केंद्र सरकार की नौकरी की बदौलत मुझे जो थोडा बहुत हिन्दुस्तान देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ उसमे बुन्देलखंड भी था . वहाँ मुझे साल दो साल रहने का मौक़ा भी मिला .........वो भी गाँव में . शहर में रह के आप असली हिन्दुस्ता नहीं देख समझ पाते . मेरी नयी नयी शादी हुई थी . दिल्ली और पटियाला की नौकरी को लात मार के , जालंधर शहर की एक दबंग लडकी को ले के , मैं जिला गाजीपुर पहुँच गया . देश प्रेम और मातृ भूमि से प्रेम जैसे चूतिया चक्करों में पड़ के अक्सर लोग ऐसी बेवकूफियां कर जाते हैं . वहाँ जा के मेरी बीवी ने उसे एक निहायत ही घटिया , थर्ड क्लास और बैकवर्ड जगह घोषित कर दिया ....जिसका कुछ नहीं किया जा सकता . .......क्योंकि ये साले पंजाब से 50 साल पीछे है .........अब अपने लिए तो भैया ये सुप्रीम कोर्ट का आर्डर था जिसकी कोई अपील तक नहीं हो सकती थी . तब तक मेरा तबादला MP के छतरपुर जिले में हो गया . वहाँ पहुंचा , कुछ दिन रहा , घूमा फिरा . दूर दूर तक गया . फिर लौट के घर पहुंचा तो मैंने अपनी बीवी का कालर पकड़ लिया . जालंधर शहर की तीन गलियाँ घूम ली तो क्या सारा हिन्दुस्तान देख लिया ......... वहाँ जा के देखो ......बुंदेलखंड में ........ साले गाजीपुर से भी 50 साल पीछे हैं . अब जो क्षेत्र गाजीपुर से भी पीछे होगा वो कैसा होगा . जैसे ताजमहल को देखे बिना उसकी ख़ूबसूरती का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता उसी प्रकार बुदेलखंड को देखे बगैर उसकी ख़ूबसूरती का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता . मैं आपको सिर्फ एक उदाहरण दे के समझा देता हूँ ...एक वाक्य में .......सन दो हज़ार में , जब मेरी तनख्वाह 6000 रु थी तो बुंदेलखंड के एक गाँव में एक किसान अपना 25 एकड़ का एक प्लाट 2500 , शब्दों में लिखूं तो मात्र ढाई हज़ार रु प्रति एकड़ में बेचने को तैयार हो गया था . उस समतल ज़मीन में 60 फुट पे पानी था और दो फसल होती थी .....जिसमे एक सोयाबीन की कैश क्रॉप है ........अब आपके मन में एक स्वाभाविक सवाल आया होगा कि ली क्यों नहीं .......ली थी भैया ....और उसकी एक लम्बी , मजेदार और दर्दनाक कहानी है .....जिसे फिर कभी लिखूंगा .......
फिलहाल मुद्दे पे वापस आते हैं ....और मुद्दा है बुंदेलखंड का पिछडापन ........ और इसे मैं एक और वाक्य में समझा देता हूँ ....किसी ज़माने में एक आदर्श बुन्देलखंडी ज़मींदार के अगर 5 लड़के होते थे , तो उनमे एक किसान , एक पुलिस वाला , एक वकील , एक पहलवान और एक डाकू बनता था ............उस इलाके में survive करने और फलने फूलने का यही एक फार्मूला था ........ अब आपको शायद थोडा बहुत अंदाजा हुआ होगा की क्यों बुन्देल खंड में 10-15 साल पहले ज़मीन मात्र 2500 रु एकड़ बिकती थी .अब आते हैं असली मुद्दे पे जिसके लिए मैंने ये बुंदेलखंड वाली इतनी लम्बी चौड़ी भूमिका बनाई है ........जी हाँ ये तो भूमिका थी .........
