आज दिन की शुरुआत बहुत बुरी रही .वो कोई बीमारी है जो इन्टरनेट और फेसबुक इत्यादि के अत्यधिक प्रयोग से लग जाती है . उसका प्राथमिक लक्षण ये है कि अगर बन्दा रात को मूतने के लिए उठे और वापस बिस्तर में ना जा कर नेट पे बैठ जाए तो समझ लो गया . सो अपने को ये काफी पहले हो गयी थी .आज अलस्सुबह फेसबुक खोल के बैठ गए और वहाँ चहुँ ओर व्याप्त गाली गुप्ते के माहौल में हिन्दू अखबार के प्रख्यात पत्रकार श्री P SAINATH का लेक्चर खोल लिया यू ट्यूब पे . इसमें उन्होंने हमारे मिडिया जगत में व्याप्त विभत्स भ्रष्टाचार ,अनाचार और दुराचार पे प्रकाश डाला है . https://www.youtube.com/watch?v=AbjsQ_dYuJQ ......
.......ये रहा लिंक .....( कृपया copy , paste कर लें ) सवा घंटे के लेक्चर में उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कारगुजारियां उजागर की हैं . मीडिया houses. की blackmailing , extortion , और तमाम अन्य malpractices के बारे में तफसील से बताया है .....पेड न्यूज़ को समझाया है ......उसके ramifications और repurcussions discuss किये हैं ....... अपने 50 साल के जीवन में पहली बार मैंने खुद को बेचारा , बेसहारा और लाचार महसूस किया . बहुत इमोशनल किस्म का आदमी हूँ ....बेबात आंसू आ जाते हैं ........पर जीवन में पहली बार हताशा और निराशा में रोया .........वो लिंक फेसबुक पे डाला ....और जैसा कि आम तौर पे होता है , गाली गुप्ते और प्रलाप में व्यस्त भाई लोगों ने देखा तक नहीं ....न कोई लाइक न कमेन्ट ..........उस लड़की को friend request भेजी , जिसने वो लिंक डाला था .......सारा दिन उदास , निराश और तकरीबन depression में रहा .......
पर शाम को उम्मीद की किरण नज़र आयी है ......... दिल्ली के SRCC में नरेन्द्र मोदी का युवाओं को संबोधन सुन के फिर कुछ आशा बंधी है ........ उनके मुह से गुजरात के बारे में सुन के अच्छा लगा ....... मुझे तो यूँ लगा की ये आदमी तो सिर्फ मुझसे ही बात कर रहा है ....इसे पता है की आज मैं बहुत उदास हूँ . सबसे अच्छी बात ये थी की उन्होंने ये आशा जगाई कि यही व्यवस्था, यही कानून .यही सरकार ,यही अफसर ,यही दफ्तर और यही फाइल सब कुछ कर सकती है . सिर्फ एक अच्छी सरकार हो जो pro people हो और good governance दे ......P2G2 ..........सुबह P Sainaath का लेक्चर सुन समझ के आज पूरे प्रसारण में मीडिया की हरमजदगी भी साफ़ दिख रही थी ....समझ आ रही थी ........ अब मैं फिर उठ बैठा हूँ ....चलने को तैयार .....बहुत दूर जाना है .
