जैसा की सब जानते ही हैं की अपनी कांग्रेस पार्टी का हाथ आम आदमी के साथ है। आम आदमी बेचारा कल तक ट्रेन की जनरल बोगी में लटक के यात्रा करता था। फिर समय के साथ हम लोग भी " रेजुबेसन " करा के चलने लगे। अब 121 करोड़ की भीड़ में मिलता कहाँ है रेजुबेसन। अब ऐसे में यात्रा करें तो कैसे करें। यूँ सरकार है तो आम आदमी की पर 24 डब्बे की गाड़ी में बमुश्किल दो या चार डब्बे होते हैं हमारे लिए। बाकी 10 -12 स्लीपर और 4 -6 AC . ऐसे में बेचारा आम आदमी स्लीपर में घुसता है। अब देखिये रेलवे की लूट। स्लीपर का टिकेट विंडो से नहीं मिलता। क्यों ? पता नहीं। बुकिंग ऑफिस के अन्दर बाकायदा कर्मचारियों के लिए निर्देश लिखा होता है। स्लीपर का टिकेट हरगिज़ न दिया जाए। अब आप मजबूरन जनरल का टिकेट ले कर स्लीपर में घुसे , तो दीजिये 250 रु पनेल्टी और लगभग 150 डिफरेंस। यानि जो यात्रा 250 -300 में निपट सकती थी उसके 500 -600 . फिर स्लीपर में ज़मीन पे बैठ के वो भी शौचालय के सामने , यात्रा कीजिये।
भाई लोगों ने इसका हल निकाला। रेजुबेसन कराओ , चाहे वेटिंग ही क्यों ना मिले। अब आपके पास वेटिंग का टिकेट है। अब आप कम से कम पनेल्टी से तो बच गए। अब आगे सुनिए। अगर गाडी में 10 डब्बे स्लीपर के हैं तो 720 यात्री उनमे कायदन यात्रा करेंगे। पर रेलवे लगभग 350 से 500 तक स्लीपर के वेटिंग टिकेट बनाती है। वो सब भी स्लीपर में घुस के यात्रा करते हैं और स्लीपर क्लास के bonafide यात्री भी स्लीपर में जनरल का मज़ा लेते हैं।
इतने से भी रेलवे का पेट नहीं भरता। उसने हर स्टेशन पे स्टाफ छोड़ रखा है। जो स्टेशन पे और ट्रेन में घूम के लोगों से कहता है………. वेटिंग बनवा लो। अर्थात 250 रु पनेल्टी और 150 डिफरेंस दे के स्लीपर में ज़मीन पे बैठ के यात्रा करो। जो यात्रा जनरल में 200 रु में होती है वही यात्रा स्लीपर में ज़मीन पे बैठ के 800 रु में करो।
अब ये देखिये की ये सब शुरू कब और कैसे हुआ। NDA की सरकार में जब नितीश बाबु और ममता बेन रेल मंत्री थे तो इनका दृढ संकल्प था की यात्री भाड़ा नहीं बढ़ाना है। अब अगर भाड़ा नहीं बढेगा तो रेल चलेगी कैसे। सो नितीश बाबू ने मंत्रालय को आय के वैकल्पिक स्त्रोत खोजने को कहा। वहाँ अफसरों ने ये पनेल्टी को 50 रु से बढ़ा के 250 करने का प्रस्ताव किया। पर निकू और ममता ने इसे लागू नहीं किया। जब UPA 1 में लालू जी रेल मंत्री बने तो उन्होंने इस योजना को अमली जामा पहनाया। यूँ लालू जी गरीबों के मसीहा हैं। रेल में यात्री भी ज़्यादा बिहार से ही होते हैं। लिहाजा सबसे ज़्यादा शोषण भी बिहारियों का ही होता है। इस प्रकार बिना भाड़ा बढाए लालू जी ने रेल की आमदनी बढ़ा ली ।आम आदमी को लूट के। ….ज़रा सोचिये क्या ये लोग राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में ऐसा होने देंगे। की 72 सीट के डब्बे में उनके साथ 100 यात्री ज़मीन पे बैठ के यात्रा करे। सोनिया जी …………. गरीब आदमी की जेब काट के , हो रहा भारत निर्माण……….
भाई लोगों ने इसका हल निकाला। रेजुबेसन कराओ , चाहे वेटिंग ही क्यों ना मिले। अब आपके पास वेटिंग का टिकेट है। अब आप कम से कम पनेल्टी से तो बच गए। अब आगे सुनिए। अगर गाडी में 10 डब्बे स्लीपर के हैं तो 720 यात्री उनमे कायदन यात्रा करेंगे। पर रेलवे लगभग 350 से 500 तक स्लीपर के वेटिंग टिकेट बनाती है। वो सब भी स्लीपर में घुस के यात्रा करते हैं और स्लीपर क्लास के bonafide यात्री भी स्लीपर में जनरल का मज़ा लेते हैं।
इतने से भी रेलवे का पेट नहीं भरता। उसने हर स्टेशन पे स्टाफ छोड़ रखा है। जो स्टेशन पे और ट्रेन में घूम के लोगों से कहता है………. वेटिंग बनवा लो। अर्थात 250 रु पनेल्टी और 150 डिफरेंस दे के स्लीपर में ज़मीन पे बैठ के यात्रा करो। जो यात्रा जनरल में 200 रु में होती है वही यात्रा स्लीपर में ज़मीन पे बैठ के 800 रु में करो।
अब ये देखिये की ये सब शुरू कब और कैसे हुआ। NDA की सरकार में जब नितीश बाबु और ममता बेन रेल मंत्री थे तो इनका दृढ संकल्प था की यात्री भाड़ा नहीं बढ़ाना है। अब अगर भाड़ा नहीं बढेगा तो रेल चलेगी कैसे। सो नितीश बाबू ने मंत्रालय को आय के वैकल्पिक स्त्रोत खोजने को कहा। वहाँ अफसरों ने ये पनेल्टी को 50 रु से बढ़ा के 250 करने का प्रस्ताव किया। पर निकू और ममता ने इसे लागू नहीं किया। जब UPA 1 में लालू जी रेल मंत्री बने तो उन्होंने इस योजना को अमली जामा पहनाया। यूँ लालू जी गरीबों के मसीहा हैं। रेल में यात्री भी ज़्यादा बिहार से ही होते हैं। लिहाजा सबसे ज़्यादा शोषण भी बिहारियों का ही होता है। इस प्रकार बिना भाड़ा बढाए लालू जी ने रेल की आमदनी बढ़ा ली ।आम आदमी को लूट के। ….ज़रा सोचिये क्या ये लोग राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में ऐसा होने देंगे। की 72 सीट के डब्बे में उनके साथ 100 यात्री ज़मीन पे बैठ के यात्रा करे। सोनिया जी …………. गरीब आदमी की जेब काट के , हो रहा भारत निर्माण……….
आपकी यह पोस्ट आज के (३० जुलाई, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - एक बाज़ार लगा देखा मैंने पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDeleteसार्थक लेख आभार।।
ReplyDeleteनये लेख : ब्लॉग से कमाई का एक बढ़िया साधन : AdsOpedia
ग्राहम बेल की आवाज़ और कुदरत के कानून से इंसाफ।