पिछले दिनों आनंद भाई आगरा से फोन पे बात हो रही थी । आनंद भैया अपने farm house पे एक आधुनिक गौशाला बना रहे हैं । जिसमे बाकायदा hydroponic विधि से हरा चारा silage बना के सूखे हरे चारे का प्रबंधन होगा । आनंद भाई का संकल्प है कि देशी नस्ल के गौवंश की वृद्धि हो ........ नागपुर में कोई एक गौशाला गीर नस्ल की अपनी 10 गायें और बाछियां बेच रही थी । आनंद भाई ने पूरे lot का सौदा कर लिया । पर कोई भी truck वाला किसी भी कीमत पे उन गायों को लादने के लिए तैयार न हुआ । सारे कागज़ पत्र पूरे हैं , यहाँ तक कि truck के साथ साथ police protection के लिए भी व्यवस्था की गयी इसके बावजूद कोई truck वाला राज़ी न हुआ ।
अरे भैया , कौन जान देने जाएगा लाख पचास हज़ार के लिए ।
रास्ते में सब जान से मार देंगे अगर गाडी में मवेशी देख लिए तो ............
दादरी के इख़लाक़ मियाँ को अल्लाह जन्नत बक्शे ......... उन ने अपनी जान दे के लाखों नहीं करोड़ों गोवंश की जान बचा ली । इसके अलावा वो जो दो थे , हिमांचल वाले पशु व्यापारी / तस्कर ....... जिनको मार के लटका दिया था public ने ........... अल्लाह 72 हूरें अता फरमाये .........
आप लोगों की क़ुरबानी खाली नहीं गयी है ।
मैं आपको अपने गाँव माहपुर से जमीनी हकीकत बताता हूँ ........ अप्रैल के महीने में भीषण गर्मी और जबरदस्त लगन के बावजूद न दूध के भाव में तेजी है न खोये मावे के ........ आज भी गाय का दूध गाँव से 22 रु लीटर दूध उठ रहा है ........ मेरे घर इस समय 40 lt दूध हो रहा है और इस season में जब कि लोग 1 लीटर दूध के लिए तरसते हैं ........ फिर भी दूध के दाम में कोई तेजी नहीं .......
क्यों ?
इसका कारण बताया गिरी बाबा ने जो अक्सर vikram भैया के पास आते हैं पशुओं की होमियोपैथी दवा लेने ....... अबकी बार बहुत दिन बाद दिखे ?
कहाँ थे इतने दिन ?
अरे क्या बताएं भैया ......... बाजार एकदम बंद पड़ी है ।
8 महीने हो गए , एक भी पशु नहीं बेचा ........ खरीदार ही नहीं है ...... व्यापारी चढ़ ही नहीं रहे ........
बंगाल की loading एकदम बंद है । सिर्फ एक साल में गायों की संख्या देहात में इतनी बढ़ गयी है कि इसका असर milk के production पे आने लगा है ।
अल्लाह इख़लाक़ मियाँ को जन्नत बक्शे और 72 कमसिन हूरें और 24 चिकने गिलमां अता फरमाये ।
मुम्बई की राष्ट्रवादी संवाद गोष्ठी में मैंने एक हिन्दू लकड़बग्घे का ज़िक्र किया था जिसने स्टेज पे आते ही तलवार निकाल ली थी और खून खच्चर मचा दिया था ......... जब उसने रक्त चंडिका रक्त चंडिका रक्त चंडिका रक्त चंडिका कहते कहते मार काट मचाई तो सामने बैठे बहुत से मासूम लौंडे तो बेहोश हो गए ..... उस दिन से मुझे ये अहसास हुआ कि यार ये हिन्दू लकड़बग्घा तो बड़ा ही विचित्र और बड़ा ही मजेदार प्राणी होता है .......... इसके अंदर एक सामान्य आपिये अपोले Aaptard से 100 गुना ज़्यादा entertainment भैलू होती है ..... इसलिए आजकल मैं बहुत तन्मयता से हिन्दू लकड़बग्घों को follow करता हूँ ....
आज एक लकड़बग्घा fb पे खून खच्चर मचाये था और मोदी की गर्दन उतारे ले रहा था .......
हे गऊ माता हम शर्मिन्दा हैं ....... मोदिया साला कुछ नहीं किया आपके लिए ....... दगाबाज निकल गया ........ न गौचर की जमीन खाली करवाया और न गाय को National Animal घोषित किया .......
चोप्प्प बुड़बक ......
गऊ माता को एनीमल घोसित करेगा बे ????
Wednesday, April 20, 2016
लकड़बग्घे को नेसनल एनिमल घोसित करो ..........
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सही बात ।
ReplyDeleteगज़ब ,,,
ReplyDeleteगीली चप्पल से खदेड़े हो दद्दा.....
ReplyDeleteगीली चप्पल से खदेड़े हो दद्दा.....
ReplyDeleteदादरी के इख़लाक़ मियाँ को अल्लाह जन्नत बक्शे .......hahahhahahahahahahahahahahahah
ReplyDeleteअल्लाह इख़लाक़ मियाँ को जन्नत बक्शे और 72 कमसिन हूरें और 24 चिकने गिलमां अता फरमाये । Sahi kaha .,, Jabardast Vayangya hai
ReplyDeleteजबरदस्त
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteअखलाख के बारे में कोई कुछ नहीं बोलेगा दद्दा।।। उसने गौ माता के लिए अपना जीवन बलिदान किया है और एक हैं अपने मोदी जी जो कछुवे नहीं किये
ReplyDeleteवाह,प्रणाम
ReplyDeleteकमाल का अंदाज है भाई वाह। सही दिशा में जा रहा है सन्देश।
ReplyDeleteकमाल का अंदाज है भाई वाह। सही दिशा में जा रहा है सन्देश।
ReplyDeleteभाषा की तीन शैलियों में से व्यञ्जना में लिखना आसान नहीं है,अभिधा में तो सारे और लक्षणा में भी काफ़ी लोग लिखते हैं ।
ReplyDeleteशानदार सारगर्भित पोस्ट......
24 चिकने गिलमां naya tathya
ReplyDeletehttp://www.HindiDiary.com भी कृपया देखें।
ReplyDeleteलकड़बग्घा वैसे भी संकटग्रस्त पशु है।
ReplyDeleteमुम्बई वाले मीटिंग में मैं भी था। पहले तो मुझे समझ हीं नहीं आया की इस आदमी को अचानक क्या हो गया, क्यों ये "रक्त चंडिके, रक्त चंडिके" का जाप शुरू कर दिया और ज़ोर ज़ोर से। कुछ मिनटों के बाद पता चला कि महाशय कहाँ जा रहे हैं। सचमुच का लकडबधा पहली बार देखा।
ReplyDeleteमीटिंग बुलाने के लिए धन्यवाद।
शानदार
ReplyDelete