फैज़ की ये नज़्म रूह में जान दाल देती है
हम देखेंगे
लाज़िम है के हम भी देखेंगे
वो दिन की जिसका वादा है
जो लौहे-अज़ल पे लिखा है
जब जुल्मो-सितम के कोहे-गरां
रूई की तरह उड़ जाएंगे
हम महकूमों के पांव तले
ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहले-हिकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब अर्ज़े-खुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जाएंगे
हम अहले-सफा मर्दूदे-हरम
मसनद पे बिठाए जाएंगे
सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख्त गिराए जाएंगे
बस नाम रहेग अल्लाह का
जो गायब भी है, हाज़िर भी
जो मंज़र भी है, नाज़िर भी
उठ्ठेगा अनलहक़ का नारा
जो मैं भी हूं और तुम भी हो
और राज़ करेगी खल्क़े-खुदा
जो मैं भी हूं और तुम भी हो
अहले-सफा pure people; अनलहक़ I am Truth, I am God. Sufi Mansoor was hanged for saying it; अज़ल eternity, beginning (opp abad); खल्क़ the people, mankind, creation; लौह a tablet, a board, a plank; महकूम a subject, a subordinate; मंज़र spectacle, a scene, a view; मर्दूद rejected, excluded, abandoned, outcast; नाज़िर spectator, reader
.......ये रहा लिंक .....( कृपया copy , paste कर लें ) सवा घंटे के लेक्चर में उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कारगुजारियां उजागर की हैं . मीडिया houses. की blackmailing , extortion , और तमाम अन्य malpractices के बारे में तफसील से बताया है .....पेड न्यूज़ को समझाया है ......उसके ramifications और repurcussions discuss किये हैं ....... अपने 50 साल के जीवन में पहली बार मैंने खुद को बेचारा , बेसहारा और लाचार महसूस किया . बहुत इमोशनल किस्म का आदमी हूँ ....बेबात आंसू आ जाते हैं ........पर जीवन में पहली बार हताशा और निराशा में रोया .........वो लिंक फेसबुक पे डाला ....और जैसा कि आम तौर पे होता है , गाली गुप्ते और प्रलाप में व्यस्त भाई लोगों ने देखा तक नहीं ....न कोई लाइक न कमेन्ट ..........उस लड़की को friend request भेजी , जिसने वो लिंक डाला था .......सारा दिन उदास , निराश और तकरीबन depression में रहा .......
पर शाम को उम्मीद की किरण नज़र आयी है ......... दिल्ली के SRCC में नरेन्द्र मोदी का युवाओं को संबोधन सुन के फिर कुछ आशा बंधी है ........ उनके मुह से गुजरात के बारे में सुन के अच्छा लगा ....... मुझे तो यूँ लगा की ये आदमी तो सिर्फ मुझसे ही बात कर रहा है ....इसे पता है की आज मैं बहुत उदास हूँ . सबसे अच्छी बात ये थी की उन्होंने ये आशा जगाई कि यही व्यवस्था, यही कानून .यही सरकार ,यही अफसर ,यही दफ्तर और यही फाइल सब कुछ कर सकती है . सिर्फ एक अच्छी सरकार हो जो pro people हो और good governance दे ......P2G2 ..........सुबह P Sainaath का लेक्चर सुन समझ के आज पूरे प्रसारण में मीडिया की हरमजदगी भी साफ़ दिख रही थी ....समझ आ रही थी ........ अब मैं फिर उठ बैठा हूँ ....चलने को तैयार .....बहुत दूर जाना है .
फैज़ की ये नज़्म रूह में जान दाल देती है
हम देखेंगे
लाज़िम है के हम भी देखेंगे
वो दिन की जिसका वादा है
जो लौहे-अज़ल पे लिखा है
जब जुल्मो-सितम के कोहे-गरां
रूई की तरह उड़ जाएंगे
हम महकूमों के पांव तले
ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहले-हिकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब अर्ज़े-खुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जाएंगे
हम अहले-सफा मर्दूदे-हरम
मसनद पे बिठाए जाएंगे
सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख्त गिराए जाएंगे
बस नाम रहेग अल्लाह का
जो गायब भी है, हाज़िर भी
जो मंज़र भी है, नाज़िर भी
उठ्ठेगा अनलहक़ का नारा
जो मैं भी हूं और तुम भी हो
और राज़ करेगी खल्क़े-खुदा
जो मैं भी हूं और तुम भी हो
अहले-सफा pure people; अनलहक़ I am Truth, I am God. Sufi Mansoor was hanged for saying it; अज़ल eternity, beginning (opp abad); खल्क़ the people, mankind, creation; लौह a tablet, a board, a plank; महकूम a subject, a subordinate; मंज़र spectacle, a scene, a view; मर्दूद rejected, excluded, abandoned, outcast; नाज़िर spectator, reader
देश अब क्रान्ति चाहता है. और चाहता है तो उसे मिल भी जाएगी.
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