Tuesday, September 27, 2011

जा मिल आ ........ज्यादा टाइम मत लगाना

                                                 आजकल यहाँ पंजाब में रहता हूँ ....जालंधर में  .......जहाँ मेरी बीवी का मायका है यानी ससुराल है मेरी ........इस नए शहर में रहते हैं हम लोग .....मेरे  लिए नया है ....मेरी बीवी तो यहीं जन्मी पली है ......वहां उस घर से 3 -4  किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं हम लोग ......और उस घर में अकेला पड़ा रहता है उसका बाप ....यानी मेरा ससुर ........अब तो उम्र दराज़ हो गया है .......अच्छा ख़ासा आदमी था कभी ........भरा पूरा परिवार था .....बीवी थी ...बच्चे थे ......फिर चले गए सब ...अच्छे चरागाहों की तालाश में ....फलने फूलने के लिए ........जैसे चले जाते हैं सभी के बच्चे ........हम भी तो चले आये हैं ...अपने माँ बाप से दूर ........मेरी बीवी की माँ  ...यानी मेरी सास ....बिस्तर पे पड़ी बोलती रहती थी सारा दिन ......परेशान रखती थे उस बेचारे बूढ़े को .........सेवा भी करवाती थी और लडती भी थी ....फिर एक दिन वो चली गयी ......बच्चे आये और फूंक ताप के चलते बने ........और चंद हफ़्तों में वो बूढा ...जो कल तक भागता फिरता था ........बिस्तर पे पड़ गया ........छोटी बेटी है , जो अभी कुंवारी है वही सेवा करती है ..........पिछले  कुछ महीनों में उस आदमी को कंकाल बनते देखा है मैंने .....अच्छा ख़ासा आदमी देखते देखते गठरी बन गया ........
                                              उसी शहर में रहते है हम दोनों ....मैं और मेरी बीवी ........बहुत व्यस्त रहती है वो ..........अक्सर उस घर के सामने से निकल जाते हैं हम लोग .....जल्दी में .......पर कई बार वहां से निकलते हुए ....चुपके से लेट जाता हूँ ....उस बूढ़े के बगल में ...और चुपचाप देखता रहता हूँ अपनी बेटी को ......जो अक्सर निकल जाती है मेरे सामने वाली सड़क से .....जल्दी में .....मुझसे मिले बिना ........वही जो बचपन में रोने लगती थी अगर मैं दो मिनट के लिए आँखों से दूर हो जाता था ...........पर अब बड़ी हो गयी है .........बहुत busy  रहती है बेचारी
                                                    आजकल उधर  से जब भी निकलते हैं हम लोग ............अनायास ही ब्रेक लग जाते हैं मेरी गाडी के .........घूम जाता है handle  ......ओफ़्फ़  ओह्ह  .....चलो भी ....लेट हो रहे हैं ...शाम को आयेंगे .......जा मिल आ .....ज्यादा टाइम मत लगाना ....एक मिनट ही सही ...पर जा मिल आ .......कई बार मैं साथ चला जाता हूँ .....और कई बार बाहर ही खडा रहता हूँ .......फिर दो मिनट बाद होर्न बजा के इशारा करता हूँ ........चल देर हो रही है ..........पर यकीन मानिए उस दो मिनट की मुलाक़ात से ही ..........जब वो आती है .............बड़ा सुकून मिलता है ..........और दिन बहुत अच्छा बीत जाता है ......बड़ी आसानी से बीत जाता है .........

4 comments:

  1. This was moving!
    Probably because we'll see ourselves there ..wondering whether..

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  2. dil ko chu lene wala ...bas yahi shabd hai mere pas aapke shabdon ke lie kyunki jyada shabd ka jamela nahi karna chahti ...

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  3. भावपूर्ण पोस्ट

    प्रणाम

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