हिन्दू अखबार के स्वघोषित " ग्रामीण " पत्रकार पी साइनाथ का एक लेक्चर फेसबुक के माध्यम से youtube पे देखने का सुअवसर मिला . उसके बाद एक एक कर के उनके सारे लेक्चर देख सुन डाले .....इन्टरनेट के रोगी जो ठहरे ............P SAINATH , हिन्दू के एडिटर हैं , देश के सर्वाधिक इमानदार और प्रतिष्ठित पत्रकारों में उनकी गिनती होती है और वो साल में 250 से 300 दिन भारत के ग्रामीण अंचल में बिताते हैं ......और देश में गरीबी , भुखमरी और किसानों की आत्महत्या जैसे मुद्दों को कवर करते हैं .....पिछले 2-3 साल से वो देश के MSM यानि MAIN STREAM MEDIA की कारगुजारियों का भंडाफोड़ भी कर रहे हैं . उन्होंने हिन्दू अखबार में PAIDNEWS पे एक लंबा खुलासा किया है .
1) तकरीबन सभी मीडिया हाउस सीधे सीधे किसी न किसी कारपोरेशन की नाजायज़ औलाद हैं . वो यूँ की ये बड़ी बड़ी कम्पनियां ....ये FORTUNE 500 CORPORATIONS .......सब प्रकार के धंदे करती हैं . एग्रीकल्चर , एविएशन ,शुगर ,STOCK MARKET ,FINANCE , FASHION ,EVENT MANAGEMENT , MINING ,REAL ESTATE FILM INDUSTRY , MEDIA ......... और और इसके अलावा INDUSTRY और COMMERCE में जो कुछ हो सकता है वो सब कुछ ............
2) इन CORPORATIONS को अपने सभी प्रकार के बिजनेस को बचाने और बढाने के लिए जो कुछ भी तिकड़म , छल प्रपंच करना होता है वो करती हैं . मसलन सरकारों से अपनी मन पसंद नीतियाँ बनवाना ...अपना मनपसंद BUDGET पास करवाना , अपनी मनपसंद सरकार बनवाना और उस मनपसंद सरकार में अपनी पसंद के लोगों को मंत्री बनवाना ............ये सब कुछ हम लोग अपने देश में RADIA TAPES में देख सुन चुके हैं ..........
3 ) पेड न्यूज़ के खुलासे में पता चला की हमारा MSM ..यानी हमारे ये अखबार , ये मनपसंद न्यूज़ चैनेल , नेताओं और पार्टियों से पैसे ले के उनके पक्ष में झूठी खबरें छापते हैं .....उनकी हवा बनाते हैं ...और उन्हें चुनाव हरवाते जितवाते हैं .
4 ) अपनी PARENT COMPANY के अन्य धन्दों को लाभ पहुंचाने के लिए झूठ बोलते हैं ....झूठी खबरें फैलाते हैं .......और अपनी कठपुतली सरकार को BLACKMAIL करके अपना काम निकालते हैं .
5) सबसे कष्टदायी बात जो वो बताते हैं वो ये की आज कल किसी मीडिया हाउस के पास फुल टाइम पत्रकार नहीं जो कृषि , गरीबी , भुखमरी , स्वस्थ्य , शिक्षा और किसानों की आत्महत्या जैसे मुद्दों को कवर करे .........जबकि सबके पास FASHION , GLAMOR और GOSSIP को कवर करने के लिए 5-7 फुल टाइम पत्रकार हैं ........... मुंबई में हुए लक्मे फैशन वीक को कवर करने के लिए मीडिया के 512 अधिकृत पत्रकार नियुक्त थे ......और उस फैशन वीक का थीम था ....COTTON .......और उसी मुंबई से मात्र एक घंटे की दूरी पे एक सप्ताह में दो दर्ज़न से अधिक COTTON GROWER किसानों ने आत्महत्या कर ली थी ....और उन आत्महत्याओं को कुल 6 पत्रकार कवर कर रहे थे ............आंकड़े कहते हैं की भारत देश के मात्र .025 % लोग DESIGNER कपडे पहनते हैं ........जबकि गरीबी , भुखमरी , कुपोषण देश के 75% लोगों का मुद्दा है ........हमारे मीडिया ने .025% लोगों के लिए 512 पत्रकार लगा रखे हैं और असली भारत के लिए एक भी नहीं . देश के 75% लोग न कोई न्यूज़ बनाते हैं न उन्हें कवरेज चाहिए ........
