Saturday, May 14, 2011

मेरी पहली कश्मीर यात्रा....धरती का स्वर्ग ???????????

घुमक्कड़ लोगों को कश्मीर ने हमेशा से ही आकर्षित किया है .कश्मीर की सुन्दरता के बारे में इतना कुछ लिखा और कहा जा चुका है कि और कुछ लिखने कि शायद गुंजाइश ही नहीं बची है .......मेरे पिता जी तो यहाँ तक कहते हैं कि पौराणिक और वैदिक साहित्य में जो स्वर्ग कि परिकल्पना है वो और कुछ नहीं यही कश्मीर का इलाका था जहाँ देवता वास करते थे और इन्द्र यहाँ का राजा था ...... सो मेरे जैसे खांटी घुमक्कड़ कि लिस्ट में कश्मीर का नुम्बर सबसे पहले आता ही था पर दुर्भाग्य से कभी मौका ही नहीं मिला ......30 -३२ साल का मै हो चुका था और तकरीबन सारा हिन्दुस्तान घूम ही चुका था पर कश्मीर अभी बाकी था और मुझे मेरा जो भी घुमक्कड़ मित्र मिलता वो यही कहता कि ...अररररे कश्मीर नहीं देखा तो क्या देखा ........हर बार मुझे लगता कि ये सब मेरा मज़ाक उड़ा रहे हैं ......मुझमे एक हीन भावना सी आने लगी थी ........तब तक मेरे एक स्वयंभू ज्योतिषी मित्र ने मुझे बता दिया कि बेटा तुम्हारी तो कुल उम्र ही ३५ साल है भगवान् के खाते में ......अब मुझे और टेंशन हो गयी ......कि लो बेटा तुम तो कश्मीर देखे बिना ही मर खप जाओगे .......अब मैंने ठान लिया कि चाहे कुछ हो जाये मुझे अब कश्मीर देख ही लेना है ...अब तो मेरे जीवन का एक ही उद्देश्य था ..........कश्मीर .......सो मैंने अपने दो मित्रों से संपर्क किया जो मूलतः जम्मू के रहने वाले हैं और उन दिनों श्रीनगर में पोस्टेड थे .....और चल पड़ा अकेला ही ......जी हाँ श्रीमती जी साथ नहीं थीं .......रात जम्मू रुका ...अल्ल्स्सुबह बजे ही शेयर taxi पकड़ के श्रीनगर निकलने का विचार था ........ख़ुशी और उत्साह इतना था कि हद नहीं ......मुझे उन तमाम लोगों के कथन याद रहे थे .........गर बर रूहे फिरदौस ज़मीं अस्त ....हमीं अस्त हमीं अस्त हमीं अस्त ....अर्थात अगर धरती पे कहीं स्वर्ग है तो यही है यही है यही है .......सुनते हैं कि ऐसा बादशाह जहाँगीर ने कहा था ........तो साहब मैं स्वर्ग में जा रहा था ......मारे excitement के सारी रात नींद नहीं आई ........और कमबख्त आँख लगी तो नींद खुली सुबह बजे .......खैर भागा भागा बस स्टैंड पहुंचा .......सूमो पकड़ी और बैठ गए आगे वाली सीट पर ......विंडो साइड .....थोड़ी ही देर में गाड़ी चल पड़ी .........लगभग एक घंटे बाद ही पहाड़ी इलाका शुरू हो गया था ...सामान्य से पहाड़ थे जैसे हर जगह होते हैं .......पर मैं आँखें फाड़ फाड़ के देख रहा था .......मुझे मेरे दोस्तों ने बता दिया था कि रास्ते में पत्नी टॉप पड़ेगा ...वो बहुत सुन्दर है ..........खैर साहब पत्नी टॉप आया और निकल गया .........ठीक ठाक सा था ....या यूँ कहें ठीक ही था ...पर मै तो स्वर्ग ढूंढ रहा था ......पूरे रास्ते मैंने आँख तक नहीं झपकाई .......- घंटे में हम जवाहर tnnnel पहुँच गए ....वहां सड़क पे ज्यादा नहीं कोई - किलो मीटर का जाम लगा हुआ था .......मेरे तो प्राण ही निकल गए देख कर ......इतने सारे ट्रक ....खैर तसल्ली हुई जब हमारे ड्राईवर ने गाडी तकरीबन सबसे आगे ही लगा दी ........पता लगा कि एक tunnel कि मरम्मत चल रही है इस लिए one way traffic है ...जल्दी ही रास्ता खुल जायेगा ......खुल भी गया .....पर जनाब एक बार tunnel के अन्दर घुसे तो ...फिर अन्दर ही रह गए .......फिर jam .......इतनी सारी गाड़ियाँ ...और उनका इतना सारा धुआं .....एक दम घने कोहरे जैसा ....आप यूँ मान लीजिये कि आपको किसी मिल कि चिमनी के ऊपर बैठा दिया हो ...कि लो बेटा सांस ......पूरे एक घंटा ......मुझे तो यूँ लगा कि आज नरक और स्वर्ग दोनों के दर्शन एक साथ ही हो जायेंगे .........