Friday, January 27, 2012

शांत पुत्र भीम .....शांत

                              पिछले दिनो यहाँ जालंधर में एक बड़ी दुर्भाग्य पूर्ण घटना घटी .....हुआ यूँ कि एक सरदार जी अपने दो बेटों के  साथ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने गए ........सरदार जी एक स्थानीय बैंक में मेनेजर हैं ......दो बेटे हैं . बड़ा बेटा पढ़ लिख के MBA कर के एक MNC में एक बहुत अच्छे package  पे job  कर रहा है .....  छोटे   का visa  लग गया है .....वो उच्च शिक्षा ग्रहण करने ( या यूँ कहिये की वहां मेहनत मजदूरी करने ) ऑस्ट्रेलिया जा रहा है . बड़े बेटे की शादी तय हो गयी है . अगले हफ्ते बारात जानी है ......घर में ख़ुशी का माहौल है सो तीनों बाप बेटा स्वर्ण मंदिर गए माथा टेकने ....वहाँ से माथा टेक के लौट रहे थे तो करतारपुर चौक के पास एक ट्रक जो reverse  gear  में back  कर रहा था उस से इनकी 10 साल पुरानी मारुती 800  touch  हो गयी और कमबख्त हेड लाइट फूट गयी .....इसके अलावा एक छोटा सा dent  भी पड़ गया .......बस फिर क्या था . उतर पड़े तीनों बाप बेटे .......और वाक् युद्ध शुरू हो गया ........अब उच्च शिक्षित MBA  और managerial  level  को लोग सड़क छाप ट्रक ड्राईवर से वाक् युद्ध करेंगे तो क्या रिजल्ट निकलेगा ?  वहाँ कौन सी round  table  conference  होनी थी ? सो ट्रक ड्राईवर महोदय ने गाली गलौज शुरू कर दी . और इस तरह first  round  में बैंक मेनेजर साहब और उनके दोनों होनहार पुत्र पराजित हो गए ......अब चक्कर ये हैं की पराजय को सम्मान पूर्वक गले लगाना सबके बस की बात नहीं होती . सो बाप बेटे लड़ाई को अगले लेवल पे ले गए ....और उन्होंने हाथा पाई शुरू कर दी जो शीघ्र ही मारपीट में तब्दील हो गयी .........अब हुआ यूँ की दोनों सेनाओं में जन बल का बहुत ज्यादा अंतर था .....यहाँ कौन सा कुरुक्षेत्र का धर्म युद्ध होना था जहां एक योद्धा से एक ही लडेगा .....यहाँ तो   3 :1  का ratio  था .और तीनों बाप बेटा ने उस ट्रक ड्राईवर को 5 - 7  हाथ जड़ दिए .....और भैया , पता नहीं क्या हुआ  कि बेचारा ट्रक ड्राईवर वहीं युद्ध भूमि में ही गिर पड़ा और वीरगति को प्राप्त हो गया . अब मेनेजर साहब पिछले 6  महीने से अपने दोनों बेटों के साथ जेल में बंद हैं और 302  का मुकदमा लड़ रहे हैं ......बड़े बेटे की नौकरी चली गयी है और शादी खटाई में पड़ गयी है , छोटे के ऑस्ट्रेलिया settle  होने के सपने भी चकना चूर हो गए हैं .........जो परिवार कल तक अपने सौभाग्य और ईश्वर की असीम अनुकम्पा के लिए मत्था टेक रहा था अब जेल में दिन काट रहा है .  
                                       मेरे बच्चे prfessional  sportsmen  हैं .......बड़ा बेटा 110 किलो  का पहलवान है , कुश्ती जैसे  बेहद आक्रामक खेल में भारी भरकम आदमी को सामान्य जीवन में handle  करना अक्सर बड़ा tricky  हो जाता है . एक coach  के रूप में हम उन्हें मैदान में बेहद आक्रामक होना  सिखाते हैं  पर मैदान से बाहर आते ही उन्हें सामान्य जीवन में शांत और संयत रखना होता है .......