बुन्देलखंडी किसान के 5 बेटे .......किसान , वकील , पुलिसवाला , पहलवान और डकैत ..........उसे एक बेटा और पैदा कर के पत्रकार बनाना पड़ेगा
भारत देश में लोकतंत्र के चौथे खम्बे के ऊपर रंडी का कोठा खुल गया है ..........देश का बुंदेलखंड बनना तय है
फिलहाल मुद्दे पे वापस आते हैं ....और मुद्दा है बुंदेलखंड का पिछडापन ........ और इसे मैं एक और वाक्य में समझा देता हूँ ....किसी ज़माने में एक आदर्श बुन्देलखंडी ज़मींदार के अगर 5 लड़के होते थे , तो उनमे एक किसान , एक पुलिस वाला , एक वकील , एक पहलवान और एक डाकू बनता था ............उस इलाके में survive करने और फलने फूलने का यही एक फार्मूला था ........ अब आपको शायद थोडा बहुत अंदाजा हुआ होगा की क्यों बुन्देल खंड में 10-15 साल पहले ज़मीन मात्र 2500 रु एकड़ बिकती थी .अब आते हैं असली मुद्दे पे जिसके लिए मैंने ये बुंदेलखंड वाली इतनी लम्बी चौड़ी भूमिका बनाई है ........जी हाँ ये तो भूमिका थी .........
हिन्दू अखबार के स्वघोषित " ग्रामीण " पत्रकार पी साइनाथ का एक लेक्चर फेसबुक के माध्यम से youtube पे देखने का सुअवसर मिला . उसके बाद एक एक कर के उनके सारे लेक्चर देख सुन डाले .....इन्टरनेट के रोगी जो ठहरे ............P SAINATH , हिन्दू के एडिटर हैं , देश के सर्वाधिक इमानदार और प्रतिष्ठित पत्रकारों में उनकी गिनती होती है और वो साल में 250 से 300 दिन भारत के ग्रामीण अंचल में बिताते हैं ......और देश में गरीबी , भुखमरी और किसानों की आत्महत्या जैसे मुद्दों को कवर करते हैं .....पिछले 2-3 साल से वो देश के MSM यानि MAIN STREAM MEDIA की कारगुजारियों का भंडाफोड़ भी कर रहे हैं . उन्होंने हिन्दू अखबार में PAIDNEWS पे एक लंबा खुलासा किया है .
1) तकरीबन सभी मीडिया हाउस सीधे सीधे किसी न किसी कारपोरेशन की नाजायज़ औलाद हैं . वो यूँ की ये बड़ी बड़ी कम्पनियां ....ये FORTUNE 500 CORPORATIONS .......सब प्रकार के धंदे करती हैं . एग्रीकल्चर , एविएशन ,शुगर ,STOCK MARKET ,FINANCE , FASHION ,EVENT MANAGEMENT , MINING ,REAL ESTATE FILM INDUSTRY , MEDIA ......... और और इसके अलावा INDUSTRY और COMMERCE में जो कुछ हो सकता है वो सब कुछ ............
2) इन CORPORATIONS को अपने सभी प्रकार के बिजनेस को बचाने और बढाने के लिए जो कुछ भी तिकड़म , छल प्रपंच करना होता है वो करती हैं . मसलन सरकारों से अपनी मन पसंद नीतियाँ बनवाना ...अपना मनपसंद BUDGET पास करवाना , अपनी मनपसंद सरकार बनवाना और उस मनपसंद सरकार में अपनी पसंद के लोगों को मंत्री बनवाना ............ये सब कुछ हम लोग अपने देश में RADIA TAPES में देख सुन चुके हैं ..........
3 ) पेड न्यूज़ के खुलासे में पता चला की हमारा MSM ..यानी हमारे ये अखबार , ये मनपसंद न्यूज़ चैनेल , नेताओं और पार्टियों से पैसे ले के उनके पक्ष में झूठी खबरें छापते हैं .....उनकी हवा बनाते हैं ...और उन्हें चुनाव हरवाते जितवाते हैं .
4 ) अपनी PARENT COMPANY के अन्य धन्दों को लाभ पहुंचाने के लिए झूठ बोलते हैं ....झूठी खबरें फैलाते हैं .......और अपनी कठपुतली सरकार को BLACKMAIL करके अपना काम निकालते हैं .
