Friday, July 26, 2013

midday meal का सच

                                                पुरानी बात है । नसीर और शबाना की एक फिल्म " पार " किसी विदेशी फेस्टिवल में दिखाई जा रही थी . सूअर चराने वाले मुसहरों पे बनी है वो फिल्म . उसमे एक दृश्य है जहां शबाना को किसी ज़मींदार के घर से खाना मिल जाता है और वो सबकी नज़रें बचा के दो रोटियाँ अपनी साड़ी में छुपा लेती है ( अपने पति और बच्चों के लिए ). JURY की एक महिला को ये दृश्य समझ नहीं आया और फिर उन्होंने बाद में शबाना आजमी से इसके बारे में पूछा . और शबाना ने उन्हें खोल के समझाया , भारत के ग्रामीण समाज और उसके आखिरी छोर पे बैठे लोगों के बारे में . वहाँ यूरोप में बैठ के भारत को समझा जा सकता है क्या ?
                                                छपरा  में 23 बच्चे midday meal tragedy में  मारे गये.  मीडिया में काफी विलाप और प्रलाप हुआ . सुशासन बाबु और उनकी पार्टी ने साफ़  कह दिया की पोलिटिकल साज़िश हुई है …… प्रिंसिपल अहिरिन है ….उसका पति अहीर है …लालू भी अहीर है . प्रिंसिपल के पति की दूकान से सामान आया था . ज़हर गलती से नहीं मिला . जान बूझ के मिलाया गया . मतलब साफ़ है ….ललुआ ने मिलवा दिया . हमारी कोई गलती नहीं . हमारे गोड़ में घाव लगा है . हम नहीं जाते किसी से मिलने . ये तो था JDU का आधिकारिक राजनैतिक स्टैंड . जब से ये घटना हुई मीडिया भी सक्रिय है . रोज़ दिखा रहा है . चावल में कीड़े है . एक चैनल तो सारा दिन ये दिखाता रहा की एक स्कूल में रोटी पे एक मक्खी बैठी थी . उसी को हाईलाइट कर रहे थे बार बार.

                                                  दिल्ली में बैठ के भारत को नहीं समझा जा सकता . न वहाँ बैठ के भारत की किसी समस्या को सुलझाया जा सकता है . सुनते हैं की जब गाँधी South Africa से वापस आये तो गोखले ने उन्हें सलाह दी की बेटा … वकील बैरिस्टर बहुत हैं देश में …… वकालत छोडो  ज़रा भारत देख के आओ ……. और गाँधी साल भर देश घूमते रहे ……. और इस भारत भ्रमण ने उन्हें गांधी बना दिया . दिल्ली बम्बई में ये जितने टीवी वाले पत्रकार और चैनल मालिक बैठे हैं इन्हें पीट पीट के दिल्ली से भगा देना चाहिए …ज़ाओ सालों पहले हिन्दुस्तान देख के आओ , समझ के आओ .

