Saturday, October 29, 2011

इन तितलियों को संघर्ष करने दो

                                                बचपन में एक गुरूजी थे ....वो एक कहानी सुनाते थे ......यूँ कि एक biology  क्लास में गुरूजी बच्चों को दिखा रहे थे   कि कैसे एक तितली अंडे को  फोड़ के बाहर निकलती है ......सब बच्चे बड़े गौर से देख रहे थे ......कई सारे अंडे थे .......तितलियाँ  अण्डों  को तोड़ कर बाहर आने के लिए संघर्ष कर रही थीं ......... पंख फडफडा रही थी ....हाथ  पैर चला रही थी .........बहुत देर तक ये जद्दो जहद चलती रही ....तभी एक बच्चे को ये देख कर दया आ गयी ......उसने एक अंडे को तोड़ दिया ...और वो तितली आज़ाद हो गयी और बाहर आ गयी ..............पर बाकी सब तितलियाँ इतनी खुशनसीब न थीं .........क्योंकि बाकी बच्चे सब इतने  दयालु  न थे ....सो उन बेचारियों  का संघर्ष चलता रहा  , चलता रहा ...........खैर  समय  होने  पर वो सब भी एक एक कर के अपने अण्डों को तोड़ कर बाहर निकल  आयीं ...........पूरी क्लास रूम में तितलियाँ ही तितलियाँ थीं ....रंग बिरंगी खूबसूरत तितलियाँ ..........सब तितलियाँ धीरे धीरे उड़ने लगी और फिर उड़ते हुए बाहर पार्क में चली गयीं ........पर एक तितली थी जो कोशिश करने पर भी उड़ नहीं पा रही थी .........वो वहीं टेबल पर ही बैठी थी .........कुछ देर उसने कोशिश की  पर नहीं उड़ पाई ...और फिर थोड़ी देर बाद मर गयी .........टीचर भी हैरान था और बच्चे भी समझ नहीं पा  रहे थे कि ऐसा क्यों हुआ .......फिर उस लड़के ने बताया कि ये वही तितली थी जिसका अंडा उस लड़के ने फोड़ दिया था ...........तब टीचर ने उन्हें बताया कि तुमने उस पर दया कर के अपनी नादानी से उसकी  जान ले ली ............उस अंडे के भीतर जब वो संघर्ष कर रही थी ...हाथ पैर मार रही थी .....पंख फडफडा रही थी .....उसी संघर्ष से उसके हाथों पैरों और पंखों  में इतनी ताकत आती कि वो जीवन भर उनसे उडती रहती ...........तुमने वो मौक़ा उससे छीन लिया ........नतीजा तुम्हारे सामने है .............
                                              मेरा शहर जालंधर बड़ा ही खूबसूरत शहर है .......साफ़ सुथरा सा .......खूब खुली चौड़ी चौड़ी सडकें हैं ..........पिछले एक साल में 5  नए fly  over  बन गए हैं ....इस से अब traffic  की भीड़ भाड़ भी कम हो गयी है ..........हर कालोनी में बड़े बड़े पार्क हैं जिनमे खूबसूरत फूल पौधे और मखमली घास लगी है .........नगर निगम हर पार्क की देख रेख करता है .....हर पार्क में बुजुर्गों  के टहलने  के लिए बाकायदा cemented  ट्रैक बना हुआ है .................. बच्चों के लिए झूले लगे हुए हैं ..............पर उनके खेलने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है ..............मौज मस्ती के लिए तो है ......पर खेलने के लिए नहीं .............यानी कि अगर वो फुटबाल , volleyball या ऐसी कोई गेम खेलना चाहें तो इतने बड़े पार्क में कोई जगह नहीं ..........पर बच्चे तो आखिर बच्चे ठहरे .....वो कहाँ बाज आते हैं ......पर पार्क में खेलना मना  है .....क्यों भैया .....इस से घास और फूल पौधे खराब होते हैं .......अब हमारे घर के पास एक पार्क है .....वहां कालोनी की welfare  assosiation  के प्रधान  एक retired  colonel  साहब हैं  ...वो पार्क के रख रखाव पे बहुत ज्यादा ध्यान देते हैं .....क्या मजाल कि कोई बच्चा कोई फुटबाल ले आये ...........अब समस्या ये की वो भी खडूस और मैं भी खडूस .....मैं उनसे भिड़ गया ..............मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की.........के जनाब  ये बच्चे हैं ,  इस उम्र में इनके लिए ये बहुत ज़रूरी है की ये खूब भागें दौडें .............medical  science  भी कहती है कि एक स्वस्थ बच्चे को कम से कम दो घंटे ऐसी physical  activity  करनी चाहिए कि उसकी heart  beat 120  से ले कर 200  के बीच रहे ....