Monday, November 7, 2011

क्यों डरते हैं अन्ना और उनकी टीम ....... बाबा से ?????

                                                         क्यों डरते हैं अन्ना .....बाबा से ......मुझे याद है जब जंतर मंतर में अन्ना का पहला अनशन हो रहा था ...........पूरा देश उद्वेलित था ...........आजादी के बाद ..........बापू और JP  के आन्दोलन के बाद ये पहला जन आन्दोलन था .....यूँ लग रहा था जैसे अन्ना ने पूरे देश की दुखती रग को छू लिया है ........दुनिया उमड़ पड़ी थी .........पर सबकी जुबां पे सिर्फ एक ही सवाल था .....बाबा कहाँ हैं .....वो क्यों नहीं आये ........उनका समर्थन क्यों नहीं मिल रहा ........उधर बाबा वहाँ हरिद्वार में राम कथा सुन रहे थे .......बाल मुरारी बापू आये हुए थे ........इधर अनशन , उधर राम कथा ......लाखों की भीड़ उमड़ी हुई थी वहाँ योग पीठ में ......विशाल योग भवन में तिल रखने की जगह नहीं थी ......पर सबकी जुबां पर फिर वही  सवाल ....बाबा क्यों नहीं गए ............फिर चौथे दिन बाबा गए ......एक घंटे के लिए ........formalty  कर के चले आये ......लोगों ने चैन की सांस ली ......भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस लडाई में बाबा भी साथ हैं .............उसके बाद अन्ना फिर जुटे अगस्त में , रामलीला मैदान में ...........बड़ी सरगर्मी थी ........ सरकार ने उठा के अन्ना को तिहाड़ में बंद कर दिया .........पुब्लिक जुटी हुई थी तिहाड़ के सामने ........और वहाँ model  town  में छत्रसाल स्टेडियम के सामने .....बाबा फिर आये .... दिन भर रहे और चले गए ...........स्टार न्यूज़ पे दीपक चौरसिया कवर कर रहे थे .........उन्होंने उस पत्रकार से पूछा ....बाबा भी आये हैं ?????? उस पत्रकार ने कहा ,  हाँ ...आये हैं ....वो तो यूँ ही चले आते हैं बस ,  बिना बुलाये ..........दूसरे के आयोजनों में ........महफ़िल लूटने ....मुफ्त का प्रचार पाने के लिए ....हम लोग वहां योग पीठ में बैठे ये कार्यक्रम देख रहे थे .....ये वाक्य सुन के हम सब तिलमिला गए ..........क्यों गए बाबा ऐसे कार्यक्रम में ..........कुछ दिन बाद विशिष्ट कार्यकर्ताओं की एक मीटिंग में बाबा हम लोगों से मुखातिब थे ..........दिल की बातें हो रही थी ......एकदम दिल से ......कहने लगे मान अपमान ,यश अपयश .....इन बातों से मैं ऊपर उठ चुका हूँ .....मैंने संघर्ष का रास्ता चुना है ..............समाज और राष्ट्र  के लिए कार्य कर रहा हूँ ,  सो यश अपयश तो लगा ही रहेगा ............राष्ट्र की अपेक्षा थी , कि  मुझे जाना चाहिए ....सो मैं गया ......बिना बुलाये भी गया .
                               अब हमारे सामने यक्ष प्रश्न था की अन्ना ने उस आन्दोलन में स्वामी जी को साथ क्यों नहीं लिया ......क्यों नहीं बुलाया .......जबकि भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ चल रही लड़ाई में जब स्वामी जी ने बिगुल फूंका तो सबको साथ ले के चले ....जहां भी जाते हैं वहाँ के स्थानीय संतों से अवश्य मिलते हैं ....अपने कार्यक्रमों में बुलाते हैं और अपने साथ मंच पे ....बराबर बैठाते हैं ....और कई बार तो वरिष्ठ जन को तो अपने से भी ऊपर बैठाते हैं .........अपने से बहुत छोटों को भी श्रद्धेय और पूज्य कह कर बुलाते हैं ...एक बार एक एकदम नए सन्यासी .....28-30 साल आयु रही होगी , उनके साथ मंच पर बैठे थे ....बाबा ने उन्हें पूज्य कह कर संबोधित किया ....फिर बोले जी हाँ .........सृष्टि का कण कण पूज्य है ....हर व्यक्ति सम्मानित है ....तो ये भावना है बाबा की ........तो जब उन्होंने पहली रैली की रामलीला मैदान में ....फरवरी 2011 में,  तो सबको बुलाया ...सबको ....रामजेठमलानी , गुरुमूर्ति ,किरण बेदी , साधू संत ....