Sunday, April 28, 2013

ज़िल्लत ज़लालत ......मेहनत की कमाई

                                लोगान एयर पोर्ट पे अपने साथ हुई तथाकथित बदसलूकी , अपमान , ज़िल्लत , ज़लालत पे आज़म खान साहब ने बड़े वाजिब सवाल उठाये हैं .

बारह लोगों के बीच सिर्फ मुझे ही क्यों रोका गया पूछताछ के लिए ?

मुझे वहाँ कमरे में अकेले बैठे हुए ज़िल्लत महसूस हुई .

45 मिनट बाद बोले जाओ . मैं नहीं जाउंगा . पहले मुझे बताओ की मुझे क्यों ज़लील किया गया ? और सिर्फ मुझे ही क्यों ज़लील किया गया ?

आज़म खान साहेब , इबारत साफ़ साफ़ दीवार पे लिखी है . आप को और आपके साथ पूरे मुस्लिम समाज को पढ़ लेना चाहिए और समझ लेना चाहिए . खान साहेब , बहुत पुरानी बात नहीं है . जब सारी  दुनिया में लोग बेफिक्र अलमस्त घूमा करते थे .कोई रोक टोक नहीं थी . मामूली जांच के बाद लोग हवाई जहाज में चढ़ जाते थे . हाल ही में देश में common wealth गेम्स हुए . इतना ज़बरदस्त सिक्यूरिटी प्रोटोकॉल था की दर्शकों को टिकेट लेने के लिए ऐसे ऐसे फॉर्म भरने पड़े की उन्हें लगा , तोप का लाइसेंस लेने का फॉर्म भर रहे हैं . नतीजा ये निकला की तकरीबन सभी स्टेडियम खाली पड़े रहे . ऐसे आयोजनों में खिलाड़ी  मस्त घूमते थे शहर में ...स्थानीय लोगों से , दर्शकों से ,मिलते जुलते , खाते पीते . स्थानीय बाजारों में शौपिंग करते . पर इस बार दिल्ली  में खिलाड़ियों को गेम्स विलेज से बाहर निकलने पे सख्त पाबंदी थी . मानो वो जेल में बंद हों . विलेज में ही खाना पीना ....वहीं एक स्थानीय बाज़ार लगवा दिया था ....कुछ handicrafts थे ....देख लो भैया ......जो लेना हो ले लो ..........खेल की मूल भावना ही मर गयी ........सिक्यूरिटी सब चीज़ों पे भारी थी .

                                                      खान साहेब ....जब से ये इस्लामिक आतंकवाद आया है न ???????    दुनिया वो पहले वाली दुनिया नहीं रही .........फक्कड़ ....अलमस्त .......बेफिक्र ........अब तो बेचारी डरी डरी सी है .....सहमी सी ....उदास .........चलते चलते ठिठक सी जाती  है .....सिक्यूरिटी चेक पोस्ट पे .......

दूसरी बात आपने पूछी है .....कि  सिर्फ मुझे ही क्यों ? क्या सिर्फ इसलिए की मैं मुसलमान हूँ ? अब यार देखो न .....दुनिया में 99 % दहशत गर्दी मुसलामानों ने ही मचा रखी है न ? लिहाज़ा शक की निगाह से भी मुसलामानों को ही देखा जाता है .......अब देखो भैया ....ये हमने मान लिया की आप आतंकवादी नहीं . पर ये तो आप जानते हैं की आप आतंकवादी नहीं . आपके चेहरे पे न ये लिखा है की आप टेररिस्ट हैं , न ये लिखा है की आप टेररिस्ट नहीं है ..........किसी के चेहरे पे नहीं लिखा होता . इसलिए कम्बखत सबको शक की निगाह से देखना पड़ता है . दुर्भाग्य से आपके पासपोर्ट पे ये लिखा है की आप मुसलमान हैं . सो आपके टेररिस्ट होने की संभावना बन जाती है .....चाहे 0.0001%  ही  क्यों न हो . अब देखो भैया , यहाँ हिन्दुस्तान में आप हो सोलह करोड़ . हमको आपका वोट लेना है . सो यहाँ आपको कोई चेक नहीं करेगा , सब आपको तेल लगायेंगे . आपके नाज़ो नखरे उठाएंगे . पर वहाँ अमेरिका में न उन्हें आपका वोट चाहिए , न आपका तुष्टिकरण . वहाँ तो भैया ऐसे ही तलाशी होगी . हमारी नहीं होगी , आपकी ज़रूर होगी . क्योंके हमने सदियों से एक शान्ति प्रिय कौम की छवि बनायी है .और आपने चौदह सौ सालों में एक दहशतगर्द , लड़ाकू , झगडालू , उपद्रवी , असहिष्णु ,जाहिल ,ज़ालिम , अत्याचारी कौम की छवि बनायी है . पिछले बीस पचीस बरसों में ये छवि और पुख्ता हुई है . ऐसे बहुत से मुसलमान मुल्क जो किसी ज़माने में आज़ाद , प्रगतिशील और लिबरल होते थे , अब कट्टरपंथी हो गए हैं . इस दहशतगर्द ,कट्टरपंथी ,असहिष्णु छवि का खामियाजा आज पूरा मुस्लिम समुदाय भुगत रहा है

                                                       दीवार पे इबारत साफ़ लिखी है ......अगर मुसलमान खुद को नहीं बदलेंगे तो  इसी तरह तलाशी होगी . ये ज़िल्लत ज़लालत आप लोगों ने बड़ी मेहनत से कमाई है .
                         
















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