Monday, February 4, 2013

Ohh India ....A big heap of garbage

                                              दोस्तों ये एक पूर्णतः सत्य घटना है . उन दिनों हम मियां बीवी  यहाँ पंजाब में नज़दीक के एक शहर में insurance  companies  में काम करते थे .हम दोनों के दफ्तर लगभग अगल बगल ही थे . धर्म पत्नी के दफ्तर का मेनेजर और बाकी सब लोग अपने यार दोस्त ही थे , सो अपना तो ज्यादा टाइम अपने दफ्तर में कम और उनके यहाँ ज्यादा बीतता था . एक दिन मैं  दोपहर बाद जब वहाँ पहुंचा तो वहाँ का नज़ारा देखने लायक था .पूरे ऑफिस  में तकरीबन हर टेबल पे जूठी प्लेटें , ग्लास , tissue  papers  और polythenes पड़े थे .  फिर भी सब कर्मचारी निर्विकार भाव से , पूरी तन्मयता के साथ अपने अपने काम में लगे हुए थे . अपने देश वासियों की कर्तव्य निष्ठा , मेहनत और लगन देख के मेरा तो दिल बाग़ बाग़ हो गया . दरअसल पिछली रात ऑफिस  में कोई पार्टी हुई थी . और लोग खा पी के चलते बने थे . कंपनी की ये ब्रांच नई नई ही खुली थी सो कोई पक्का हेल्पिंग स्टाफ नहीं था .अगले दिन सब लोग जब काम पे आये तो पूरा ऑफिस गन्दा ही पड़ा था . भाई लोग आये और सच्चे कर्मयोगी की तरह काम में जुट गए .जब मैं बाद दोपहर वहाँ पहुंचा तो मुझे बड़ा अजीब सा लगा . धर्म पत्नी  भी अपनी टेबल पे विराजमान थीं और कार्य रत थी .मैंने धीरे से उनके कान में कहा " ये क्या माजरा है . इसे तुम साफ़ करती हो या मैं करूँ ...........अगर मैं करूंगा तो तुम लोगों की ज्यादा बेइज्ज़ती होगी . और वो एकदम आज्ञाकारी पत्नी की तरह तुरंत जुट गयी . जैसे ही वो जुटी , दो और साथ लग गए . फिर सारे आ गए .दो मिनट में ही सारा कूड़ा करकट फेंक दिया . फिर झाड़ू उठायी , फिनाइल डाल के पोंछा लगाया और 5 -7  मिनट बाद सारी ब्रांच चम् चम् चमक रही थी . इस दौरान मैं अपने दोस्त मेनेजर के साथ उसके केबिन में बैठा था . वो कुछ शर्मिंदा भी था और बहुत खुश भी था .
                                         आजकल पंजाब को मिनी यूरोप कहा जाता है .क्योंकि लगभग आधा पंजाब तो वहाँ दूर पश्चिमी देशों में जा के बस गया है . वहाँ लोग दिन रात मेहनत  मजदूरी कर के अपना जीवन संवार रहे हैं . पंजाब में जो सम्पन्नता दिखती है उसका ज़्यादातर श्रेय NRI पंजाबियों को ही जाता है . वो घर आ के वहाँ के किस्से सुनाते ही हैं . और हम लोग आश्चर्य चकित हो सुनते हैं . मेरे एक मित्र कनाडा में रहते हैं . एक बार उन्होंने मुझे बताया की मेरे दफ्तर में हम लोगों की साप्ताहिक ड्यूटी लगती है साफ़ सफाई की . जिसकी ड्यूटी होती  है वो उस दिन आधा घंटा पहले आ के पूरी सफाई करता है , झाड़ू पोंछा करता है , टेबल साफ़ करता है , शीशे साफ़ करता है , टॉयलेट्स को भी साफ़ करता है .मज़े की बात ये की सिर्फ कर्मचारी ही नहीं मालिक की भी टर्न आती है .  एक और किस्सा सुनाया उन्होंने . जब किसी के घर में कोई पार्टी या डिनर होता है तो भाई लोग अपनी अपनी दारु ले के आते हैं . खाना पीना खा के फिर सब लोग काम में जुट जाते हैं . कुछ लोग पूरे बर्तन साफ़ करते हैं , सारी  सफाई करते हैं .कहने का मतलब जाने से पहले मेजबान का घर और रसोई एकदम चमा चम् . पाश्चात्य सभ्यता , जिसे हम भारतीय आमतौर से हिकारत से ही देखते हैं , के पास हमें सिखाने के लिए बहुत कुछ है . अफ़सोस की उनके दुर्गुण तो हम तकरीबन सारे सीख ही चुके है पर जो गुण है उनसे पूरी तरह अछूते हैं .देश वासियों को  hygene , cleanliness , garbage disposal की शिक्षा युद्ध स्तर पे दिया जाना बहुत ज़रूरी है . हमारे education सिस्टम में इसे बड़े पैमाने पे शामिल करने की







                                            

3 comments:

  1. यहां तो अपने घर में भी साफ-सफाई की जिम्मेदारी महिला पर ही डाल देते हैं हम लोग, चाहे वो बेचारी भी नौकरीपेशा हो
    पश्चिम की अनुकरणीय बातों को तो हम सिरे से खारिज करते आये हैं
    बढिया पोस्ट के लिये धन्यवाद

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/2/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

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  3. बढिया पोस्ट के लिये धन्यवाद

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