Tuesday, May 24, 2011

लालू यादव का सिमुलतला ........

professional घुमक्कड़ों की एक problem होती है ..दरअसल वो हर चौथे दिन मुह उठा के चल देते हैं .....अब तो खैर इन्टरनेट और ब्लॉग्गिंग का जमाना है सो नीरज भाई जैसे लोगों से सलाह और मार्गदर्शन मिल जाता है .............पर हमारे ज़माने में तो मोबाइल फोन भी अभी कायदे से नहीं आया था ...इसलिए हम लोगों को एक समस्या होती थी की अब कहाँ जाएँ .......और ये बड़ी विकट समस्या होती है की आखिर जाएँ कहाँ .....तो हम दोनों मियां बीवी तो अंत तक तय नहीं कर पाते थे की आखिर जाना कहाँ है .........कई बार तो हम स्टेशन पे पहुँच के ..... enquiry ऑफिस पे जा के ये देखते की कौन कौन सी ट्रेन है ....कौन सी किस रूट पे जाती है ...किस रूट पे कौन सा पर्यटन स्थल पड़ता है ...किस ट्रेन में जगह मिलेगी वगैरा वगैरा .......एक बार तो हम दोनों ये सोच के निकले की ३.३० पे रांची एक्सप्रेस पकड़ के रांची जायेंगे ....पर जब स्टेशन पे पहुचे तो वो एक घंटे लेट थी और बुंदेलखंड एक्सप्रेस निकल रही थी so आनन फानन में प्रोग्राम change और अपने राम बुंदेलखंड पकड़ के खजुराहो निकल लिए ...........और वाकई बड़ा मज़ा आया उस ट्रिप में ........और रांची रह गया तो आज तक हम लोग रांची नहीं जा पाए .......तो इस समस्या का हल यूँ निकला की एक दिन एक स्टेशन पर एक bookstall पर हमें एक किताब मिल गयी ....भ्रमण संगी.......जो शायद हम जैसे लोगों के लिए ही छापी गयी है ......और उसे अगर आप हिन्दुस्तान के tourists की bible कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी .....पूरे हिन्दुस्तान में अगर कोई छोटी से छोटी जगह भी है घूमने लायक ....अगर वहां कुछ है देखने लायक तो वो आपको भ्रमण संगी में मिल जाएगी .......और इतना ही नहीं ...पूरा डिटेल ....कौन कौन सी ट्रेन ...बस..... flight ..वहां जाती है ....क्या timing है .....कितना भाड़ा है ....कौन कौन से होटल है कितने रूम है क्या रेट है ...उन सबके फोन नंबर ......कहाँ क्या मिलता है ........सब कुछ ...सब कुछ ......उसके नज़दीक और कौन से spots है और फिर उसकी डिटेल ....सो भैया हम लोगों ने वो किताब ले ली और उसे पढना शुरू किया ..और फिर इतना पढ़ा ...इतना पढ़ा की अगर वो IAS की परीक्षा में अगर कोई subject होता तो अपने राम तो इंडिया में टॉप कर जाते .......तो जैसे देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन कर के रत्न वगैरह निकाले थे उसी तरह हमने भी उसमे से बहुत कुछ खोज निकाला और लगे एक एक कर के उनका मज़ा लेने ...सो उनमे एक जगह थी ......सिमुलतला .......ये बात आज से कोई 15 साल पुरानी है .........तो चल पड़े हम लोग सिमुलतला घूमने ........हमें ये पता था की सिमुलतला बिहार के घने जंगलों में बसा हुआ एक health resort है जहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता ,जलवायु ,पानी ,खान पान सब कुछ बहुत अच्छा है ......चूंकि बंगाल के काफी पास है इस लिए बंगालियों में बहुत लोकप्रिय है ...........और यहाँ गुरुदेव rabindra nath tagore ...बापू गाँधी टाइप विभूतियाँ महीनों स्वस्थ्य लाभ हेतु आती रही हैं ...रहती रही हैं वगैरा वगैरा .......सो चल दिए हम दोनों मीया बीवी ....रात की एक ट्रेन पकड़ी बनारस से ......एक दम खाली ......रास्ते में एक आदमी और चढ़ा ...लगा हमें डराने ........रात में ...अकेले ...तुम दोनों ...बिहार में ......अबे कोई लूट लेगा .......हमने उस से कहा ..अबे चल ...हमें कोई क्या लूटेगा .......और हमें लूट के क्या पायेगा ...अबे चल ....कोई इतनी आग थोड़े ही लगी है .......हम भी up वाले हैं ....etc etc .खैर साहब हम दोनों सुबह सही सलामत सिमुलतला उतर गए ..........सिमुलतला आने से कोई एक घंटा पहले से ही पटरी के दोनों तरफ घना जंगल शुरू हो गया था ...और हम दोनों बहुत खुश की वाह क्या इलाका है... कितना खूबसूरत ...वाह ........ खैर सिमुलतला उतरे .......स्टेशन पे कोई platform नहीं था बस एक छोटा सा शेड था ......अलबत्ता वेटिंग रूम था ....सो हमने स्टेशन मास्टर के कान में गुरुमंत्र मारा और उसने चाबी दे दी ......अन्दर गए तो देखा पानी नहीं है ......ASM से पूछा तो वो बोला साहब यहाँ पानी नहीं है ...