Saturday, June 11, 2011

गांडीव उठा ...युद्ध कर ....उठ कौन्तेय

दोस्तों इस शोर शराबे में मूल मुद्दा कहाँ खो गया पता नहीं ......और मज़े की बात की हमें पता ही नहीं चला ........दूसरी बात की रोज़े बक्श्वाने गए थे नमाज़ गले पड़ गयी .....मूल मुद्दा था की भ्रष्टाचार ख़तम होना चाहिए ......भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक प्रभावी कानून बनना चाहिए .......और विदेशों में जमा काला धन राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर देश में वापस लाया जाना चाहिए .......अब ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन में बहस की कोई गुंजाइश ही नहीं है .......किसी भी वर्ग,धर्म ,जाती,सम्प्रदाय ,विचारधारा ,के व्यक्ति के लिए इस मुद्दे पर ना कहने की कोई गुंजाइश ही नहीं है ..........पर आप देख लीजिये देश में पिछले कुछ दिनों से क्या बहस चल रही है ..........बाबा सही है या गलत .....चोर है या इमानदार .....उसकी संपत्ति कितनी है .......RSS का support है की नहीं है ........4 जून को पुलिस की कार्यवाही सही थी या गलत ........सुषमा स्वराज का राजघाट पे नाचना उचित है की नहीं .......सत्याग्रह की कोई उपयोगिता है की नहीं है ........कानून सड़क पे बनेगा या संसद में .....सत्याग्रह से blackmailing होती है की नहीं ....बाबा पैसे का लोभी है की नहीं ......दिग्विजय सिंह पागल है की नहीं .....अन्ना RSS के agent है की नहीं .........पूरा देश दो गुटों में बँट गया है और गरमा गरम बहस चल रही है ....न्यूज़ चैनल दिन रात चीख रहे हैं .......पर मूल मुद्दा गुम है ........बाबा कहता है ...मांगे मानो तब अनशन तोडूंगा ............सरकार कहती है ...अबे अनशन पे बैठा क्यों है ....हमें तो ये भी नहीं मालूम .....मांगें ???????वो तो हमने पहले ही मान ली थी .........अब आप बताइए बाबा की मांगें अगर सरकार ने वाकई मान ली हैं तो इस देश में दीवाली मनाई जानी चाहिए .....घी के दिए जला के .........पर कहाँ का दीवाली महोत्सव ....यहाँ तो गाली महोत्सव चल रहा है ...लगातार ....पिछले कई हफ़्तों से ........आधा देश अन्ना और बाबा को गरिया रहा है ........बाकी आधा सरकार को गरिया रहा है ..........दिग्विजय सिंह सरकार और बाबा दोनों को गरिया रहे हैं .....सरकार बाबा और RSS ,BJP को गरिया रही है ...........सोनिया जी कपिल सिब्बल को गरिया रही थीं ....की ये वकील कहीं का नहीं छोड़ेगा .......न्यूज़ चैनल को बैलेंस बना के चलना है इसलिए दोनों को गरिया रहे हैं .......
इस गाली महोत्सव में मूल मुद्दा ..........बेचारा गुम है ......जैसे किसी मेले में कोई बच्चा जब गुम जाता है तो बदहवास रोता है .........अरे भाई भ्रष्टाचार का क्या कर रहे हो .......इधर बहुत से neutral किस्म के लोगों से मेरी बात हुई है .......अलग अलग वर्गों के ....तकरीबन हर वर्ग के ........जब मैं उन्हें बताता हूँ की हम लोग भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लड़ रहे हैं ...तो कई लोग तो हंस दिए ..........बोले क्यों टाइम खोटा कर रहे हो ...कुछ नहीं होगा .....आम आदमी से बात की ....बोले अरे कुछ नहीं होगा .......बड़े बड़े busineesmen से बात हुई ....बोले कुछ नहीं होगा ....बड़े देशभक्त किस्म के लोग बोले ...कुछ नहीं होगा ........inteelectuals भी कहते है कुछ नहीं होगा ...कुछ दिन भोंक के सब बैठ जायेंगे ........मुझे बड़ी निराशा होती है .....इतनी गहरी निराशा के गर्त में डूबा है हमारा देश ........सब मान चुके हैं की भ्रष्टाचार का कुछ नहीं हो सकता ?????? जैसे कैंसर के मरीज़ की जब आखिरी stage होती है ......जब अस्पताल से डॉक्टर उसे घर भज देते हैं .....क्योंकि वो नहीं चाहते ........की कोई मरीज उनके अस्पताल में मरे .........बहुत साल पहले ...याद है मुझे ......एक ऐसे ही मरीज को हम ले के आये थे अस्पताल से घर .........उस वक्त जो मनःस्थिति थी हमारी ......हार मान चुके थे हम .......घर कर चुप चाप बैठ गए .....हताश ...गुम सुम ....क्योंकि हम जानते थे की अब कुछ नहीं हो सकता .........और उसके मरने का इंतज़ार करने लगे ..........
क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई में वही स्थिति गयी है .......क्या भारत देश वाकई ये मान बैठा है की कुछ नहीं हो सकता इसका ........लगता तो यही है ......अर्जुन ने गांडीव रख दिया है ......उसके हाथ कांप रहे है ...जुबां सूख गयी है ......दोनों सेनाओं के बीच खड़ा है .......confused .....दोनों ही सेनाओं में अपने ही सगे सम्बन्धी हैं ........कहता है क्या मिल जायेगा लड़ के ........ऐसे समय में एक कृष्ण चाहिए जो अर्जुन को समझा सके की .....उत्तिष्ठ कौन्तेय .......गांडीव पर प्रत्यंचा चढ़ा और युद्ध कर .......
उठ और पूछ अपनी सरकार से ....की क्या कर रहे हो ...इस कैंसर से लड़ने के लिए .....क्या एक्शन प्लान है तुम्हारा .........कब और कैसे लगेगी इस पर लगाम ..........कब घोषित होगा विदेशों में जमा काला धन राष्ट्रीय संपत्ति ......कब होगी इन भ्रष्टाचारियों को उम्र कैद ..........कब बंद होगा ये mauritius route ..........mauritius route से आया 50 लाख करोड़ रुपया कब राष्ट्रीय संपत्ति घोषित होगा ........कब उजागर होंगे .....स्विस बैंक खाता धारकों के नाम ...........हमें एक डेट चाहिए ........संसद के अगले सत्र में ????? या उस से अगले .......क्या अगले आम चुनाव तक हो जाएगा ये काम ...........जिन लोगों ने ये धन लूटा है उनसे recovery कब होगी .........आखिर इस काम के लिए हमको सत्याग्रह क्यों करना पड़ रहा है .........सरकार बताये क्या मजबूरियां हैं उसकी ............सरकार को चाहिए की आम सहमति बनाये इस पर ....इस काम में राजनीति क्यों हो रही है ...........उत्तिष्ठ कौन्तेय ....मेरे मित्र पद्म प्रकाश सिंह की ये चन्द पंक्तियाँ आपके लिए
क्रान्ति सुनहरा कल लाएगी
संघर्षों का फल लाएगी

