Sunday, April 21, 2013

जैसा ताऊ वैसा कुत्ता

                                                  मेरे पिता जी कुत्तों के बहुत शौक़ीन थे .फ़ौज में नौकरी करते थे .उधमपुर में पोस्टिंग थी . वहीं बगल में एक dog squad की unit थी .सारा दिन वहीं बैठे उन कुत्तों की ट्रेनिंग देखते समझते थे . फिर स्वयं उन्होंने भी एक अल्सेशियन पाल लिया और उसे एकदम फ़ौजी तर्ज़ पे ट्रेनिंग दी . बड़ा हो गया तो गाँव ले आये . मुझे याद है . बड़ा जांबाज़ और दिलेर कुता था , शेर जैसा .उसके किस्से आज भी गाँव में लोग याद करते हैं .
                                                   खैर कुछ सालों बाद जब वो मर गया तो  मेरे ताऊ जी ने नया कुत्ता पाल लिया .छोटा सा पिल्ला था .अब चूंकि अल्सेशियन नस्ल का था सो उस बेचारे से भी यही उम्मीद की जाती थी की वो भी पिछले वाले की तरह खूंखार होगा ....लोगों को काट खायेगा , घर की  रखवाली करेगा . ताऊ जी ठहरे निपट देहाती .घर के बच्चों से भी डपट के बात करते थे और कुत्तों से भी .अब बेचारा छोटा सा बच्चा .वो उसे डराते , चिल्लाते , घुड़कते तो दुम दबा के चारपाई के नीचे छिप जाता . फिर उसका मज़ाक उड़ाते . उसे एकदम डरपोक घोषित कर दिया गया . कोई मेहमान या बाहरी आदमी आता तो बाकायदा प्रदर्शन होता था ......वो जोर से चिल्लाते और पिल्ला  बेचारा दुबक जाता .खैर समय के साथ वो बड़ा हुआ , जवान हुआ . देखने में तो था एकदम ज़बरदस्त , पर ज़रा सा जोर से बोलने पे दुबक जाता था . मुझे याद है , जब तक वो जिया , डरपोक , दब्बू , निकम्मा और नकारा ही कहलाया .मेरे पिता जी अक्सर ताऊ जी से कहा करते थे , आपने अच्छा खासा कुत्ता बर्बाद  दिया , डरपोक बना दिया . ताऊ जी उलटे बहस करते , मैंने क्या बना दिया , ये ससुरा तो जन्मजात ही  डरपोक था .
                                        कल से बवाल मचा है टीवी पे . चिहाड़ मची है . लोगबाग पुलिस को गरिया रहे हैं . ACP  साहब ने चार झापड़ लडकी को मारा , ससपेंड हो गए . कमिश्नर की नौकरी पे तलवार लटक रही है .पुलिस वाला लडकी के बाप को दो हज़ार दे आया . बोला रफा दफा करो . कहाँ FIR और कोर्ट कचहरी के चक्करों में पड़ोगे .पुलिस के पास 17  को गए थे लडकी के माँ बाप . 19 तक कुछ नहीं किया पुलिस ने .कितने भोले भाले लोग हैं हम हिन्दुस्तानी . अबे ये पुलिस नहीं है भैया ...ताऊ जी का कुत्ता है .......जैसा ताऊ वैसा कुत्ता . पुलिस आज भी डंडा ले के चलती है , जानते हैं क्यों ? गाँव में चरवाहे भी डंडा ले के चलते हैं .पुलिस वाले को पहले दिन से ये दिमाग में बैठा दिया जाता है की मारो साले को चार झापड़ .चार डंडे . आज भी पुलिस हाकिम , माई बाप सरीखा व्यवहार करती है लोगों के साथ , सो उसी बेसिक ट्रेनिंग का नतीजा था जब ACP ने उस लडकी को मार दिए चार झापड़ , या तरन तारन में उन पुलिस वालों ने उस औरत को लाठियों से पीटा,    सड़क पे .
                                       आम तौर पे सरकार पे दबाव रहता है , क्राइम के आंकड़ों को कम करके दिखाने का .....याद है अमिताभ  बच्चन का वो विज्ञापन ....UP में दम है , क्योंकि जुर्म यहाँ कम है . Stastically , जुर्म तब होगा जब मुकदमा दर्ज होगा , सो हर सरकार की , हर प्रसाशन की और हर पुलिस की यही कोशिश होती है की FIR न हो , मुकदमा न दर्ज हो , किसी तरह बहार बाहर सलट  जाए , समझा बुझा के , या फिर ले दे के .या फिर यूँ ही घुड़क के भगा दो मुद्दई को . और ये सब पूरा महकमा तय करता है . DGP सब जानता है . सड़क पे खड़े बेचारे सिपाही की क्या औकात है की वो आपकी FIR दर्ज ना करे . और अगर दर्ज हो भी जाए तो उसे क्या फर्क पड़ता है . फर्क तो SSP को पड़ता है , DGP को पड़ता है . मुख्य मंत्री को पड़ता है .इसलिए ये जान जाइये की अगर थाने  में आपकी FIR दर्ज नहीं होती तो इसलिए दर्ज नहीं होती क्योंकि प्रदेश का मुख्य मंत्री नहीं चाहता .                                                     
.हमारी  पुलिस आज भी  सत्रहवी शताब्दी में काम करती है . community policing जो की उसका मूल कार्य है , उसके अलावा सब कुछ करती है , पुलिस के पास manpower की भारी कमी है ,और investigation के लिए आदमी चाहिए , जो है वो VIP ड्यूटी में लगी है , जो बची खुची है वो सड़क पे डंडा पटक के वसूली में लगी है.   . जो इने गिने लोग काम करना भी चाहते हैं उन्हें नेता लोग और सरकार काम नहीं करने देती .
                                       ये तो सत्या नास जाए इस कम्बखत मारी मोबाइल फोन का , सालों ने दो कौड़ी के मोबाइल में भी कैमरा लगा दिया है , और साला  दो कौड़ी का आदमी भी पत्रकार बन जाता है , sting करने लगता है , मुंबई में बेचारे 36 पुलिस वाले ससपेंड करा मारे . अब  ACP साहब ने चार थप्पड़ मार दिए तो क्या आसमान टूट पडा ? अजी साहब , पुलिस तो मार मार के खाल उधेड़ लेती है , हड्डियां तोड़ देती है , उस रात ,रामलीला मैदान के बाहर ( बाबा राम देव ) याद है मुझे  . वो बेचारा अभागा ACP तो यूँ ही ससपेंड हो गया ........... और वो पुलिस वाला लडकी के बाप को दो हज़ार दे रहा था ......दो हज्जार .....चाहता तो यूँ ही घुड़क के भगा देता .......साले कीड़े मकोड़ों के तरह पैदा कर के छोड़ देते हैं , लडकी गुम हो गयी तो खुद ढूंढ . भाग गयी होगी किसी के साथ , जा पहले सब रिश्तेदारियों में पता लगा ........समझे भैया .........ये पुलिस मेरे ताऊ का कुत्ता है .......ताऊ ने जैसी ट्रेनिंग दी वैसा ही हो गया कुत्ता ........ समझे ताऊ ???????????                    












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