तो भैया फ्रेश कैसे हों ......अब वो बेचारा लाचार ......सोचा बाहर चल के किसी होटल में रूम ले के ही काम शुरू किया जाए .......बाहर निकले तो बाज़ार के नाम पे 10 ..15 ......गुमटी नुमा दुकानें थीं ......पूछा भैया ...यहाँ कोई होटल है ...तो पता चला नहीं साहब यहाँ कोई होटल वोटेल नहीं है ....हमने कहा अरे भाई होटल न सही ...कोई rest house ...lodge वगैरा ....नहीं साहब कुछ नहीं है .......अरे भाई लोग आते हैं तो रुकते कहाँ हैं ??????? अरे साहब जो आते हैं वो अपने अपने घर में रुकते हैं ...........अब अपन कनफुजिया गए ........कैसा tourist spot है भाई .......तभी जैसे उस बेचारे को इलहाम हुआ ...हाँ साहब एक धरम शाला है वहां पर ...कुछ दूर आगे ........हम दोनों बैग लादे वहां पहुंचे ........देखा तो वहां भी जीवन का कोई चिन्ह नज़र नहीं आया ........एक दम मंगल ग्रह जैसा माहौल था ......खैर कुछ देर तक गेट पीटने के बाद एक आदमी न जाने कहाँ से प्रकट हुआ .....उसने ..गेट खोला .......हमने पूछा की भैया रूम है ....और जब उसने अपनी मुंडी ऊपर नीचे हिलाई तो यकीन मानिये .......हमें तो लगा जैसे साक्षात् भगवान् के ही दर्शन हो गए .......उसने रूम खोला ......तो एकदम नंगा ....जी हाँ ....निपट नंगा ....यानि रूम में कुछ नहीं ....मैंने पूछा भैया ये क्या है ....आदमी कहाँ उठेगा बैठेगा .......वो बोला बाबु जी सामने टेंट हाउस से खटिया ....गद्दा....चादर......तकिया .और बाल्टी लोटा किराये पर लाइए ......सामने कुए से पानी खीचिये और निपटिये नहाइए ...हम दोनों ठठा के हँसे ....और मैडम जी बोलीं ...ओह ये तो adventure tourism हो गया ......तो साहब हम दोनों ने ये decide किया की सब कुछ cancel ...... खाली फ्रेश हो जाओ किसी तरह .....और निकलो यहाँ से ........खैर साहब उसी भले आदमी से पानी ले के दोनों मिया बीवी open air में ,फ्रेश हुए ,ब्रुश किया और मुह चुपड़ के हो गए तैयार घूमने के लिए ........पर मन में एक चिंता तो थी ही की रात कहाँ रुकेंगे ....खैर देखा जायेगा ......एक चाय की दूकान पे पहुचे .......उस से दोस्ती कर ली और पूछा की भैया ये माजरा क्या ....ये कैसा टूरिस्ट स्पोट है ...इसका रहस्य क्या है भैया ........तो चाय बनाते बनाते पहले तो वो ठिठका ...फिर उसने चारो तरफ देखा ....मुझे लगा ये तो मुझे ओसामा बिन लादेन का पता बताने जा रहा है ......वो बोला भैया ...यहाँ कोई घूमने नहीं आता ...तो होटल किसके लिए खुलेगा .......क्यों घूमने नहीं आता .....अरे साहब यहाँ रखा क्या है ......क्यों भाई इतनी खूबसूरत जगह तो है ........अरे साहब कोई ख़ाक घूमने आएगा .....पिछले 6 महीने से बिजली नहीं आई .......6 महीने से ......6 महीने से बिजली नहीं आयी....क्यों .....अरे साहब चोर लोग रात में 7 -8 किलोमीटर तार काट के ले गए ......मैडम जी की कुछ समझ में नहीं आया......तो मैंने उन्हें समझाया ....की चोरों का gang 6 महिना पहले 7 -8 km तक की बिजली की तारें रात में काट के ले गए .......वाह रे लालू यादव का बिहार ....तो फिर govt ने दुबारा तार नहीं लगाया ......अरे साहब एक बार पहले तार काट के ले गए थे तो सिरकर ने 4 साल में तार दुबारा लगाया ...और अभी 3 -4 महीने ही हुए थे की फिर काट के ले गए ....6 महीने हो गए ...देखिये कब दुबारा लगता है .......
खैर साहब ...हम लोग चाय पीते हुए बिहार की दशा पे विचार विमर्श करते रहे ........तो उसी चाय वाले ने हमें बताया की आपको अगर घूमने जाना है तो आप लोग गाँधी जी के आश्रम चले जाइये .......ये वही जगह थी जहाँ अपने गान्ही बाबा जब सिमुलतला आये थे तो रुके थे ......वहां आपके रहने की भी व्यवस्था हो जाएगी ......पता चला वो आश्रम घने जंगलों में 5 किलोमीटर दूर था ......मैडम जी इतनी दूर पैदल चलने से...वो भी बैग लाद के साफ़ नट गयीं ......अब इसका हल भी उस चाय वाले ने ही निकाला ........बाबू जी ....सामने से साईकिल किराए पर ले लीजिये ......हां ये ठीक रहेगा ....और भैया हम दोनों ने साईकिल पे बैग लादे और चल दिए आश्रम की तरफ .........कच्ची सड़क थी .......सड़क के दोनों तरफ सैकड़ों घर ,farmhouse टाइप के बने हुए थे ....सबपे ताले जड़े हुए थे .......