Sunday, June 9, 2013

अपनी मर्जी से शादी करने का हक़

                                            आम तौर पे कातिलों के पक्ष में लेख लिखना सभ्य आचरण नहीं माना जाएगा . पर आज का अखबार पढ़ कर मुझे तुरंत इस लेख को लिखने की तीव्र इच्छा हुई . आज से चार दिन पहले हरियाण के सोनीपत जिले के दीपालपुर गाँव में एक युवक बसंत कुमार उर्फ़ बंटी ने अपनी तथाकथित प्रेमिका सरिता के नवविवाहित पति और सास की ह्त्या कर दी और सरिता को भगा ले गया .आज का समाचार ये है की कल देर रात जब वो दोनों चंडीगढ़ के सेक्टर 17 में घूम रहे थे तो एक इंस्पेक्टर सुच्चा सिंह ने उन्हें रोका . बसंत कुमार बंटी ने सुच्चा सिंह को चाकू से गोद दिया और उसकी मृत्यु हो गयी . अखबारों में बड़ी चर्चा है इस घटना की . लोग बसंत और सरिता को कोस रहे हैं . सरिता के बाप ने कहा है की अगर मिल गयी तो खुद अपने हाथ से गाँव के चौराहे पे टुकड़े टुकड़े कर के कुत्तों को डाल दूंगा .बसंत के बाप ने कहा है की पुलिस को उसे गोली मार देनी चाहिए , अगर वो न मारें तो मैं मार दूंगा . और ये दोनों बयान हेड लाइन बना कर अखबारों ने प्रमुखता से छापे हैं . स्टोरी का टोन कुछ यूँ है मानो अखबार इस उदगार का समर्थन कर रहे हों .लड़के लडकी के माँ बाप को तकरीबन शाबाशी देते हुए समाचार लिखा गया है .
                                   मित्रों , स्टोरी का एक दूसरा एंगल भी है जिसे देखने , सोचने , लिखने और छापने की ज़रूरत किसी अखबार ने नहीं समझी . बसंत और सरिता दोनों बालिग़ हैं . बसंत चंडीगढ़ पुलिस में नौकरी करता था . उसने एक लडकी सरिता से पिछले महीने आर्य समाज मंदिर में बाकायदा शादी की . उसका मैरिज सर्टिफिकेट , जिसपे दोनों की फोटो लगी है , हस्ताक्षर हैं , और दो गवाहों के भी हस्ताक्षर हैं  आज अखबार में छपा है . कानूनन ये पूरी तरह एक valid शादी है जिसे हमारा कानून मान्यता देता है .और इस से ये सिद्ध होता है की सरिता बसंत कुमार के प्रेमिका नहीं बल्कि पत्नी थी . उसकी इस शादी को यदि लडकी का परिवार या समाज मान्यता नहीं देता तो ये उनकी समस्या है . 
                                  सरिता के परिवार ने ज़बरदस्ती सरिता की शादी किसी और से कर दी . ये नयी शादी पूरी तरह गैरकानूनी है. अगर इस देश में कानून का राज होता तो इसमें सरिता का पूरा खानदान और उस लड़के का , जिससे उसकी जबरन शादी की गयी आज जेल में बंद होते और बसंत कुमार अपने पत्नी सरिता देवी के साथ सुख पूर्वक रह रहा होता .पर दोस्तों मुझे ये कहते हुए दुःख है की हम एक गंदे और घटिया समाज में रहने को मजबूर हैं .
                                    देखो भैया सीधी सी बात है . अगर कोई मेरी बीवी को यूँ मुझसे छीन ले जाये और उसकी ज़बरदस्ती शादी कही और करने लगे तो मैं भी यही करूँगा जो बसंत कुमार ने किया . और हर पानीदार मर्द को यही करना चाहिए ( यदि अन्य सारे विकल्प समाप्त हो जायें ). अब बसंत कुमार ने वो अन्य विकल्प try किये या नहीं ये जांच का विषय है .पर जहां तक मेरा अनुभव है समाज और हमारी प्रशासनिक एवं न्याय प्रणाली ऐसे cases में आम तौर पे प्रेमी युगल की कोई मदद नहीं कर पाती या करना चाहती .
                                        मुझे कुछ साल पहले का एक किस्सा याद आता है   जब मेरा एक दोस्त ऐसी ही परिस्थिति में घिर गया था पर उसकी ये खुशकिस्मती थी की उसके पास मुझ जैसा घाघ एक दोस्त था , और हमने बाकायदा एक टीम बना कर उसकी पत्नी को , जिसे उसका ससुर हर ले गया था , वापस प्राप्त कर लिया.ये अलग बात है की पूरे प्रकरण में , शहर में हमारी बहुत थू थू हुई . .और लोगों ने यहाँ तक कहा की साले तुम तो लफंडर थे ही , तुम्हारी बीवी भी इस लफंडरी में शामिल थी .दरअसल मेरी पत्नी ने हमारे साथ जिले के SP , SDM और स्थानीय SHO से बाकायदा एक युद्ध लड़ कर उस लडकी को वापस प्राप्त किया. पर शायद बसंत कुमार और सरिता देवी इतने खुशनसीब नहीं थे की उन्हें इस निष्ठुर निर्दय समाज में कोई support group मिल पाता .
                                          मुझे उस दिन बड़ी शिद्दत से इस बात की ज़रुरत महसूस हुई थी की हमारे समाज में ऐसा एक support system होना चाहिए , ऐसे NGOs होने चाहिए , स्थानीय bar council में एक cell होना चाहिए जो ऐसे नौजवानों की मदद कर सकें और उन्हें उचित सलाह दे सकें . याद कीजिये वो दिन जब नेपाल के शाही खानदान में उनके युवराज ने , जो की देश के राजा बनने वाले थे और अत्यंत लोकप्रिय थे , अपने माता पिता  समेत पूरे खानदान को गोली मार कर स्वयं भी खुदकुशी कर ली थी . उनकी माँ  उन्हें अपनी मनपसंद लडकी से शादी करने की इजाज़त नहीं दे रही थी . किसी भी सभ्य समाज में बालिग़ लोगों को मर्यादित आचरण करते हुए अपना जीवन जीने और जीवन साथी चुनने की आजादी होनी ही चाहिए. यूँ तो पुराने ज़माने में संकुचित सोच वाली ऐसी बहुत सी कुप्रथाएं थी ही जिनका हमारे leaders ने उन्मूलन किया . पर आज के इस आधुनिक युग में भी इस कुप्रथा को छूने से क्यों डरते हैं हमारे leaders ,  धर्मगुरु , हमारे  प्रचार माध्यम , मीडिया  और हमारा एजुकेशन सिस्टम . इंग्लैंड का समाज और उनका एजुकेशन सिस्टम अपने बच्चों को ये सिखाता है की अगर तुम्हारे माँ बाप तुम्हारे साथ  मार पीट करें , दुर्व्यवहार करें , आपस में लड़ें तो उन्हें थाने में बंद करवा दो . हमारा समाज और हमारा education सिस्टम कब अपने नौजवानों को सिखाएगा की बालिग़ होकर अपनी मर्जी से शादी करना तुम्हारा अधिकार है और इसे तुम इस इस तरह प्राप्त कर सकते हो .
                                            मेरी पूरी सहानुभूति बसंत कुमार और उसकी  पत्नी के साथ है 










  

1 comment:

  1. Ek dum sahi kiya basant ne
    Koi aur hota toh woh bhi yahi karta

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