ऊपर से मेरी परेशानी का एक और कारण ये था कि मैंने बचपन में अपनी NCERT कि बुक में ये पढ़ा था कि जवाहर tunnel से बहार निकलते ही दृश्य अचानक बदल जाता है और यूँ लगता है कि मानो आप स्वर्ग में गए हों ........और मैं यहाँ स्वर्ग के इतना नज़दीक कर फंसा हुआ था इस नरक में .......तब तक कोढ़ में खाज हो गयी ........हमारी गाडी में बैठी एक मोहतरमा को कोई दमा टाइप attack हो गया ....और उनकी आँखें वांखें पलट गयीं ......अब मुझे वो सारे किस्से याद आने लगे जो मैंने इतने साल तक अखबारों में पढ़े थे .....कि फलां जगह इतने आदमी मर गए दम घुटने से ...वगैरा वगैरा ......मैंने कहा लो बेटा अजित सिंह तुम तो स्वर्ग से सिर्फ आधा किलोमीटर दूर शहीद हो जाओगे ........इस से अच्छा तो तुम वहीँ ठीक थे काशी में ....उसको भी तो लोग स्वर्ग ही कहते हैं ..........
पर साहब इश्वर को कुछ और ही मंज़ूर था सो हम ठीक ठाक सही सलामत निकल आये tunnel से ......सांस में सांस आयी ...जान में जान आयी.....गाडी चली तो मैंने अपनी आँखें बंद कर ली........मुझे स्वर्ग के दर्शन जो होने वाले थे ........tunnel का पूरा कष्ट मैं भूल चुका था.....कुछ देर बाद डरते डरते मैंने आँखें खोलीं .....अरे ये क्या ....वो स्वर्ग कहाँ गया .......वहां चारो तरफ धान कटे सूखे खेत थे ........सुनसान बियाबान ......कोई स्वर्ग वर्ग कहीं नहीं था .......खैर मैंने कहा बेटा अजित सिंह धैर्य रखो ....जब इतने सारे लोग कहते हैं तो कहीं तो होगा ही ........१५ -२० मिनट में ही गाडी पहाड़ों से नीचे उतर आयी ....लो पहाड़ भी ख़तम ......अब गाडी एकदम प्लेन सड़क पर सरपट दौड़ रही थी .......छोटे छोटे कसबे .......सामान्य से .....मेरा मूड एकदम खराब हो गया था ....मुह का स्वाद बिगड़ गया .......और मैं सो गया ....बार बार बीच बीच में आँखें खोल लेता था ........क्या पता .....कही गलती से निकल ही जाए ......पर साहब कहीं स्वर्ग था दिखा ........गाडी श्रीनगर पहुची तो दोनों दोस्त लेने आये हुए थे ...उन्होंने मेरा गन्दा मुह देखा ... दुआ सलाम बोले क्यों क्या हुआ ??????मैंने कहा ...वो साला स्वर्ग कहाँ है .........दोनों ठठा के हंस पड़े .बोले ...भाई मेरे ठण्ड रख ...स्वर्ग भी दिखायेंगे .........खैर साहब रात को खाया पीया सो गए ....मेरे अन्दर एक अजीब सी बेचैनी थी ......अगले दिन मेरा एक दोस्त मुझे दल लेक ले गया .....वहां उस सड़क पे टहलते हुए मेरा मूड कुछ फ्रेश हुआ ......वो बोला ....क्या????? ठीक है ???????मैंने कहा ठीक तो है पर वोह स्वर्ग कहाँ है ??????वो बोला ..वहां कल चलेंगे .......खैर जैसे तैसे एक दिन और बीता ......अगले दिन हम सब लोग गुलमर्ग के लिए निकले ........४०-४५ किलोमीटर की एक और सामान्य सी यात्रा ..........पर तंगमर्ग पहुचते पहुँचते मुझे स्वर्ग का ट्रेलर दिखना शुरू हो गया था .........खूबसूरत .......बेहद खूबसूरत ..........मेरा दोस्त बोला ....क्यों ???कैसा है ...मैंने कहा बहुत अच्छा ........वो बोला बेटा ...अभी तो स्वर्ग की पूँछ भी नहीं आयी ......आगे देखना ..........और दोस्तों 15 मिनट बाद हम गुलमर्ग में खड़े थे ...........मैं आँखें फाड़ फाड़ के देख रहा था ..........यकीन मानिये मैंने ऐसा खूबसूरत नज़ारा अपनी जिंदगी में नहीं देखा था .................प्रकृति की ऐसी नैसर्गिक सुन्दरता ....वाह ..........वो दृश्य आँखों में नहीं समा रहा था .........गुलमर्ग इतना सुन्दर था की उसकी सुन्दरता का बखान करने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं .......मैं अभिभूत था .....एकदम पागल ........यकीन मानिये ये शब्द लिखते समय भी मेरी आँखों से आंसू निकल पड़े हैं ........सचमुच मैं स्वर्ग में था ........मेरे दोस्त मुझे छेड़ने लगे ..........क्यों दिखा स्वर्ग ........मैंने उनसे .