Wednesday, July 18, 2012

दारा सिंह ....बेहतरीन इंसान , फर्जी पहलवान


   दोस्तों , दारा सिंह जी का पिछले हफ्ते स्वर्गवास हो गया . पूरा देश सुनते हैं की गम में डूबा है ..........लोग श्रद्धांजलियां दे रहे है . सुनने में आया है की बहुत बढ़िया इंसान थे . ज़रूर रहे होंगे . अब इतने सारे लोग कह रहे हैं तो रहे ही होंगे . पर लोग ये भी कह रहे हैं की बहुत बढ़िया  पहलवान थे ..........5 बार विश्व चैम्पियन बने . एक बार common  wealth champion  बने . सारा मीडिया लिख रहा है ....बड़े बड़े खेल विशेषज्ञ कह रहे हैं ..........यहाँ तक की जो सचमुच के पहलवान है वो भी कह रहे हैं ........ हद तो यहाँ हो जाती है की हमारे मुल्क में general knowledge की किताबों और physical education की text books  में भी कुश्ती के मशहूर खिलाड़ियों में सबसे पहले उनका नाम लिया जाता है .......     अब यहाँ हम अपनी टांग फसा रहे हैं ......एक qualified  professional    wrestling  coach होने के नाते मैं ये दावे के साथ कह सकता हूँ की वो कतई  पहलवान नहीं थे  . मैंने आज तक कमबख्त एक भी आदमी नहीं  देखा जो गुल्ली   डंडे और किरकेट में confuse हो जाए .......गाँव के अदना से हल जोतने वाले को भी आजकल पता है की साले ने fultoss फेंक कर छक्का  मरवा दिया लास्ट बल पर .........और मैंने आज तक नहीं देखा की गुल्ली डंडे का कोई प्लयेर महान cricketer कहलाया हो ............यहाँ सारी दुनिया दारा सिंह को महानतम पहलवान बता रही है ........देखो भैया जितनी पहलवानी दारा सिंह ने की उतनी तो सचिन तेंदुलकर और उनके भाई ने भी की है ....सुनते हैं की एक बार सचिन ने अपने भाई को bed  से धकिया दिया था और वो नीचे गिर गया था और सचिन उसकी छाती पर चढ़ गए थे ....लो जी  हो गए सचिन तेंदुलकर एक महान पहलवान ...और ये सतपाल , करतार , उदय चंद ,जगमिंदर , सुशील , रमेश ,योगेश्वर दत्त ये सब घास छील रहे थे इतने दिन .
                                      देखो भैया ये जो टीवी पे आती है  WWF की fight , इसपे ज्यादा इमोशनल होने की जरूरत नहीं है   . ये तो एक फ़िल्मी लड़ाई होती है ....जैसे वीरू ने गब्बर को दे मारा , गब्बर ने ठाकुर के हाथ काट लिए और जय ने बीस गुंडों की पिटाई कर दी और बसन्ती एक पहिये पे तांगा भगा ले गयी .....मज़ा  गया .....पैसा वसूल ......पर भैया ये जो पहलवानी होती है  .....wrestling कहते हैं जिसे , ये एक olympic स्पोर्ट्स है ....दो तरह की होती है .....free style और greco रोमन....... इसे कहते हैं पहलवानी .....20 -20 साल लगे रहते हैं लड़के ......दिन रात पसीना बहाते हैं .....खून जलाते हैं ........8 -8 घंटे रियाज़ करते हैं फिर भी national champion बनने के लिए तरस जाते हैं ......कमबख्त 100 साल की पहलवानी में आज तक हिन्दुस्तान के सिर्फ 4 पहलवान world लेवल पे यानी olympic और world championship में मेडल जीत पाए , जबकि लाखो लड़कों ने इसके लिए मेहनत की , उसमे से ये चार champion बने ......बाकी सबका अपने अपने स्तर पर कुश्ती के विकास में योगदान रहा .......अब किसी ने अपने गाँव में भी अगर पहलवानी की और सारी जिंदगी अगर अपने गाँव में भी first नहीं आया , तो भी एक पहलवान होने के नाते हम उसका अभिनन्दन करते हैं ....उसने अपने स्तर पर कुश्ती की इस महान परंपरा को आगे बढाने में अपना योगदान दिया .....साधुवाद .......दारा सिंह ने भी बचपन में अपने गाँव में पहलवानी की .......बहुत बढ़िया .....शरीर अच्छा था .......मेहनत भी की पर असली पहलवानी में कामयाबी नहीं मिली ........अगर आप उस ज़माने के पहलवानों से बात करेंगे तो आपको पता चलेगा की उस समय के तगड़े पहलवानों की एक टांग की भी जोड़ कभी नहीं हुए दारा सिंह ......फिर वो बहुत जल्दी फर्जी ....... फिल्मी ....... WWF तमाशे से जुड़ गए .....फिल्मों में चले गए ......अब रामायण में हनुमान का रोल दारा सिंह नहीं करेंगे तो क्या राजू श्रीवास्तव करेंगे ..........
                             रही बात उनके world champion बनने की .........तो ऐसे पंजाब केसरी , हिंद केसरी और world champion तो हम लोग रोज़ बनाते हैं आजकल यहाँ दंगलों में ..........10 मिनट ढोल बजाओ तो हज़ार दो हज़ार लोग जुट जाते हैं सड़क के किनारे , किसी मैदान में ..........10 - 20 पहलवान .....एक पंजाब केसरी और एक रुस्तमे पाकिस्तान .....लो जी पंजाब केसरी ने पाकिस्तान के रुस्तम को पटक दिया .....हो गयी बल्ले बल्ले पहलवान भी खुश ....पुब्लिक भी खुश .......फ्री में पाकिस्तान के रुस्तम की कुश्ती देखी ........मज़ा  गया ......हमारा भी लड़का रुस्तमे पाकिस्तान ........अब किसको पता की king kong कहाँ का world champion और किसने कराई world championship  .............world championship न हुई कलकत्ते का रसगुल्ला हो गया ....उठाये और दो मुह में डाल लिए ........
                             एक बेहतरीन इंसान के रूप में दारा सिंह जी ने एक बेहतरीन ज़िन्दगी जी , और पूरे देश के लोगों का प्यार हासिल किया .....आज उनके स्वर्गवास पे अगर हम उन्हें सिर्फ एक अच्छे इंसान और एक अच्छे कलाकार के ही रूप में याद कर लें तो कोई बेजा बात नहीं है .........मीडिया और लोगों द्वारा उन्हें बेवजह एक चैम्पियन   पहलवान के रूप में प्रस्तुत करने पर ही मेरी आपत्ति है ........

1 comment:

  1. बढिया लिखा आपने ..
    एक बेहतरीन इंसान बने रहे दारा सिंह ..

    समग्र गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष

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