बच्चे इतनी आसानी से खुद पे काबू नहीं रख पाते .....मैदान में भी  देखा जाता है कि उनमे अक्सर आपस में झड़प हो जाती है ......मैं हमेशा अपने बेटे को घर में शांत रखने की कोशिश में लगा रहता हूँ ..........उसे रोजाना 10 -20  बार कहना पड़ता है ........शांत पुत्र भीम ......शांत . इस क्रम में पिछले दिनों मैंने उसे वो सरदार जी के साथ घटी घटना सुनायी .उस दिन वो 50  साल का , अधेड़ , अपने ऊपर काबू न रख सका . 10  साल पुरानी मारुती कार ....अरे उसका dent  हज़ार दो हज़ार में ठीक हो जाता , इस छोटी सी बात के लिए वहाँ उस दिन सड़क पे लड़ने की ज़रुरत नहीं थी . पर गुस्से में सरदार जी सब कुछ भूल गए ....स्थिति का मूल्यांकन कर ही नहीं पाए .....उस दिन उनका फ़र्ज़ तो ये बनता था कि लड़कों को शांत करते , पर वो तो खुद इतना excite  हो गए कि आपा  खो बैठे और स्वयं युद्ध में शामिल होगये .  
                                       professional  sports  में , जब आप पिछड़ गए हों , जब हार का खतरा सर पे मंडरा रहा हो ...........जब सब कुछ दाव पे लगा हो .........तो भी हम खिलाड़ियों को समझाते हैं .....शांत पुत्र भीम शांत ........आपे से बाहर न हो . ........relaxe  .....टाइम आउट लो ...........4  बार  deep  breathing  करो  . अपने दिल दिमाग और शरीर पे काबू रखो ........ नयी  रण नीति बनाओ .......और फिर आगे बढ़ो ...........पतंजलि योग पीठ में ,  स्वामी राम देव जी के सानिध्य में रह कर एक बहुत अच्छी चीज़ सीखने को ये मिली कि सामान्य जीवन में भी , जब परिस्थितियाँ प्रतिकूल हों ...........जब घोर निराशा ने घेर रखा हो , या जब कभी यूँ ही थोडा सा depress  या down  फील कर रहे हों , या बहुत ज्यादा गुस्सा आ जाये कभी .....तो.......खुद से कहें ...शांत पुत्र भीम ....शांत ........चार गहरी सांसें लें .....deeeeeeeeep breath ..... और आप देखेंगे की आप सचमुच एकदम शांत हो जायेंगे . दरअसल ये deep breathing  ही तो प्राणायाम है ........ये गहरी सांस लेना ही तो भस्त्रिका प्राणायाम है .....आप एक बार कर के तो देखिये .....ऐसा प्रतीत होता है कि तपते रेगिस्तान में बारिश की फुहार पड़ गयी हो .....उबलते उफनते दूध को ठन्डे पानी की चंद बूँदें ही शांत कर देती हैं ............प्रतिकूल परिस्थितियों में शांत और संयत रह कर ही जीता जा सकता है . इसलिए ......शांत पुत्र भीम .....शांत 

2 comments:

  1. dhanyavad
    bilkul sahi kaha.
    main ab es shiksha ka palan karunga

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  2. इस प्रेरक पोस्ट के लिये धन्यवाद
    खेल इसीलिये बने हैं कि आदमी अपनी कुंठा, गुस्सा, भडास को मैदान में निकाल दे और बाकि समय में जिन्दगी खुशी से जी सके। पर आज लोग बच्चों को खेलकूद से दूर करके डॉक्टर, इंजिनियर बनाने में लगे हैं। और इन्हीं दबावों के चलते आज इंजिनियर पेशे के लोग सबसे ज्यादा हत्या और आत्महत्या कर रहे हैं, इसी पेशे वालों के परिवार सबसे ज्यादा टूट रहे हैं।

    प्रणाम

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