्दी में वो बेचारा लड़का लोगों से गिड़गिड़ाता  रहा कि  कोई कम्बल दे दो ....न कम्बल तो वो पर्दा ही दे दो ....और घटना के 5 घंटे बाद तक इलाज शुरू नहीं हो पाया था ....और फिर वो लडकी मर गयी . सुना है की commonwealth गेम्स पे सत्तर हज़ार करोड़ रूपये खर्च कर के हमने दिल्ली को एक शानदार शहर बना दिया है ....सुना था की दिल्ली अब बदल गयी है .
                                       आज मुझे लगा की एक राष्ट्र के रूप में हम फेल हो गए . आज महसूस होता है की  अगर हम आज भी अंग्रेजों के गुलाम होते तो शायद एक बेहतर राष्ट्र होते , ज्यादा चरित्रवान होते . हमारा देश आज एक विशाल कूड़े का ढेर न होता . हम अपने दैनिक जीवन में सच बोलते . शायद आज देश में भ्रष्टाचार न होता ....और आज से ज्यादा सम्पन्न होते .........हमारे बड़े बुज़ुर्ग और ये हमारे leaders , हमारी political class , हमारे social isnstitutes , हमारा education system , हमारे धर्म गुरु , हमारे ये बड़े बड़े icons , हम सब ही तो फेल हो गए . ये देश मुझे आज तक नहीं सिखा पाया की एक सभ्य नागरिक कैसा होता है .......क्या कर्तव्य  होते हैं उसके ........ये की सड़क पे कूड़ा नहीं फेंकना चाहिए ..........ये की सड़क पे घायल एक कुत्ते को भी मदद की ज़रुरत होती है .........और ये की सड़कों पे चंद  flyover बना देने से एक राष्ट्र का निर्माण नहीं हो जाता .....वो लडकी जाते जाते हमें आईना दिखा गयी है ........

 Where words come out from the depth of truth
Where tireless striving stretches its arms towards perfection
Where the clear stream of reason has not lost its way
Into the dreary desert sand of dead habit
Where the mind is led forward by thee
Into ever-widening thought and action
Into that heaven of freedom, my Father, let my country awake.
                           हे इश्वर हमें सद्बुद्धि दो 




4 comments:

  1. Indians are basically corrupt, they cannot rule themselves and they must be ruled. If India ever gets freedom. it will be ruled by goons.

    -- Winston Charchill

    we as a nation had proved how true Churchill was in his opinion. We had become more corrupted than liberated from colonial rule that was headed by Churchill himself.

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  2. आज भी यदि गुनहगार कोई "ख़ास" या "ख़ास" का रिश्तेदार होता

    तो मामला रफा दफा हो गया होता .....

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  3. आप बिल्कुल सही कह रहे हैं ! एक राष्ट्र के रूप में हम फ़ेल ही हैं ! ये हमारा सिस्टम ही ऐसा है... जहाँ कोई आम आदमी ऐसी बातों में पड़ने से डरता है.. वजह..?? सबको पता ही है...! इंसानियत पर से लोगों का विश्वास ही उठ गया है.. :((
    अभी भी देखिए ना.. गुनाह सामने है, गुनहगार सामने हैं.... फिर भी न्याय कहाँ हो रहा है...?
    ~सादर!!!

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  4. आप बिल्कुल सही कह
    रहे हैं

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