                                                  देखो भैया , हिन्दुस्तान दरअसल एक बहुत विशाल झोपड़ पट्टी है . जहां लोग किसी तरह बस अपनी immunity और जीवन शक्ति के बल पे जीवित है . nutrition और hygene अभी तक हिन्दुस्तान के agenda में नहीं आया है . यहाँ तो सिर्फ survival की जद्दो जहद है . अलबता इंडिया आगे निकल चुका है . वहाँ तो बड़े बड़े मॉल हैं . चकाचौंध है .  Mcdonald का बर्गर है ,KFC का  चिकन है और Barista की कॉफ़ी है …… जहां पढ़े लिखे लोग सर पे  टोपा पहन के खाना बनाते हैं की कहीं जहाँपनाह की थाली में कोई बाल न गिर जाए  . Arnab Goswami की बीवी easyday से लालकिला ब्रांड बासमती ले कर आती है …… हर महीने दो किलो. उसमे कीड़े नहीं होते .पर गाँव में तो भैया हंडे में चावल रखते हैं कुटवा के …और साल भर का गेहूं …बोरियों में …… उन में कीड़े पड़ जाना आम बात होती है . जो गेहूं में पड़ता है उसे घुन कहते हैं और जो चावल में पड़ता है उसे सुरसुरी  . उन्हें माँ सूप से साफ़ कर लेती है . फिर धो के बना लेती है . गेहूं को धो कर पिसवा लेते हैं . एकदम साफ़ सुथरा , शुद्ध .  गेहूं चावल में कीड़े होना भारत में issue नहीं है . और hygene भी नहीं . भारत को मक्खियों से कोई परहेज नहीं . कहीं भी थूक देना , हग मूत देना , कूड़ा फेंक देना …… चलता है …… हिन्दुस्तान दरअसल एक बहुत बड़ा कूड़े का ढेर है . जहां नालियां बजबजा रही हैं और मक्खियाँ भिनक रही हैं ……. पूरा  मुल्क गंगा जी  में हग मूत रहा है . पूरे शहर का सीवर एकदम अपने मूल स्वरुप में गंगा में बहाया जा रहा है …और फिर उसी गंगा को पूजा जा  रहा है …पूरे श्रद्धा भाव से  चरणामृत ले रहे है लोग … हाँ ….  श्रद्धा में कोई कमी नहीं .बेचारे हिन्दुस्तान को पता ही नहीं है की हो क्या रहा है ? और जिन्हें पता है वो , यानि की मीडिया LAKME FASHION WEEK कवर कर रहा है ……. इग्लैंड के रानी को  बच्चा होने वाला है . हिन्दुस्तान सोहर गा रहा है …. यहाँ अपने 23 मर गए  .

                                       छपरा में हुआ यूँ की स्कूल में दो कुक हैं . अनपढ़ औरतें . ( वैसे तो प्रिंसिपल समेत पूरा स्टाफ ही अनपढ़ है ) . कुक गयी दुकान से राशन लेने . खाली शीशी जिसमे सरसों का तेल लाई वो कीट नाशक की  थी . दुकानदार को फुरसत नहीं  ये सब देखने की .cook ने स्कूल में आ के खाना बनाना शुरू किया . तेल गरम हुआ तो काला पड़ गया . कुक प्रिंसिपल के पास गयी . अनपढ़ प्रिंसिपल बोली बना डालो . कुछ नहीं होगा . उसने बना दिया . सब्जी कसैली थी . लड़के बोले खराब है . अनपढ़ प्रिंसिपल बोली खा लो . कुछ नहीं होगा . बच्चों ने खा ली . बाकी इतिहास में दर्ज है .

                                               ये पूरी समस्या EDUCATION की है . और करप्शन की . शिक्षित समाज में ऐसी दुर्घटनाओं की गुंजाइश कम रहती है . अगर वो प्रिंसिपल और वो दोनों cooks शिक्षित होते तो कुछ नहीं होता . पहले वो औरत उस बोतल में तेल न लाती . तेल जब काला पड़  गया तब चेत जाती . सब्जी कसैली बनी तब चेत जाती . अब सरकार चेत गयी है . कहती है trained cooks की नियुक्ति करेगी क़ौन सी यूनिवर्सिटी में कुक पढ़ते हैं …पता नहीं ……. बहरहाल पूरे देश से midday meal की बदहाली की खबरें आ रही हैं . गुरु जी लोगों के सिर के ऊपर लाद दी गयी है योजना . आज गुरु जी लोगों ने हड़ताल कर दी बिहार में . कहते हैं या तो पढ़वा लो या खिचड़ी बनवा लो . गुरु जी लोग कहते हैं की माल खाता है गाँव प्रधान , शिक्षा विभाग के अफसर , और नेताजी लोग और जूते खाएं हम ? ये नहीं चलेगा . ऊपर से नीचे तक लोग midday meal की मलाई खा रहे हैं ……. हर स्कूल लाख रु से ज़्यादा देता है हर महीने . दो तीन सौ बच्चे रजिस्टर में होते हैं . हाज़िर बमुश्किल 50  . दो सौ बच्चों का साढ़े छः रु रोज़ के हिसाब से साल भर का जोड़ लीजिये . दुधारू गाय है midday meal . भाई लोग दुह रहे हैं . बिहार सरकार के पास खा पी के भी 650 करोड़ बच गया था सो वापस कर दिया सोनिया गाँधी को ……

                                                  बहरहाल इंग्लॅण्ड की महारानी को लड़का हुआ है …… हिन्दुस्तान वालों …मुबारक हो …














                                               
                                             

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