कई कंपनियों और banks के होलीडे होम्स भी बने हुए थे ....पर सब बंद ....बाद में पता चला की उस जमाने में ........भद्र लोक यानी बंगाल से भद्र जन यानी बंगाली बाबू इस शानदार जगह पर छुट्टियां मनाने आते थे .....रईस लोगों ने यहाँ cottages बना रखी थीं .......जहाँ उनका एक चौकीदार साल भर रह के देखभाल और साफसफाई .करता था ...पर जब धीरे धीर बिहार का पतन होने लगा तो भद्र जन ने आना बंद कर दिया ........धीरे धीर चौकीदार भी भाग गए ......धीरे धीरे चोरों ने उन खाली घरों में हाथ साफ़ करना शुरू कर दिया ..........अंत में सब उजाड़ बियाबान खंडहर में तब्दील हो गए ..........आज भी वहां ऐसे सैकड़ों घर खाली पड़े हैं ........खैर थोड़ी देर में घना जंगल शुरू हो गया ......सब कुछ शांत .....एकांत ......चारों ओर प्रकृति का सौंदर्य ............२ किलोमीटर बाद एक गाँव पड़ा ......और एक छोटी सी पहाड़ी के उसपार वो गाँधी आश्रम ......उसका हाल भी कमोबेश सिमुलतला जैसा ही था .........उजाड़ बियाबान .......खँडहर ......कुछ अवशेष बाकी थे उन ग्रामोत्थान परियोजनाओं के ...जो कभी शुरू की गयी होंगी ....गाँव के लोगों के लिए .......वहां पहुंचे तो एक चौकीदार प्रकट हुआ ......उसने हमें पानी पिलाया ....हाल चाल लिया ......फिर बोला स्वागत है आप लोगों का ....कमरा तो है मेरे पास पर बिस्तर नहीं है .......हमने पूछा कुछ खाने के लिए ? उस बेचारे ने फिर हाथ खड़े कर दिए .......हमने पूछा तुम क्या खाओगे ...बोला बाबूजी मैं तो बगल के गाँव का हूँ ......शाम को घर चला जाऊँगा ......ये सुन कर हमने भी हाथ खड़े कर दिए ......चलो बहुत हो गया tourism ........चलो घर चलो .....खैर साहब वापस चल पड़े .........रास्ते में एक पहाड़ी नदी पड़ी ........एकदम साफ़ पानी ...ठंडा ...वहां गाँव के लोग नहा धो रहे थे ......मैडम जी ने भी ब्रेक मार दी ........यहाँ तो मै भी नहाउंगी ......और फिर हम दोनों उस नदी के थोडा और ऊपर की तरफ चले गए .......और सिमुलतला को हमने गोवा बना दिया .........घंटों हम उस में नहाते रहे ......और फिर अचानक बहुत तेज भूख लगी ......वहां क्या मिलना था .......वापस पहुंचे सिमुलतला ........काम आया वही चाय वाला .......हमें देखते ही बोला ....क्यों बाबूजी ...आ गए वापस .....वहाँ नहीं जमा आप लोगों को .....उस भाई ने अपने लिए मछली और भात बना रखा था ......और साथ में पकोड़े ....वही खाए पेट भर के ......छोड़ी दूर पे एक चर्च थी ...वो भी उजाड़ ...उसी के पास एक पेड़ के नीचे चादर बिछा के थोड़ी देर आराम किया ..........शाम को ट्रेन पकड़ी घर चले आये ........ काफी दिनों तक सिमुलतला की याद आती रही ....अब जब मैंने ब्लॉग लिखना शुरू किया तो मैडम जी बोलीं की सिमुलतला पे भी लिखो ......मैंने सोचा क्या लिखूं ....उसकी खूबसूरती पे लिखूं या उसकी बदहाली पे लिखूं ......और किसी देश में होता ...या गुजरात जैसे किसी राज्य में ही होता तो आज सिमुलतला एक शानदार tourist spot होता, वहां के लोगों को भी रोज़गार मिलता .........अब जबकि वहां अपने नितीश बाबू की सरकार है .....तो शायद सिमुलतला के दिन भी फिरें ........वो शानदार जगह अपने पुराने गौरव को प्राप्त हो ......मैं आपको ये सलाह तो नहीं दूंगा की आप वहां घूमने जाएँ ...पर उधर से निकलते समय इस शानदार जगह का नज़ारा एक बार ज़रूर लें ....सिमुलतला पटना हावड़ा मेन लाइन पर हावड़ा से 350 और पटना से लगभग 200 किलोमीटर दूर है ....प्रसिद्ध तीर्थस्थल देवघर वहां से सिर्फ 160 कम दूर है .......कुछ एक सुपर फास्ट गाड़ियों को छोड़ कर बाकी सब वहां रूकती हैं .........अब सुनते हैं की वहां एक दो guest houses भी खुल गए हैं .........इसलिए मुझे लगता है की इस शानदार जगह को एक और मौका मिलना ही चाहिए ..........वैसे मेरे हिसाब से वहां जाने का सबसे अच्छा मौसम वर्षा ऋतु ही रहेगा ......बारिश के बाद jungle कितना सुन्दर हो जाता है ............अंत में मैं यही कामना करूँगा की हे इश्वर .....सिमुलतला को बुरी नज़र से बचाए रखना .
नोट: भ्रमण संगी अक्सर रेलवे platforms पर दिख जाती है ,wheeler के bookstalls पर 300-350 रु की आती है ...प्रकाशक का नाम देख के बताऊंगा .......encyclopedia टाइप बुक है .