इससे उसका heart  , lungs , muscles  और पूरी body , strong और fit  होगी .........अब आज के शहरी जीवन में बेचारे बच्चे वैसे ही पढाई के बोझ के मारे .......उनके पास पहले ही टाइम नहीं ........न खेल उनकी और उनके parents  की प्राथमिकता ........और अब अगर वो थोडा बहुत खेलना भी चाहें तो आप नहीं खेलने देंगे .........उन्होंने तर्क दिया कि खेलना है तो stadium  जाएँ ........अजी जनाब 6  किलो मीटर दूर है stadium  .........फिर इतना टाइम कहाँ है बच्चे के पास ..........दूसरे पूरे शहर के लिए सिर्फ एक stadium  ........सोच के देखिये ...शहर का हर बच्चा stadium  जा सकता है क्या ??????? 30  - 40  बच्चों के लिए एक फुटबाल ground  जितनी जगह चाहिए ........शहर में 50  stadium  भी कम पड़ जायेंगे ...........हर कालोनी में इतना बड़ा पार्क है ....हज़ारों पार्क हैं जालंधर में ............. साले बुड्ढे .........कब्र में तेरे पाँव लटके हैं ......पर तुझे अपने टहलने के लिए हर पार्क में एक ट्रैक चाहिए ...........पर हर पार्क में तू एक बास्केटबाल कोर्ट नहीं बनवा सकता .........तुझे इन फूल पौधों की तो चिंता है ....कहीं ये पौधा खराब न हो जाए ..........पर ये जो फूल से बच्चे ....जो बेचारे सारा दिन बस्ते के बोझ तले दबे ........जंक फ़ूड खा के मोटाते बच्चे ........सारा दिन विडियो गेम खेल रहे हैं ...........इनकी भी थोड़ी चिंता कर ले यार ............
                                                   मुझे तरस आता है इन ,  तथा कथित पढ़े लिखे समझदार ......बुद्धिजीवियों पर ...................देश के बच्चों के प्रति इनके रवैये पर ........मैं काफी समय से इनके बीच काम कर रहा हूँ ........हमारे देश में शहरी बच्चों की फिटनेस बहुत खराब है .........बच्चे मोटे हो रहे हैं या under weight  हैं ......उनकी eating habits बहुत खराब हैं ....पर parents बेखबर हैं ........या लापरवाह हैं .....या यूँ कह लीजिये लाचार हैं .............पश्चिमी देशों में स्कूल में physical  activity  पे बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाता है .............यहाँ जालंधर में एक नया स्कूल खुला .....उसका प्रिंसिपल एक अँगरेज़ था ......उसने स्कूल uniform    बदल के track suit और sports shoes कर दी .........और सुबह एक घंटा की vigourous  physical  activity cumpulsory कर दी ........हमारे बेहद समझदार परेंट्स को ये बात समझ न आयी और मैनेजमेंट ने उस प्रिंसिपल को भगा दिया ..............अब सारे बच्चे टाई लगा के स्कूल आते हैं  और सारा दिन खूब मन लगा के पढ़ते हैं ............
                                              हमारी कालोनी के उस कर्नल साहब को ये बात अब तक समझ नहीं आयी है .........वो सुबह hat लगा के और हाथ में छोटा सा डंडा ले के उस पार्क में morning  walk करता है .....कालोनी के बच्चे अपने PC पे विडियो गेम खेल कर सेहत बना रहे हैं ..................पर मैंने भी कर्नल  से पक्की दोस्ती  कर ली है और मैं उसे रोज़ समझाता हूँ कि हर कालोनी में एक पार्क होना  चाहिए ......जिसमे एक भी फूल पौधा नहीं होना चाहिए .....पर ढेर सारे बच्चे होने चाहिए .........ground  होने चाहिए .........जहां बच्चे खूब दौड़े भागें ......खेले कूदें ..........धूल मिट्टी में , पसीने से लथपथ ......होने दो अगर गंदे होते हैं कपडे ..........फूटने दो घुटने ........बहने  दो पसीना , और थोडा बहुत खून .............और सुबह सडकें खाली होती हैं .....तुम साले बुढवे .........वहाँ जा के टहला करो , अगर बहुर शौक है टहलने का ....और कम्पनी बाग़ में खूब फूल पत्ती है ...वहाँ जा के सूंघ गुलाब का फूल ....इन  तितलियों को संघर्ष करने दो .....हाथ पाँव से मज़बूत होने दो ..........क्योंकि कल सारी दुनिया फतह करनी है इन्हें .....कालोनी के उस पार्क में यही फूल खिलते अच्छे लगेंगे .............










