दोस्तों ज्यादा पुरानी बात नहीं है ....दो भाई थे ...लम्बे समय से साथ साथ रह रहे थे एक ही घर में .....थोड़ी बहुत हूँ टूं तो लगी ही रहती है .......पर फिर भी सब ठीक ही चल रहा था .......कट रही थी .......जो छोटी मोटी समस्याएं आती थीं बुज़ुर्ग आपस में दोनों को बैठा के सुलझा लिया करते थे ......पर फिर धीरे धीरे माहौल खराब होने लगा ....और अंत में छोटे ने कह दिया की मैं तेरे साथ नहीं रह सकता ...........रोज़ रोज़ लड़ाइयाँ होने लगीं ....मारपीट लाठी डंडा .......बुजुर्गों ने बहुत कोशिश की समझाने की ......और गाँव में कुछ और लोग भी थे भड़काने वाले ............सो बुजुर्गों की एक न चली ..........और एक दिन दोनों अलग हो ही गए ............घर में दीवार खिच गयी ....चूल्हे अलग हो गए ........चूल्हे तो अलग हुए सो हुए, दिल अलग हो गए थे .......कुछ दिन बड़ा खराब समय बीता ........पर समय हर घाव को भर ही देता है ......दोनों खाने कमाने लगे ......पर छोटे के दिल में हमेशा एक टीस रहती थी ...एक जलन थी ....उसे हमेशा लगता की उसके साथ नाइंसाफी हुई है .....और वो इसी जलन में हमेशा जलता भुनता रहता था ........बड़ा मस्त था ....वो मेहनत से खा कमा रहा था .....सो वो धीरे धीरे सम्पन्न होता चला गया ...और छोटा अपने अंतर्द्वंदों से ही जूझता रह गया ......अब छोटे से बड़े की सम्पन्नता और सुख देखा न जाता था ..............वो हमेशा बदला लेने की फ़िराक में ही रहता था ...सो उसने दो एक बार धावा बोल दिया बड़े पर ....पर बड़ा तगड़ा ठहरा सो उसने पीट दिया बुरी तरह .......अब छोटे को समझ में आ गया की लड़ाई में तो वो जीत नहीं सकता ...सो उसने कोई दूसरा तरीका निकालने की ठानी .......और फिर पता नहीं कहाँ से उसके दिमाग में आया की उसने एक कुत्ता पाल लिया .........और लगा उस कुत्ते को मुर्गी पकड़ना सिखाने .......कुत्ता तो कुत्ता ठहरा .....वो बहुत जल्दी सीख गया ........अब छोटे ने उस कुत्ते को छोड़ दिया ....और वो कुत्ता रोज़ बड़े की एकाध मुर्गी पकड़ लेता था .......बड़ा अब बहुत परेशान .....और छोटे को बहुत मज़ा आने लगा ....जब भी उसका कुत्ता बड़े की मुर्गी मार देता तो छोटा वहां अपने घर में बैठ के मज़े लेता और मंद मंद मुस्कुराता ......वाह ये बात हुई ...अब आएगा मज़ा ........ उसने सोचा की एक कुत्ते से काम नहीं चलेगा ......दो चार कुत्ते और पालो ....सो उसने 4 -5 कुत्ते और पाल लिए ......उनको भी मुर्गी पकड़ने की ट्रेनिंग दे के छोड़ दिया ...अब वो सब मिल के लगे बड़े को परेशान करने ............रोज़ ही उसकी 2 -4 मुर्गियां मारने लगे .......बड़ा बहुत परेशान हो गया. अब वो बेचारा सारे काम धंधे छोड़ के लगा अपनी मुर्गियां अगोरने ...उन कुत्तों से ........उसने छोटे को समझाने की कोशिश की पर छोटा कहाँ सुनने को तैयार था ....उसे तो मज़ा आ रहा था ......उसे तो अब मौका मिला था सारे बदले लेने का ....सो उसने कहा की और कुत्ते पालो ....और उसने अपने पूरे घर को ही लगा दिया ........की कुत्ते पालो ...उनको ....ट्रेनिंग दो और छोड़ दो बाहर ....अब तो उसके यहाँ कुत्तों का ट्रेनिंग स्कूल ही खुल गया .......सारे गाँव में बात फ़ैल गयी की भैया इस घर में कुत्तों की बड़ी इज्ज़त है ...सो सारे गाँव के कुत्ते वहीं , छोटे के यहाँ जमा होने लगे ......