स्वप्न बंधे जंजीरों में
आशाएं कुंठित रुद्ध भले होँ
आज समय विपरीत सही
विधि के निर्माता क्रुद्ध भले होँ
स्वेद लिखेगा आने वाले
कल को बाज़ी किसकी होगी
झंझावात रुके हैं किससे
राहें होँ अवरुद्ध, भले होँ
जाग पड़ेंगे सुप्त भाग्य
कुछ ऐसा कोलाहल लाएगी
क्रान्ति सुनहरा कल लाएगी
संघर्षो का फल लाएगी …
हतो वा प्राप्यसि स्वर्गं जित्वा व भोक्ष्यसे महिम तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय - 2.37
अगर वीरगति को प्राप्त हुआ तो स्वर्ग में जायेगा .........और अगर विजयी हुआ तो इस धरती के समस्त सुखों को भोगेगा .......इसलिए हे कौन्तेय उठ और दृढ निश्चय कर युद्ध कर .......


10 comments:

  1. सरकार की हठवादिता कहें या फिर उसकी कुटिल नीतियाँ... लेकिन सरकार इस मुद्दे पर किसी कीमत पर आगे बढ़ने को तैयार नहीं दिखती... यद्यपि जनता में इस प्रकार का रोष इतने व्यापक स्तर पर पहली बार देखा गया है... सरकार को भान नहीं है कि आने वाले समय में उसका कितना नुकसान हो सकता है.
    आप इसी तरह से अलख जगाते रहें,,, जो चिंगारी उठी है वो ज्वाला में बदल जानी चाहिए...

    किसी ने सच कहा है --

    कली बेच देंगे चमन बेच देंगे
    धरा बेच देंगे गगन बेच देंगे
    कलम के सिपाही अगर सो गए तो
    वतन के सिपाही वतन बेच देंगे

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  2. आपने बिल्कुल सही कहा कि गाली महोत्सव चल रहा है,
    और देश भी ठीक अपनी अंतिम सांसे ले रहा है, कैंसर के मरीज की तरह,
    आप अपनी हाथ की स्थिति के बारे में बताइये, अब कैसी है,

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  3. कली बेच देंगे चमन बेच देंगे
    धरा बेच देंगे गगन बेच देंगे
    कलम के सिपाही अगर सो गए तो
    वतन के सिपाही वतन बेच देंगे

    jaagte rahe ...ladte raho

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  4. सार्थक लेखन्।
    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (13-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  5. बहुत सार्थक और सटीक पोस्ट...

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  6. ek dam sachhi aur dil se nikli hui gatha!

    sab yahi sochkar agar baith jayenge "ki kuch nhi hone wala" to ye ladai kaun ladega, BAba ji aurAnna ji to apna kam kar rahe hain, ham soye huye ko jagane ka! to bhaion ab uth jao! aur antim yudh ki shuruaat karo! ham na sahi kam se kam hamari aane wali pidhi ko to ek swasth/bhirishtachar mukt bharat milegA!
    ameen!

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  7. ho kaheen par aag ,lekin aag jalani chahiye.Ajit ji aapka akrosh aur aapake ander kee aag dekh kar achchha lagaa.behatar kalam ke sipahi, saadhuwad.
    S. N. Shukla

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  8. सटीक कहा....पदम से पंक्तियाँ उठाता हूं मैं भी:


    कली बेच देंगे चमन बेच देंगे
    धरा बेच देंगे गगन बेच देंगे
    कलम के सिपाही अगर सो गए तो
    वतन के सिपाही वतन बेच देंगे

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  9. बहुत सार्थक और सटीक रचना ...... आभार ।

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