सभी धर्मों के ...सब आये ...अन्ना भी आये .........उस दिन हम लोग गाँव में TV पे देख रहे थे ...सो जब अन्ना बोलने लगे तो एक सज्जन ने पूछा .......ये कौन हैं .....अन्ना हजारे हैं .....अच्छा कौन हैं ....क्या करते हैं ....मैंने उन्हें डिटेल में बताया ...वो बोले ...अच्छा ?????? पहले कभी नाम नहीं सुना .....जी हाँ उन दिनों तक यहाँ उत्तर भारत में आम जन अन्ना को कम ही जानते थे ......उस दिन अन्ना ने वहां बाबा के मंच से घोषणा की कि वो भी  अनशन पे बैठ रहे हैं ....4 अप्रैल से .......लोकपाल बिल के लिए .....मेरे पिता जी की टिप्पणी थी ...अच्छा ये भी ??? मैंने कहा क्यों ....बुरा क्या है .......वो बोले बुरा नहीं है पर अलग अलग नहीं ....युद्ध एक साथ ........सगठित हो कर लड़ना चाहिए .........खैर अन्ना अनशन पर बैठे ........पर उन्होंने बाबा को नहीं बुलाया .......उन दिनों मैं वहाँ गाजीपुर में काम कर रहा था ........सबकी जुबान पे एक ही प्रश्न ........बाबा साथ हैं न ??????? आये क्यों नहीं ....कोई बात है क्या ????? अंत में बाबा आये और हाजिरी दे के चले गए .........आम जनता क्या जाने की बुलाया था या नहीं ....या क्यों नहीं बुलाया  ????? हम लोगों ने पूछा उस दिन ....आपको क्यों नहीं बुलाया ....कोई मन भेद है क्या .....बाबा हंस के रह गए ....बोले बस यूँ ही ....पर कोई मन भेद नहीं है ........पर उत्तर दिया एक अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ता ने ......... दरअसल बाबा का व्यक्तित्व   बहुत बड़ा है ........10 -15  साल से गाँव गाँव में ...पूरे देश में घूम घूम के काम कर रहे हैं ....कोई कोना नहीं छोड़ा ....एक एक दिन में 10 - 10  सभाएं करते हैं ........ सारा दिन लगे रहते हैं ......उनका support  base  सिर्फ urban  middle  class  तक सीमित नहीं है , गाँव का बच्चा बच्चा जानता है उन्हें ..........उन्हें किसी प्रचार की ज़रुरत नहीं है ...........उनकी समस्या ये है की वो जहां जाते है छा जाते हैं ........बहुत विराट व्यक्तित्व है उनका ........हर महफ़िल लूट लेते हैं ....सो अपने से बड़ा व्यक्तित्व अपने कार्यक्रम में अन्ना afford  नहीं करते ......उनके सहयोगी सब ...the so called team Anna ....वो तो बेचारे बच्चे हैं अभी .........उनकी क्या बात करें ........पर एक बात तय है कि कोई वैचारिक मतभेद नहीं है ...........लक्ष्य एक है ...शत्रु एक है ......युद्ध का तरीका एक है ....दोनों ही आन्दोलन अहिंसक हैं .........फिर भी दो टीमें हैं ....दोनों  अपने अपने तरीके से अलख जगा रहे हैं .........भ्रष्टाचार रुपी दानव से लड़ रहे हैं ......दोनों की अपनी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है .........परन्तु सरकार और मीडिया दोनों ,  इन दोनों में मतभेद  और मनभेद सिद्ध करने की कोशिश में लगे रहते हैं ......सरकार तो कुटिल है .......दुष्ट है .......परन्तु मीडिया की मजबूरियां हैं .....उन्हें हर समय कुछ नया परोसना है .......चटपटा ....मसालेदार .........जिसे लोग चटखारे ले ले के देखें ..........बैलेंस भी बनाना है .......सरकार को खुश भी रखना है .....गरियाना भी है ............ उसे रोज़ एक नया  हीरो चाहिए और रोज़ एक नया विलेन ..........कुछ दिन का हीरो ही अगर विलेन  बन जाए तो डिश थोड़ी मजेदार बन जाती है ..............TRP भी तो चाहिए बेचारों को .........परन्तु वो चाहे जितना प्रलाप कर लें ....भ्रष्टाचार  के विरुद्ध दोनों टीमें मैदान में डटी हैं ...........आप बस इन्हें अपना समर्थन देते रहिए ........बस वैचारिक समर्थन ........अंत में ये लड़ाई आप ही जीतेंगे ....याद रखिये ....बाबा और अन्ना हमारी ही लड़ाई लड़ रहे हैं .....आपके और मेरे लिए लड़ रहे हैं   

