Monday, December 31, 2012

बहुत कांटे हैं ....कृपया जूते पहन लें .......अथ रेप पुराण ....भाग 3

                                                           जब से  बादल साहब ने नयी सरकार सम्हाली है .....खाली पड़े सरकारी खजाने को भरने के लिए ताबड़ तोड़ वसूली ज़ारी है ........जहां से भी हो सके पैसे वसूलने का आदेश है ....ट्रैफिक पुलिस भी सख्ती से चालान कर रही है .......अब किसे अच्छा लगता है इतना भारी  हेलमेट पहनना . हम लोग तो  फिर भी समझते हैं , पर बच्चे कहाँ समझते हैं ..........अब उन्हें समझाओ की बेटा तुम्हारी सुरक्षा  के लिए ज़रूरी है  हेलमेट पहनना ...........अब वो उलटे सीधे तर्क देते हैं .....मैंने अपने बेटे को समझाया .....बेटा  किसी दिन उलट जाओगे तो पता चलेगा ........अरे वाह वाह ....कैसे उलट जाऊंगा ....मैं बहुत सम्हाल के bike चलाता हूँ ...अरे कितना भी सम्हाल के बाइक चलाओ  , पर दुर्घटना तो कभी भी हो सकती है .......सड़क पे गड्ढा आ सकता है ....सामने से कोई कुत्ता या जानवर आ सकता है .......अचानक ब्रेक मारने से टायर स्लिप कर सकता है ....या सामने से कोई टक्कर भी मार सकता है ..........क्यों गड्ढा क्यों होना चाहिए सड़क पे .........ये तो सरकार की नाकामयाबी है ....रोड टैक्स देता हूँ मैं ....सड़क अगर टूटती है तो ये सरकार की गलती है ....अब नाकामयाबी तुम्हारी और हेलमेट मैं पहनू ....ये गलत रवैया है .........तुम अपनी सड़क ठीक करो ....मैं  हेलमेट नहीं पहनूंगा .......सड़क पे लावारिस कुत्ता या जानवर सरकार क्यों घूमने देती है .....once again सरकार का failure है .....मैं क्यों हेलमेट पहनू ...........ब्रेक मारने पे अगर बाइक स्लिप कर गयी तो ये बाइक बनाने वाली कंपनी का failure है ........मैं क्यों हेलमेट पहनूं ? अगर कोई मुझे सामने से टक्कर मार दे तो ये भी उसकी गलती है ....सरकार की गलती है .....क्यों ऐसे आदमी को driving license दिया ..........मैं क्यों हेलमेट पहनूं ......21 वीं सदी  है ...we are a democratic country ........मुझे पूरा हक है बिना हेलमेट के bike चलाने का .......... मझे अपनी स्वतंत्रता बहुत प्यारी है .......ऐसे चूतिया किस्म के तर्क देता है मेरा बेटा .......मैंने उसे समझाया , बेटा .........तुम एक ऐसे गंदे और घटिया मुल्क में रह रहे हो जहां सडकें कभी ठीक नहीं होंगी ...........सड़क पे लावारिस कुत्ते यूँ ही घूमते  रहेंगे ...........रोजाना एक्सीडेंट होते हैं और होते रहेंगे .........स्साले  जिस दिन उलट  जाओगे , खोपडा खुल जाएगा , ............ ये जो तुम्हारा दर्शन  शास्त्र है न , की दुनिया सुधरे , मैं क्यों सुधरू  ......इस पे  वहाँ ICU में लेटे लेटे  विचार करना ........बेटा  सुधर जाओ ........ये दुनिया नहीं सुधरेगी ....सुधरना तो तुम्हे ही पड़ेगा .........सड़क के ये गड्ढे कभी नहीं भरेंगे .....हेलमेट लगाना  शुरू कर दो .......

Photo: तेरी नजर में खोट है , मेरे कपडो मे नहि
 निगाह तेरी गन्दी ....कपडे मैं बदलूँ  ????????
मेरी पीठ तेरी सोच से ज्यादा खुली है
मेरी सोच मेरी स्कर्ट से ज्यादा ऊंची है

मोहतरमा ..........हम अपनी सोच बदलने की कोशिश कर रहे हैं ....पर थोडा टाइम लगेगा ........प्लीज , तब तक कुछ पहन लीजिये ..............
आप सारी दुनिया के कांटे नही चुन सकते ......इसलिए कृपया जूते पहन लें .











1 comment:

  1. सही कहा रार भाग न तो अपनो भाग ।

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