कहा ....please dont disturb me .....let me enjoy the beauty ......उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया ..........मैं घंटों उस दृश्य को निहारता रहा .....हम तीन चार घंटे वहां रहे ........दोस्तों आज मैं आपसे कह रहा हूँ ...जी हाँ धरती पे स्वर्ग अगर कहीं है तो कश्मीर में है ............ पर एक बात आपको बता दूं ....गुलमर्ग में कोई बाज़ार नहीं है ,कोई सजी धजी दुकानें नहीं हैं .शौपिंग के लिए कुछ नहीं है .......ले दे के दो चार होटल हैं .....चाय नाश्ते की कुछ छोटी छोटी दुकानें ...... वहां सिर्फ एक चीज़ है प्राकृतिक सुन्दरता ......प्रकृति का अप्रतिम सौंदर्य ...........मेरे दोस्तों ने मुझे बताया की ये तो कुछ भी नहीं........ कश्मीर में तो इस से भी सुन्दर सुन्दर जगहें हैं ........दूसरी बात ये की मैं वहां सबसे खराब season में आया हूँ .........मैंने पूछा क्यों ?????तो उन्होंने बताया की अब अक्टूबर का महीना चल रहा है ...पतझर बस आने ही वाला है यानी ये पेड़ पौधे अब लम्बी ठंडी सर्दियों की तयारी कर रहे हैं ........पत्ते सब पुराने पड़ चुके हैं ...बस झड़ने ही वाले हैं .........कश्मीर का असली मज़ा लेना है तो अप्रैल ,मई ,जून जुलाई में आओ .........तब इस सुन्दरता में चार चाँद लग जाते हैं ..........तो लीजिये साहब हमें कुछ दिन बाद वापस कश्मीर आने का बहाना मिल गया .........घर पहुंचे तो श्रीमती जी जली भुनी बैठी थीं .......उन दिनों ये मोबाइल तो था नहीं इसलिए बीवियों को पतियों की छाती पर चौबीसों घंटा मूंग दलने की सुविधा उपलब्ध नहीं थी .......नहीं तो वो तो मुझे बीच रस्ते से ही वापस बुला लेतीं ....खैर उन्हें इस बात से बहुत संतोष हुआ की मुझे पूरा मज़ा नहीं आया था और ये की पूरा मज़ा लेने के लिए वापस मई जून में वहां जाना तय हो गया ..........
अगली बार हम दोनों वहां फिर गए मई में .......प्रकृति पूरे शबाब पर थी ...इस बार हम सोनमर्ग ....पहलगाम ....खिलनमर्ग ...जैसी और भी जगहों पर गए .........इस बार वहां एक साहब मिल गए ......professer हामिद भट्ट...... उन्होंने कश्मीर का चप्पा चप्पा घूमा हुआ था . उन्होंने मुझे बताया की कश्मीर में ऐसी ऐसी जगहें हैं जो एकदम अछूती हैं ...जहाँ सिर्फ घंटों trekking कर के ही पहुंचा जा सकता है ......कुछ ऐसी भी जगहें हैं जहाँ अब तक कुछ गिने चुने लोग ही पहुंचे है .......जो गुलमर्ग से भी ज्यादा खूबसूरत हैं ......लो साहब .....डाल दिया हामिद साहब ने आग में घी .......और भैया वो दिन और आज का दिन कश्मीर से हमारा इश्क अब तक चालू है ...........कई बार वहां जा चुके हैं ...पर हर बार कोई न कोई मिल जाता है और ये कह देता है की बेटा अभी तो कश्मीर की पूँछ भी नहीं देखी तुमने .............फिर वहां का खान पान ,रहन सहन ,वहां की शादियाँ ....वाह .......,कश्मीरी पाक कला ....वाज़वान कहते हैं उसे ........शायद धरती का सबसे स्वादिष्ट भोजन होगा .......लिखने के लिए तो बहुत कुछ है .....बाकी अगली बार ...पर कुछ टिप्स दे रहा हूँ
1 ) terrorism ........डरने की कोई बात नहीं ....ये सिर्फ अखबारों में है .....
2 ) धरती पे स्वर्ग ......श्रीनगर तक न ढूँढें ........
3 ) कैमरा ज़रूर ले कर जाएँ .....
4 ) कोई valid ID ज़रूर ले जाएँ ..........
5 )शौपिंग के चक्कर में न पड़ें .....दिल्ली मुंबई में सब कुछ मिलता है .......
6 ) सेब ......दिल्ली में सस्ते है ......अलबत्ता cherries बहुत अच्छी और सस्ती मिलती हैं ....
7 ) वहां की लोकल नमकीन चाय ज़रूर try करें .......
8 ) jawahar tunnel की दोनों लेन अब चालू हैं ...इसलिए डरने की कोई बात नहीं ......
9 ) अगर अकेले जा रहे हों और आपको कंपनी चाहिए तो मुझसे संपर्क करें .......