8 comments:

  1. conspiracy theory yeh hai ki Anna ka andolan ka maksad Ramdev ke andolan se bann rahay pressure ko release karna tha .
    4april ko yeh kaam hogaya assa maan liye congress ne

    sonia ke haath se anna ka ansan tudvane ka bhi plan tha par sonia ka confidence hil gaya aur nahi aayee

    par baba 4 jun ko aagaye delhi ,congress ki halat kharab hogyi , kutilata aur hinsa se andolan ko kuchal diya gaya baba ki himmant bhi jawab de gayee
    Anna & team dur rahey mano police action ke bare mai jantey ho

    fir pressure cooker ki whistle ka use kiya gaya 16 aug se anna ansan par baithey, jail se nikal ne baad RLM gaye jaha se Ramev ko bhagana pada tha ,allan kiya ki JLP bill pass nahi hoga uthunga nahi , baad mai resolution pe mann gay
    yaha bhi Rahul ki rah tak rahey thay ANNA aur team par Rahul ke pass voh confidence nahi hai public ko command kar sake ,so voh nahi aaya

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  2. दरअसल अन्ना के पास 25 साल का अनुभव है अनशन करने का और सरकार की कुटिल चालों से निपटने का ............बाबा अभी नए हैं और सीख रहे हैं .........फिर वो कुटिल नहीं हैं ........सीधे सादे आदमी हैं .....पर कुछ ही दिनों में सब सीख समझ जायेंगे ............सबसे बड़ी बात ये की आज देश में एक लहर चल रही है ......एक नया समाज सुधार आन्दोलन शुरू हुआ है ....जैसा कभी europe में 16 -17th century में और हमारे देश में हुआ था ......लम्बा चलेगा .......व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई है ये ....लम्बी चलेगी

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  3. Ajit sirji humare paas time nahi hai hume jaldi karna hai hume ladai lambi nahi jaldi khatam karni hai chahe woh kashmir ka mamla ho corruption ka yar phir bhukmari ya garibi.

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  4. mai aapki bat se puri tarah sahmat hun aapne sirf sachchyi likhi

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  5. it's very pure truth whatever you writen Shri Ajit ji , and i can assure you we will win in next year ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,with lot's of hope courge & with Baba ji

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  6. स्वामीजी जी इस देश में व्येव्स्था परिवर्तन करके रहेंगे ......जल्द ही वो दिन आने वाला है

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  7. दरअसल ये समस्या सिर्फ काले धन या भ्रष्टाचार की नहीं है .........ये हमारे राष्ट्र के चरित्र का दोष हो गया है .......भ्रष्टाचार की शुरुआत हमारे घर से है .......हमारे voting pattern से है ...आम आदमी की सोच से है .....समस्या बहुत गहरी है .........जन लोकपाल से या एक कानून से क्या होगा .....पूरे राष्ट्र में जो चारित्रिक गिरावट है उसे ठीक करना होगा ...एक बहुत बड़े सामजिक आन्दोलन की ज़रुरत है .........इस देश के संत समाज को ...........teachers को ......परेंट्स को , सबको इसमें लगना होगा ....बात व्यवस्था परिवर्तन की है .........

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