5) सबसे कष्टदायी बात जो वो बताते हैं वो ये की आज कल किसी मीडिया हाउस के पास फुल टाइम पत्रकार नहीं जो कृषि , गरीबी , भुखमरी , स्वस्थ्य , शिक्षा और किसानों की आत्महत्या जैसे मुद्दों को कवर करे .........जबकि सबके पास FASHION , GLAMOR और GOSSIP को कवर करने के लिए 5-7 फुल टाइम पत्रकार हैं ........... मुंबई में हुए लक्मे फैशन वीक को कवर करने के लिए मीडिया के 512 अधिकृत पत्रकार नियुक्त थे ......और उस फैशन वीक का थीम था ....COTTON .......और उसी मुंबई से मात्र एक घंटे की दूरी पे एक सप्ताह में दो दर्ज़न से अधिक COTTON GROWER किसानों ने आत्महत्या कर ली थी ....और उन आत्महत्याओं को कुल 6 पत्रकार कवर कर रहे थे ............आंकड़े कहते हैं की भारत देश के मात्र .025 % लोग DESIGNER कपडे पहनते हैं ........जबकि गरीबी , भुखमरी , कुपोषण देश के 75% लोगों का मुद्दा है ........हमारे मीडिया ने .025% लोगों के लिए 512 पत्रकार लगा रखे हैं और असली भारत के लिए एक भी नहीं . देश के 75% लोग न कोई न्यूज़ बनाते हैं न उन्हें कवरेज चाहिए ........
बुन्देलखंडी किसान के 5 बेटे .......किसान , वकील , पुलिसवाला , पहलवान और डकैत ..........उसे एक बेटा और पैदा कर के पत्रकार बनाना पड़ेगा
भारत देश में लोकतंत्र के चौथे खम्बे के ऊपर रंडी का कोठा खुल गया है ..........देश का बुंदेलखंड बनना तय है
तथ्यों से पूरी सहमती के बावजूद बहुतेरे लोग प्रयुक्त गलियों के साथ तालमेल नही बिठा पाते,मुझे ऐसा लगता है,गलियों से अगर आप थोडा बचकर ये कह जाते तो कमेंट्स की बाढ़ आ जाती...कलम के प्रेजेंटेशन में जो धार है,उसे हर कोई सलाम करना चाहे है.लाजवाब लिख जाते हैं आप..तीखी नज़र को सलाम..
ReplyDeleteकमेंट से मेरा मतलब इस प्रकार के कमेंट से नहीं था ........मीडिया के भ्रष्टाचार .....या यूँ कहें व्यभिचार पे कमेंट चाहिए .......Lakme फैशन वीक को कवर करने के लिए 500 पत्रकार और किसान क्यों आत्महत्या कर रहे हैं इसकी पड़ताल करने के लिए एक भी नहीं .......मीडिया 0.25 % जनसंख्या की विलासिता का पोषण कर रहा है परन्तु इस देश की 75 % जनता की मूलभूत समस्याओं पे झाँकने की फुर्सत नहीं ......... facebook पे तथाकथित प्रबुद्ध वर्ग है .......वो भी मस्त है ..........
ReplyDeletekadva such.................bhoot khoob
ReplyDeleteबस कलम ऐसी चलती रहे कसम से धीरे धीरे पर चौथे खम्भे को तलवार की तेज धार से भी अधिक छिल पायेगी....लेखनी की जितनी तारीफ करू इतनी कम है.
ReplyDeleteअंग्रेज सरकार के जमाने की देसी प्रेस:
ReplyDelete"सम्पादक चाहिए। वेतन सूखी रोटी, पुलिस के डण्डे और जेल।"
और अब! आज नेशनल प्रेस के खबरण्डे करोड़पति हैं। कस्बे का पत्रकार थाने का दलाल और लोकल ब्लैकमेलर है।
पहले- "जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो।"
और अब- "हराम की खानी है तो अख़बार निकालो"
Jabrdast lekhan.
ReplyDeleteDadda tab anadi rahe aap likhe me dhaar hai par bikhrao ke saath
ReplyDeleteAb bhaukali likht hau
बढ़िया पोस्ट
ReplyDeleteइस तरह की ब्लैक मैलिंग करके ही तो सरकारों को अपनी रखैल बना लेती है मिडिया .. या फिर खुद मंत्रियों के न्यूज़ चैनल मनमानी खबरें दिखा के लोगों को गुमराह करते हैं और अच्छी सरकारों को बदनाम l
ReplyDeleteNice article; but broader perception is required.
ReplyDeleteTo kisan bhaiyo ab 1 aur paida karna suru kar do .....desh k liye
ReplyDeleteछटे बेटे की जरूरत नहीं है अब पांचवा बेटा नेता बन गया है
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