5 comments:

  1. बड़ा ही दिलचस्प यात्रा संस्मरण है. ये भ्रमण संगी आजतक कहीं देखी नहीं. क्या आजकल भी निकलता है? प्रकाशक का नाम पता मिले तो अपन भी मंगवाएँ. क्या पता कोई सिमुलतला का पता हमें भी मिल जाए...

    ReplyDelete
  2. दो सिरफ़िरे जाट, एक मैं एक नीरज जाट जी,
    दोनों जायेंगे इस जगह पर, आप भी चलो तो गाईड की भी जरुरत नहीं रहेगी,
    मेरी बहुत इच्छा रहती है, कुदरत की गोद में जाने की,

    ReplyDelete
  3. जी हाँ ये भ्रमण संगी बहुत पुरानी किताब है .....हर तीन साल के बाद ये लोग नया संस्करण निकालते हैं .......सारे होटल्स के फ़ोन numbers और बाकी की सारी जानकारी भी अपडेट करते हैं .......आम तौर पर रेलवे stations पे मिल जाती है ३०० rs में ....लगभग 700 पेज की बुक है ....jat भाई वहां जाना तो अपना टेंट ले के जाना ...और बरसात के मौसम में august .... sept में जाना ......thanx

    ReplyDelete
  4. रोचक यादें
    आपको घूमने में बेशक ना आया हो पर मुझे मजा आया पढकर :)

    प्रणाम

    ReplyDelete
  5. tht's sad state of affairs...dere r many not so famous places in India wich needsa serious attention n effort...tourism ke bade fayde hain...ye baat samjhana hai sarkaar ko :)

    ReplyDelete