छोटे की भी मौज और कुत्तों की भी मौज ....बनने लगी रोज़ बिरयानी कुत्तों के लिए .....बड़े के लिए अब रहना दूभर हो गया था ...कुत्ते रोज़ धावा बोल देते थे.....सो उसने भी काम धंधा छोड़ के पहले इसी का उपाय करने का निश्चय किया ......घर के चारों तरफ चारदीवारी बनाई .........मुर्गियों को अन्दर दडबे में बंद किया ......बंदूकें लाया ...चौकीदार बैठाए ...सिक्यूरिटी tight की..... और दौड़ा दौड़ा के कुत्तों को मारना शुरू किया .....अब कुत्ते दुबक गए .......अपने घर में ही रहने लगे क्योंकि पडोसी ने तो काम tight कर दिया था .....पर यहीं गड़बड़ हो गयी ......chhote ने कुत्तों को ये सिखा दिया की मुर्गी न मिले तो आदमी को ही पकड़ लो .....उनको तो मुर्गी पकड़ने की और रोज़ मुर्गी खाने की आदत पड़ गयी थी ...सो उन्होंने .....मोहल्ले के और दूसरे घरों में घुसना शुरू कर दिया ......मुर्गी न मिले तो आदमी ही सही ...अब जब गाँव भर ने छोटे को उलाहना दिया ,डराया धमकाया तो उसने इन कुत्तों को मना किया .......डांटा फटकारा भी ....एक दो को दो चार डंडे मार भी दिए .....अब कुत्ते बिगड़ गए ....उन्होंने मालिक को दी दौड़ा लिया ......उन्हें तो मुर्गी पकड़ने की आदत थी ...अब वो लगे अपने घर की ही मुर्गियां पकड़ने ........अब बहार वालों के लिए तो आप चारदीवारी बना सकते हैं पर अपने घर वालों के लिए क्या करेंगे .......उसने कुत्तों को रोकने की कोशिश की ....नहीं माने तो दो चार को गोली मार दी .....पर इस से बात और बिगड़ गयी .....अब कुत्ते पागल हो गए थे .......लगे मालिक को ही दौड़ा दौड़ा के काटने .....पूरे घर पे उन्होंने कब्ज़ा कर लिया ....अब छोटा खाली नाम मात्र का ही मालिक था ...असली हुकूमत तो कुत्तों की थी ......छोटा आजकल बेचारा बड़ा परेशान है ......कुत्ते जब देखो तब काट लेते हैं ......पट्टियाँ बांध के घूम रहा है ..... फिर भी अक्ल नहीं आयी है अब तक ......अब भी कहता है की बड़ा ही मेरा सबसे बड़ा दुश्मन है ....... बड़े से बदला ले के रहूँगा .....बच्चे भूखे मर रहे हैं ....कुत्ते बिरयानी खा रहे हैं ......
आज गाँव भर के नामी कटखने पागल कुत्ते छोटे के घर में बिरयानी खा रहे है ....सारा गाँव जनता है ....पर छोटा कहता है ....प्रूफ दिखाओ ....मेरे यहाँ कोई कुत्ता नहीं है ....एक दिन गाँव के एक दबंग ने छोटे के घर में घुस के एक बड़ा नामी कुत्ता मार दिया ......छोटा कुछ दिन तो मुह छिपाता फिर ....फिर बोला की गाँव वालों की ही गलती है ....कुत्ता अगर मेरे घर में था तो तुम लोग आज तक ढूंढ क्यों नहीं पाए .......और खबरदार .....आज के बाद कोई मेरे घर में घुस के कुत्ता मारने की कोशिश न करे....इतना सब कुछ हो गया पर छोटा अब भी समझ नहीं रहा है ...........और समझे भी क्या ...छोटे के घर के सब लोग कुत्तों के शौक़ीन हैं .....वो सब चाहते हैं की कुत्ते घर में ही रहें ...... छोटे के घर एक समझदार आदमी था .....वो कहता फिरता था की ये क्या कर रहे हो भाई ...ये तो गलत है .......सो एक दिन एक कुत्ता उसे मार के खा गया .......तो लो भैया सारे घर के लोग लगे मिल के उस कुत्ते की जय जय कार करने ......उसे हीरो बना दिया ...अब बताओ भैया सारा घर ही अगर कुत्तों का हिमायती हो जाये तो क्या बनेगा घर का ........पर छोटे को ये बात समझ नहीं आ रही ....