7 comments:

  1. तैमूर साहब,
    अगर कभी अपना कश्मीर जाने का बना तो तुरन्त फोन खडखडा देंगे।
    और यार, लिखो अपने यात्रा वृत्तान्त। क्या दुनियादारी में पडे हो। उसके लिये तो बाकी सब बहुत हैं।

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  2. neeraj ji
    बड़े बड़े घुमक्कड़ देखे दुनिया में पर आप जैसा नहीं देखा .....भाई हम तो फेन हो गए आपके .....और आप लिकते भी बहुत अच्छा हैं आपके यात्रा वृत्तान्त पढ़ के बहुत मज़ा आया ......लगे रहो नीरज भाई .......लोग विदेश घूमने जाते हैं ...अरे अपना देश तो घूम लो ........
    सप्रेम
    अजित

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  3. आप स्वर्ग से वापस आ गये या दमे से डर हये थे, मजेदार पोस्ट, मुझे अपनी यात्रा याद आ गयी,
    अगले साल फ़िर जा रहा हूँ, अपनी बाइक कह रही है, कि अभी मेरा भी मन नहीं भरा है, दो अलबेले जाटों से आपका पाला पडा है,

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  4. me ab to kasmir jaroor jauga aapka post padne ke baad bhoot eccha he ab to

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