14 comments:

  1. तुम साले बुढवे .........वहाँ जा के टहला करो , अगर बहुर शौक है टहलने का ....और कम्पनी बाग़ में खूब फूल पत्ती है ...वहाँ जा के सूंघ गुलाब का फूल
    आपकी इसी शैली के तो दीवाने हैं हम। बात बात में क्या कह जाते हो। इसकी एक प्रिंट कॉपी निकालकर उस बुड्ढे को दे दो किसी दिन।

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  2. Read this twice - एक बार मैं समझ नहीं आएगा !

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  3. शारीरिक के साथ-साथ मानसिक फिटनेस भी तो खराब हो रही है, बच्चों की। कम्पयूटर और टीवी से चिपके रहने के कारण। और स्कूल कॉलेजों में बैंचें, खिडकियां तोडकर निकालते हैं अपनी भडास॥
    इस साल कितने इन्जिनियर हैं जो आत्महत्या कर चुके।
    पार्क के बाहर बोर्ड लगवा दो - "बुड्ढा पार्क" एन्ट्री केवल उनके लिये जो खेलने में अक्षम हैं :)
    प्रणाम

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  4. एक अच्‍छी कहानी के साथ बेहतर सीख।
    मौजूदा समय में कम्‍प्‍यूटर और टीवी-कार्टून शो ने बच्‍चों को शारीरिक मेहनत से ऐसे ही दूर कर दिया है......
    जब तक शारीरिक मेहनत नहीं होगी... बच्‍चे भविष्‍य में आने वाली कठिनाईयों से कैसे जूझ सकेंगे... ये बडा सवाल है।
    बेहतर पोस्‍ट।
    आभार......

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  5. ..इन तितलियों को संघर्ष करने दो .....हाथ पाँव से मज़बूत होने दो ..........क्योंकि कल सारी दुनिया फतह करनी है इन्हें .....कालोनी के उस पार्क में यही फूल खिलते अच्छे लगेंगे .............

    बहुत अच्‍छी पोस्‍ट ..

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  6. बहुत सुन्दर !!
    बहुत सार्थक विषय उठाया है आपने !
    आपकी ख्यालात से पूरी तरह सहमत
    मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं !

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  7. बच्चों के

    छोटे हाथों को

    चाँद सितारे

    छूने दो

    चार किताबें

    पढ़कर ये भी

    हम जैसे हो जायेंगे....

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  8. अजीत जी,बहुत सही लिखा है, यह समस्या पूरे देश में है बच्चों को खेलने का कोई मैदान नहीं है,सरकार व नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों के लिए खेलने का ध्यान दें खेलना बहुत जरूरी है

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  9. बहुत सही कहा।

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  10. दादा प्रणाम। अच्छा लगा यहां पर आकर। पता लगा अब आप ब्लॉग पर आ गए हैं। अब यहीं आना होगा। इस ब्लॉग को शेयर कर रहा हूँ।

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