बड़े के घर में भी कुछ लोग हैं जो कहते हैं की अगर उसने कुत्ते पाल रखे हैं तो हम भी पाल लेते है ..... पर बड़ा समझदार है ...होना भी चाहिए ....वो समझता है की कुत्ते को कभी मुस्गी पकड़ना नहीं सिखाना चाहिए ......आज पडोसी की पकड़ेगा ....पर ध्यान रखना ....कल को अपने घर की ही पकड़ने लगेगा ....बड़ा कहता है की चलो ...जो भी है जैसा भी है ....है तो मेरा भाई ही ....सगा भाई है ...एक ही बाप की तो औलाद हैं हम दोनों ......इश्वर छोटे को सद्बुद्धि दे .......आखिर लड़ झगड़ के किसी समस्या का कोई हल निकला है क्या आज तक .....समस्याएं तो आखिर प्रेम से बातचीत कर के ही हल होंगी .......ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ...ॐ
आज गाँव भर के नामी कटखने पागल कुत्ते छोटे के घर में बिरयानी खा रहे है ....सारा गाँव जनता है ....पर छोटा कहता है ....प्रूफ दिखाओ ....मेरे यहाँ कोई कुत्ता नहीं है ....एक दिन गाँव के एक दबंग ने छोटे के घर में घुस के एक बड़ा नामी कुत्ता मार दिया ......छोटा कुछ दिन तो मुह छिपाता फिर ....फिर बोला की गाँव वालों की ही गलती है ....कुत्ता अगर मेरे घर में था तो तुम लोग आज तक ढूंढ क्यों नहीं पाए .......और खबरदार .....आज के बाद कोई मेरे घर में घुस के कुत्ता मारने की कोशिश न करे....इतना सब कुछ हो गया पर छोटा अब भी समझ नहीं रहा है ...........और समझे भी क्या ...छोटे के घर के सब लोग कुत्तों के शौक़ीन हैं .....वो सब चाहते हैं की कुत्ते घर में ही रहें ...... छोटे के घर एक समझदार आदमी था .....वो कहता फिरता था की ये क्या कर रहे हो भाई ...ये तो गलत है .......सो एक दिन एक कुत्ता उसे मार के खा गया .......तो लो भैया सारे घर के लोग लगे मिल के उस कुत्ते की जय जय कार करने ......उसे हीरो बना दिया ...अब बताओ भैया सारा घर ही अगर कुत्तों का हिमायती हो जाये तो क्या बनेगा घर का ........पर छोटे को ये बात समझ नहीं आ रही ....
बड़े के घर में भी कुछ लोग हैं जो कहते हैं की अगर उसने कुत्ते पाल रखे हैं तो हम भी पाल लेते है ..... पर बड़ा समझदार है ...होना भी चाहिए ....वो समझता है की कुत्ते को कभी मुस्गी पकड़ना नहीं सिखाना चाहिए ......आज पडोसी की पकड़ेगा ....पर ध्यान रखना ....कल को अपने घर की ही पकड़ने लगेगा ....बड़ा कहता है की चलो ...जो भी है जैसा भी है ....है तो मेरा भाई ही ....सगा भाई है ...एक ही बाप की तो औलाद हैं हम दोनों ......इश्वर छोटे को सद्बुद्धि दे .......आखिर लड़ झगड़ के किसी समस्या का कोई हल निकला है क्या आज तक .....समस्याएं तो आखिर प्रेम से बातचीत कर के ही हल होंगी .......ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ...ॐ
aapne is lekha me ekdum sahi bayan kiay aap ne pakistan ka bada =bharat chota bhai= pakistan kutte atnkwadi
ReplyDelete=murgi yani bharati nagarik dabang
=amerika bada kutta laden
अभी भी बडे का घर पूर्णत: सुरक्षित नहीं है, क्योंकि बडे के घर के कुछ सदस्य कुत्तों से मिलीभगत करते हैं।
ReplyDeleteप्रणाम
दूसरों के घर आतंकवादी भेजने का अंजाम हमारे पडोसी ने तो देख लिया है ही . आप आग से खेल कर अपने घर को जलने से नहीं रोक सकते.
ReplyDeleteअजित सिंह जी आप वाकई लाजवाब लिखते हैं.